बाबा रामदेव और समाजसेवी अन्ना हजारे इस बार भ्रष्टाचार के खिलाफ एक साथ लड़ाई लड़ेंगे । हरिद्ववार में स्वामी रामदेव ने केन्द्र सरकार के साथ एलान ए जंग में कहा भ्रष्ट केंद्र सरकार को इस बार बचाने वाला कोई नहीं है। जन लोकपाल बिल भी पारित होगा और लाखों करोडो का काला धन भी वापस आएगा। मगर यहा सवाल खड़ा होता है की क्या अन्ना और रामदेव का आंदोलन एक बार फिर से उसी उग्र रूप में खड़ा हो पाएगा। दिल्ली के रामलीला मैदान में रामदेव और मुंबई में अन्ना के आंदोलन का जो हश्र हुआ उसके बाद से ही दोनों की मुहिम पर सवाल उठने लगे थे। ५ राज्यों में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बुरे नतीजों का सामना करना पड़ा जिसने देश में कांग्रेस विरोधी लहर को सामने लाया। अब इसी सोच के बूते अन्ना और रामदेव अपने आंदोलन का भविष्य फिर से तलाश रहे हैं। अन्ना और रामदेव एक- दूसरे की इसी प्रकार से सहायता सकते हैं। बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस और यूपीए सरकार को यह खबर परेशान जरूर करेगी। सवाल सिर्फ एक है क्या देश अब एक नया आंदोलन देखेगा अन्ना की टीम में सेकूलर छवि के चलते अब भी कुछ ऐसे लोग है जिनका राष्ट्रवाद से दूर दृ दूर का नाता नही है ! उन्ही में से एक नाम है प्रशांत भूषण का जो काद्गमीर को अलग करने की वकालत कर चुके है। वही अपनी फिसलती जुबान से सुर्खिया पाने वाले केजरीवाल भी कभी इस्लामिक टोपी पहनकर मुसलमानों को रिझाने की कोशिश करते है। ऐसे में सवाल यह उठता है की क्या ऐसी टीम देद्गा के लोगो को एक बार फिर से जोड पाएगी। क्या ये लोग सरकार पर दबाव डाल सकेंगे पिछले कुछ दिनो से सरकार लगातार एक के बाद रामदेव और अन्ना हजारे के उपर तिखी वार कर रही है ऐसे में इस बार का आंदोलन काफी दिलचस्प होना वाला है। इस आंदोलन में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक रविद्गांकर भी सामिल हो रहे है। ऐसे में सरकार की मुद्गिकले बढ़ना तय है। खुद अन्ना हजारे कह रहे है की अगर सरकार हमारे इस मकसद में अड चन बनती है तो उसे इसका फल भुगतना पड़ेगा ।२०१४ के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर भी अन्ना और रामदेव अगस्त से मिलकर अपना बिगुल फूकेंगे। तो ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजमी है की क्या सरकार अपनी रूख से झुकेगी या अपनी अडि यल रूख का परिणाम भुगतेगी ये आने वाले कुछ समय में पता चल जाएगा। अन्ना देश के अन्ना हैं इस बार जंतर मंतर पर गम और गुस्से का अजीब संगम है, हर तरफ बस एक ही शोर है कि शायद अन्ना का ये अनशन आम आदमी के हक में एक ऐसा कानून बना सके जिसके डर से भ्रष्टाचारी को पसीने आ जाएं क्योंकि अन्ना के समर्थन में आने वालों का ये मानना है कि अन्ना जो कहते हैं सही कहते हैं। और रामदेव भी इस बार साथ है तो ये आंदोलन और महतत्वपूण हो गया है। बेईमान सियासत के इस न खत्म होने वाले दंगल में आम आदमी थक कर चूर हो चुका हैं। मगर फिर भी बेईमान नेताओं मंत्रियों अफसरों और बाबुओं की बेशर्मी को देखते हुए अन्ना और रामदेव लड रहे हैं। बेईमान और शातिर सियासतदानों की नापाक चालें हमें चाहे जितना जख्मी कर जाएं अन्ना हजारों और रामदेव के आगे दम तोड देती हैं। ऐसे में इस बार ये देखना है की अन्ना और रामदेव की ये दाव कितना रंग लाती है।
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