05 June 2012

सरकार ने किया आम आदमी को कंपनियों के हवाले

२२ मई को यूपीए सरकार ने तीन साल पूरे किए। दिल्ली में भव्य भोज का भी आयोजन किया गया। अक्सर खामोश रहने वाले हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी यूपीए २ के तीन साल पूरे होने पर कहा कि अब कड़े फैसले लेने का वक्त आ गया है और हैरत की बात तो ये है कि अक्सर अपने वादों को पूरा न करने वाली सरकार के मुखिया ने अगले ही दिन अपनी कही बात पर मुहर लगा दी। पेट्रोल के दाम में साढ़े सात रुपये का ईजाफा हो गया। अब भले ही सरकार इसके पीछे तेल कंपनियों के घाटे के साथ ही कच्चे तेल की बढ ती कीमतों का तर्क दे लेकिन सच्चाई किसी से छुपी नहीं है। ये साफ हो गया कि उनकी बातों में कितना दम था और उनका ईशारा कौन से कड़े फैसले लेने की ओर था। साढ़े सात रुपये की ताजा बढ़ोतरी के बाद भी तेल कंपनियां डेढ रूपए प्रति लीटर नुकसान की बात कह रही है यानि की आने वाले दिनों में भी पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी होने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। पेट्रोल की कीमतों में ईजाफे की खबर के बाद से ही आम लोगों में जबरदस्त गुस्सा है। वहीं मुखय विपक्षी दल भाजपा के साथ ही यूपीए के सहयोगियों ने भी पेट्रेल के दामों में इतनी बढ़ोतरी का विरोध करते हुए सरकार से रोल बैक की मांग की है। बहरहाल पैट्रोल के दामों में बढ़ोतरी के बाद से इस पर बवाल मचा हुआ है और देशभर से आ रही खबरें भी कुछ इसी ओर ईशारा कर रही हैं ऐसे में सरकार पैट्रोल की इन बढ़ी हुई कीमतों पर आम जनता के हित में कोई फैसला लेती है या फिर तेल कंपनियों के दबाव के आगे घुटने टेक देती है ये आने वाले कुछ दिनों में साफ हो जाएगा।उत्तराखंड सरकार ने पैट्रोल की बढ़ी हुई कीमतों पर २५ प्रतिशत वैट न लेने का फैसला लेकर प्रदेशवासियों को राहत देने की कोशिश की है इससे प्रदेश में पैट्रोल की कीमतों में एक रुपये ८७ पैसे की कमी तो आएगी लेकिन ये राहत पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे लोगों के लिए ऊंट के मुंह में जीरे के समान लगती है। वही गोवा सरकार ने भी बढ़े हुए पेट्रोल के किमतो में कमी की है मगर यहा सवाल खड़ा होता हैं की क्या आम आदमी को राहत देने का जिम्मा सिर्फ राज्यों का हि है। क्या केंन्द्र सरकर को गोवा जैसे राज्यो का उदाहरण नही लेना चाहिए। आज के इस दौर में एक ओर पेट्रोल के दाम में लगातार बढ़ोतरी से हाहाकार मचा हुआ है वही दुसरी ओर पेट्रोल कंपनीया बड़े बड़े विज्ञापन दे कर करोडो रूपए बर्बाद कर रही है।

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