जिहादी तत्वों द्वारा FIR को अब एक टूल्स के रूप में इस्तेमाल किया जारहा है. आए दिन किसी न किसी के ऊपर फर्जी FIR दर्ज करा कर उसे चुप कराने या फिर उसे अपने मुहीम से पीछे हटने के लिए दबाव बनाया जाता है. सुदर्शन के ऊपर भी FIR जिहादी की साजिश चल रही हैं.
आए दिन कोई न कोई जिहादी संगठन चैनल पर
FIR दर्ज करा कर अपने FIR जिहाद के मनसूबे को अंजाम देना चाहते हैं. जिहादियों के
निशाने पर सिर्फ सुदर्शन हीं नहीं है बल्कि तमाम ऐसे राष्ट्रवादी संस्था और उससे
जुड़े लोग हैं जो आए दिन किसी न किसी जिहाद या धर्मांतरण के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद
करते हैं.
मुंबई के रजा अकादमी ने सुदर्शन के ऊपर
आधारहीन और बेबुनियाद आरोप लगाया है. मुंबई पुलिस ने भी बिना तथ्यों के जाँच किये
आननफानन में FIR दर्ज कर लिया.
जिहादियों द्वारा पत्रकारों और
संपादकों को लगातार निशाना बनाया जारहा है. पिछले साल ज़ी न्यूज़ के प्रधान संपादक
सुधीर चौधरी के ऊपर भी FIR दर्ज करा दिया गया था. आरोप
ये था की जम्मू में ज़मीन जिहाद और केरल में लव जिहाद के ख़िलाफ़ उन्होंने प्रोग्राम
किया था...
वहीँ सूफ़ी संत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के बारे में कथित टिप्पणी के मामले में न्यूज़ एंकर अमीश देवगन के ख़िलाफ़ भी एफ़आईआर कराया गया था. न्यूज़ एंकर कि बस ज़ुबान फिसल गई थी इसे भी लेकर एक बड़ा FIR जिहाद छेड़ा गया था. ऐसे तमाम राष्ट्रवादी और हिंदूवादी पत्रकारों और संगठनों को आए दिन FIR जिहाद का सामना करना पड़ता है. ऐसे में अब सवाल ये उठाने लगा है की क्यों न देश में FIR को रोकने के लिए कानून बनाया जाय ?
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