देश विभाजन विभीषिका मना रहा है. स्वतंत्रता की सालगिरह के ठीक एक दिन पहले देश में खामोसी और उदासी है. बंटवारे के इस दर्द को कभी कभी भुलाया नहीं जा सकता है. नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और लाखों लोगों को अपनी जान तक भी गंवानी पड़ी. उन लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में प्रतिवर्ष 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है.
अंग्रेजों द्वारा भारत-पाकिस्तान के बंटवारे
के समय 14 अगस्त
1947 को
ही बंगाल, बिहार
और पंजाब में भयानक सांप्रदायिक दंगे हुए थे. जिनमें तकरीबन 10 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे. जिन्ना, नेहरु के हठ
और गाँधी के मुस्लिम प्रेम ने करोड़ों जिंदगियों को तबाह कर दिया.
15 अगस्त, 1947 से ठीक एक दिन पहले देश ने ऐसी त्रासदी देखी मानो कोई तूफान आया हो. स्वंत्रता किसी भी राष्ट्र के लिए एक खुशी और गर्व का अवसर होता है. मगर भारत विभाजन ने स्वतंत्रता की ख़ुशी को डर, गम मातम, भय और विशाल विभीषिका में तब्दील कर दिया. देश को विभाजन का आघात लंबे समय तक सहना पड़ा.
विभाजन विभीषिका की
आग आज भी नहीं बुझी है. उसका दंश देश आज 75 वर्षों बाद भी झेल रहा है. स्वतंत्र
भारतीय राष्ट्र का जन्म विभाजन के हिंसक दर्द के साथ हुआ, जिसने
करोडों भारतीयों पर पीड़ा के स्थायी निशान छोड़ गया.
विभाजन मानव इतिहास में सबसे बड़े विस्थापनों में से एक है, जिससे लगभग 20 मिलियन लोग प्रभावित हुए. लाखों परिवारों को अपने पैतृक गांवों/कस्बों/शहरों को छोड़ना पड़ा और शरणार्थी के रूप में एक नया जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ा.
14-15 अगस्त, 2022 की आधी रात को पूरा देश 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा होगा, लेकिन इसके साथ ही विभाजन का दर्द और हिंसा भी देश की स्मृति में गहराई से अंकित है, उस दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर हमने विभाजन की विभीषिका से अबतक क्या क्या सिखा ?
विभाजन विभीषिका और नुकसान
·
भारत के विभाजन से करोड़ों लोग प्रभावित हुए, विभाजन के दौरान हुई
हिंसा में करीब 10 लाख लोग मारे गए
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करीब 2 करोड़ शरणार्थियों ने अपना घर-बार छोड़कर बहुमत सम्प्रदाय
वाले देश में शरण ली
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मुस्लिम लीग द्वारा ‘डायरेक्ट
एक्शन डे’ के दौरान कलकत्ता में काफी हिन्दुओं की
हत्याएं हुईं
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नोआखाली में दंगे भड़के, बिहार और पंजाब के इलाकों और उत्तर-पश्चिम
सीमांत प्रांत में भी लोग मारे गए
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भारत विभाजन ने भारी संख्या में शरणार्थी समस्या को जन्म दिया
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जम्मू कश्मीर के आधे से ज्यादा हिस्से पर पाकिस्तान ने कब्ज़ा कर लिया
अखंड भारत कब-कब बंटा ?
अफगानिस्तान: मई 1876 को रूसी व ब्रिटिश शासकों (भारत) के बीच
गंडामक संधि के बाद अफगानिस्तान बना
भूटान: 1906 में अंग्रेजों ने यहां के हिन्दू जातीय समुदाय को धीरे-धीरे
मुख्य भारतीयता से अलग दिया जिसके बाद भूटान बना
श्रीलंका: अंग्रेजों की कूटनीति के बाद भू-भागों व
समाजों को अलग करने के लिए एक आन्दोलन खड़ा हुआ जिसके बाद 1935 में श्रीलंका बना
म्यांमार: 1937 में सत्याग्रह व स्वदेशी के मार्ग से आम जनता अंग्रेजों के कुशासन के विरुद्ध खड़ी हो रही
थी, जिसे कुचलने के लिए अंग्रेजों ने देश को बांट दिया
पाकिस्तान: 1940 में मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में
पाकिस्तान की मांग ने देश को नफरत की आग में झोंक दिया, जिसके बाद 1947 में पाकिस्तान बना
कम्बोडिया: कम्बोडिया भी पहले भारतवर्ष का ही एक भाग था जिसकी स्थापना
कम्बोडिया नामक ब्राह्मण ने की थी
मलेसिया: मलेशिया में बोद्ध धर्म का प्रचलन था, जिसकी स्थापना भारत के
अनुयायियों ने की थी, जो पहले हिन्दू राज्य हुआ करता था
ब्रह्मप्रदेश (बर्मा): 1937 में
भारत से अलग होकर म्यांमार बना
बाग्लादेश: ये भी 1947 से पहले भारत का ही अंग हुआ करता था, बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान से अलग होकर 1971 में एक नया देश बना
2500 साल में भारत के 24 टुकड़े हो चुके हैं
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