उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी पर कई सारे
गंभीर आरोप अक्सर लगते रहते हैं. मगर इसबार का आरोप बेहद गंभीर और पूरे राष्ट्र को
झकझोर देने वाला है. पूर्व रॉ अधिकारी ने हामिद अंसारी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.
नाम्बी नारायणन ने हामिद अंसारी के क़रीबी द्वारा बदनाम करने और उनका करियर तबाह
करने की बात का खुलासा किया है. इस खबर के सामने आने के बाद फिर हामिद अंसारी
सुर्ख़ियों में हैं. इस पूरे प्रकरण को देश के कई बड़े अख़बारों ने प्रमुखता के साथ
प्रकाशित किया है.
पीएसएलवी को 2014 में मंगलयान को
संचालित कर मंगल ग्रह पर भारतीय ध्वज लहराने वाले और वर्ष 2008 में चंद्रयान को
संचालित करने वाले प्रोफेसर नम्बी नारायणन हीं थे. जनवरी 5, 2014 को भारत ने अंतरिक्ष में लम्बी
छलांग लगाकर नया इतिहास रचा था. स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के बूते रॉकेट को
अंतरिक्ष में भेजने का परीक्षण 100% ख़रा उतरा था. इस लम्बी छलांग के पीछे असल में
प्रोफैसर नम्बी नारायणन हीं थे.
1970 में ‘तरल ईंधन रॉकेट’ तकनीक लाने वाले वैज्ञानिक रहे नम्बी
नारायणन 1994 में इसरो में क्रायोजेनिक विभाग के वरिष्ठ अधिकारी थे. मगर अफ़सोस की
बात है कि उन्हें सत्ता और सियासत के षड्यंत्र का शिकार बनाया गया. जिस व्यक्ति को
राष्ट्रीय अलंकरण देकर सम्मानित किया जाना चाहिए था, उसे ही जेल की सलाखों के पीछे बन्द कर दिया गया. उन्हें देश का
गद्दार करार दिया गया.
नम्बी नारायणन और उनके साथी डी.
शशिकुमार को वर्ष 1994 में केरल पुलिस ने जासूसी और भारत की रॉकेट प्रौद्योगिकी
शत्रु देशों को बेचने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. बिना जाँचे-परखे पुलिस
की इस ‘थ्योरी’ पर विश्वास करके उन्हें राष्ट्रद्रोही के रूप में प्रस्तुत किया था.
नारायणन और शशि कुमार की घनघोर भर्त्सना हुई. सीबीआई ने अदालत में कहा कि ये केरल पुलिस की काफ़ी सोची समझी साज़िश थी. केरल पुलिस के सीबी मैथ्यूज, विजयन और के के जोशुआ के अलावा आईबी के आर बी श्रीकुमार पर मुक़दमा चलाने की सिफ़ारिश सीबीआई ने कर दी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी अभियुक्तों को रिहा किया और केरल सरकार को पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया.
इस प्रकार एक महान
वैज्ञानिक की कैरियर को तबाह कर देश की अंतरिक्ष मिशन को भी कमजोर किया गया. ऐसे
में सवाल हामिद अंसारी के ऊपर खड़ा होता है कि क्या अंसारी इसके लिए देश से माफी
मागेंगे?
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