02 August 2009

गुजरात दंगा एक काली करतूत की सच्चाई

जिस गाँधी ने अहिंसा का आन्दोलन पुरे भारत में किया उसी गाँधी की जमीन पर हुई दंगा की आग जिसे सायद ही कोई भुला सकता है २९ अप्रैल २००२ गुजरात के इतिहास में काला दिन जो लोगो के चहरे पर आतंक का छाया अस्पस्ट रूप से दिख रही थी !आग की लपटे तलवार की चमक अहंकारियों का दल जिसे देखते ही लोग काप रहे थे !मानव ही मानव का भक्छ्क बना हुआ था !खून की धार एव आग की लपटे जिसे देख कर यह प्रतीत हो रहा था की गुजरात में मानवता मर चुकी है !जाती वाद की इस आग में हजारो मुस्लिम समुदाय के लोग मारे गए,कुछ लोगो को काट कर जमीन में दबा दिया गया तो कुछ लोगो को जिंदा जला दिया गया !सावर मती एक्सप्रेस में आग लगा दिया दी गयी जिसमे ५९ लोग मारे गए थे,एक गाव में लोगो के घरो में आग लगा दी गयी जिसमे ५० लोग बुरी तरह से जल कर मर गए !महिलावो एव लर्कियो के साथ बलात्कार किया गया यहाँ तक की एक मुस्लिम गर्ववती महिला का उदर बाबु बजरंगी ने चाकू से चिर दिया था !तो कुछ का अस्तन काट दिए गए यही है आज का राजनितिक का कला चेहरा जो सता एव साशन के बल पर इस धरती को नर्क बनाये हुए है !शावर मति के संत गाँधी जो आज इस दुनिया में होते तो सायद ही यह दिन लोगो को देखने को मिलता !दिलीप त्रिबेदी गुजरात में सारे मामलो का कोऑर्डिनेशन कर रहा था,जो बिश्व हिन्दू परिसद का महास होने के हैसियत से सारी अदालतों में मामलो को देख रहा था !सारे वकीलों ने अपनी-अपनी सेवाए मुफ्त दी !यही एक वजह थी,की सभी लोग दिलीप त्रिबेदी के बहुत नजदीक थे !सरकारी वकील अरविन्द भाई पांड्या जो बार बार उसका नाम लेते है !इस माहाश के कारन अनेको वकील उन पर भरोषा रखते है !उनका इजत भी करते है !इस मामले में उन्होंने जैसे कहा वैसा ही किया और उन्होंने वकीलों को कुछ नहीं दिया !वह पुरे गुजरात में फ़ोन पर बात करता था !हर काम सही ढंग से हो रहा था लोगो का समस्याओ का समाधान डीजीपी,एपीजी,डीआईजी से बात करना कौन कहा मिलेगा यह उसका जिमेदारी था !उन्होंने हर जगह मैनेज किया बरना कई केस इतने कमजोर थे की सोचना परता !१२ मामलो में जिस ३ में सजा हुई वहा मुस्लिम जज था !नानावती कमिसन में जस्टिस साह की तरफ से काफी मदद मिली ,हिन्दुओ के मदद के लिए उन्होंने अलग से संघ ने अपनी ओर से बिश्व हिन्दू परिसद ने अपने तरफ से इंतजाम किये !मेह्सारा में कुल १८२ सिकायत दर्ज हुई चार्ज शीट केवल ७८ मामलो में हुई दो बाद में दर्ज हुई इन ८० मामलो में केवल ३ या ४ ही बाकि है ७६ निपटा दिए गए है !सिर्फ २ मामले में सजा हुई बाकी ७४ मामलो में सारे आरोपी बरी हो गए !दूसरा मामला जो अभी हाई कोर्ट में है लेकिन आरोपी जमानत पर बरी हो गए है !सजा गलत थी,कुछ जिलो में कुछ लोग अब भी जेल मे है,३००० हिन्दुओ में से सिर्फ १०० से १५० लोगो को ही अभी जमानत मिल पाई है !मेह्सारा के अलावे और कई जगहों पर ये आग देखा गया,जैसे बिस्नगर,बीजापुर तहसील जहा पर एक गाव है सदरपुरा वहा मुसलमानों के घरो में आग लगा दिया गया एव दुकानों को जला दिया गया इसमे १४ लोग आरोपी थे !यह एक गंभीर मामला था !सुप्रीम कोर्ट ने इस केस पर सट्टे लगा दिया लेकिन था लेकिन सारे आरोपी को जमानत मिल गयी !उझा में केवल प्रोपर्टी नुकसान पहुचाया गया था फिर भी वहा सजा हो गयी क्योकि इसके पीछे खाश वजह था जज हिन्दू था मगर वह हाई कोर्ट के सामने खुद को निष्पक्ष साबित करना चाहता था इस केस के ९५ आरोपी में ६२ छुट गए केवल ३२ को सजा हुई यह भी मामला अपील में है और एक छुट भी गया है ! इन तमाम सबूतों से यही साबित होता है की यह एक जानबूझ कर एव सोचा समझा साजिस था जिसे अंजाम देने के लिए सता का दुरूपयोग किया गया गुजरात में बिधान सभा चुनाव का दौर चल रहा था हर जगह नरेन्द्र मोदी का आलोचना की जा रही थी इस पर एक निजी समाचार चैनल ने परिचर्चा आयोजित किया जिसमे नरन्द्र मोदी से स्टूडियो में सवाल किया गया,इतने दिन बीत गए मतदान करीब है मगर दंगा का मामला आपका साथ नहीं छोर रहा है !इस पर नरेन्द्र मोदी ने पानी लेने के बहाने रुके उसके बाद वहा से चल परे!उस समय मै सारे इंटरव्यू एव परिचर्चा में उठाये गए सवालों एव उनका जबाब को एक डायरी में लिख रहा था !गुजरात में चुनाव का दौर आया और नरेन्द्र मोदी ने बीपक्छी पार्टियों के लाख वादे के वावजूद गुजरात के जनता को लुभाने में सफल रहे लोगो ने धैर्य और साहस का साथ दिया और कमल एक बार फिर से वहा पर खिल रहा है,एव लोग शांतिपूर्ण खुशहाल जीवन बिता रहे है !

31 July 2009

सुसाशन के सरकार से बदलता बिहार

गौरवशाली बिहार एक ऐसा प्रदेश जिसके बारे मे लोग कुछ दिन पहले अपराध,लुट,अपहरण,बेरोजगारी, असिक्षा के बारे मे बाते करते थे! यहाँ पर पुलिश प्रशाशन सब मूक दर्शक बने हुए थे !अपराधियों के अत्याचार,असामाजिक तत्वों का दबाव जिसे आम आदमी से लेकर उच्च अस्तर के अधिकारी भी आतंकित थे ! यह समय था बिहार मे राजद सरकार की जिसका मुखिया थे लालू प्रसाद यादव जिन्होंने जातिगत समीकरण को आधार बनाकर मुस्लिम एव यादवो को ठगने के साथ-साथ अन्य जाती के लोगो को भी उनके बिकाश तथा मौलिक अधिकारों से बंचित रखा १५ बर्षो के शासनकाल के दौरान उन्होंने बिहार को ४० बर्ष पीछे भेज दिया,जिसका परिराम हुआ की, आज यहाँ की गरीब एव बेरोजगार युवा पीढी झेल रही है ! लेकिन अब इन सब के बावजूद बिहार मे बिकाश रूपी नैया के खेवनहार मिल गया है !और आज वही बिहार दिन दुनी रात चौगुनी बिकाश के पथ पर अग्रसर है !कुछ दिन पहले जहा लोग बिहारी कहलाने से हिचकते थे,लेकिन वही आज पुरे देश मे गर्व के साथ लोग बिहारी कहलाना पसंद कर रहे है ! यह सब कुछ संभव हो पाया है,बिहार मे चल रहे राजग के साशन से जहा सिक्षा बेरोजगारी बिजली सड़क पानी सवास्थ्य जैशे सुबिधाये हर किसी को आसानी से मिल रही है !और यहाँ के जनता खुशहाल है,लेकिन यह सब कुछ लोजपा राजद गठबंधन को रास नहीं आ रही है,उसे पिछले राजद सरकार के तरह ही जनता को भोला समझ कर एक बार फिर से सता की चाबी अपनी हाथो मे करने की कवायद सुरु हो चुकी है तभी तो लालू प्रसाद यादव अपने कार्यकताओ को अपने हाथो से खाना परोसने का काम करने तथा अभी से ही उन्हें लुभाने रिझाने एव अच्छा ताल मेल बनाकर चलने के लिए अब सीधे कार्यकर्ताओ से फ़ोन पर बात करने की आश्वासन दे रहे है !वही दूसरी ओर लोजपा प्रमुख रामबिलाश पासवान जो इस बार के लोक सभा चुनाव मे अपना भी संसदीये सीट नहीं बचा सके और इसके साथ ही दूसरी ओर पार्टी का सुपरा साफ हो चूका है !इनसब के बावजूद जहा उन्हें अपनी हार की समीक्षा करना चाहिए तो वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से मतदान करने के कारण पार्टी का हार बता रहे है !

21 May 2009

ममता के माया से वाम का सफाया

पश्चिम बंगाल में वाम दल के जो चुनाव नतीजा उभर कर सामने आया है उससे साफ जाहिर होता है की इस बार के चुनाव में वाम दल के नीतियों को यहाँ के जनता पुरी तरह से नकार चुकी है,वाम दल तीसरे मोर्चे को मजबूत बनाने के पुरजोर कोसिस तो किया,लेकिन उसे इस बात का पुरा-पुरा भरोसा था की इस बार भी वह पिछले लोक सभा चुनाव के तरह सफलता हासिल करेगी,लेकिन वही दूसरी तरफ पूर्ब रेल मंत्री ममता बनर्जी नंदी ग्राम तथा सिंगुर के मुद्दा को इस प्रकार आंधी दिया की वाम पंथी बुरी तरह अपने ही गढ़ में ध्वस्त हो गये ! ममता बनर्जी ने जिस प्रकार से अपना रोड सो किया उसे साफ जाहिर होता है की उसने वामपंथियों को पुरी तरह से हराने के लिया मन मे ठान लिया था,उसने यह भी कहा था की अगर तृणमूल कांग्रेस चुनाव जीतती है तो बंगाल का बिकाश के मुद्दा संसद में उठेगा,उन्होंने जिस प्रकार से सीपीएम के ३२ बर्षो के सासन काल के जिक्र पुरे बंगाल में लोगो के बिच जा कर की उससे वाम वामपंथियों के सारे बिकाश कार्य तानाशाही के तरह साबित होते नजर आया ! नंदी ग्राम तथा सिंगुर के घटना से तो पहले ही साफ हो गया था की जिस प्रकार सीपीएम उधोग लगाने के नाम पर किसान एव गरीब जनता का जिंदगी बदहाल कर दिया है उसे इस बार वामपंथी सरकार को जरुर इसका नतीजा भोगना परेंगा ! तभी तो वामपंथियों को अपना ही गढ़ बचाना मिल का पत्थर साबित हुआ .

09 May 2009

जूता रे जूता तुझसे कोई न अछुता

इस बदलते ज़माने मे लोगो का बिरोध प्रदर्शन का तरीका भी बदलते जा रहा है ,हर जगह अलग अलग तरीके से बिरोध जताने का हथकंडा अपनाया जा रहा है !इन सारे हथकंडो मे एक है जूता जिसे हर जगह नेताओ को निशाना बनाया जा रहा है,इस घटना का सुरुआत उस वक्त हुआ जब अमेरिका के पूर्ब रास्ट्रपति बुश इराक में एक पत्रकार सममेलन कर रहे थे !तभी एक अचानक इराकी पत्रकार मुन्तिजिर जैदी ने बुश के ऊपर एक जूता उछाल दिया !उसके बाद से बिरोध जताने का यह एक आधुनिक तरीका बन गया ! इस घटना के बाद भारत मे भी नेताओ के खिलाफ बिरोध प्रदर्शन का ये तरीका अपनाया जा रहा है !यह एक आम समस्या बनती जा रही है,चाहे भारत के प्रधानमंत्री गिरिःमंत्री या फ़िर पिपक्ष के नेता ही क्यो न हो !ऐसे मे यह एक प्रश्न उठता है की क्या यह तरीका सचमुच मे सही है ,या फिर इसे लोग अपनाकर चर्चित होना चाहते है,इस घटना का प्रचलन दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहा है,इसका प्रमुख कारण एक ही नजर आ रहा है नेताओ द्वारा दोसियो को माफ कर देना फिलहाल चाहे जो कुछ हो मगर भारत मे ये जूता सुर्खियाजरुर जरुर बटोर रहा है !