अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पटाखे और आतिशबाजी को
प्रदूषण का दोषी नहीं माना है.
अगर विज्ञान पटाखों के पक्ष में है,तो कोर्ट और सरकार
उनके खिलाफ फैसला कैसे ले रहे हैं !
यह जानकारी विभिन्न अध्ययनों द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों
पर आधारित है.
चार अलग-अलग बड़े और विश्वसनीय संस्थानों के डेटा
पर आधारित है यह जानकारी.
एक अध्ययन IIT कानपुर द्वारा किया गया है,
दूसरा अध्ययन TERI द्वारा किया है.
तीसरा अध्ययन IIT दिल्ली द्वारा दिल्ली सरकार
के लिए किया गया है.
इस रिपोर्ट में दिल्ली में प्रदूषित हवा के मुख्य कारण पटाखों
को नहीं बताया गया है.
टेरी ने पटाखों से होने वाले प्रदूषण का भी अध्ययन किया है.
अध्ययन के अनुसार पटाखों और आतिशबाजी से प्रदूषण
का प्रतिशत नगण्य है.
TERI के अनुसार प्रदूषण को कई अन्य उपायों के जरिए
रोका जा सकता है.
इलेक्ट्रिक बसों,औद्योगिक नियमों, सड़कों को पक्का कर,
कृषि अवशेषों को जलाने पर रोक लगाने से प्रदूषण नियंत्रित
किया जा सकता है.
उपरोक्त कारकों पर रोक लगा कर प्रदूषण को 49% तक कम
किया जा सकता है
इस कार्य योजना में पटाखों में कमी या प्रतिबंध का जिक्र तक
नहीं है.
अध्ययन में गर्मी और सर्दी दोनों को शामिल किया गया है,
इस प्रकार दशहरा और दिवाली की अवधि को कवर किया
जा सकता है.
प्रत्येक मौसम में प्रत्येक स्रोत के प्रतिशत योगदान में अंतर
का भी अध्ययन किया गया है.
दिल्ली की जहरीली हवा में आतिशबाजी का कोई योगदान
नहीं पाया गया है.
आईआईटी कानपुर द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार
पटाखों को दिल्ली की हवा को प्रदूषित करने
का दोषी नहीं ठहराया गया है.
आईआईटी दिल्ली द्वारा दिल्ली सरकार को दी गई रिपोर्ट में भी,
दिल्ली में प्रदूषण के लिए आतिशबाजी पर प्रतिबंध या
विनियमन का कोई भी उल्लेख नहीं है.
चार अलग-अलग संस्थानों द्वारा, चार अलग-अलग अध्ययनों
में एक जैसी रिपोर्ट का जिक्र है.
सभी अध्ययन एक हीं निष्कर्ष पर पहुंच रहे हैं, पटाखे और
आतिशबाजी वायु प्रदूषण का कारण नहीं हैं.
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