क्रिकेट के मैदान पर गेंदबाजों के पसीने छुड़ाने वाले सचिन सियासत की पिच पर राज्य सभा में बैटिंग करने जा रहे हैं। सरकार द्वारा सचिन को मनोनीत करने के बाद राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने भी उनके नाम को मंजूरी दे दी है। लेकिन इन सब के बिच सचिन के इस फैसले का सियासी और राजनीतिक हलकों में विरोध शुरू हो गया है। शिवसेना ने इसका जोरदार विरोध किया है। शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत का कहना है कि कांग्रेस कुछ खास स्वार्थ के चलते सचिन का इस्तेमाल कर रही है। कहीं न कहीं कांग्रेस सचिन की लोकप्रियता को भुनाना चाहती है। कांग्रेस के इस फैसले से सवाल खड़ा होता हैं की क्या कांग्रेस इस समय बोफोर्स जैसे कई मुद्दों से घिरी हुई है ध्घ्यान हटाने के लिए सचिन को राज्घ्यसभा भेज रही है? वैसे भी कांग्रेस बिना फायदे के किसी को कोई पद नहीं देती है। आज पूरा देद्गा जहा एक ओर सचिन को भारत रत्न देने के लिए मांग उठा रहा है तो वही दुसरी ओर सरकार सचिन को राज्यसभा में भेज कर क्या उनके गरिमा को कम करना चाहती है। सचिन रमेश तेंडुलकर का नाम किसी पहचान के मोहताज नहीं है इस नाम को सुनकर विपक्षी टीम के हौसले पस्त हो जाते हैं। तो यहा सवाल खड ा होता है की फिर कांग्रेस आखिर कौन सा पहचान देना चाहती है सचिन को ? यह सब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ सचिन तेंडुलकर और उनकी पत्नी अंजलि की मुलाकात के बाद हुआ है। यानी कही न कही सचिन को मोहरा बनाने के पिछे सोनिया गांधी का भी हाथ है। किसी खेलते हुए खिलाडी को राज्यसभा के लिए मनोनीत करने का यह पहला मामला है। अक्सर ऐसा देखा गया गया है कि जो भी पार्टी किसी बड़ी हस्ती को राज्यसभा के लिए मनोनीत करती है वो दरअसल उस हस्ती को पार्टी से जोड ने की एक कवायद होती है। सचिन अभी सपत लिए भी नही की इसके लिए कांग्रेस अभी से ही कवायद तेज कर दी है। इससे साफ जाहीर होता है, की सरकार सचिन को राजनीतिक इस्तेमाल करना चाहती है। सवाल यहा यह भी है, की क्या सचिन कांग्रेस के नजदीक चले गए हैं या फिर वो राजनीति से अब भी दूरी बनाए रखेंगे? क्या सचिन को राजनीति में आना चाहिए? और क्या राजनीति में आने के बाद सचिन की छवि वही रहेगी जो अब तक है?
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