28 December 2021

क्रिप्टो-क्रिस्चियन गुप्ता इसाईयत का इतिहास

क्रिप्टो-क्रिस्चियन का सबसे पहला उदाहरण रोमन सामाज्य में मिलता है

गुप्ता इसाईयत ने शुरुवाती दौर में रोम में अपने पैर रखे थे

तत्कालीन महान रोमन सम्राट ट्रॉजन ने ईसाईयत को रोमन संस्कृति के लिए खतरा बताया था

सम्राट ट्रॉजन ने गुप्त इसाईयत को समझा और जितने रोमन ईसाई बने थे सबको घर वापसी करवाया

सम्राट ट्रॉजन ने प्रस्ताव रखा कि या तो क्रिप्टो ईसाईयत छोड़ें या मृत्यु-दंड भुगतें

रोमन ईसाईयों ने मृत्यु-दंड से बचने के लिए ईसाई धर्म छोड़ने का नाटक किया

गुप्त ईसाई ऊपर से रोमन देवी-देवताओं की पूजा करने लगे

मगर अंदर से ईसाईयत को बरकरार रखा

यूरोप में 2000 साल पहले हुआ था गुप्त इसाईयत की शुरुआत

अब वही साजिश भारत में आज क्रिप्टो-क्रिस्चियन कर रहे हैं

क्रिप्टो-क्रिस्चियन ने जापान को भी अपने षड्यंत्र का शिकार बनाया था

मिशनिरियों का तथाकथित-संत ज़ेवियर भारत में भी आया था

1550 ईसा में धर्मान्तरण के लिए वह जापान गया था

ज़ेवियर ने कई बौद्धों को ईसाई बनाया था

1643 में जापान के राष्ट्रवादी राजा शोगुन ने ईसाई धर्म का प्रचार जापान की सामाजिक एकता के लिए खतरा बताया

शोगुन ने बल का प्रयोग कर कई चर्चो को तोड़वाया था

जीसस-मैरी की मूर्तियां जब्त करके तोड़ी गईं थी

बाईबल समेत ईसाई धर्म की कई किताबें को प्रतिबंधित किया गया था

जितने जापानियों ने ईसाई धर्म अपना था उनको मूल धर्म में वापसी करवाया गया

मगर फिर भी कई ईसाईयों ने बौद्ध धर्म मे घर वापसी का नाटक किया

वे सभी क्रिप्टो-क्रिस्चियन बने रहे

जापान में इन क्रिप्टो-क्रिस्चियन को काकूरे-क्रिस्चियनभी कहा जाता है

आज यही क्रिप्टो-क्रिस्चियन पूरी दुनिया भर में अपना भ्रम जाल फैला रहे हैं

क्रिप्टो क्रिस्चियन का षड्यंत्र

हिंदू भेष में यीशु की मूर्तियों के साथ घूम रहे हैं पादरी

हिन्दू धर्म में भ्रमजाल फैला रहे हैं गुप्त ईसाई

हिन्दू समाज को धर्मांतरण करने का कार्य कर रहे हैं क्रिप्टो क्रिस्चियन

गुप्त इसाईयत का मूल उदेश्य भारत की हिन्दू संस्कृति को नष्ट करना है

गुप्त इसाईयत से बढ़ रहा है हिन्दुओं का धर्मांतरण

ईसाई धर्म को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं क्रिप्टो क्रिस्चियन

हिन्दू देवी-देवताओं को यीशु के साथ दिखा कर भोले-भाले हिन्दुओं को भ्रमित कर रहे हैं

भगवा भेष में पादरी लोगों को भ्रमित कर धर्मांतरण करने की साजिश रच रहे हैं

क्रिप्टो-क्रिस्चियानिटी ईसाई धर्म की एक मूल प्रैक्टिस है बन चुकी है

दिखावे के तौर पर हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा करते है क्रिप्टो क्रिस्चियन

हिन्दू धर्म में घुसपैठ कर धर्मांतरण की साजिश रचते हैं क्रिप्टो क्रिस्चियन


क्रिप्टो क्रिस्चियन काकूरे-क्रिस्चियन गुप्त इसाईयत का फर्दाफाश

ईसाई धर्मांतरण के षड्यंत्र का पर्दाफाश पार्ट- 2 में, आज हम आपको कुछ ऐसे षड्यंत्र, पाखंड और भ्रमजाल को दिखायेंगे जिससे गुप्त इसाईयत का चोला पहले पादरियों का नकाब उतर जाएगा. हिंदू भेष में यीशु की मूर्तियां और पादरियों का भ्रमजाल आज हिन्दू समाज को धर्मांतरण करने का कार्य कर रहा है. क्रिसमस स्पेशल हमारा ये महासीरीज हर रोज़ एक नए षड्यंत्र का खुलासा करेगा.


क्रिप्टो क्रिस्चियन या गुप्त इसाईयत का मूल उदेश्य भारत तथा इसकी हिन्दू संस्कृति को धीरे-धीरे नष्ट कर ईसाई धर्म को आगे बढ़ाना है. इस फोटो को ध्यान से देखिये कैसे हमारे देवी देवताओं को यीशु के साथ शामिल कर भोले भाले हिन्दुओं को भ्रमित करने का कार्य कर रहे हैं. कैसे भगवा भेष में ये पादरी लोगों को भ्रमित कर धर्मांतरण करने की साजिश रच रहे हैं.


क्रिप्टो-क्रिस्चियानिटी ईसाई धर्म की एक मूल प्रैक्टिस है बन चुकी है. दरअसल ये दिखावे के तौर पर हिन्दू भगवान की पूजा करते है और फिर बाद में हिन्दू धर्म में घुसपैठ कर धर्मांतरण की साजिश रचते हैं. इनका ये छद्म भेष अंदर से ईसाई का होता है. क्रिप्टो-क्रिस्चियन का सबसे पहला उदाहरण रोमन सामाज्य में मिलता है जब ईसाईयत ने शुरुवाती दौर में रोम में अपने पैर रखे थे. तब तत्कालीन महान रोमन सम्राट ट्रॉजन ने ईसाईयत को रोमन संस्कृति के लिए खतरा बताया था.


सम्राट ट्रॉजन ने गुप्त इसाईयत को समझा और जितने रोमन ईसाई बने थे उनके सामने प्रस्ताव रखा.. कि या तो वे ईसाईयत छोड़ें या मृत्यु-दंड भुगतें. रोमन ईसाईयों ने मृत्यु-दंड से बचने के लिए ईसाई धर्म छोड़ने का नाटक किया और उसके बाद ऊपर से वे रोमन देवी-देवताओं की पूजा करने लगे. मगर अंदर से ईसाईयत को बरकरार रखा. जिस तरह मुसलमान जब 5-10 प्रतिशत होते हैं तो उस देश के कानून को मनातें है पर जब ये 20-30 प्रतिशत होतें हैं तब शरीअत की मांग शुरू कर देते हैं, और जब इन्हें सत्ता और अधिकार मिलता है तो देश को इस्लामिक राष्ट्र और हिन्दुओं का धर्मांतरण कर देते हैं. ठीक उसी प्रकार गुप्त इसाईयत भी कार्य करता है. आज देश में क्रिप्टो-क्रिस्चियन भी यही कार्य कर रहे हैं.. जिसे आज हम सब को जानने और समझने की जरुरत है. जो साजिश यूरोप में 2000 साल पहले हुआ, अब वही साजिश भारत में आज ये क्रिप्टो-क्रिस्चियन कर रहे हैं.


क्रिप्टो-क्रिस्चियन के बहुत से उदाहरण हैं पर सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण जापान का है जहाँ पर मिशनिरियों का तथाकथित-संत ज़ेवियर जो भारत आया था.. वह 1550 में धर्मान्तरण के लिए जापान गया और उसने कई बौद्धों को ईसाई बनाया. 1643 में जापान के राष्ट्रवादी राजा शोगुन ने ईसाई धर्म का प्रचार जापान की सामाजिक एकता के लिए खतरा बताया. शोगुन ने बल का प्रयोग किया और कई चर्चो को तोड़ा. जीसस-मैरी की मूर्तियां जब्त करके तोड़ी गईं. बाईबल समेत ईसाई धर्म की कई किताबें को प्रतिबंधित किया गया. जितने जापानियों ने ईसाई धर्म अपना था उनको वापस मूल धर्म में वापसी कराया गया.


मगर फिर भी कई ईसाईयों ने बौद्ध धर्म मे घर वापसी का नाटक किया और क्रिप्टो-क्रिस्चियन बने रहे. जापान में इन क्रिप्टो-क्रिस्चियन को काकूरे-क्रिस्चियनभी कहा जाता है. आज यही क्रिप्टो-क्रिस्चियन पूरी दुनिया भर में अपना भ्रम जाल फैला कर धर्मांतरण करने का कार्य कर रहे हैं. भारत मे ऐसे बहुत से काकूरे-क्रिस्चियन हैं, जो सेक्युलरवाद, वामपंथ और बौद्ध धर्म का मुखौटा पहन कर हमारे बीच में घूम रहे हैं.


पंजाब के कई ईसाई, सिख धर्म के छद्म रुपी क्रिप्टो हैं जो पगड़ी पहनतें है, दाड़ी रखते है, कृपाण-कड़ा भी पहनतें हैं पर ये सभी गुप्त-ईसाई हैं. बहुत से क्रिप्टो-क्रिस्चियन आरक्षण और सरकारी लाभ लेने के लिए, हिन्दू नाम रखे हैं. देश मे ऐसे बहुत से क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं जो हिन्दू नाम से हिन्दू-धर्म पर हमला करके सिर्फ वेटिकन का एजेंडा बढ़ा रहें हैं. यही कारण है कि आज सुदर्शन न्यूज़ ऐसे हिंदू भेष में यीशु की मूर्तियां और पादरियों का भ्रमजाल फ़ैलाने वाले क्रिप्टो-क्रिस्चियन का पर्दाफाश कर रहा है.

जानिए क्रिसमस के सांता कौन है और क्या है इसकी सच्चाई- सैंटा क्लॉज़ का पर्दाफाश

आज चारों तरफ कुछ भटके हुए भोले-भाले लोग सांता बने घूम रहे हैं. मगर उन्हें ये नहीं पता कि आखिर ये सांता कौन है? और इसका ईसा मसीह से कोई संबंध नहीं है. मगर फिर भी कुछ लोग सनातन परंपरा और रीती-रिवाजों को कानून के ताक पर रख कर हिन्दुस्थान में क्रिसमस के रंग में रंगने से बाज़ नहीं आरहे हैं. ऐसे में आज हम सांता का पोल खोलने जा रहे हैं जिससे आप भी अबतक अनभिज्ञ हैं. 


ईसाई धर्म में सांता क्लॉज़ असल में कौन थे ये किसी को नहीं पता. मगर इसकी सच्चाई ये है की ये दरअसल ये सिर्फ एक काल्पनिक पात्र है. भ्रमित धारणाओं के मुताबिक संत निकोलस को सांता क्लॉज़ कहा जाता है. आज से कुछ वर्ष पहले एक आम इंसान निकोलस हुआ करता था. जिसकी ईसाई धर्म में गहरी रूचि थी.  कुछ किंवदंतियों के अनुसार निकोलस अपनी पहचान दिखाना पसंद नहीं करता था. इसलिये वो रात को गिफ्ट बांटने के बहाने घूमता था और लोगों को भ्रमित करता था. संता क्लॉस नॉर्थ अमेरिका में रहता था. मगर इसकी भी कोई अधिकारिक पुष्टि आजतक किसी ने नहीं की.


कुछ लोगों का मानना है कि सांता ने शादी भी की थी और जिसकी पत्नी जेसिका थी, मगर सांता क्लॉस के माता पिता के नाम की भी जानकारी किसी के पास, अबतक कहीं पर भी उपलब्ध नहीं है. वैसे तो सैंटा क्लॉज़ का नाम जीसस क्राइस्ट जिनका जन्मदिन 25 दिसंबर को मनाते हैं उनके साथ जोड़ कर लिया जाता है. लेकिन यदि बाइबल में देखा जाए तो जीसस क्राइस्ट और सैंटा क्लॉज़ के बीच कोई संबंध था ही नहीं. इतिहास के पन्नों में ऐसा बताया गया है कि संत निकोलस का जन्म 19वी शताब्दी से पहले हुआ था.


1773 में पहली बार अमेरिकी शहर में सेंटा क्लोज के रूप में एक व्यक्ति मीडिया से रूबरू हुआ था और उसने खुद को सैंटा क्लॉज बताया था. उसके बाद सन 1930 में संता का अस्तित्व सब लोगों के सामने आया और सन्ड़बलोम नामक एक कलाकार ने संता के रूप में कोका कोला की ऐड 35 वर्षों तक की. उसने लाल सफेद कपड़ो में आकर कोका कोला की ऐड की थी और संता का यह नया अवतार लोगों को बहुत ज्यादा पसंद आया था. मगर अब उसी सांता का नकली रूप धारण किए कुछ भटके हुए भोले-भाले लोग घूम रहे हैं.

20 December 2021

हिंदू देवस्थानों पर मुसलमानों के पूजा प्रसाद संबंधी दुकानों की अनुमति श्रीशैलम मंदिर में क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दू मंदिरों से संबंधित एक और फैसला सुनाया है, कोर्ट के इस आदेश को भी हिन्दू समाज विरोध कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा है कि आन्ध्र प्रदेश के श्रीशैलम मंदिर के पास कारोबार करने से गैर-हिंदुओं को रोका नहीं जा सकता. मतलब ये कि अब मुसलामन और ईसाई भी मंदिर परिसर में अपनी दुकानें खोल सकते हैं.


जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना ने यह निर्णय सुनाया है. कोर्ट के इस आदेश हिन्दुओं में रोष और आक्रोश का माहौल है. इस फैसले से स्थानीय हिन्दू पुजारी और दुकानदार मायूस और निराश हैं. डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना ने कहा कि अन्य धर्म को मानने वाले उन दुकानदारों को दुकानों की नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा लेने से नहीं रोका जा सकता, जिनकी पहले से ही दुकानें मंदिर परिसर में मौजूद हैं. इस आदेश में दुकान मालिकों के साथ उन किरायेदारों को भी शामिल कर लिया गया है, जो हिन्दू नहीं हैं. इसी बात से लोग निराश हैं.


अपने निर्णय में बेंच ने आन्ध्र सरकार से कहा, कि एक बार आप ऐसा कह सकते थे कि मंदिर परिसर में शराब या इस तरह की कोई दुकान नहीं खोली जा सकती, लेकिन हिन्दू के अलावा कोई दूसरा दुकान न ले, ये उचित नहीं है. आप ऐसा कैसे कह सकते हैं कि वहाँ गैर-हिन्दू फूल और खिलौने भी नहीं बेच सकता?” इसपर आन्ध्र प्रदेश सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन ने अपना पक्ष रखा.


इससे पहले आन्ध्र प्रदेश सरकार ने मंदिर के बगल में दुकानों की नीलामी में हिस्सेदारी लेने का अधिकार केवल हिन्दू धर्म को मानाने वालों के लिए आमंत्रित किया था. आन्ध्र प्रदेश सरकार ने साल 2015 में आदेश जारी किया था कि हिन्दुओं को छोड़ कर कोई अन्य धर्म का व्यक्ति श्रीशैलम मंदिर से जुडी दुकानों की नीलामी प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकता. यह आदेश उन धार्मिक क्षेत्रों के लिए था जो आन्ध्र प्रदेश चैरिटेबल व हिन्दू धर्म संस्थान एंडोमेंट एक्ट 1987 के अधीन आते हैं.


दरअसल ये पूरा मामला सितम्बर 2019 से चला आरहा है जब सैय्यद जानी बाशा ने इस आदेश को आन्ध्र पदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. तब उच्च न्यायालय ने आन्ध्र सरकार के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था...और सरकार के फैसले को बरकरार रखा था. मगर याचिकाकर्ता सैय्यद जानी बाशा ने इस आदेश को अपने जीवन के अधिकार में हस्तक्षेप बता कर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिया जिसपर अब कोर्ट ने ये आदेश दिया है.

17 December 2021

शादी-विवाह की उम्र बढ़ाने के मुद्दे पर कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

 

01. क्या लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 साल करने से कुछ बड़ा बदलाव हो पाएगा ?

 

02. क्या लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने से महिला सशक्तिकरण में मदद मिल पाएगी ?

 

03. क्या लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने से रेप के मामलों में कमी आएगी ?

 

04. मुस्लिम लड़कियों की शादी की उम्र 16 साल क्यों है भारत में सभी समुदाय में शादी की उम्र एक समान क्यों नहीं है?

 

05. दुनिया के किसी भी देश में शादी की उम्र 21 साल नहीं है, फिर भारत में क्यों ?

 

06. 70 साल में सिर्फ हिन्दुओं का हीं कानून क्यों बदला गया, अन्य धर्मो के क्यों नहीं ?

 

07. क्या कानून में बदलाव करने से हिन्दू जनसांख्यिकी पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा ?


08. कोई भी सरकार मुस्लिम पर्सनल लॉ में बदलाव या संशोधन क्यों नहीं करती है ?

 

09. उम्र बढ़ाने के लिए सरकार को कई कानूनों में संशोधन करने होंगे, सरकार सीधे समान नागरिक संहिता क्यों नहीं लाती ?

 

10. अन्य धर्मों के लोग अगर इस उम्र की बंधन को नहीं मानेंगे तो इसका नकरात्मक असर पड़ेगा, ऐसे में सरकार क्या करेगी ?

  

शादी-विवाह की उम्र बढ़ाने के पक्ष में सरकारी तर्क

कम उम्र में बच्चे पैदा करते समय कुछ महिलाओं की मौत हो जाती है

 

21 या 23 साल बाद लड़कियों की शादी होगी तो शिक्षा और कैरियर में आसानी होगी

 

सभी धर्मों में शादी की उम्र एक समान रखी जाए क्योंकि दूसरे धर्मों में शादी की उम्र और भी कम है

 

लव जिहाद की घटनाओं में कमी आएगी क्योंकि नासमझ और छोटी उम्र की लड़कियां लव जिहाद में फंसकर शादी कर लेती हैं

 

परिवार-रिश्तेदार और आस-पास के लोग लड़की पर जल्दी शादी करने का दबाव नहीं बना पाएंगे

 

कम उम्र की लड़कियों की शादी होने पर परिवार को ठीक तरीके से नहीं संभाल पाती है

 

21 साल या उससे ज्यादा उम्र में शादी करने पर बच्चे कम पैदा होंगे

 

लड़कियां अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएंगी, बीच में पढ़ाई नहीं छोड़नी पड़ेगी

 

कुछ माता-पिता लड़कियों को जल्दी शादी के बंधन में बांध देते हैं

 

लड़की 18 साल की उम्र में पूरी तरीके से मानसिक रूप से परिपक्व नहीं हो पाती है

दुनिया के देशों में शादी-विवाह की उम्र

दुनिया में 99 देश ऐसे हैं, जहां लड़कियों का विवाह की उम्र 18 वर्ष से कम है

 

सऊदी अरब और यमन ये दो देश ऐसे हैं, जहां विवाह की न्यूनतम उम्र आज तक तय नहीं हो पाई है

 

लेबनान में 9 साल  

सुडान में 11 साल

ईरान में 13 साल

कुवैत में 15 साल

पाकिस्तान में 16 साल


दुनिया में कुल 23 देश ऐसे हैं, जहां लड़कियों का विवाह 18 साल से कम उम्र में हो जाता है

ब्रिटेन में असाधारण परिस्थितयों में लड़की की 16 वर्ष की उम्र में भी शादी हो सकती है

अमेरिका में कोई एक कानून नहीं है, वहां अधिकतर राज्यों में लड़कियां 18 साल के बाद ही शादी कर सकती हैं

वहां भी असाधारण परिस्थितियों में 18 साल से कम उम्र के लड़के और लड़कियों की शादी को मान्यता मिली हुई है

कब-कब बढ़ाई गई शादी-विवाह की उम्र ?

1860 में IPC में 10 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ शारीरिक संबंध अपराध था


1927 में ब्रिटिश सरकार ने कानून के माध्यम से इसको 12 वर्ष कर दिया था

 

इससे कम आयु की लड़कियों के साथ विवाह को अमान्य घोषित किया गया था

 

1929 में बाल विवाह निरोधक अधिनियम के तहत उम्र का पुनर्निर्धारण हुआ

 

लड़कियों के लिए विवाह की उम्र 14 और लड़कों के लिए 18 निर्धारित किया गया

 

1949 में संशोधन के माध्यम से लड़कियों के लिये विवाह की उम्र 15 वर्ष कर दी गई

 

1978 में कानून में फिर से संशोधन कर लड़कियों के लिए विवाह की उम्र 18 और लड़कों के लिए 21 वर्ष कर दी गई

 

सरकार इसी संसद सत्र में संशोधन के जरिये लड़कियों की शादी की उम्र 21 वर्ष करने जा रही है


विवाह की उम्र में कानूनी बदलाव केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंजूरी

सरकार ने महिलाओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र किया तय 


18 वर्ष से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव को मिली मंजूरी


केंद्रीय कैबिनेट ने उम्र बढ़ाने वाली प्रस्ताव को दी मंजूरी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को ऐलान किए थे


लालकिले से प्रधानमंत्री ने दी थी इसकी जानकारी


वर्तमान में देश में पुरुषों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष है


 जबकि महिलाओं के लिए शादी की उम्र 18 वर्ष है


कानून में बदलाव के बाद अब दोनों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 21 होगी


सरकार इसके लिए तीन केन्द्रीय कानून में करेगी संशोधन


बाल विवाह निषेध कानून, स्पेशल मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट में होगा संशोधन


नीति आयोग में जया जेटली की अध्यक्षता में बने टास्क फोर्स ने इसकी सिफारिश की थी


टास्क फोर्स का गठन पिछले साल जून में किया गया था


पिछले साल दिसंबर में इसने अपनी रिपोर्ट दी थी

चलते-चलते में वसीम रिजवी से जितेंद्र नरायण सिंह त्यागी बने तक की कहानी

ग़ाज़ियाबाद के डासना देवी मंदिर में वसीम रिजवी ने इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन हिन्दू धर्म में घर वापसी कर ली है. अब इनका नया नाम जितेंद्र नरायण सिंह त्यागी हो गया है. वसीम रिजवी से जितेंद्र नरायण सिंह त्यागी बनने के बाद इन्होंने सुदर्शन न्यूज़ के प्रसिद्ध शो चलते-चलते में अपना पहला टीवी इंटरव्यू दिया है. जितेंद्र नरायण सिंह त्यागी ने सभी मुद्दों पर खुलकर बेबाकी से अपनी बात को रखा. तो आईये हम आपको इनके इंटरव्यू के कुछ महत्वपूर्ण और अहम बातों को आपको यहां विस्तार से बताते हैं, जो इन्होंने इस इंटरव्यू के दौरान कहा.

जितेंद्र नरायण सिंह त्यागी का कहना है कि ये पूरी दुनिया में भगवा लहराने का ख्वाब देख रहे हैं. इनके अनुसार हिंदुस्थान में नहीं तो और कहां लहराएगा भगवा? दुनिया का सबसे पहला धर्म है सनातन धर्म है, सनातन धर्म ने दुनिया में इंसानियत को सहेजी है. सनातनी बनकर गर्व महसूस कर रहा हूं. खुद के अंदर एक ताकत को महसूस कर रहा हूं. मेरे सपने में राम आते हैं और उनके सपने में लादेन व बगदादी. इन्होने ये भी कहा कि जिनके जैसे विचार होंगे वैसे सपने आयेंगे. जिसे दुनिया का ज्ञान नहीं वो अल्लाह का मैसेंजर कैसे हो सकता है? दुनिया में इस्लाम के साथ कैसे जुड़ जाता है आतंक शब्द  इसका जवाब जिहादियों को देना चाहिए ?

इहोने प्रश्न किया कि आखिर आतंकियों की लड़ाई किससे है? हर लड़ाई का एक मकसद होता है! इस्लामिक लड़ाई का मकसद क्या है? जिहादियों की लड़ाई का मकसद क्या है ? इनके बच्चे क्यों उठाए हुए हैं हाथ में पत्थर? ईसाइयत पर चुप्पी और मूर्ति पूजा पर प्रश्न क्यों?

इन्होने कहा कि उम्र के पहले पड़ाव में मुसलमान नहीं थे मुहम्मद. मुहम्मद के चाचा भी मुस्लिम नहीं थे. मोहम्मद के चाचा ने नहीं अपनाया इस्लाम. मुहम्मद के चाचा जानते थे मुहम्मद की सच्चाई. इस्लाम में माले-गनीमत समझा जाता है दूसरे की पत्नी को. इस्लाम शांति का मजहब है तो बताओ कहां है शांति? किसी भी इस्लामिक राष्ट्र में शांति नहीं है. इस्लाम हिंदुओं के खिलाफ हीं पैदा हुआ.

इस्लाम में महिलाओं का सम्मान नहीं. इस्लाम में आबादी बढ़ाने के लिए महिलाओं का इस्तेमाल. युद्ध में जिहादी लूट लेते हैं सैनिकों की पत्नियों को भी. इस्लाम में महिलाओं के साथ ज्यादती होती है. पहले तलवारों से जिहादी करते थे कत्ल, अब हथियारों से करते हैं.

मुसलमान कभी सेक्युलर हो हीं नहीं सकता. आज आतंक के माने है इस्लामिक कट्टरता का प्रचार. लाइफ विदाउट अल्लाह" कैंपेन अच्छा है मुगलों की देन हैं हिंदुस्थान के मदरसे. देश में बंद होने चाहिए सभी मदरसे. तबलीगी जमात पर सही कदम है सऊदी अरब का बैन. इस्लाम में बड़े सुधार की ज़रूरत है. हम चाहते थे कुरान पर कोर्ट हमारी बातें सुने, कोर्ट ने इस विषय को धार्मिक तरीके से देखा.

धर्म के नाम पर गलत है कत्ल करना, सरकारें इस्लाम के खिलाफ बोलने से डरती हैं. हम अदालतों का सम्मान करते हैं. मुसलमानों ने समाज में डर किया है पैदा. तीन लाख मंदिरों को तोड़ कर मस्जिदें बनाई गईं. हम कभी हार नहीं मानेंगे, मरने के बाद फिर आयेंगे इनसे लड़ने. मन से डर निकाल कर हमें आगे आना होगा.

हर इंसान है सनातनी, ईश्वर भी पैदा करता है सबको सनातनी. मुसलमानों के पूर्वज हिन्दू देवी-देवता नहीं थे? क्या भगवान श्रीराम इनके पूर्वज नहीं हैं? इस्लामिक कट्टरता से सतर्क रहने की जरूरत है. आज दुनिया में पैदा हुआ है बड़ा धर्म-संकट. आतंकियों और जिहादियों को अपनाना चाहिए सनातन धर्म. कुरान की कट्टरता को छोड़ इंसानियत की ओर लौटना होगा. 

मुगलों ने करोड़ों हिंदुओं का कत्ल किया, आज एक भी नस्ल नहीं बची हैं मुगलों की. हमने वही चित्रण किया जो इस्लामिक किताबों में लिखा है. हम अपने विचार रख रहे हैं, संविधान बोलने की देता है इजाज़त. जिहादी साबित करें कि इस्लाम कोई धर्म है, इस्लाम कोई धर्म होगा तभी तो उस पर चोट पहुंचेगी?

14 December 2021

एमपी में ईसाई धर्मांतरण- पुलिस ने किया दंपति को गिरफ्तार

मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में लालच देकर धर्मांतरण कराने का मामला सामने आया है। पुलिस ने आदिवासी महिलाओं को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रलोभन देने के आरोप में शनिवार को दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उनके खिलाफ धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है।

राजपुर थाना प्रभारी राजेश यादव ने आरोपितों की पहचान नवलपुरा गाँव के निवासी अनार सिंह जमरे (35) और उसकी पत्नी लक्ष्मी जमरे (32) के रूप में हुई है। 10 दिसंबर को मदिल गाँव के निवासी प्रकाश चौहान की शिकायत के आधार पर मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है।

शिकायत में दंपति पर आरोप लगाया गया है कि वे आदिवासी महिलाओं को अपने घर बुलाकर उन्हें पैसे, मुफ्त शिक्षा, मुफ्त दवा, रोजगार और अन्य सुविधाओं का लालच देकर ईसाई धर्म अपनाने के लिए कहते थे। आरोपितों के पास से धर्म परिवर्तन से जुड़े कुछ साहित्य, पेन ड्राइव और अन्य सामग्रियाँ भी जब्त की गई हैं। राजपुर थाना प्रभारी के अनुसार स्थानीय अदालत द्वारा आरोपितों को जमानत दिए जाने के बाद उन्हें रिहा किया गया है।

मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियमन 2020 के तहत विवाह या किसी भी अन्य माध्यम से जबरन धर्मांतरण कराने पर आरोपित को 10 वर्ष तक की जेल की सजा और 1 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। ये मामला भी न्यालय के समक्ष है। ऐसे में अब देखना ये होगा की कोर्ट क्या कुछ कार्रवाई करता है और कितनी जल्दी इस इस आरोपियों को सजा मिलती है.

सउदी अरब में तबलीगी जमात पर लगा प्रतिबंध- सउदी सरकार ने बताया आतंकवाद का द्वार

सऊदी अरब में तबलीगी जमात पर बैन लग गया है। वहां के इस्लाअमिक मामलों के मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। सऊदी अरब की सरकार ने तबलीगी जमात को 'आतंकवाद के द्वारों में से एक' करार दिया है। सरकार ने जमात के लोगों को अगले जुमे की नमाज से पहले मस्जिदें खाली करने को कहा है। इस घटनाक्रम पर भारत में भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कई लोग पूछ रहे हैं जमात की आलोचना करने पर 'इस्ला्मोफोबिक' कहने वाले सऊदी अरब के इस कदम पर क्या कहेंगे?

हालांकी भारतीय उदारवादी पैराकारों ने तबलीगी जमात का बचाव करना शुरू कर दिया है. दरअसल सऊदी अरब ने आतंकी संबंधों के चलते तबलीगी जमात को बैन कर दिया है। इस्लामिक मामलों के मंत्रालय ने मस्जिदों को निर्देश दिए हैं कि वे जुमे की नमाज के दौरान जमात के खिलाफ लोगों को चेताएं। मगर वहीँ अबतक भारत में, दिल्ली पुलिस तबलीगी जमात के मुखिया, मौलाना साद का पता नहीं लगा सकी है।'

तब्लीगी क्या है और क्या काम करती है ये भी आपके किए जानना जरुरी है. तो आईये हम आपको इसके बारे भी आपको बताते है. इसकी स्थापना 1926 में भारत में की गई थी. ये मुसलमानों का धार्मिक संगठन है. ये संस्था ड्रेसिंग, व्यक्तिगत व्यवहार और इस्लामिक अनुष्ठानों के संबंध में मुसलमानों को बताती है. मगर इस संस्थान के ड्रेसिंग, कार्य पद्धति हमेशा से हीं सवालों के घेरे में रहा है. तब्लीगी जमात के दुनियाभर में 40 करोड़ सदस्य होने का दावा करता है. इसके ऊपर दिल्ली में कोरोना फैलाने का भी आरोप है.

पिछले साल कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत होने पर देशभर में इस संगठन की खासा चर्चा हुई थी. इस दौरान जमात पर कोरोना फैलाने का आरोप लगा था. इसके अलावा, तब्लीगी जमात पर आरोप है कि इसने बिना अनुमति के बड़ी संख्या में लोगों को दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित मरकज में इकट्ठा किया. बड़ी संख्या में संगठन के लोग मरकज में इकट्ठा हुआ थे, जिसमें से कई विदेशी भी थे. कोरोना के बीच इस तरह से भीड़ इकट्ठा होने से डर का माहौल पैदा हो गया था.

मलयाली फिल्म निर्देशक अली अकबर ने अपनाया हिंदूधर्म- बिपिन रावत जी के ऊपर जिहादियों के नकरात्मक टिप्पणी से थे आहत

एक के बाद एक बड़े मुस्लिम चेहरे अब हिन्दू धर्म अपना रहे हैं. इस्लाम की कट्टरता और मौलवियों की तालिबानी फरमान से पढ़ा लिखा मुस्लिम समाज अपने आप को अलग महसूस कर रहा है. मजहबी उन्माद और कट्टरता ने मलयाली फिल्म निर्देशक अली अकबर को इतना ज्यादा नागवार गुजरा कि उन्होंने इस्लाम धर्म छोड़ने के लिए ऐलान कर दिया. 



सीडीएस जनरल बिपिन रावत जी समेत 13 वीरों की वीरगति पर एक तरफ पूरा देश रो रहा था तो दूसरी ओर कुछ कट्टर इस्लामी देश के असली हीरो के जाने पर मजाक उड़ा रहे थे. इससे निराश केरल के मलयाली फिल्मों के फिल्म निर्देशक अली अकबर ने इस्लाम को छोड़ हिंदू धर्म में वापसी करने का ऐलान कर दिया है. फेसबुक लाइव पर निर्देशक ने कहा कि वे इस्लाम का परित्याग कर रहे हैं.


अली अकबर ने कहा कि सेना प्रमुख सीडीएस बिपिन रावत जी की वीरगति के बाद कई लोग फेसबुक पर जश्न मना रहे थे, जिसके विरोध में वो इस्लाम को ही छोड़ रहे हैं. 8 दिसंबर 2021 को सीडीएस बिपिन रावत जी की मौत के बाद अकबर ने फेसबुक पर एक लाइव वीडियो शूट किया था.


फेसबुक के जरिए सीडीएस रावत जी को श्रद्धांजलि देने वाले फिल्म निर्देशक ने कहा, “यह स्वीकार नहीं किया जा सकता है. इसलिए मैं अपना धर्म छोड़ रहा हूँ, न मेरा और न ही मेरे परिवार का कोई और धर्म है।उन्होंने लाइव में कहा, “मैं उन कपड़ों का एक टुकड़ा फेंक रहा हूँ, जिनके साथ मैं पैदा हुआ था.दरअसल, जब फिल्म निर्देशक ने सीडीएस रावत की वीरगति पर लाइव वीडियो बनाना शुरू किया तो कट्टर इस्लामियों ने उनके वीडियो पर हजारों की संख्या में लॉफिंग की इमोजी लगाकर इसका मजाक उड़ाया, जिससे उनकी भावनाएँ आहत हुईं.


इस मामले पर कई ट्विटर यूजर ने खा कि अली अकबर हिंदू धर्म अपना रहे हैं और अपना नाम बदलकर रामसिम्हन रख रहे हैं. इस्लाम की वर्तमान पीढ़ी को देखकर बहुत अच्छा लगा, जिनके पूर्वजों को बलपूर्वक परिवर्तित किया गया था, वे वापस जड़ों की ओर आ रहे हैं.

बिहार में अधर्म: मुस्लिम महिला टीचर अमीना खातून ने हिन्दू छात्र के हाथ से गीता छिनकर कूड़ेदान में फेंका

बिहार के गया जिले में चौथी कक्षा में पढ़ने वाले एक बच्चे ने अपनी मुस्लिम महिला टीचर पर श्रीमगभगवद्गीता को डस्टबिन में फेंकने और हिंदू देवी-देवताओं को गाली देने का आरोप लगाया है। इसको लेकर बच्चे का वीडियो वायरल हो रहा है। पीड़ित छात्र गया स्थित इस्कॉन मंदिर के पुजारी का बेटा है और एक स्कूल में पढ़ता है। वायरल वीडियो में बच्चा टीचर का नाम सदफ़ जहाँबता रहा है। इस स्कूल की प्रभारी प्रिंसिपल का नाम अमीना खातून है। सदफ ने इस बात को किसी को बताने पर बच्चे को चमड़ी उधेड़ने की धमकी दी।


वायरल वीडियो में बच्चा बता रहा है, ‘मैं जब स्कूल गया था तब मेरे लंच टाइम के बाद सदफ मैम आईं थीं। वो हमें हिंदी पढ़ाती हैं, लेकिन साथ में उर्दू भी पढ़ाती हैं। सबका बैग चेक हो रहा था तो मेरा भी चेक हुआ। मैं रोज भगवद्गीता और माला लेकर जाता था। चेकिंग के दौरान मेरे बैग से गीता और माला निकल गया। तब उन्होंने (सदफ) ने श्रीमद्भगवद्गीता और माला को डस्टबिन में फेंक दिया। इसके बाद उन्होंने हिंदू देवी-देवता को गाली दी। उनके (सदफ) चप्पल पर गणेश जी भी बने हुए हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्कूल का नाम केंद्रीय विद्यालय-1 है। यह गया शहर के बागेश्वरी रोड पर स्थित है। कक्षा 4 में पढ़ने वाले छात्र की शिकायत पर क्षेत्रीय कार्यालय ने संज्ञान लिया है। स्कूल की प्रभारी प्रिंसिपल अमीना खातून के मुताबिक, “आरोपित टीचर पार्ट टाइम पढ़ाती है। मामले की जाँच सीनियर अधिकारी कर रहे हैं।


इस मामले में गया के इस्कॉन मंदिर के प्रबंधक प्रभु जी का वीडियो भी वायरल हो रहा है। वीडियो में वो कहते दिखाई दे रहे हैं, “गया के केंद्रीय विद्यालय की एक मुस्लिम टीचर ने एक हिन्दू बच्चे का बैग चेक किया। बैग से निकली भगवदगीता को वो डस्टबिन में डाल देती है। फिर उर्दू में हिन्दू देवी-देवताओं को अपमानित करती है। बाद में बच्चे को यह बात किसी को न बताने की धमकी देते हुए कहती है कि अगर किसी को बताया तो चमड़ी उधेड़ दी जाएगी।

जब देश CDS बिपिन रावत जी के शोक में डूबा हुआ था प्रियंका लगा रही थी ठुमके

तमिलनाडु में हुए हादसे के बाद से पूरा देश गम में डूबा हुआ है. बड़े-बड़े नेता से लेकर सामान्य जन सभी सीडीएस जनरल रावत जी की मौत की खबर से दुखी हैं. ऐसी स्थिति में प्रियंका गाँधी के डांस की एक वीडियो सामने आई है जिसे देख लोग भड़क गए हैं. इस वीडियो में वह नाचती-गाती खुशी मनाती दिखाई दे रही हैं. वीडियो को देखने के बाद लोगों ने उनकी मंशा पर सवाल खड़े किए हैं. लोगों का कहना है कि उन्हें देश से कोई मतलब नहीं है.


प्रियंका के ठुमके पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने शहजाद जय हिंद ने कहा कि  “एक ओर पूरा देश हमारे बहादुरों के जाने से रो रहा है. अभी तक सीडीएस बिपिन रावत के अंतिम दर्शन करके पूरे देश की आँखे नम हैं और दूसरी ओर प्रियंका गाँधी हँस रही हैं, नाच रही हैं, जश्न मना रही हैंवो इन चीजों को टाल सकती थींउन्होंने ये नहीं किया जानबूझकर.

ऐसे तमाम बड़े नेता और लोग हैं जो प्रियंका के ठुमके वाले डांस पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. कई लोगों ने यहां तक कहा है कि राष्ट्रीय क्षति पर जब पूरा देश ग़मज़दा हो, दुखी हो, रो रहा हो, तभी गोवा से आ रही जश्न की ये तस्वीरें दिल को कचोटती हैं, देश और वीर सेना के लिए आपकी भावनाओं पर शक पैदा करती हैं!

साथ हीं लोगों ने भी ट्विट्स पर प्रियंका को जमकर खिचाई की है. जिस समय देश के बेटों की अंतिम यात्रा शुरू हुई और पूरा भारत अश्रूपूर्ण श्रद्धांजलि दे रहा था, ठीक उसी समय प्रियंका गाँधी गोवा में खिलखिलाके नाच रही थी ऐसे सवाल उठना लाजमी है.

हालांकी देश में कई ऐसे मौके आयें हैं जब कांग्रेस पार्टी के नेता शहीद सैनिकों का मजाक उड़ाया है. देश में जब 26/11 हुआ था तो राहुल गाँधी रात के वक्त पार्टी मना रहे थे. आज पूरा देश सीडीएस जनरल बिपिन रावत जी के अंतिम संस्कार के चलते शोक और दु:ख में डूबा हुआ था, तो उसी समय भाई के पद्चिह्नों पर चलती हुईं प्रियंका वाड्रा गोवा में डांस कर रही है. इससे भी ज्यादा कुछ शर्मनाक कांग्रेस पार्टी के लिए और क्या हो सकता है.

गोवा विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी प्रियंका गाँधी ने शुक्रवार को गोवा में पहुँचकर आदिवासी महिलाओं के साथ डांस किया. दुखद बात ये है कि उन्होंने ये हरकत उसी समय की जब पूरा देश सीडीएस जनरल बिपिन रावत और अन्य सैन्य अधिकारियों की मौत के कारण गम में था. जब जगह-जगह इस हरकत के लिए उनकी फजीहत हो रही है.