30 April 2021

त्रिपुरा का जल्लाद गालीबाज जिलाधिकारी

35 वर्षीय शैलेश कुमार यादव ने 2013 में यूपीएससी परीक्षा पास की थी

इससे पहले अगरतला नगर निगम के आयुक्त रह चुके हैं

गरतला स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीईओ का भी कार्यभार है

त्रिपुरा कैडर के आईएएस हैं शैलेश कुमार यादव

उत्तरप्रदेश के अम्बेडकर नगर के रहने वाले हैं

अपनी शुरुआती पढ़ाई सरकारी स्कूल से की है



बंदूकधारी को  डंडे से मारो इसको डीएम आदेश देते  शैलेश कुमार यादव

पुजारी को थप्पड़ मारते हुए डीएम              

दूल्हा और उसके पिता को घसीट कर लेजाते हुए  

दुल्हन के भाई को घसीटते हुए आरेस्ट करो      



परमिशन लेटर को फाड़कर फेकते हुए           

बराती, वेटर, खाना खाते हुए लोगों को मारते हुए 

डरी सहमी दुल्हन और बराती को भगाते हुए     

महिला के साथ बदसलूकी लरते हुए डीएम       

यही पहचान है शैलेश कुमार यादव की जो एक जिलाधिकारी है 

              जिलाधिकारी शैलेश कुमार यादव पर कविता 

नौकरशाही के मद में,

तुम कैसे इतना चूर हो गए..

मानवता की लक्ष्मण रेखा से,

कैसे इतने दूर हो गए ?

 

एक पुजारी पर हाथ उठाते,

तुमको बिल्कुल लाज न आई ?

दूर कहीं मन के कोने से ,

बिल्कुल भी आवाज न आई ?

 

तब्लीगी जमात के आगे,

तुमने घुटने टेके थे ..

तब बोलो ये सारी खुद्दारी,

कहाँ निकाल कर फेंके थे ?

 

क्या तुम काबू कर सकते हो,

मज़हब के उन्माद को ?

हिम्मत हो तो हाथ लगाओ,

तुम मौलाना साद को...

 


सत्ता को निर्णय करना है,

अब ऐसे अधिकारी का..

जो पर्याय बना बैठा है,

नफरत की बीमारी का...

 

त्रिपुरा की जनता को भी,

अब आवाज उठाना होगा..

संस्कृति के सारे शत्रु को,

कुर्सी छोड़ के जाना होगा...

27 April 2021

निधि के हत्यारे लव जिहादियों को फांसी दो

देश में जिहादियों का ख़ूनी आतंक जारी है. रुड़की की गंगनहर कोतवाली क्षेत्र में दिनदहाड़े तीन जिहादियों ने युवती का गला रेतकर हत्या कर दी.  इस घटना के बाद से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया. एक मुस्लिम युवक ने एक घर में घुसकर युवती का गला रेतकर हत्या कर दी. शोर होने पर दो युवक भाग गए जबकि एक युवक को लोगों ने मौके पर ही पकड़ लिया. फिलहाल पुलिस जिहादियों से पूछताछ कर रही है.

गंगनहर कोतवाली क्षेत्र के कृष्णानगर में दोपहर के समय निधि कुमारी अपने घर में खाना बना रही थी उसी वक्त तीनों जिहादियों ने युवती के घर पहुँचते है और उसको बाहर बुलाते है. हिन्दू युवती निधि जब बाहर आती है तो एक जिहादी युवती के साथ मारपीट करने लगता है और उसको पकड़ कर घर में लेकर जाता है और मारपीट करता रहता है. 

शोर होने पर आसपास के लोग इकठ्ठा हो जाते है जिसके बाद दो युवक मौके से भाग जाते है तभी आसपास के लोग युवती के घर का दरवाजा बंद कर देते है जिसके बाद युवक युवती का गला रेतकर उसकी हत्या कर देता है. 

जिसके बाद पड़ोसी पुलिस को सुचना देते है. सूचना मिलते ही पुलिस तुरंत मौके पर पहुँचती है और युवक को पकड़ लेती है और मृतक युवती निधि के शव को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज देती है. मामला हिन्दू-मुस्लिम से जुड़े होने के चलते सिविल अस्पताल में भी शहर के लोगों की काफी भीड़ पहुँच रही है. और चारों तरफ सन्नाटा छा जाता है. पुलिस ने तीनों हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया है. हत्यारे जिहादियों से पूछताछ जारी है. 

घटना की जानकारी मिलते ही भारी संख्या में आसपास के लोग भी सरकारी हॉस्पिटल पहुंचे और हंगामा करने लगे परिजनों में कोहराम मचा हुआ है और वह चीख चीख कर आरोपियों को फांसी देने की मांग कर रहे हैं.


कुछ महत्वपूर्ण सवाल


01. उत्तराखंड में लव जिहाद कानून लागू होने के बावजूद हत्याएं क्यों होरहीं हैं ?

02. इतनी घटनाओं के बावजूद किसी को फाँसी क्यों नहीं हुई ?

03. पड़ोस में जिहादी लड़की का गला रेत रहे थे मगर चिल्लाने के बाद भी कोई पड़ोसी बचाने के लिए सामने क्यों नहीं आया ?

04. पुलिस पीड़िता को तत्काल अस्पताल में भर्ती क्यों नहीं करवाई ?

05. अबतक कोई भी बड़ी प्रतिक्रिया क्यों नहीं हुईं ?

06. उत्तराखंड में जिहादियों का मनोबल दिन-प्रतिदिन क्यों सातवें आसमान पर जा रहा है ?

07.  कौनसी ताकतें उनके पीछे खड़ी हैं, जो युद्ध स्तरीय शक्ति दे रहीं हैं ?

08.  लड़की के परिजनों को अबतक कोई सरकारी सहायता मुहैया क्यों नहीं कराई गई है ?

09.  क्या इस हत्या से बड़ी जिहादी संदेश नहीं जायेगा ? जिससे ये लगेगा की कुछ भी करो हमारा कोई कुछ नहीं कर सकता ?

10.  हत्यारे पहले से लड़की को परेशान कर रहे थे मगर फिर भी पुलिस ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की ?

महामारी में कालाबाजारी करने वालों को फांसी दो

देश में कोरोना कहर बरपा रहा है और धंधेबाज चांदी काट रहे हैं. चारों तरफ कालाबाजारी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. मुंबई हो या दिल्ली हर ओर मुनाफाखोरों का बोलबाला है. राजधानी दिल्ली से लेकर देश के तमाम शहरों में ऑक्सीजन की किल्लत चल रही है. इस बीच ऑक्सीजन के धंधेबाज चांदी काट रहे हैं. जिस ऑक्सीजन सिलेंडर की रीफिलिंग 3 सौ रुपये में होती है, उसके लिए डेढ़ हजार रुपये वसूले जा रहे हैं. ये सब हो रहा है प्रशासन की नाक के नीचे. मगर आज कोई भी इनका सुध लेना वाला नहीं है.

कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर दवाओं की कालाबाजारी भी धड़ल्ले से होरहा है. ओर जहां रेमडेसिविर के 24 इंजेक्शन के साथ चार लोगों को पकड़ा गया है, वहीं एक्टेमरा इंजेक्शन की भी शार्टेज सामने आ रही है. अब पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती है कि आने वाले दिनों में ऐसी दवाओं की कालाबाजारी रोक जाए. एक राज्य से दूसरे राज्य में रेमडेसिविर दवा की सप्लाई पुलिस व स्वास्थ्य विभाग के लिए सिरदर्द बन रही है.

कोरोना संक्रमण से चारों ओर त्राहि-त्राहि मची हुई है, सरकार के लाख प्रयास के बाद भी कालाबाजारी नहीं रुक पा रही है. कई राज्यों के पुलिस ने इसे रोकन के लिए प्रयाश कर रही है मगर फिर भी हालात जस के तस बना हुआ है.

उत्तर प्रदेश और दिल्ली में धड़ल्ले से कालाबाजारी हो रही है. लखनऊ पुलिस टीम ने थाना मानक नगर नाका अमीनाबाद से 10 ऐसे लोगों को पकड़ा है जो जरुरी मेडिकल संबंधी उपकरण और दवाओं का ब्लैक मार्केटिंग कर रहे थे. पुलिस के अनुसर 15 हजार रुपये में एक इंजेक्शन ब्लैक करके बेच रहे थे. पुलिस ने इन्हें रंगे हाथ दबोचा है, इनके पास से 116 इंजेक्शन भी बरामद किए गए हैं. 

गोमती नगर पुलिस ने हॉस्पिटल संचालक सहित दवा कंपनी के एमआर समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनके पास से पुलिस ने 54 इंजेक्शन और 51 हजार रुपये बरामद किए हैं. हर्षा हॉस्पिटल के संचालक शहजाद अली को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. लंच बॉस्क में रोटी के नाम से कोड वर्ड प्रयोग करके जरुरी दवा और उपकरण का कालाबाजारी किया जारहा है. तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्या कालाबाजारी करने वालों को फांसी क्यों न दिया जाय !


              आपदा में अवसर तलाशता कालाबाजारी गिरोह 


01 सामान्य दिनों में 1 हजार लीटर वाले ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत 5 हजार रुपए

वर्तमान में इसकी कीमत 37  हजार रुपए तक पहुंच चुकी है

 

02 रेमडेसिविर सामान्य दिनों में 3 हज़ार रुपए में मिलती है

वर्तमान में ये इंजेक्शन 25 से 40 हजार हज़ार में बिक रही है

 

03 सामान्य दिनों में एम्बुलेंस की बुकिंग 1200 रूपये में होती है

   वर्तमान में एम्बुलेंस की बुकिंग 5 हजार से 20 हजार रूपये में होरही है

 

04 ऑक्सीजन मापने की उपकरण ऑक्सीमीटर सामान्य दिनों में 500 रूपये में मिलती है

वर्तमान में इसकी कीमत 3 हजार से 8 हजार तक पहुंच गई है. कई जगहों पर ये आउट ऑफ स्टॉक हो चुका है

 

05 हॉस्पिटल बेड की कीमत सामान्य दिनों में 5 हजार रूपये तक होता है

वर्तमान में एक हॉस्पिटल बेड 50 हजार से 80 हजार रूपये तक में बिक रही है

06 पीपीई किट सामान्य दिनों में 200 रूपये में उपलब्ध थी

वर्तमान में एक पीपीई किट की कीमत 15 सौ से लेकर 5 हजार तक है

 

07 भाप लेने की मशीन सामान्य दिनों में 300 रूपये में मिलती थी

वर्तमान में इसकी कीमत 1 हजार से 3 हज़ार तक होगई है

 

08 शरीर का तापमान रिकॉर्ड करने वाला थर्मामीटर सामान्य दिनों में 2 सौ से 5 सौ रूपये में मिलती थी

वर्तमान में इसकी कीमत 12 सौ से 7 हजार तक तक है

 

09  सैनिटाइजर सामान्य दिनों में  50 रूपये में मिलती थी

वर्तमान में इसकी कीमत  100  रूपये से 5 सौ रूपये तक है

 

10 सीटी स्कैन टेस्ट सामान्य दिनों में 7 हज़ार में होता था

 वर्तमान में ये टेस्ट 30 से 45 हजार रुपए में होरहा है

विश्व पृथ्वी दिवस, भोगवादी जीवन शैली और वर्तमान स्थिति

आज देश और दुनिया की बहस का केंद्र बिन्दू कोरोना वायरस और ऑक्सीजन की कमी बना हुआ है. मगर आज दुनिया इसके मूल कारणों को नहीं देख रही है. इस भौतिकवादी युग ने लोगों को पृथ्वी के प्रति इतना बेपरवाह और लचार बना दिया है की चारों ओर त्राहिमान मचा हुआ है. ऐसे में कोरोना वायरस ने एक और बात साबित कर दी है कि केवल भौतिक सुख-सुविधा के साथ जीवन सुखमयी नहीं हो सकता. आप का संयम, संकल्प और संतुष्टि ही आप के जीवन को सुखी बनाती है. आज संकट की इस घड़ी में बड़े बंगले, गाडिय़ां और कारखाने बेमतलब से लग रहे हैं. अपनी चादर से बाहर पैर फैलाने वालों की स्थिति दयनीय होती जा रही है और जिसने चादर के अंदर ही अपने पांव रखे थे वह आज अपने को सुखी मान रहा है

भोगवादी सुख-सुविधा आज के जीवन की प्राथमिकता जरुरत बन चुकी है. कोरोना वायरस ने विश्व भर में पृथ्वी और पर्यावरण के महत्व को एक बार पुन: स्थापित किया है. पृथ्वी के महत्व पर मानव को पुनर्विचार करने के लिए भी मजबूर किया है. आज कोरोना के भय के कारण पृथ्वी के महत्व का एहसास लोगों को हो रहा है.

कोरोना वायरस के कारण ही आज विश्व भर में भारतीय जीवनशैली, भारतीय संस्कृति का सकारात्मक पहलू सामने आ रहा है. वृक्षों, नदियों और पशु-पक्षियों के साथ तालमेल बिठाकर ही नहीं बल्कि उनकी पूजा करने के पीछे की जो सोच या भाव थे आज भारतीयों के यह भाव दुनिया को समझ आ रहे हैं. कोरोना वायरस ने साबित कर दिया है कि युगों पहले हमारे पूर्वजों ने दुनिया को जो संदेश दिया था कि परमार्थ ही धर्म है और स्वार्थ अधर्म है. कोरोना वायरस की लड़ाई पर विजय भी हिन्दू जीवन शैली के रास्ते पर चलकर संभव होसकता है. 

वेदों में प्रार्थना है कि सभी निरोगी रहें, सभी सुखी रहें, सभी ओर शांति रहे आज भी, इन्हीं बातों को स्वीकार कर हमें हर ओर भले के लिए कर्म करना होगा. तभी हमारा वर्तमान और भविष्य सुरक्षित होगा, यह संदेश भी कोरोना वायरस दे रहा है. ऐसे में आइये और हिन्दू जीवन शैली को अपना कर पृथ्वी और मानव जीवन की रक्षा कीजिये.


विश्व पृथ्वी दिवस पर जानकारी 


22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाने की शुरूआत अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने की थी

वर्ष 1969 में सांता बारबरा कैलिफोर्निया में तेल रिसाव की भारी बर्बादी देखकर इसकी शुरुआत करने का निर्णय लिया

पृथ्वी दिवस वर्ष 1990 से अंतरराष्ट्रीय दिवस के रुप में मनाया जाने लगा

पृथ्वी के 40 प्रतिशत हिस्से पर सिर्फ छह देश हैं।

पृथ्वी पर 97 प्रतिशत पानी खारा है और मात्र 3 प्रतिशत पानी ही पीने योग्य है

पृथ्वी की आकृति अंडाकार है, घुमाव के कारण पृथ्वी भौगोलिक अक्ष में चिपटा हुआ और भूमध्य रेखा के आसपास उभार लिया हुआ प्रतीत होता है

पृथ्वी के वातावरण मे 77 प्रतिशत नायट्रोजन, 21 प्रतिशत आक्सीजन, और कुछ मात्रा मे आर्गन, कार्बन डाय आक्साईड और जल वाष्प है

पृथ्वी के वायुमंडल की कोई निश्चित सीमा नहीं है, यह आकाश की ओर धीरे-धीरे पतला होता जाता है और बाह्य अंतरिक्ष में लुप्त हो जाता है

पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चन्द्रमा है

पृथ्वी के 11 प्रतिशत हिस्से का उपयोग भोजन उत्पादन करने में होता है

पृथ्वी अपनी धुरी पर 1600 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से घूम रही है

पृथ्वी सूर्य के इर्द-गिर्द 29 किलोमीटर प्रति सेकिण्ड की रफ्तार से चक्कर लगा रही है

पृथ्वी पर हर स्थान पर गुरूत्वाकर्षण एक जैसा नहीं है


भारतीय जीवन शैली का महत्व

 

भोगवादी युग ने लोगों को पृथ्वी के प्रति बेपरवाह बना दिया है

भौतिक सुख-सुविधाओं ने जीवन को संकट में डाल दिया है

भोगवादी सुख-सुविधा आज के जीवन की प्राथमिकता जरुरत बन चुकी है

कोरोना वायरस ने विश्व को पर्यावरण के प्रति लापरवाही को उजागर किया है

पृथ्वी के महत्व पर मानव को पुनर्विचार करने के लिए भी मजबूर किया है

कोरोना के कारण पृथ्वी के महत्व का एहसास लोगों को हो रहा है

विश्व भर में भारतीय जीवनशैली का सकारात्मक पहलू सामने आ रहा है

वृक्षों, नदियों और पशु-पक्षियों के साथ तालमेल बिठाकर चलना हिन्दू जीवन शैली

उनकी पूजा करने के पीछे की सोच और भाव आज दुनिया को समझ आ रहा है

कोरोना वायरस की लड़ाई पर विजय हिन्दू जीवन शैली के रास्ते हीं संभव है

मनोचिकित्सकों के नज़र में कोरोना वायरस

पूरी दुनिया में एक ओर जहां लोग कोरोना के चलते लोग बीमार पड़ रहे हैं वही दूसरी ओर अब इसके अलग प्रभाव भी देखने को मिलरहा है. ज्‍यादा समय से घर में बैठे लोगों में अकेलेपन, खालीपन और संक्रमण के डर के कारण डिप्रेशन और घबराहट की स्थिति पैदा हो रही है. एक शोध के मुताबिक, भारत में 10 फीसदी से ज्‍यादा लोग ऐसे हैं, जो कोरोना वायरस के डर के कारण ठीक से नींद भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं. वहीं, दुनियाभर में डिप्रेशन के मरीजों की संख्‍या तेजी से बढ़ रही है.

अमेरिका में फेडरल एजेंसियां और विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों में मनोवैज्ञानिक समस्‍याएं काफी तेजी से बढ़ रही हैं. उनके मुताबिक, ये भयंकर मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य संकट की शुरुआत है. न्‍यूज रिपोर्ट के मुताबिक, केजर फैमली फाउंडेशन के सर्वे में अमेरिका के करीब 50 फीसदी लोगों का कहना है कि कोरोना वायरस उनके दिमागी संतुलन को खराब कर कर रहा है.

जब लोगों को अपने करीबी, पहचान वाले, साथ काम करने वाले या घर के आसपास किसी के संक्रमित होने की जापनकारी मिलती है तो घबराहट बहुत ज्‍यासदा होने लगतीर है. सर्वे में 45 फीसदी व्‍यस्‍कों ने कहा कि वैश्विक महामारी उनके दिमाग पर नाकारात्‍मक असर डाल रही है. वहीं, 19 फीसदी का कहना था कि इससे उनके दिमाग पर बहुत बुरा असर हो रहा है. होम क्‍वारंटीन या क्‍वारंटीन सेंटर्स में रखे गए लोगों की हालत ज्यादा खराब है.

कोरोना संकट के दौर में लोगों को नींद नहीं आ रही है. लोग उदास और डरा हुआ महसूस कर रहे हैं. वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट, कई यूनिवर्सिटी के शोध और मेडिकल जर्नल में पहले ही ये सामने आ चुका है कि इस दौरान लोग डिप्रेशन में जा रहे हैं. भारत में भी जैसे-जैसे कोरोना मरीजों की संख्‍या और मौत के मामले बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे लोगों में घबराहट भी बढ़ रही है. एशियन जर्नल ऑफ सायकाइट्री में प्रकाशित शोध के मुताबिक, भारत में 10 फीसदी से ज्‍यादा लोग कोरोना वायरस के डर की वजह से सही से नींद भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं. 

सर्वे के मुताबिक, भारत में 40 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनका दिमाग कोरोना वायरस से संक्रमण के बारे में ख्‍याल आते ही अस्थिर हो जाता है. वे काफी देर तक इसके अलावा कोई दूसरी बात सोच ही नहीं पाते हैं और उनका दिमाग अस्थिर हो जाता है. वहीं, कोरोना संकट के बीच अपने परिवार की सेहत को लेकर बहुत ज्‍यादा चिंतित रहने वालों की तादाद 72 फीसदी है. भारत में 41 फीसदी लोगों ने कहा कि अगर उनकी पहचान या उनके ग्रुप या उनके कार्यस्‍थल का कोई व्‍यक्ति बीमार होता है तो घबराहट कई गुना बढ़ जाती है.

कोरोना से डरो नहीं लड़ो

देश कोरोना के संक्रमण से जूझ रहा है और देश के सभी न्यूज चैनल इस संक्रमण से भय का बाजार खड़ा कर अपनी टीआरपी बटोर रहे हैं. अपनी टीआरपी के लिए चैनल संक्रमण के आंकड़ों और स्थिति की भयावहता को बढ़ा चढ़ा कर दिखा रहे हैं. यह सर्वविदित है कि डर व्यक्ति के रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी पावर को प्रभावित करती हैउसे कमजोर कर देती है और यह सभी जानते हैं कि एक डरे हुए व्यक्ति पर वायरस का आक्रमण गंभीर नाकारात्कम परिणाम देने वाला होता है. ऐसे में डर पैदा कर टीआरपी के बाजार में उगाही करनेवाले का हम विरोध करते हैं. लोगों को कोरोना के संक्रमण से डरने की बजाय उससे लड़ने का आह्वान कररे है. 

कोरोना से डरने की बजाय उससे लड़ने की जरूरत है और जब हम मन में कोरोना से लड़ने की और उसे परास्त करने की ठान लेते हैं तो फिर संक्रमण के आक्रमण का आधा खतरा वहीं खत्म हो जाता है. और इस अधमरे संक्रमण को परास्त करना हर उस व्यक्ति के लिए आसान हो जाता है जो इस दृढ़इच्छा शक्ति के साथ खड़ा है कि वो कोरोना के संक्रमण से डरेगा नहीं बल्कि उससे लड़ेगा और उस पर विजय हासिल करेगा. हमारी इस मुहिम का मूल मंत्र है कोरोना से डरो नहीं लड़ो.

हम इस अभियान में कोरोना काल में असली हीरो कौन हैं जिन्होंने कोरोना संक्रमण से लड़ कर उसे परास्त किया है और कोरोना संक्रमण पर जीत हासिल की है. कोरोना को परास्त कर फिर से उठ खड़े हुए कोरोना विजेताओं के साथ हम अपनी मुहिम की शुरूआत करेंगे. यह वैज्ञानिक रूप से भी साबित हो चुका है कि डर की अवस्था में व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी पावर कम हो जाती है. और डरे हुए व्यक्ति पर वायरस का अटैक गंभीर नाकारात्कम परिणाम देने वाला होता है. कोरोना के वायरस को ऐसे मौके का ही इंतजार रहता है. 

कोरोना से संक्रमित होने वालों में वैसे लोगों की संख्या ज्यादा है जिन्होंने कोरोना से लड़ने की बजाय उससे डर कर भागने की कोशिश की. कोरोना से लड़ने के लिए सामाजिक दूरी...मास्क और सेनेटाइजेशन के जो हथियार हैं वो तभी कारगर होंगे जब हम अपने डर पर विजय पाएंगे. इसलिए कोरोना संक्रमण की लड़ाई में मास्क...सेनेटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग के हथियार के साथ इससे लड़ने का हौसला भी रखें. आपका यह हौसला और डर को मार भगने का संकल्प ही आपको कोरोना विजेता बनाएगा.

                                    कोरोना पर कविता 

TRP के लिए चैनल डरा रहे हैं

दर्शक की इम्यूनिटी घटा रहे हैं

डर घटाओ इम्यूनिटी बढ़ाओ

डर नहीं तो इम्यूनिटी सही

डराने वाले चैनल बंद करो

इम्यूनिटी को ऑन करो

TRP का है सारा मेल

डरो नहीं  समझो सारा खेल

डर से बढ़ेगी महामारी

पालघर में अबतक क्या अपडेट है

महाराष्ट्र के पालघर में 16 अप्रैल को दो साधुओं और एक ड्राइवर की हत्या के मामले में गिरफ्तार और जेल में बंद 70 लोगों की जमानत याचिका टल गई है. ठाणे के विशेष सत्र न्यायाधीश पीपी जाधव की बेंच में इस मामले की सुनवाई चल रही है. इसी मामले में राज्य क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीआईडी) 8 और लोगों को अबतक गिरफ्तार किया है. इसे लेकर पकड़े गए लोगों की संख्या बढ़कर 186 हो गई है. इनमें से 28 आरोपी और 9 नाबालिगों जमानत पर बाहर हैं. 

इससे पहले इसी मामले में 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. ये आरोपी कोविड-19 महामारी के बीच घटनास्थल पर मौजूद थे. इनमें से कुछ को घटनास्थल के वायरल वीडियो में भी देखा गया है और कुछ उस समय घटना में शामिल थे. अधिकारी ने कहा कि घटनास्थल के वीडियो में आरोपी हाथ में लाठी पकड़े भी दिखाई दे रहे है. पुलिस अभी तक मामले के किसी नतीजे तक नहीं पहुंची है.

गए थे. वीडियो क्लिप में दिखाई दे रहा है कि भीड़ से बचने के लिए पुलिस कांस्टेबल ने साधु को भीड़ की तरफ धक्का दिया था. इस पूरे मामले को सुप्रीम में सुनवाई भी हुई. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जाँच करने के आदेश दे दिए मगर फिर भी अबतक महाराष्ट्र सरकार ने सीबीआई जाँच की सिफारिस को सवीकार नहीं की है और ना ही कोई ठोस कताद्मा उतहा रही है. 

एस में एक बार फिर से सरकार के लाचार व्यवाहार से संतों में काफी रोष है. राज्य सरकार ने पालघर घटना के बाद पालघर पुलिस एसपी गौरव सिंह को कम्पल्सरी लीवपर भेज दिया था. पांच पुलिसवाले घटना को रोकने में असफल होने के आरोप में सस्पेंड किए गए थे. मगर फिर भी नतीजा कुछ नहीं निकला. मामला अब भी जस के तस बना हुआ है. संत समाज आज भी न्याय के आस में बैठा है.

देशभर में हिन्दुओं व साधु-संतों की हत्या देश में कुल कितने पालघर ?

पालघर घटना में हुए वीभत्स घटना के बाद भी देश में साधु-संतों की हत्या थमने का नाम नहीं ले रही है. पहले पालघर हुआ और फिर पंजाब में संतों की हत्या हुई और फिर उसके बाद उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में संतों की हत्या. एक के बाद एक हुई संतों के साथ वारदात की घटना थमने को नाम नहीं ले रही है. इसे में एक सवाल खड़ा होने लगा है की क्या संतों की हत्या के पीछे कोई बड़ी साजिश तो नहीं है.

पालघर की घटना के कुछ ही दिन बाद बुलंदशहर के संत जगदीश दास और सेवादास की निर्मम हत्या कर दी गई थी मगर इस मामले में भी अबतक न्याय नहीं होपाया है. 18 अक्टूबर 2019 को हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी. तब भी यही सवाल खड़ा हुआ था की क्या देशभर में हिंदूवादी लोगों और संतों के पीछे कोई बड़ी साजिश तो नहीं है. 31 मई 2020 को उत्तर प्रदेश के जालौन में ही रामऋषि मेहरोत्रा को बुरी तरीके से पीटा गया था.  उपचार के दौरान 7 जून को रामऋषि मेहरोत्रा की मौत हो गई थी.

देश में साधु संतों की हत्या कोई नई बात नहीं है देश में सेक्युलर जमात, ईसाई मिशनरियां जिहादी ताकतें हमेशा से हीं साधु-संतों को अपना निशाना बनाते रहे हैं. 7 नवंबर 1966 के दिन इंदिरा गांधी ने गोवध-निषेध हेतु संसद भवन का घेराव करने वाले 5000 साधुओं-संतों को गोलियां चलवाई थी. उस वक्त कई संत मारे गए थे. आज़ाद भारत में ये संतों की हत्या का सबसे बड़ा और नृशंस हत्याकांड थी.

मुलायम सिंह की सरकार ने भी संतों पर बर्बरता दिखाई थी. बात चाहे 30 अक्टबूर, 1990 को कारसेवकों पर गोलियां की हो या फिर. लखनऊ में प्रदर्शन कर रहे पुलिस पर लाठियां बरसाने की हर बार सत्ता की सह पर सातों की हत्या हुई है. देश में अब भी लगातार संतों की हत्या जारी है मगर सत्ता और शासन अब भी मूकदर्शक बना बैठा है.

                               देशभर में साधुओं की हत्या 

19 अप्रैल 2020 को महाराष्ट्र के पालघर में जूना अखाड़े के दो साधुओं की पीट-पीटक हत्या कर दी गई.

28 अप्रैल 2020 को बुलंदशहर में संत जगदीश दास और सेवादास की निर्मम तरीके से पीट-पीट कर हत्या कर दी गई.

2 फरवरी 2020 को लखनऊ के हजरतगंज में हिंदूवादी नेता रणजीत बच्चन की बाइक सवार बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी.

18 अक्टूबर 2019 को हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की गला रेतकर हत्या कर दी गई.

24 जनवरी 2020 को बिहार के वैशाली जिला में बजरंग दल के हिंदूवादी नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई.

9 अक्टूबर 2019 को मध्यप्रदेश के मंदसौर में हिंदूवादी नेता और केबल नेटवर्क के संचालक युवराज सिंह चौहान की बदमाशों ने गोली मार कर हत्या कर दी.

31 मई 2020 को उत्तर प्रदेश के जालौन में संघ नेता रामऋषि मेहरोत्रा को बदमाशों ने बुरी तरीके से पीटा था, उपचार के दौरान 7 जून को रामऋषि मेहरोत्रा की मौत हो गई.

13 जुलाई 20 को पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर में हिन्दू समर्थक भाजपा विधायक देबेंद्र नाथ रे को फांसी पर लटका कर हत्या कर की गई.

13 अक्टूबर, 2019 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में कट्टर हिन्दू नेता धारा सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई.

8 अक्टूबर, 2019 को उत्तर प्रदेश के देवबंद में हिंदूवादी नेता और किसान मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष चौधरी यशपाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई.

16 सितम्बर 2019 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में आरएसएस कार्यकर्ता पकंज की हत्या हत्या कर दी गई.

17 अक्टूबर 2017 को पंजाब के लुधियाना में RSS कार्यकर्ता रवींद्र गोसाईं  को शाखा से लौटते वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई.

10 अक्तूबर 2019 को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक के नेता बंधु प्रकाश पाल की धारदार हथियारों से हत्या कर दी गई.

पालघर में साधुओं के हत्या की बरसी पर विशेष

पालघर हत्या कांड के बीते 1 साल होगए मगर अबतक मारे गए संतों को न्याय नहीं मिला. संतों के देश में आज साधु-संतों के साथ हीं न्याय नहीं होरहा है. पुलिस और सरकार दोनों अब भी इस मुद्दे पर मूकदर्शक बने हुए हैं. अदालतों में तारीख पर तारीख का सिलसिला जारी है. महाराष्ट्र के पालघर में 16 अप्रैल को दो साधुओं समेत कुल 3 लोगों की हुई निर्मम हत्या के मामले में जांच कर रही सीआईडी ने दहाणु कोर्ट में दो अलग-अलग चार्जशीट दाखिल की हैं. सीआईडी ने 126 लोगों के खिलाफ पहली चार्जशीट 4995 पन्नों की जबकि 5921 पन्नों की दूसरी चार्जशीट अदालत में दाखिल की. CID ने अफवाह को घटना की मुख्य वजह माना है. मामले में अब तक 165 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. साधुओं की हत्या के मामले में 808 संदिग्धों से पूछताछ हुई.

इस पूरे घटना को अफवाह में हुई हत्या बता कर लीपापोती होरही है. चार्जशीट में CID ने बेहद हीं गौर जिम्मेदाराना रिपोर्ट दिया है..सीआईडी ने अपनी जांच में कहा है की साधु हत्याकांड के पीछे कोई अफवाह मुख्य वजह थी, जबकि ये हत्या सरेआम ईसाई और जिहादी लिंचिंग कहा था. CID के अनुसार कुछ लोग बच्चों को किडनैप कर उनके शरीर से किडनी जैसे अंग निकलने के लिए साधु, पुलिस या डॉक्टर के भेष में आ सकते हैं. इसी अफवाह के चलते स्थानीय लोगों ने इन संतों को किडनैपर समझकर साधुओं पर जानलेवा हमला किया. महाराष्ट्र राज्य सरकार ने साधुओं की हत्या और मॉब लिंचिंग के लिए सांप्रदायिक कारण को खारिज कर रही जबकि पूरा संत समाज इसे हत्या करार दे रहा है. ऐसे में पालघर के साधुओं के साथ न्याय नहीं होने के कारण देश में में साधु-संतों की हत्या में बेहताशा बढ़ोतरी हुई है. 

पालघर के गड़चिंचले गांव में 16 अप्रैल की रात को हुई वारदात के वीडियो ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. घटना के एक वीडियो में 65 वर्षीय महंत भीड़ से अपनी जान बचाने के लिए पुलिस का हाथ थामे चल रहे थे लेकिन पुलिसकर्मी ने इनका हाथ छुड़वाकर. उन्हें भीड़ को सौंप दिया. इसके बाद इस भीड़ ने जूना अखाड़े के दो साधुओं महंत 35 वर्षीय सुशील गिरी महाराज और 65 वर्षीय महंत महाराज कल्पवृक्ष गिरी और 30 वर्षीय ड्राइवर निलेश तेलगडे की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. संत अपने एक साथी के अंतिम संस्कार के लिए गुजरात के सूरत जाने के लिए किराए की गाड़ी में मुंबई के कांदिवली इलाके से रवाना हुए थे. तब से लेकर अबतक पूरा संत समाज न्याय के आस में बैठा है.

कौन है सलमान अजहरी

मुफ्ती सलमान अजहरी मुंबई के इस्लामिक स्कॉलर है

ये अक्सर हिन्दू विरोधी बयानों के लिए चर्चा में रहता है

सलमान अजहरी ने जलती आग पर चलने की बात की है

मुफ्ती सलमान अल-अजहरी भारत के सुन्नी इस्लामिक रिसर्च स्कॉलर और मोटिवेशनल स्पीकर है.

इसने जामिया अल-अजहर, मिस्र में दाऊद इस्लामिया से अध्ययन किया है

दुनिया भर में इसके हजारों कट्टर जिहादी फॉलोअर्स हैं



सलमान अल-अजहरी दुनिया भर में अपने जिहादी भाषणों के लिए प्रसिद्ध है

सलमान अजहरी अल-अमान फाउंडेशन भी चलाता है

सलमानी इस फाउंडेशन से धन इकट्ठा करता है

जहरीले भाषणों को देश-दुनिया में फ़ैलाने का काम करता है

मुफ़्ती अजहरी ने NRC और CAA के खिलाफ भड़काऊ बयान दे चुका है

अजहरी ने प्रधान मंत्री और गृह मंत्री अमित शाह जी को अपशब्द कह चुका है


कुछ महत्वपूर्ण सवाल


01. सलमान अजहरी किसके इशारे पर आग उगल रहा है ?

02. ऐसी भाषा अगर किसी हिन्दू नेता द्वारा बोली गई होती तो देश में क्या माहौल होता ?

03. अबतक सलमान अजहरी खुला कैसे घूम रहा है ?

04. सलमान अजहरी के ललकारने पर भी हिन्दू समाज क्यों चुप है ?

05. सम्पूर्ण समाज को चुनौती देने के पीछे अजहरी का क्या एजेंडा है ?

06. क्या अजहरी नरसिंहानंद जी के बहाने जिहाद फैलाना चाहता है ?

07. आखिर मुफ़्ती दिल्ली आकर हीं क्यों उन्माद फैलाना चाहता है ?

08. क्या अजहरी के पीछे देश को तोड़ने वाली ताकतें कड़ी हैं ?

09. सेक्युलर जमात अबतक अजहरी के जहरीले भाषण पर चुप क्यों है ?

10. अन्य मीडिया और फिल्म जगत के लोग मुफ़्ती पर मौन क्यों हैं ?

मुफ्ती सलमान अजहरी के जहरीले बोल

आज हम आपको एक ऐसे जहरीले मुफ़्ती के जहरीले बोल सुनायेंगे जो खुलेआम हिन्दुओं को ललकार रहा है. आखिर कौन है ये सलमान अजहरी और क्या है इसका परिचय तो चलिए आज हम आपको बताते है इसके बारे में. मुफ्ती सलमान अजहरी मुंबई के इस्लामिक स्कॉलर है. ये अक्सर हिन्दू विरोधी बयानों के लिए चर्चा में रहता है. मगर इसबार ये मुफ़्ती एक ऐसे हिन्दू संत को लेकर बयान दिया हैं जिसे पूरा देश समर्थन कर रहा है. सलमान अजहरी ने जलती आग पर चलने की चुनौती चुनौती नारसिहा नन्द जी को दिया है.



नारसिहानन्द जी ने तो सनकी मुफ़्ती के चैलेंज को सवीकार कर लिया है मगर अब मुफ़्ती अपने हीं बयानों में फंस गया है. मुफ्ती सलमान अल-अजहरी भारत के सुन्नी इस्लामिक रिसर्च स्कॉलर और मोटिवेशनल स्पीकर हैं. इसने जामिया अल-अजहर, मिस्र में दाऊद इस्लामिया से अध्ययन किया और दुनिया भर में इसके हजारों कट्टर जिहादी इसके फौलोअर हैं.

सलमान अल-अजहरी दुनिया भर में अपने जिहादी भाषणों के लिए प्रसिद्ध है. साथ हीं सलमान अजहरी  अल-अमान फाउंडेशन भी चलाता है. सलमानी इस फाउंडेशन से बड़े पैमाने पर लोगों से धन इकट्ठा करता है और अपने जहरीले भाषणों को देशदुनिया में फ़ैलाने का काम करता है. सलमानी सामाजिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए विभिन्न प्रकार की सेवाएं और कार्यक्रम प्रदान करने की बात करता है. मगर इसके बयान और भाषणों को देखें तो ऐसा लगता है कि इसका पूरा कार्यक्रम सिर्फ और सिर्फ जिहादी उन्माद फ़ैलाने के लिए ही है.


मुफ़्ती अजहरी ने NRC और CAA के खिलाफ हुए भी भड़काऊ बयान दे चुका है. साथ ही उस वक्त भी अजहरी ने प्रधान मंत्री और गृह मंत्री अमित शाह जी को अपशब्द कहा था. सलमानी ने कहा था कि नरेन्द्र मोदी या अमित शाह ने एक भी मुसलमान को भारत से निकाला तो उन दोनों के सीने पर चढ़ कर बोलेंगे. तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्या सलमान अजहरी पर कार्रवाई होनी चाहिए ?

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

                     बाबासाहेब के नज़रों में ईसाई-मुस्लिम

बाबासाहेब मानते थे कि इस्लाम में कट्टरता का बोलाबाला है और यहां भी दलित हाशिये पर हैं

इस्लाम में दास प्रथा को खत्म करने के कोई खास प्रतिबद्धता नहीं दिखती है

मुसलमान संकीर्ण वर्ग है वो हिंदू धर्म की तरह उदार नहीं सोचता है

अंबेडकर ने स्पष्ट रूप से कहा था कि देश का भाग्य तब बदलेगा जब हिंदू समाज एकजुट होगा

अंबेडकर का कहना था कि इस्लाम धर्म के नाम पर जो राजनीति हो रही है वह हिंदू धर्म के लिए खतरनाक है

इस्लाम की राजनीति सिर्फ अपने स्वार्थ तक और जातियों तक सीमित है

अंबेडकर इस्लाम में महिलाओं की स्थिति को लेकर चिंतित

डॉ. अंबेडकर ईसाई धर्मांतरण का विरोध करते है

उनका मानना था की सबसे अधिक धर्मांतरण के शिकार दलित समुदाय होरहा है

डॉ. अम्बेडकर ने चाटुकारों तथा वामपंथी इतिहासकारों को फटकारते हुए लिखा है कि मुस्लिम आक्रमणकारी केवल लूट के उद्देश्य से आए थे

डा.अम्बेडकर ने अनेक उदाहरण देते हुए बताया कि इनका उद्देश्य हिन्दुओं में मूर्ति पूजा तथा बहुदेववाद की भावना को नष्ट कर भारत में इस्लाम की स्थापना करना था

डा.अम्बेडकर कहा था कि इस्लाम विश्व को दो भागों में बांटता है, जिन्हें वे दारुल-इस्लाम तथा दारुल हरब मानते हैं

जिस देश में मुस्लिम शासक है वह दारुल इस्लाम की श्रेणी में आता है

इसी भांति वे मानवमात्र के भातृत्व में विश्वास नहीं करते

उनके अनुसार मुसलमान भारत की अपनी मातृभूमि मानने की स्वीकृति कभी नहीं देगा

अबेडकर ने इस्लाम और इसाईयत को विदेशी मजहब माना है

अबेडकर इसाईयत को भारत के लिए खतरा बताया है


बाबासाहेब के विचार

 

कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूर दी जानी चाहिए

एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है

मैं ऐसे धर्म को मानता हूं, जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाए

हर व्यक्ति जो मिल के सिद्धांत कि 'एक देश दूसरे देश पर शासन नहीं कर सकता' को दोहराता है उसे ये भी स्वीकार करना चाहिए कि एक वर्ग दूसरे वर्ग पर शासन नहीं कर सकता

 इतिहास बताता है कि जहां नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष होता है, वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है

निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है, जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल न लगाया गया हो

बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए

समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार  करना होगा 

मनुष्य नश्वर है, उसी तरह विचार भी नश्वर हैं, एक विचार को प्रचार-प्रसार की जरूरत होती है, जैसे कि एक पौधे को पानी की, नहीं तो दोनों मुरझाकर मर जाते हैं

पति-पत्नी के बीच का संबंध घनिष्ठ मित्रों के संबंध के समान होना चाहिए

जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता  है, वो आपके किसी काम की नहीं

जीवन लंबा होने की बजाए महान होना चाहिए


बाबासाहेब का सिद्धांत


डॉ. भीमराव जी एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था के हिमायती थे, जिसमें राज्य सभी को समान राजनीतिक अवसर दें

बाबासाहेब चाहते थे कि धर्म, जाति, रंग तथा लिंग आदि के आधार पर भेदभाव न किया जाए

उनका यह दृढ़ विश्वास था कि जब तक आर्थिक और सामाजिक विषमता समाप्त नहीं होगी, तब तक जनतंत्र की स्थापना अपने वास्तविक स्वरूप को ग्रहण नहीं कर सकेगी

बाबासाहेब कहते थे कि संवैधानिक अधिकार देने मात्र से जनतंत्र की नींव पक्की नहीं होती

डॉ. आंबेडकर जी समानता को लेकर काफी प्रतिबद्ध थे. उनका मानना था कि समानता का अधिकार धर्म और जाति से ऊपर होना चाहिए

प्रत्येक व्यक्ति को विकास के समान अवसर उपलब्ध कराना किसी भी समाज की प्रथम और अंतिम नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए

अगर समाज इस दायित्व का निर्वहन नहीं कर सके तो उसे बदल देना चाहिए

डॉ. आंबेडकर भारतीय समाज में स्त्रियों की हीन दशा को लेकर काफी चिंतित थे

उनका मानना था कि स्त्रियों के सम्मानपूर्वक तथा स्वतंत्र जीवन के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है

अम्बेडकर ने हमेशा स्त्री-पुरुष समानता का व्यापक समर्थन किया


दलित मूवमेंट और वर्तमान स्थिति


बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के नाम पर राजनीति में अब रावण जैसे लोगों के अनुयायी आगए हैं.

दलित आन्दोलन का नेतृत्व विदेशी शक्तियों के हाथों की कठपुतली बन गई है

आज का दलित नेतृत्व किसी भी धर्मांतरण का विरोध नहीं करता है

ऐसे में दलितों की संख्या में भारी कमी आई है

असदुद्दीन ओवैसी जैसे लोगों के साथ दलित नेताओं को देखकर दलित समुदाय गुमराह होता है

दलित नेता बड़ा बनते हीं अपने परिवार को सिर्फ आगे बढ़ाता है और गरीब दलित भाइयों को भूल जाता है

दलित नेता जब बड़ा आदमी बनता है तब वह सिर्फ अपने ही परिवार के लोगों को उसका लाभ पहुंचाता है

बड़ा आदमी बनने के बाद दलित नेता अपने सामाज के वंचित लोगों के साथ न्याय नहीं करता है

दलित के नाम पर राजनीति करने वाले दल आज खुद अपने परिवारों तक सिमट कर रह गए हैं.

दलित नेता तो बड़े और आमिर होगए परन्तु सामान्य दलित वर्ग आज भी गरीब है


                                कुछ महत्वपूर्ण सवाल


क्या दलित मूवमेंट अब बाबासाहेब के रास्ते पर होने का कोई दावा दलित नेता कर सकता है ?

बाबासाहेब ने जिस दलित-मुस्लिम गठजोड़ का जीवन भर विरोध किया उसे नज़र अन्दाज़ करने वालों को बाबासाहेब का नाम लेने का अधिकार है ?

बाबासाहेब ने जिस ईसाई धर्मांतरण का जीवनभर विरोध किया उसे गले लगाने वाले दलित नेता कैसे हो सकते हैं ?

आज जो भी दलित नेता बड़ा बन जाता है वह स्वयं दलितों का शोषण  करता है, वह केवल परिवार को आगे बढ़ाना चाहता हैं, दलित समाज को क्यों नहीं ?

बाबासाहेब के मूल सिद्धांतों पर दलित मूवमेंट क्यों नहीं होता ?

समता का सिद्धांत क्या किसी दलित नेता ने आजतक स्वयं पालन किया है ?

गांधी जी और बाबासाहेब के विचार कभी मेल नहीं खाए परंतु सम्पूर्ण दलित नेतृत्व गांधी परिवार के गुलामी में क्यों लगा रहा ? 

बाबासाहेब ने आरक्षण केवल हिंदू समाज के जातियों में देने का समर्थन किया था, तो फिर अन्य धर्मों के लोगों को आरक्षण कैसे मिल रहा है ?  

बाबासाहेब के नाम पर राजनीति करने वाले मुस्लिम और ईसाईयों को आरक्षण का समर्थन दलित नेता कैसे कर रहे हैं ?

बाबासाहेब ने आरक्षण केवल 10 वर्षों के लिए दिया था, मगर दलित ने नाम पर राजनीति करने वाले उसे कब तक जारी रखेंगे ?