05 June 2012

रिहाई के लिए नक्श्लियो आतंकियों को छोड़ना कितना सही ?

नक्सलवाद का सूरूआत पश्चिम बंगाल के छोटे से गाँव नक्सलबाड़ी से हुआ है जहाँ भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने १९६७ में सत्ता के खिलाफ एक सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत की थी। लेकिन आज यही नक्सलवाद देद्गा के लिए नासूर बन गई है। दुनिया के एकमात्र हिन्दू राष्ट्र को खत्म कर इस समय माओवादी तत्व भारत और नेपाल में अपने चरम पर हैं और चीन की तथाकथित शहर से भूटान और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय उग्र संगठनों से हाथ मिलाकर नेपाल के पशुपतिनाथ से लेकर आंध्रप्रदेश के तिरुपति तक रेड कॉरिडोर बनाने की जुगत में लगे हैं। इनकी मंशा है कि दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों को भारत से अलग किया जा सके तथा पूर्वोत्तर राज्यों को भी भारत से अलग किया जा सके, ताकि माओवादी अपना शिकंजा इन राज्यों पर जमा उन्हें भी नेपाल की भाँति हडप लें। छत्तीसगड के दंतेवाड़ा जिले में नक्सली हमले में एक साथ ७६ लोगों की मौत ने देश को झकझोर कर रख दिया। इन नक्सलीयो को गोला बारूद और अत्याधुनिक हथियार राच्च्ट्रविरोधी ताकते मुहैया करा रही है। चिन और पाकिस्तान के रास्ते नक्सलीयो को भरपूर मद्‌द दी जा रही है। आए दिन ये नक्सली और आतंकी अपनी मांगे मनवाने के लिए नेता, विधायक सांसद और कलेक्टर तक को हाल के आतंकी घटनाओ के उपर अपहरण करते हैं तो कभी जान से उन्हे मार भी देते है। अगर हाल के माओवादियो द्वारा किए गए अपहरण के उपर नजरडाले तो सत्तारूढ़ बीजद के विधायक झीना हिकाका को बंधक बनाने वाले माओवादियों ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए पहले ३० कैदियों की रिहाई की मांगे रखी। चेंदा भूषणम उर्फ घासी को रिहाई के लिए ये लगातार सरकार के उपर दबाव बना रहे है। जो कम से कम ५५ पुलिसकर्मियों को मारने का आरोपी है। अगर २४ दिसंबर १९९९ को हुए इंडियन एरलाइस के विमान के अपहरण की घटना के उपर एक नजर डाले तो पांच नकाबधारी हथियार से लैस आतंकवादियों ने आईसी ८१४ पांच आतंकियों का मोहताज हो गया था। लिहाजा सबकुछ आतंकियों के हाथ में था। और फिर वो वहां पहुंचे जो जगह अलकायदा का गढ था। जहां तालिबान का राज था। और फिर भारत सरकार को आतंकियों के मांग के सामने झुकना पड़ा । और भारत को तीन खूंखार आतंकवादियों को छोड ना था। एक आतंकवादी को पकड ने के लिए अनेको सेना के जवान को द्याहिद होना पड ता है। मगर ये आतंकवादी और नक्सलवादी असानी से आज नेता और प्रशाशनिक अधिकारीयो को अपहरण कर इन्हें इन्हे छुड़ा ले जा रहे है।

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