13 September 2022

वर्शिप एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई।

सुप्रीम कोर्ट प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 9 सितंबर को सुनवाई करेगा. भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से जल्द सुनवाई की मांग की गई थी. इसके बाद कोर्ट ने ये आदेश दिया. इस संबंध में एक याचिका वकील करुणेश कुमार शुक्ला ने भी दायर की है.

 

करुणेश कुमार शुक्ला अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर में पुजारी भी रह चुके हैं. करुणेश शुक्ला कृष्ण जन्मभूमि मामले में मुख्य याचिकाकर्ता हैं और राम जन्मभूमि मामले में भी मुख्य भूमिका निभा चुके हैं. प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. एक याचिका 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध लड़नेवाले रिटायर्ड कर्नल अनिल कबोत्रा की भी है.

 

रिटायर्ड कर्नल अनिल कबोत्रा की याचिका में कहा गया है कि यह कानून विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा अवैध तरीके से पौराणिक पूजा, तीर्थस्थलों पर कब्जा करने को कानूनी दर्जा देता है. हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध को अपने धार्मिक स्थलों पर पूजा करने से रोकता है.

 

इसके पहले मथुरा के धर्मगुरु देवकीनंदन ठाकुर ने भी याचिका दायर कर प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को चुनौती दे चुके हैं. 26 मई को वकील रुद्र विक्रम सिंह ने भी याचिका दायर कर कहा है कि 15 अगस्त 1947 की मनमानी कटऑफ तारीख तय कर अवैध निर्माण को वैधता दी गई. प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट की धारा 2, 3 और 4 असंवैधानिक है. ये धाराएं संविधान की धारा 14, 15, 21, 25, 26 और 29 का उल्लंघन करती हैं. धर्मनिरपेक्षता पर चोट पहुंचाती हैं जो संविधान के प्रस्तावना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

 

25 मई को वाराणसी के स्वामी जितेंद्रानंद ने याचिका दायर कर इस एक्ट को चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है कि सरकार को किसी समुदाय से लगाव या द्वेष नहीं रखना चाहिए. लेकिन उसने हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख को अपना हक मांगने से रोकने का कानून बनाया है.

 

हिंदू पुजारियों के संगठन विश्व भद्र पुजारी महासंघ ने भी इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. विश्व भद्र पुजारी महासंघ की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. विश्व भद्र पुजारी महासंघ की याचिका का विरोध करते हुए जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. एक याचिका सुब्रमण्यम स्वामी ने भी दायर की है.

 

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