राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र यानि एनसीटीसी गृह मंत्रालय की एक महात्वाकांक्षी परियोजना है जो गृह मंत्री पी चिदंबरम की पहल पर गठित हुई है। आतंकवाद से जुड़े मामलों के आईबी रिसर्च एंड एनलिसिस विंग ज्वायंट इंटेलिजेंस कमेटी और राज्यों की खुफिया एजेंसियों के लिए नोडल एजेंसी का काम करेगा। ये सारी एजेंसियां आतंकवाद से जुड़े मामलों में नेशनल काउंटर टेरररिज्म सेंटर को रिपोर्ट करेंगी। एडीजी स्तर का पुलिस अफसर इस सेंटर का प्रमुख होगा जो सीधे गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करेगा। यहा प्रद्गन खड़ा होता है की क्या आंतरिक सुरक्षा को अलग-थलग करके देखा जाना सही है क्योंकि एनसीटीसी देश की आंतरिक सुरक्षा से सीधे तौर पर जुडा है। आतंकवाद निरोधी केंद्र का गठन कानून एवं व्यवस्था के मसले पर राज्यों के एकाधिकार में हस्तक्षेप है। क्योकी संविधान के सातवीं अनुसूची में राज्य सरकारों को उनके अधिकार क्षेत्र में कानून और व्यवस्था को कार्यान्वित करने का एकाधिकार है। इसी अनुसूची की सूची ३ में केंद्र को देश के कानून बनाने का और देश की सुरक्षा का भी उत्तरदायित्व दिया हुआ है। एनसीटीसी के उपर यही से सुरू होता है, राज्य बनाम केन्द्र की लड़ाई । इस नियम के तहद गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम-१९६७ के अनुभाग ४३ अ के तहत गिरफ्तारी और तलाशी के लिए अधिकृत करने का प्रस्ताव है। गैर कांग्रेस शासित राज्यों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा राज्यों की अनुमति के बिना एनसीटीसी को उनके अधिकार क्षेत्रों में गिरफ्तारी आदि के लिए अधिकृत करना संघीय व्यवस्था का उल्लंघन है। संविधान की सातवीं अनुसूची में राज्य सरकारों को उनके अधिकार क्षेत्र में कानून और व्यवस्था को संचालित करने का एकाधिकार है। इस कानून का बिरोध करने वाले मुखयमंत्रियों में भाजपा शासित राज्यों के मुखयमंत्रियों के साथ-साथ सहयोगी राज्यों के मुखयमंत्री भी इसका विरोध कर रहे है। इसमें तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी सबसे आगे हैं। इनके अलावा ओडिशा के मुखयमंत्री नवीन पटनायक और तमिलनाडु की मुखयमंत्री जे जयललिता ने भी इसका विरोध कर रही है। सुरक्षा से जुडे महत्वपूर्ण मसलों पर राज्य सरकारों से सलाह मशविरा नहीं करने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए गुजरात के नरेन्द्र मोदी ने कहा है की इसका भी इस्तेमाल केन्द्र सरकार उसी प्रकार करेगी जिस प्रकार से सीबीआई का कर रही है। दरअसल एनसीटीसी के पास कहीं से भी किसी को गिरफ्तार करने और जांच करने का अधिकार होने की बात सामिल की गई है। इसके लिए उन्हें उस राज्य की पुलिस या सरकार को जानकारी देना जरूरी नहीं होगा। राज्यों को सबसे ज्यादा ऐतराज इसी बात का है। एनसीटीसी के तहद देश में किसी भी विशेष बल सहित एनएसजी की सहायता लेने का अधिकार है। अधिकारियों के संबंधित राज्यों की पूर्व अनुमति के बिना बाहर छापेमारी कर ले जाने के लिए कर सकते हैं। और अधिकारी आतंकवाद से संबंधित मामलों पर किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। राज्य के अन्य सरकारी अधिकारियों को जानकारी साझा करने के लिए बाध्य कर रहे हैं। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्या केन्द्र सरकार राज्यो के अधिकारों को हांनी पहुंचाना चाहती है।
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