उत्तराखंड में ईसाई मिशनरियों का
प्रभाव अब शासन-प्रशासन के ऊपर भी पड़ने लगा है. एक ओर जहां देवभूमि में हिन्दू
समाज भू-कानून की मांग कर रहा है ताकी प्रदेश में हिन्दुओं की जमीन-जायदाद
सुरक्षित रहे, मगर वहीँ दूसरी ओर राजनीतिक पार्टियाँ और जन प्रतिनिधि ईसाई
मिशनरियों को खुश करने के लिए सरकारी फण्ड का दुरूपयोग कर चर्च का निर्माण करा रहे
हैं. देवभूमि की जनता बढ़ती मुस्लिम आबादी और ईसाई आबादी के प्रभाव से परेशान है. इस
समस्या के कारण देव भूमि के लोग पलायन भी कर रहे हैं. इसकी भी विस्तार से खबर
पिछले दिनों सुदर्शन न्यूज़ ने दिखाया था.
मगर अब हद तो तब हो गयी जब खुद एक
विधायक ने ही ईसाई मिशनरियों के दबाव में अपने ही निधि से चर्च का विशाल भवन का
निर्माण करवा डाला. प्रदेश में ऐसे कई राजनेता और जनप्रतिनिधि हैं जो मिशनरियों को
खुश करने के लिए आए दिन कोई न कोई इस तरह की हरकतें कर रहे हैं. बात चाहे प्रदेश
की पहाड़ी इलाके की हो या फिर मैदानी इलाके की हर ओर मिशनरियों और जिहादियों का
लैंड जिहाद और मजार जिहाद अपना तेज़ी से अपना पैर पसार रहे हैं.
इन्हीं मिशनरियों और जिहादियों के
द्वारा हिन्दू समाज के भोले-भाले लोगों और को ईसाई और मुस्लिम धर्म में
धर्मान्तरित किया जा रहा है. आदिवासी, बनवासी और निरक्षर समाज को सीधा टारगेट कर पैसे
का लालच देकर धर्मांतरण की फैक्ट्री चल रही है.
स्थानीय नेताओ और विधायको का आशीर्वाद
इन लोगो के ऊपर बना हुआ है जिस वजह से कानून का डर भी अब इन मिशनरियों को नहीं है.
तस्वीरों में आप साफ तौर से देख सकते हैं की प्रार्थना सभा कक्ष का उद्घाटन राजपुर
विधानसभा से विधायक खजान दास ने किया है...और निर्माण भी विधायक ने अपनी विधायक
निधि से करवाया है. तो सवाल यहाँ ये खड़ा होता है कि जब हमारा संविधान ये कहता है
कि सरकारी धन से किसी भी प्रकार के चर्च मस्जिद मंदिर का निर्माण नहीं होसकता तो
फिर विधायक जी ने किस आधार पर अपने सरकारी निधि का धन चर्च निर्माण में किया ?
देवभूमि के हिंदू संगठन लगातार विधायक
का विरोध कर रहे है. विधायक जी ने चर्च का निर्माण करवा कर खुद को कटघरे में खड़ा
कर लिए है. अब देखने वाली बड़ी बात होगी की सरकार इसपर क्या एक्शन लेगी और कब तक
लोगो के टैक्स का पैसे ऐसे अवैध निर्माण पर लगाता
रहेगा ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है.
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