सात साल बाद एक बार फिर इजरायल और फिलिस्तीन एक दूसरे के आमने सामने
हैं. लगातार हो रहे हवाई हमलों और गोलाबारी के बीच एक बार फिर दोनों के बीच युद्द
जैसे हालात बन गए हैं. साल 2014 में दोनों के बीच युद्ध हुआ था जो कि 50 दिन तक चला था. मगर क्या आप जानतें है की आखिर इजरायल और फिलिस्तीन के बिच आखिर विवाद है
क्या...? तो आइये हम आपको विस्तार से बताते है इस विवाद के
बारे में.
इतिहास पर अगर नजर डालें तो इजरायल और
फिलिस्तीन के बीच का विवाद ईसा मसीह के जन्म से भी पुराना है. बाइबल में मसीह ने इजरायल
के इलाके का चुनाव यहूदियों के लिए किया था. इसलिए पूरी दुनिया के यहूदी इसे अपना
घर मानते हैं. हालांकि यहूदियों को कई बार इसी जगह अत्याचारों का सामना करना पड़ा
है और यहां से बेदखल भी होना पड़ा है. वहीं फिलिस्तीनियों का मानना है कि वे हमेशा
से यहां के मूल निवासी रहे हैं इसलिए इस जगह पर उनका अधिकार है और वो किसी भी
स्थिति में उसे नहीं खोना चाहते हैं.
72 ईसा पूर्व में रोमन साम्राज्य ने इस
इलाके पर हमला करके उसपर कब्जा कर लिया था. इसके बाद सारे यहूदी दुनियाभर में
इधर-उधर जाकर बस गए. इस घटना को एक्जोडस कहा जाता है. इस घटना के बाद यहूदी बड़ी
संख्या में यूरोप और अमेरिका में जाकर बस गए.
प्रथम विश्व युद्ध के बाद साल 1920 और 1945 के बीच यूरोप में बढ़ते उत्पीड़न और हिटलर की नाजियों के हाथों नरसंहार से बचने के लिए लाखों की संख्या में यहूदी फिलिस्तीन पहुंचने लगे. इलाके में यहूदियों की बढ़ती आबादी को देखकर फिलिस्तीनियों को अपने भविष्य की चिंता हुई और इसके बाद फिलिस्तीनियों और यहूदियों के बीच टकराव शुरू हो गया. 1933 में जर्मनी का सत्ता पर काबिज होने के बाद हिटलर ने यहूदियों का पूरी दुनिया से खात्मा करने की योजना पर अमल किया.
1939
में द्वितीय विश्वयुद्ध के आगाज के बाद हिटलर ने बड़े पैमाने पर यहूदियों को मौत
के घाट उतरा. हिटलर ने एक योजना के तहत विश्व युद्ध के 6 साल के दौरान 60 लाख से ज्यादा यहूदियों को मौत के घाट
उतारा था. जिसमें 15 लाख बच्चे शामिल थे. हिटलर ने पूरी
दुनिया की एक तिहाई यहूदी आबादी को खत्म कर दिया था.
दूसरे विश्व युद्ध के बाद संयुक्त
राष्ट्र ने 29 नवंबर, 1947 को द्विराष्ट सिद्धांत के तहत अपना फैसला सुनाया और इस इलाके को
यहूदी और अरब देशों में बांट दिया. यरुशलम को अंतरराष्ट्रीय शहर घोषित किया गया.
यहूदियों ने इस फैसले को तुरंत मान्यता दे दी और अरब देशों ने इसे स्वीकार नहीं
किया. इसके बाद 1948 में अंग्रेज इस इलाके को छोड़कर चले
गए और 14 मई, 1948 को यहूदियों का देश इजरायल वजूद में आया.
इजरायल के खुद के राष्ट्र घोषित करते
हुए सीरिया, लीबिया और इराक ने इसपर हमला बोल दिया.
यमन भी युद्ध में शामिल हुआ. एक साल तक लड़ाई के चलने के बाद युद्ध विराम की घोषणा
हुई. जॉर्डन और इजरायल के बीच सीमा का निर्धारण हुआ. जिसे ग्रीन लाइन नाम दिया
गया. इस युद्ध के दौरान तकरीबन 70
हजार फिलिस्तीनी विस्थापित हुए. युद्ध के बाद 11 मई
1949 को इजरायल को संयुक्त राष्ट्र ने अपनी
मान्यता दे दी.
1967 में एक बार फिर अरब देशों ने मिलकर इजरायल पर हमला किया. लेकिन इसबार इजरायल ने महज छह दिन में ही उन्हें हरा दिया और उनके कब्जे वाले वेस्ट बैंक, गाजा और पूर्वी यरुशलम पर कब्जा कर लिया. तब से लेकर अबतक इजरायल का इन इलाकों पर कब्जा है. यहां तक कि यरुशलम को वो अपनी राजधानी बताता है.
हालांकि गाजा के कुछ हिस्से को उसने फिलिस्तीनियों को वापस लोटा दिया है. वर्तमान में ज्यादातर फिलिस्तीनी गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में रहते हैं. उनके और इजरायली सैन्य बलों के बीच संघर्ष होता रहता है...अब यही संघर्ष एकबार फिर से शुरू होगया है.
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