पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर भारत सरकार
ने आज आखिर अपना चाबुक चला हीं दिया. PFI पर बड़ी कार्रवाई करते हुए गृह मंत्रालय
ने अगले पांच वर्षों के लिए बैन लगा दिया है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पीएफआई पर कई गंभीर सबूत जुटाएं है
जिसके बाद गृह मंत्रालय ने ये कड़े कदम उठाए हैं. अधिसूचना जारी कर सरकार ने बताया है
कि PFI का
अधिकांश शीर्ष नेतृत्व पहले प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ
इंडिया (सिमी) का हिस्सा था. पीएफआई के प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन
बांग्लादेश (JMB) से
भी संबंध हैं.
सुदर्शन न्यूज़ इस विषय को 2005 से
लगातार उठा रहा है. पीएफआई पर बैन लगाने के लिए बिंदास बोल में सुरेश चव्हाणके जी
भी लगातार आवाज़ उठाते रहे हैं. सिमी भारत में जिहादी छात्रों द्वारा इस्लामिक
आंदोलन के रूप में उभरा था, जिसका गठन 25 अप्रैल 1977 को उत्तर प्रदेश के हरिगढ़ में हुआ था.
तब सिमी भारत के प्राचिन सांस्कृतिक पहचान और विरासत के प्रभाव को समाप्त कर
इस्लामिक राज की स्थापना करना चाहता था. सिमी ने भारत के खिलाफ जिहाद की घोषणा की और
देखते हीं देखते इसके जिहादी मनसूबे सामने आने लगे. सिमी अपने जिहादी उद्देश्य के
तहत भारत में दार-उल-इस्लाम यानि कि (इस्लाम की भूमि) बना कर आतंकवाद और नफरत का
बीज बोने के लिए अपने एजेंडे में जुटा रहा.
भारत सरकार ने 2001 के 9/11 हमले के बाद से सिमी को आतंकवादी संगठन घोषित कर इस पर प्रतिबन्ध लगा दिया. सिमी को अनलॉफुल ऐक्टिविटीज प्रिवेंशन ऐक्ट 1967 (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित किया गया था. 2006 में सिमी कार्यकर्ता नूरूलहुदा को मालेगाँव धमाके मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. 7 दिसंबर 2008 को सिमी के सरगना सफदर नागोरी, आमिल परवाज, शिवली सहित 10 जिहादियों को मध्य प्रदेश की स्पेशल पुलिस टास्क फोर्स ने आतंकी गतिविधियों के चलते गिरफ्तार था. दिल्ली में हुए सीरियल ब्लास्ट में 30 लोगों की मौत हो गई थी इस धमाके के भी तार सिमी से जुड़े थे. सिमी के पांच आतंकवादियों को तेलंगाना के नलगोंडा जिले में पुलिस ने मार गिराया गया. पांचों आतंकवादियों को हैदराबाद में पुलिसकर्मियों पर सिलसिलेवार हमलों के बाद 2010 में गिरफ्तार किया गया था. वहीं भोपाल की सेंट्रल जेल से आठ सिमी आतंकी फरार हो गए थे जिन्हें बाद में पुलिस ने मार गिराया था.
इसके बात सिमी ने अपना पहचान छुपाया और बेंगलुरु में 19 दिसंबर 2006 में एक मीटिंग हुई जिसमें पीएफआई फॉर्म किया गया. इसे तीन संगठनों को मिलाकर बनाया गया. ये संगठन थे- द नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट, मनीता नीति पसरई और कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी. तीनों को मिलाकर बना PFI फिर से अपने आतंकी मंसूबों को अंजाम देना शुरू कर दिया. और आज अंततः इसके भी कारनामों का घड़ा भर गया और गृह मंत्रालय ने पांच वर्षों के लिए बैन लगा दिया. मगर सवाल अब भी बना हुआ है कि इसपर स्थाई प्रतिबंध कब और कैसे लगेगा ? साथ हीं इसके समर्थकों की भी गिरफ़्तारी कब होगी ?
गृह मंत्रालय का गजट नोटिफिकेशन
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PFI के संस्थापक सदस्य सिमी के
नेता रहे हैं।
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PFI का सम्बन्ध जमात-उल-मुजाहिदीन
से भी है।
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जमात-उल-मुजाहिदीन प्रतिबंधित
संगठन है।
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PFI का सम्बन्ध ISIS के
साथ है।
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PFI आतंकी
मामलों में शामिल रहा है।
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देश की संविधान का अनादर करता है।
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आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा
खतरा है।
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हिंसक और विध्वंसक कार्यों में
संलिप्त।
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कॉलेज प्रोफेसर का हाथ काटना।
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अन्य धर्मों से जुड़े लोगों की
निर्मम हत्या।
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सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान
पहुंचाना।
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वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ
सम्पर्क।
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धन के स्रोत खाताधारकों से मेल
नहीं खाते।
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