बंगाल में ममता बनर्जी जीत चुकी हैं. मगर क्या आप जानते हैं इस जीत के पीछे बांग्लादेशी घुसपैठियों का एक बड़ा समूह है जो चुनावी जीत हार को तय कर रहा है. इस बार के चुनाव में भी यही हुआ है. पश्चिम बंगाल में बंगलादेशी मुसलमानों की हिस्सेदारी 2001 में 25.2 प्रतिशत की तुलना में 2011 में बढ़कर 26.94 प्रतिशत हो गई है. मुसलमान बहुल जनसंख्या वाले बड़े राज्यों में बंगाल की वृद्धिदर प्रतिशत 21.81 प्रतिशत हैं. मुसलमानों की इसमें वृद्धि से कहीं न कहीं चुनाव पर इसका प्रभाव बढ़ रहा है.
आज बेशक बंगाल में ममता की जीत यहां के
हिन्दुओं के लिए एक बड़ा झटका हो मगर अब ये जीत बंगलादेशी घुसपैठियों के लिए
ओक्सिजन का काम करेगा. पश्चिम बंगाल में
धार्मिक जनसांख्यिकी परिवर्तन भी आज बांग्लादेशियों की वजह से बदली है. पश्चिम
बंगाल में बांग्लादेशी मुसलमानों की घुसपैठ अच्छी खासी है. ऐसे में राज्य की सत्ता
पर काबिज होने के लिए राजनीतिक दल बांग्लादेशियों को संरक्षण देते हैं. TMC जैसी
पार्टियाँ बांग्लादेशी मुसलमानों के वोटबैंक पर निर्भर हैं. यही कारण है की ममता
अपने जीत के लिए अस्वस्त थी.
जनगणना के आंकड़ों ने ये साबित किया है की पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या की अप्रत्याशित वृद्धि के पीछे बंगलादेशी घुसपैठिये हैं. बांग्लादेश से मुसलमानों का अवैध आगमन के मुद्दे TMC चुप्पी साध लेती है आज यही कारण है की बंगाल की राजीनीति समीकरण का ठीक से आकलन लगाना मुस्किल होरहा है.
आज पश्चिम बंगाल बढ़ती जनसंख्या की वजह से एक संवेदनशील राज्य बन गया है यही कारण है की चुनावों में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण होने लगी है. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद, मालदा और दक्षिण 24 परगना के सीमावर्ती जिलों में बांग्लादेशी मुसलमानों की घुसपैठ के कारण व्यापक रूप से जनसांख्यिकीय परिवर्तन हुआ है.
इन स्थानों पर स्थिति खतरनाक है. कई स्थानों पर मुसलमानों के चुनाव परिणामों
को प्रभावित करने की क्षमता के कारण आज बंगाल में बीजेपी जैसी कद्दावर पार्टी हार
का सामना कर रही है. मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भारी संख्या में मतदान बंगाल्देशियों
के प्रभाव को दर्शाता है.
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