देश भर में मुफ्त कोरोना वैक्सीनेशन अभियान तेजी से चल रहा है। केंद्र सरकार की कोशिश है कि जन-जन को जल्द से जल्द वैक्सिनेट किया जाए ताकि उन्हें कोरोना से एक सुरक्षा कवच मिले। लेकिन, इन सभी प्रयासों के बीच केरल के 2,300 शिक्षकों और 300 गैर-शिक्षण कर्मचारियों ने मजहबी कारणों का हवाला देते हुए वैक्सीन लेने से इनकार कर दिया है और अजीब बात यह है कि वहाँ की राज्य सरकार ने भी उन्हें इससे छूट दे दी है। तो सबसे बड़ा सवाल यहां ये खड़ा होता है कि इस्लाम के नाम पर वैक्सीन न लेने की छूट एक खास समुदाय के लोगों को क्यों दिया जा रहा है ?
मुस्लिम शिक्षकों का एक समूह ऐसा है जो मजहबी कारणों और मेडिकल ग्राउंड पर वैक्सीन नहीं ले रहे। मगर विशेषज्ञों की मानें तो ऐसे बहाने ज्यादातर अस्थिर होते हैं और विज्ञान के ख़िलाफ़ हैं। दूसरी ओर, केरल सरकार ने वैक्सीन ना लेने वाले शिक्षकों को छूट दी है। तो लोग इसे सरकार द्वारा खास समुदाय को छुट देकर कोरोना को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहे हैं.
कोरोना वैक्सीन नहीं लेने वाले शिक्षकों को केरल सरकार विशेष सरप्राइज दिया है... जिन शिक्षकों ने वैक्सीन नहीं ली है उन्हें पहले दो सप्ताह तक स्कूल नहीं आने की छुट दी गई है. साथ हीं कुछ समय के लिए ऑनलाइन कक्षाएँ जारी रखने की अनुमति मिल गई है।
कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में एक नाम केरल का भी रह चुका है। तब भी, केरल में यह घटना ऐसे समय में आई है जब अन्य राज्यों और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में मजहबी समूहों ने अपने अनुयायियों को वैक्सीन लेने के लिए कहा है। बात चाहे अमेरिका, इजरायल, रूस की हो या इंडोनेशिया सऊदी अरब, मिस्र की हर जगह कोविड वैक्सीन के लिए बड़े मजहबी समूह अपील कर रहे हैं कि लोग कोरोना वैक्सीन लगवाएँ।
ऑक्सफोर्ड की एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को तो चिकित्सा और धार्मिक निकायों द्वारा शरिया के अनुरूप तक बताया गया है। मगर हमारे हीं देश में एक ऐसा वर्ग है जो वैक्सीन को धर्म से जोड़ को भ्रम जाल खड़ा कर रहा है. इसलिए सवाल खड़ा होता है कि इस्लाम के नाम पर वैक्सीन नहीं लेने वालों को इनाम क्यों ?
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