07 September 2022

विश्वगुरु भारत की कहानी: 75 वर्षों बाद भी हम गुलाम क्यों हैं ? सदियों से भारत दुनिया में सबसे आगे

                                        शैक्षणिक गुलामी की स्थिति

देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है मगर शैक्षणिक गुलामी को लेकर यक्ष प्रश्न अब भी बना हुआ है

भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां स्वतंत्रता के  बाद शिक्षा नहीं बदली

स्वतंत्रता के बाद भाषा, कानून और अग्रेज़ी चाल-चलन नहीं बदली

भारत में शिक्षा के  स्तर पर कोई व्यापक फेरबदल नहीं हुआ

देश आज भी मैकाले की जिस शिक्षा व्यवस्था को स्वीकार किया हुआ है

समाज के  आवश्यक और वैकल्पिक प्रश्नों के  लिए आज भी कोई पाठ्यक्रम नहीं है


                                    पुष्पक विमान

 

हिन्दू पौराणिक ग्रन्थ रामायण में वर्णित दुनिया के पहला वायु-वाहन था

लंका विजय के बाद श्रीराम जी, माता सीता, लक्ष्मण जी पुष्पक विमान से अयोध्या आये थे

पुष्पक विमान का प्रारुप एवं निर्माण विधि अंगिरा ऋषि द्वारा किया गया था 

विमान साज-सज्जा विश्व शिल्पी विश्वकर्मा जी द्वारा किया गया था

भारत के प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों में लगभग दस हजार वर्ष पूर्व विमानों एवं युद्धों में तथा उनके प्रयोग का विस्तृत वर्णन है

पुष्पक विमान में बहुत सी विशेषताएं थीं, जैसे इसका आकार आवश्यकतानुसार छोटा या बड़ा किया जा सकता था

आवागमन हेतु इसे अपने मन की गति से असीमित चलाया जा सकता था

यह नभचर वाहन होने के साथ ही भूमि पर भी चल सकता था

 

                                  हवाई जहाज के आविष्कारक

 

शिवकर बापूजी तलपड़े एक भारतीय विद्वान थे

तलपड़े जी ने 1895 में मानवरहित विमान का निर्माण किया था

शिवकर बापूजी मुम्बई के रहने वाले थे

संस्कृत साहित्य एवं चित्रकला के अध्येता थे

हवाई जहाज का असली जनक इन्हें हीं माना जाता है

 जबकी राइट ब्रदर्स इसके 8 साल बाद हवाई जहाज बनाने का दावा किया था


                   जगदीश चंद्र बसु

 

भारतीय वैज्ञानिक प्रोफेसर जगदीश चंद्र बसु ने रेडियो और माइक्रोवेव ऑप्टिक्स के अविष्कार के जनक माने जाते हैं

जगदीश चंद्र बसु ने हीं साबित करके दिखाया था कि पेड़-पौधों में भी जीवन होता है

कार्बन तथा अकार्बनिक तत्व भी होते हैं यह जलीय मिश्रण का पौधों में ऊपर चढ़ना असेन्ट ऑफ सैपकहलाता है

इस खोज को आज के आधुनिक विज्ञान में क्रोनोबायोलॉजी के नाम से जाना जाता है

 

                                    रसायन शास्त्री नागार्जुन

 

रसायन शास्त्री नागार्जुन ने किसी भी धातु को सोने में बदलने की तकनीक की खोज की थी

 नागार्जुन ने ऐसे कई औषधियों की खोज की जिससे रोगों को खत्म किया जा सकता था

 नागार्जुन ने प्राचीन भारत के महान रसायन शास्त्री और धातु विज्ञान पर कई शोध कार्य किए

 प्राचीन भारत के महान वैज्ञानिक नागार्जुन ने मात्र 11 वर्ष की उम्र में ही रसायन शास्त्र के क्षेत्र में शोध कार्य शुरू कर दिए थे

 

                 महान  गणितज्ञ आर्यभट्ट 

 

आर्यभट्ट प्राचीन भारत के महान ज्योतिषविद् और गणितज्ञ थे

आर्यभटीय ग्रंथ की रचना की जिसमें अनेक सिद्धांतों का उल्लेख है

गणितज्ञ और ज्योतिषी आर्यभट्ट ने हीं शून्य की खोज किए थे

शून्य की खोज के बाद से हीं दुनिया को गड़ना करना आया

 

                दुनिया के पहले सर्जन महर्षि सुश्रुत

 

महर्षि सुश्रुत सर्जरी के पहले आविष्कारक माने जाते हैं

2600 साल पहले प्रसव, मोतियाबिंद, कृत्रिम अंग लगाना, पथरी का इलाज और प्लास्टिक सर्जरी जैसी कई तरह की जटिल शल्य चिकित्सा के बारे में खोज किए थे

शल्य चिकित्सका के पितामह सुश्रुत का जन्म जन्म छठी शताब्दी ईसा पूर्व में काशी में हुआ था

 

दुनिया का पहला परमाणु बम


दुनिया का पहला परमाणु बम महाभारत में इस्तेमाल हुआ था 

महाभारत में बताए गए ब्रह्मास्त्र की मारक क्षमता पर रिसर्च हो चुका है

इस रिसर्च का नाम था मिशन ट्रिनिटी (त्रिदेव)

रिसर्च के बाद साइंटिस्ट मानते हैं कि महाभारत में परमाणु बम का प्रयोग हुआ था

1939 से 1945 के बीच साइंटिस्ट की एक टीम ने ये रिसर्च की थी

42 वर्ष पहले पुणे के डॉक्टर व लेखक पद्माकर विष्णु वर्तक ने भी अपनी रिसर्च के आधार पर यही बात कही थी

रॉबर्ट ओपनहाइमर और डॉक्टर वर्तक की रिसर्च में ब्रह्मास्त्र को परमाणु हथियार माना गया

प्राचीन भारत में कई जगहों पर ब्रह्मास्त्र के प्रयोग किए जाने का उल्लेख मिलता है

रामायण में भी मेघनाद से युद्ध में लक्ष्मण जी ने जब ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना चाहा,

तब श्रीराम जी ने उन्हें यह कहकर रोक दिया कि अभी इसका प्रयोग उचित नहीं है

अगर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग हुआ होता तो पूरी लंका समाप्त हो गई होती


                  भारतीय वस्तुओं का विदेशी पेटेंट

 

अमेरिका ने यह मानने से इनकार कर दिया था कि हल्‍दी भारतीय है

US पेटेंट एंड ट्रेडमार्क ऑफिस ने 1994 में हल्‍दी का पेटेंट दे दिया था

भारत की काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने केस मुकदमा लड़ा

भारत ने दावा किया था कि हल्दी के एंटीसेप्टिक गुण भारत के पारंपरिक ज्ञान में आते हैं

इसका जिक्र भारत के आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी है इसके बाद पीटीओ ने अगस्‍त 1997 में रिसर्च का पेटेंट रद्द किया

1997 में एक अमेरिकन कंपनी ने बासमती चावल का पेटेंट करा लिया था

भारत ने बासमती चावल पेटेंट के लिए यूरोपियन यूनियन में जुलाई 2018 में आवेदन दिया था

तब पाकिस्तान ने इस आवेदन का विरोध किया था, जिसके कारण ये अधुरा रह गया

 जायफल पर यूरोप ने पेटेंट लेने की कोशिश की थी

मगर भारत ने यूरोप के इस इस पेटेंट को विफल कर दिया

6 अक्टूबर 2014 को यूरोपीय पेटेंट कार्यलय पेटेंट दिया था

भारतीय CSIR की आपत्ति के बाद 22 जून 2015 को पेटेंट निरस्त कर दिया गया

सी.एस.आई.आर. के अथक प्रयासों से भारत जैविक ज्ञान सुचना की चोरी रोकने में कामयाब रहा

No comments:

Post a Comment