70 वर्षों से ब्रिटेन
की सर्वोच्च शासक रहीं एलिजाबेथ के निधन के बाद यूनाइटेड किंगडम सहित 14 अन्य कॉमनवेल्थ
देशों के राष्ट्रीय ध्वज को झुका दिया गया
है. भारत सरकार ने भी 11 सितंबर को राष्ट्रीय शोक घोषित किया है. मगर इसे लेकर
लोगों में आक्रोश और गुस्सा है. लोग सवाल उठा रहे है कि अंग्रेजों की लुटेरी रानी के राष्ट्रीय शोक क्या स्वतंत्रता
सेनानियों और अपने प्राण न्योछावर करने वाले बलिदानियों का अपमान नहीं है ?
अंग्रेजों द्वारा भारत
में 200 वर्षों में मचाई गई तबाही के लिए कभी माफी नहीं मांगी गई उसके रानी
के लिए शोक कई अहम सवाल खड़े करते हैं. पहले सवाल यही उठ सकता है कि माफ़ी माँगने की
ज़रूरत ही क्यों है? माफ़ी
इसीलिए माँगनी है, क्योंकि
अंग्रेजों के समय में 3 करोड़ के आसपास लोग
भूख से मर गए.
1943 में बंगाल में आया
अकाल इसका एक उदाहरण है, जब
अंग्रेजों ने लोगों को बचाने की बजाए अपना खजाना भरना ही उचित समझा. दूसरे विश्व
युद्ध में अंग्रेजों की सेना में शामिल 54,000 भारतीयों को अपनी
जान गँवानी पड़ी. फिर भी भारत ऐसे देश की रानी के लिए उतना उदार भाव
क्यों दिखा रहा है.
अग्रेजों द्वारा कोहिनूर हिरा लूटकर ले गए थे जिसका कीमत 8000 करोड़ है, बंगाल प्रेसिडेंसी में पहली बार गवर्नर बना रॉबर्ट क्लाइव अपने साथ 369 करोड़ रुपए लूटकर ले गया था, जिससे वो यूरोप के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक बन गया. इन सभी लूट का गवाह थी एलिज़ाबेथ मगर फिर भी लूटेरों की रानी का महिमामंडन से देश हैरान है. अन्य मीडिया संस्थान अब भी महिमामंडित करने से बाज़ नहीं आरहे हैं.
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