27 June 2021

हरियाणा में गौ तस्करी के 800 मामले दोषसिद्धि शून्य

हरियाणा में लगातार गौ वध की घटनाएं सामने आई आई है. मगर चौकाने वाली बात ये है की 800 मामले, सामने आने के बाद दोषसिद्धि शून्य है. पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने अप्रैल 2021 में ये पाया था कि 2015 के गोहत्या विरोधी अधिनियम के तहत, हरियाणा में एक भी सजा नहीं हुई है. ऐसे में अदालत ने राज्य सरकार पर जबरजस्त हमला करते हुए कई टिप्पड़ी किये थे.  जिससे बाद सरकार के इस लाचार रुख को लेकर कई सारे सवाल खड़े हुए थे. 

बड़े-बड़े और बुलंद दावों के साथ, मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार ने नवंबर 2015 में हरियाणा गौवंश संरक्षण और गौसंवर्धन अधिनियम की अधिसूचना जारी की थी. गोपाष्टमी के शुभ असवर पर इसे लागू करने की आधिकारिक तौर पर घोषणा भी की गई थी.

अधिनियम के तहत, हरियाणा में गो तस्करी, वध और बीफ रखने या उपभोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. डिब्बाबंद बीफ (सीलबंद कंटेनरों में गाय का मांस) की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया गया है जो कि पिछली राज्य सरकार के दौरान वैध था. इसके बावजूद एक भी मामले में दोष सिद्ध न होना कई गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं.

हरियाणा के पशुपालन मंत्री धनखड़ के अनुसार 400 गऊशालाओं में लगभग 3 लाख गाय हैं. इसके अलावा, लगभग डेढ़ लाख राणी या आवारा गाय हैं और 18 लाख गाय घरों में हैं. इन गायों के संवर्धन के लिए ही प्रदेश में नया कानून लाया गया था. उस वक्त डेढ़ लाख राणी गायों के लिए गौ अभ्यारण्य बनाने का प्रस्ताव भी किया गया था. मगर अबतक इसपर भी कोई अमल नहीं हुआ है यही कारण है की राज्य में लगातार गौ हत्या जारी है और गौर तस्कर कानून को ठेंगा दिखा कर हररोज गौ हत्या कर रहे हैं.

राज्य सरकार ने प्रतिदिन 2.50 करोड़ लीटर दूध उत्पादन का लक्ष्य रखा था मगर 2 करोड़ लीटर हीं दूध माँ उत्पादन होरहा है इसके पीछे एक बड़ा कारण गौ हत्या बताया जारहा है. प्रदेश में औसत 800 ग्राम दूध प्रति व्यक्ति प्रतिदिन की खपत है मगर इस लक्ष्य को अभी तक हासिल नहीं किया जा सका है. इसे तभी पूरा किया जा सकता है जब राज्य में लागू में हरियाणा गौवंश संरक्षण और गौसंवर्धन अधिनियम को सख्ती से पालन कराया जायेगा.

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