पाकिस्तान के राष्ट्रपति भारत आए हुए हैं। हालांकि, जरदारी की यह यात्रा निजी है। लेकिन यह यात्रा बिवादो में है। बावजूद इसके तमाम ऐसे मुद्दे हैं, जिसे भारत जरदारी के सामने उठाया है। जिसमें हाफिज सईद का मुद्दा सबसे गर्म रहा है। जियारत के बहाने हो रही ये यात्रा आगरा में अटल-मुशर्रफ की यात्रा से आगे बढ़ कर कुछ इबारत लिख सकती है, ऐसा संभव नही लग रहा है। जरदारी और बेनजीर के बेटे और पीपीपी के चेयरमेन बिलावल की मुलाकात को एक कुटनीतिक चाल के रूप में यहा पर जरूर देखा जा रहा है। क्योकी एक ओर जहा पूरा देद्गा आतंकवाद के मार से कराह रहा है तो वही गांधी परिवार आतंक के पहरादारो से हाथ मिला रहा है। एक ओर जहा प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह जरदारी के मेहमान नवाजी में खास खाने का इंतजाम किया है और जरदारी के मुंह मिठा कराने में मसगूल है तो वही दुसरी ओर पाकिस्तान आतंक का जहर घोल रहा है। तो ऐसे में प्रद्गन खड़ा होता है की जरदारी का यह जियारत कहा तक जायज है पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि दोस्त तो बदले जा सकते हैं, लेकिन पड़ोशी नहीं।लेकिन आजादी के ६२ साल बाद भी हम संघर्ष के स्थिति में हैं । तो अब सवाल यह उठता है कि हम पाकिस्तान से अपने रिश्ते कैसे सुधारें। हाल में अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा के प्रमुख और मुंबई आतंकी हमले के आरोपी हाफिज सईद पर ५० करोड़ रुपये के इनाम की घोषणा की है। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक सईद भारत की मोस्घ्ट वांटेड अपराधियों की सूची में शामिल है। मुंबई में २६/११ को हुए हमले में १६६ लोग मारे गए थे और सैकड़ो अन्घ्य घायल हुए थे। उसके तीन वर्षो बाद भारत और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता तो बहाल हो गई है, लेकिन दोनों देशों के बीच मुम्बई हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में खड़ा करने सहित कई मुद्दों का ठोस समाधान अभी तक नहीं निकल पाया है। वहीं, पाकिस्तान में राष्ट्रपति जरदारी के अजमेर में जियारत को लेकर हंगामा मचा हुआ है। जमात-उद-दावा के प्रमुख और मुंबई हमलों के साजिशकर्ता हाफिज सईद के सिर पर अमेरिकी ईनाम की घोषणा के बाद दियाफ-ए-पाकिस्तान परिषद (डीपीसी) ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से अपनी भारत यात्रा रद्द करने को कहा है। यानी कही ना कही जरदारी खुद जरदारी इस यात्रा को लेकर अपने ही देद्गा में घिरे हुए है।
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