05 June 2012

क्या बैश्विकरण के युग में श्रमिको का शोषण बढ़ा है ?

एक भारतीय नागरिक जो रोजगार के लिए विदेश में रहता है। और वहा पर रह कर देद्गा का नाम रौद्गान करता हैं मगर आज सरकार एनआरआई को लेकर बिलकुल गंभिर नजर नही आ रही है। अमेरिका की सिलिकॉन वैली से लेकर जापान, वियतनाम, चिन ,फिलीपींस और सिंगापुर के विकास में एनआरआई अहम भूमिका निभा रहे है। आज के दौर में ये एनआरआई प्रतिभाशाली, उत्साही और मेहनती हैं। इन्ही के दम पर आज इन देशो में एपल, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट के कुछ नामी गिरामी कंपनियां फल फल फूल रही है। इंजीनियरींग और टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ ये भारतीय पूरे दुनिया में अपना परचम लहरा रहे हैं। मगर प्रवासी भारतीयों को भारत सरकार सहयोग नहीं मिलता रहा हैं। अनिवासी भारतीयों यानी एनआरआइ को ऐसा अहसास होता है कि वे अपने ही देश में कोई अजनबी हैं। भारत में तंत्र की उपेक्षा से प्रंवासी भारतीयों को कई तरह की दिक्कत होती है। आज प्रंवासी भारतीयों का दर्द यहीं खत्म नहीं हो जाता। कदम-कदम पर उन्हें अपने ही देश में अजनबी होने का अहसास कराया जाता है। जब भी भारत आते हैं, तो वापसी पर हवाई अड्डे के अधिकारी उनसे सवाल पूछते हैं- इतने दिनों तक भारत में क्यों रहे? आज एनआरआई के साथ पत्नियों, बच्चों के अपहरण, विदेशी गोद लेने और किराए रिश्तों का आदि का सामना आए दिन करना पड़ रहा है। आज एनआरआई अपने देश छोड ने के लिए मजबूर है, आज दुनिया के हर कोने में एनआरआई मौजूद हैं। भारतीयों एनआरआई अपने व्यापार को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास और कठिन काम करने के साथ अपने आप को स्थापित किया है। आज एनआरआई देश छोड ना शुरू कर दिए है। विशेष रूप से पंजाब, कनाडा और अन्य यूरोपीय देशों में इनका पलायन लगातार जारी है। इसका एकमात्र कारण आज के सरकार है जो एनआरआई के महत्व को नही समझ रही है। आज एनआरआई कई कीर्तिमान स्थापित करने और अपने देश का नाम और प्रसिद्धि को आगे बढ या है।मगर ये खुद अपने ही देद्गा से अलग हो रहे है और वे अपने देश के साथ अपने संबंधो को भूल गए है। एनआरआई, जब भी वे अपने देश में लौटने है तो वे मंदिरों को बनाने, स्कूल की इमारत के लिए अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा दान करने के लिए तैयार रहते हैं। हमेशा से ही अपनी मातृभूमि के लिए एनआरआई खुद अपनी मातृभूमि का सबसे अच्छा बेटों साबित करने के लिए तैयार रहते है। एनआरआई हर क्षेत्र में लाखों डॉलर के निवेश करना चाहते हैं, लेकिन हमारे प्रशासनिक माहौल ऐसे हैं की ये चाह कर भी कुछ नही कर पाते है। आज के दौर में मौजूदा सरकार एनआरआई के उपर बिलकुल उदासिन नजर आ रही है। बढ ती जनसंखया और बेरोजगारी भारतीयों को अपने देश छोड ने के लिए भी मजबूर कर रही है। उनके साथ दुर्व्‌यवहार और उपेक्षा भी एक कारण सामिल है। आज उनके प्रयासों का सम्मान करने की जरूरत है। ताकी आज भारत जो आत्म निर्भर अर्थव्यवस्था का सपना देख देख रहा है उसे पूरा किया जा सके । और साथ ही भारतीय प्रशासन को भी उन्हें उचित तरीके से मद्‌द करने की जरूरत है।

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