देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में लगातार
हो रहे डेमोग्राफी बदलाव को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय अब सख्त हो गया है। दो
दिवसीय ‘राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन में
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अधिकारियों को इस पर नजर रखने के निर्देश दिए
हैं। अमित शाह ने सीमावर्ती राज्यों के पुलिस महानिदेशकों (DGP) को कहा है कि वो बॉर्डर एरियाज में हो
रहे डेमोग्राफी बदलाव पर नजर रखें। सीमावर्ती क्षेत्रों में डेमोग्राफी बदलाव का मुद्दा
सुदर्शन न्यूज़ 17 वर्षों से उठाता रहा है.
खासकर पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड के पुलिस प्रमुखों को
विशेष निर्देश दिए गए हैं. सम्मेलन के समापन समारोह में बोलते हुए अमित शाह ने राष्ट्रीय
सुरक्षा पर जोर देते हुए कहा कि देश और युवाओं के भविष्य को लेकर लड़ाई मुख्य
प्राथमिकता होनी चाहिए. 2014 के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने DGP कॉन्फ्रेंस की रूपरेखा बदल दी है, जिसके बाद आतंरिक सुरक्षा की मजबूती और
नई चुनौतियों से निपटने के लिए तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया जाता है.
ऐसे में पुलिस को निर्देश दिया गया है कि
सीमावर्ती जिलों में सभी तरह की तकनीकी और रणनीतिक जानकारियां हासिल की जाएं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि उत्तर प्रदेश और असम के ऐसे इलाकों में अचानक से साल 2011 के बाद 32% मुस्लिम बढ़ गए जबकि पूरे राज्य में मिलाकर ये दर 10-15 प्रतिशत की है. सीमावर्ती इलाकों में मुस्लिम आबादी 20% तेजी से बढ़ी है और साथ ही इनके मजहबी स्थलों की संख्या में भी वृद्धि देखी गई है. नेपाल और बांग्लादेश से लगे इलाकों में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. ऐसे में अब ये मांग भी कि जा रही है की बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 50 किमी से बढ़ाकर 100 किमी किया जाए ताकि उन्हें जाँच में आसानी हो.
यूपी और असम से पहले राजस्थान में भी
अचानक से मुस्लिम आबादी में हुई वृद्धि सुरक्षा एजेंसियों की चिंता का कारण बनी हुई
है. बीएसएफ अध्य्यन में ये भी बात सामने आया है कि राजस्थान के इलाकों में हुआ
जनसांख्यिक बदलाव में चौकाने वाला फर्क दिख रहा है. बाकी समुदाय के लोगों में केवल
8-10 फीसद आबादी बढ़ी है. वहीं मुस्लिमों की
जनसंख्या 20-25 फीसद तेजी से बढी है. अचानक से ज्यादा
बच्चों को मदरसों में जाता देखा गया है. पोखरण, मोहनगढ़
और जैसलमेर जैसे सीमा वाले इलाकों में अचानक देवबंद के मौलवी आने लगे हैं, जो
समुदाय को कट्टरपंथ की तालीम देते है.
सुरक्षा एजेंसियों की
रिपोर्ट
01.असम पुलिस ने
केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी अलग-अलग रिपोर्ट भेजी है।
यह रिपोर्ट मतदाता सूचियों, 2011 की जनगणना, स्थानीय पुलिस के पास उपलब्ध रिकॉर्ड और ग्राम पंचायतों द्वारा वर्तमान जनसंख्या डेटा से लिए गए आंकड़ों के आधार पर निकाली गई है।
02. रिपोर्ट के मुताबिक 2011 से 2021 तक बीते एक दशक में
सीमावर्ती क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय परिवर्तन की दर 31.45% पहुंच गयी है।
जबकि पूरे देश और
राज्य में यह बदलाव क्रमशः 12.50% और 13.54% है।
इस आधार पर सीमावर्ती
इलाकों में मुस्लिम समुदाय की आबादी लगभग 20 फीसदी तक बढ़ चुकी है।
रिपोर्ट में कहा गया
है कि जनसंख्या वृद्धि के कारणों का पता लगाने के लिए व्यापक सामाजिक विश्लेषण किए
जाने की जरूरत है।
03.उत्तर प्रदेश पुलिस
द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक भारत-नेपाल सीमा पर कुछ जिलों में हिंदुओं, मुसलमानों और सिखों
की मिश्रित आबादी है।
रिपोर्ट के मुताबिक
सीमावर्ती क्षेत्रों में सामान्य रूप से जनसंख्या वृद्धि राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
सीमावर्ती गांवों में मुस्लिम आबादी में लगातार
वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट इनपुट बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में मस्जिदों और मदरसों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि सीमा के दोनों किनारों पर बदलती जनसांख्यिकी के नतीजे की पुष्टि करती है।
04.उत्तर प्रदेश पुलिस
द्वारा भेजी गई इस रिपोर्ट के मुताबिक सीमावर्ती इलाकों में मात्र 3 सालों में मस्जिदों
और मदरसों की संख्या 25% तक बढ़ चुकी है।
फरवरी 2018 में सीमावर्ती जिलों
में मस्जिदों और मदरसों की कुल संख्या 1,349 थी।
सितंबर 2021 में ये आकड़ा बढ़कर 1,688 हो गई।
सुरक्षा एजेंसियों और
राज्यों की पुलिस ने इसे बेहद संवेदनशील माना है।
पुलिस बलों ने सुझाव
दिया कि जनसांख्यिकीय परिवर्तनों का मुकाबला करने के लिए, मौजूदा इंटेलिजेंस
ग्रिड को बढ़ाने की आवश्यकता है।
अधिक पुलिस स्टेशन, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थापित किए जाने की जरुरत पर भी बल दिया गया है।
05.दोनों ही राज्यों की
रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि BSF के अधिकार क्षेत्र का दायरा 50 किलोमीटर से बढ़ाकर 100 किलोमीटर कर दिया
जाए।
अगर ऐसा होता है तो BSF को सीमा से 100 किलोमीटर इलाके तक
की रेंज में जांच और तलाशी करने का अधिकार मिल जाएगा।
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 11 अक्टूबर, 2021 को असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब राज्यों में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किमी के भीतर "गिरफ्तारी, तलाशी और जब्त" करने के लिए BSF की शक्तियों को बढ़ाया था।
इससे पहले असम, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और पंजाब में ये सीमा 15 किलोमीटर तक के दायरे तक सीमित थी। जबकि गुजरात में यह 80 किलोमीटर थी।
06.पुलिस रिपोर्ट में इस
बात का भी इशारा किया गया है कि बॉर्डर इलाकों में कई सालों से घुसपैठ हो रही है।
बाहर से आने वाले
अधिकांश लोग मुस्लिम समुदाय के हैं।
राज्यों की पुलिस के
सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि जो लोग पंचायतों के रिकॉर्ड में नए दर्ज हुए हैं
उनमें से कितने लोग वैध और कितने लोग अवैध हैं।
सुरक्षा एजेंसियों को
ये भी शक है कि कई लोग बाहर के इलाके से भी यहां आकर बस गए हैं।
इन इलाकों में सामाजिक-सांस्कृतिक समानता के कारण सुरक्षा कर्मियों के लिए कानूनी और अवैध प्रवासियों के बीच अंतर करना मुश्किल हो चुका है।
07. 30 नवंबर, 2021 को सीमा सुरक्षा बल (BSF) के महानिदेशक पंकज कुमार सिंह ने कहा था कि पड़ोसी सीमावर्ती जिलों में मतदान पैटर्न बदल गया है।
No comments:
Post a Comment