12 June 2021

कोरोना के इलाज में वैकल्पिक और पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल

देश में चारों ओर कोरोना को लेकर हाहाकार मचा हुआ है कोर्ट सरकार विपक्ष हरकोई अपने अपने तरीके से समाधान और प्रबंधन करने में लगा हुआ है. एक ओर सरकार जीतोड़ मेहनत कर रही है तो वही दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट भी अब कोरोना को लेकर काफी सख्त होगया है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए एक याचिका दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

 वहीँ देश के जाने माने प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन के साथ तमाम एक्‍सपर्ट्स कोरोना की तीसरी लहर के बारे में चेतावनी दे रहे है. इसके बाद लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं जैसे, यह पहली और दूसरी लहर से कैसे अलग होगी ? देश में यह कब दस्‍तक देगी? अगर आक्सीजन की कमी हुई तो इसकी पूर्ती कहाँ से होगी? ऐसे में आज जरुरत इस बात को लेकर है कि क्या ऑक्सीजन की समस्या पर वैकल्पिक एवं पारंपरिक दवाईयों को बढ़ावा सरकानी को देना चाहिए ?

कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरा है. महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमित बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. कोरोना का खतरा फिलहाल खत्‍म होता नहीं दिख रहा है. वायरस के नए-नए वैरिएंट्स की वजह से अब इसकी तीसरी लहर की बात होने लगी है. देश में ऐसा पहली बार हुआ है जब विदेशों से आक्सीजन की सप्लाई भारत में हुई है. 

पहली बार लोग आक्सीजन के लिए भागते दौड़ते देखे गए. आज जीवन दायनी ऑक्सीजन लोगों के लिय ज़िन्दगी की सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है. इसलिए आज हम इसके वैकल्पिक और पारंपरिक तरीकों को बढ़ावा देने की बात कर रहे है ताकि हलके फुल्के दिक्कतों के लिए लोगों को अस्पतालों की तरफ भागना नहीं पड़े.

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