छत्रपति शिवाजी महाराज में बहुत अहम योगदान है. शायद यही वजह
है कि उनके राज्याभिषेक का दिन महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि पूरे दिश में याद
किया जाता है. आज से 347 साल पहले 6 जून 1674 को उनका राज्याभिषेक हुआ था. इस राज्याभिषेक से संबंधित ऐसी बहुत सी
बातें जुड़ी हुई हैं जो भारत और महाराष्ट्र के समकालीन इतिहास की परिस्थितियों का
दिलचस्प बनाती है.
शिवाजी कम उम्र में ही टोरना किले पर
कब्जा कर अपना अभियान शुरू किया था और फिर कई इलाकों को मुगलों से छीन लिया. 1659 में आदिल शाह की सेना के साथ
प्रतापगढ़ किले पर शिवाजी का युद्ध हुआ जिसमें विजयी हुए. प्रतापगढ़ विजय के बाद
शिवाजी को मुगलों से पुरंदर की संधि करनी पड़ी जिसके तहत उन्हें अपने जीते हुए
बहुत से इलाके मुगलों को लौटाने पड़े. इसके बाद वे 1966 में औरंगजेब से मिलने आगरा पहुंचे जहां उन्हें उनके पुत्र संभाजी के
साथ बंदी बना लिया गया. शिवाजी ज्यादा दिन औरंगजेब की कैद में ना रह सके और 13 अगस्त 1666 को फलों की टोकरी में छिपकर फरार हो गए और रायगढ़ पहुंचे.
शिवाजी राज्याभिषेक से पहले ही अपने जीवन की बड़ी उपलब्धियां हासिल कर ली थीं. इस घटना के बाद 1674 तक शिवाजी ने उन सभी इलाकों को फिर से अपने अधिकार में ले लिया जो उन्होंने पुरंदर की संधि में गंवाए थे. लेकिन उन्हें मराठाओं से वह समर्थन और एकता नहीं मिली जिसकी उन्हें जरूरत थी. उन्हें महसूस हुआ कि राज्य को संगठित कर शक्तिशाली बनने के लिए उन्हें पूर्ण शासक बनना होगा और इसके लिए बड़े आयोजन के साथ राज्याभिषेक होना बहुत जरूरी है.
अपने विश्वस्तजनों से सलाह लेने के बाद उन्होंने राज्याभिषेक करवाने का फैसला लिया. उस दौर में कई मराठा सामंत ऐसे थे, जो शिवाजी को राजा मानने को तैयार नहीं थे. इन्हीं सब चुनौतियों पर काबू पाने के लिए उन्होंने राज्याभिषेक की करवाने का फैसला लिया और इस आयोजन की कई महीने पहले से तैयारी शुरू कर दी थी.
इसके बाद पूरे रीति रिवाज और धूमधाम से
शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक समारोह संपन्न हुआ जिसे आज भी महाराष्ट्र में एक
उत्सव की तरह मनाया जाता है. हर साल रायगढ़ में यह समारोह विशेष तौर पर मनाया जाता
है. इस राज्याभिषेक के बाद ही शिवाजी महाराज को छत्रपति कहा जाने लगा.
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