• पहली तीली- संयम (संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देती है)• दूसरी तीली- आरोग्य (निरोगी जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है)• तीसरी तीली- शांति (देश में शांति व्यवस्था कायम रखने की सलाह)• चौथी तीली- त्याग (देश एवं समाज के लिए त्याग की भावना का विकास)• पांचवीं तीली- शील (व्यक्तिगत स्वभाव में शीलता की शिक्षा)• छठवीं तीली- सेवा (देश एवं समाज की सेवा की शिक्षा)• सातवीं तीली- क्षमा (मनुष्य एवं प्राणियों के प्रति क्षमा की भावना)• आठवीं तीली- प्रेम (देश एवं समाज के प्रति प्रेम की भावना)• नौवीं तीली- मैत्री (समाज में मैत्री की भावना)• दसवीं तीली- बन्धुत्व (देश प्रेम एवं बंधुत्व को बढ़ावा देना)• ग्यारहवीं तीली- संगठन (राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत रखना)• बारहवीं तीली- कल्याण (देश व समाज के लिये कल्याणकारी कार्यों में भाग लेना)• तेरहवीं तीली- समृद्धि (देश एवं समाज की समृद्धि में योगदान देना)• चौदहवीं तीली- उद्योग (देश की औद्योगिक प्रगति में सहायता करना)• पंद्रहवीं तीली- सुरक्षा (देश की सुरक्षा के लिए सदैव तैयार रहना)• सौलहवीं तीली- नियम (निजी जिंदगी में नियम संयम से बर्ताव करना)• सत्रहवीं तीली- समता (समता मूलक समाज की स्थापना करना)• अठारहवी तीली- अर्थ (धन का सदुपयोग करना)• उन्नीसवीं तीली- नीति (देश की नीति के प्रति निष्ठा रखना)• बीसवीं तीली- न्याय (सभी के लिए न्याय की बात करना)• इक्कीसवीं तीली- सहकार्य (आपस में मिलजुल कार्य करना)• बाईसवीं तीली- कर्तव्य (अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना)• तेईसवी तीली- अधिकार (अधिकारों का दुरूपयोग न करना)• चौबीसवीं तीली- बुद्धिमत्ता (देश की समृधि के लिए स्वयं का बौद्धिक विकास करना)
!! हम तो आईना हैं दिखायेगें दाग चेहरे का ! जिसे बुरा लगे सामने से हट जाएं !!
06 August 2022
तिरंगे में मौजूद अशोक चक्र के 24 तीलियों का महत्व
राष्ट्रीय ध्वज के अपमान पर दुनिया के देशों में नियम व सजा
01. अमेरिका- एक साल की जेल और 2,000 डॉलर का
02. चीन- तीन साल जेल की सजा और जुर्माना
03. जर्मनी- "निंदा या अपमान" करने पर पांच साल तक की जेल
04. फ़्रांस- 7,500 रुपए का जुर्माना और जुर्म के अनुसार सजा
05. स्पेन- जुर्माना या सात से बारह महीने तक की जेल
06. रूस- एक साल तक की जेल और जुर्माना
07. फिलीपीन- एक वर्ष की सजा और जुर्माना
08. इज़राइल- तीन साल तक की जेल और जुर्माना
09. श्रीलंका- तीन साल तक जेल और जुर्माना या दोनों हो सकता है
भारतीय तिरंगे का प्रोटोकॉल
जब भी राष्ट्र ध्वज फहराया जाए तो उसे
सम्मान के साथ स्थान दिया जाए
सरकारी भवन पर तिरंगा रविवार और अन्य
छुट्टियों के दिनों में भी सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जा सकता है
कुछ खास मौके पर हीं तिरंगे को रात में
फहराया जा सकता है
तिरंगे को फहराते और उतारते समय बिगुल
बजाया जाता है
इस बात का ध्यान रखा जाता है कि तिरंगे
को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए
तिरंगे को किसी अधिकारी की गाड़ी पर
लगाया जाए तो उसे सामने की ओर या कार के दाईं ओर हीं लगाया जाय
फटा या मैला ध्वज नहीं फहराया जाय
तिरंगे को केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर
पर ही आधा झुकाया जाय
तिरंगे का इतिहास
22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने तिरंगे को अपनाया था
पिंगलि वेंकय्या जी ने किया था तिरंगे का डिजाइन
पहले लाल और हरे रंग से बनाया था डिजाइन
बाद में तीन रंगों से तिरंगे को बनाया गया
वर्ष 1921 में महात्मा गांधी ने इसे स्वीकृत किए थे
सफेद पट्टी के बीच में नीले रंग का एक चक्र भी बनाया गया
नीले चक्र में 24 तीलियां हैं
4 तीलियां मनुष्य के 24 गुणों को प्रदर्शित करती है
24 धर्म मार्ग की तुलना अशोक चक्र की 24 तीलियों से की गई हैं
तिरंगे का विरोध करने वाले ग़द्दारों की नागरिकता छिनो, देशविरोधी शफीकुर्रहमान की संसद सदस्यता रद्द करो।
सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने एक
बार फिर से अपने गद्दरी का परिचय दिया है. ‘हर घर तिरंगा’
अभियान पर बर्क
ने अपने बयान से एक बार फिर ऐसा बयान दिया है, जिस पर विवाद हो शुरू हो गया है. लोग सपा सांसद की संसद सदस्यता
रद्द करने की मांग कर रहे हैं. शफीकुर्रहमान कह रहा है कि तिरंगा मुल्क का झंडा है,
इसे मुल्क वाले लगाते हैं लोग अपने घरों पर क्यों लगाएं? शफीकुर्रहमान यही तक नहीं
रुके. इसने आगे ये भी कहा कि हम तिरंगे को मुल्क का झंडा मानते हैं. जिसकी मर्जी
हो वह झंडा लगाए, क्या झंडा लगाने से ही देशभक्ति साबित होगी? तो ऐसे में शफीकुर्रहमान
के बयान से प्रश्न खड़ा होता है कि आखिर फिर ये फिर देश का झंडा किसे मानता है.
क्या शफीकुर्रहमान देश में इस्लामिक झन्डा लगाना चाहता है या पाकिस्तानी ? ये बड़ा
सवाल है जिसे देश पूछ रहा है.
पीएम मोदी के हर घर पर तिरंगा
लहराए जाने की अपील पर संविधान का जिक्र करते हुए सांसद ने कहा कि संविधान में ऐसा
कंपल्सरी तो नहीं है. “संविधान में कहीं भी तिरंगा घरों
पर फहराए जाने को अनिवार्य नहीं किया गया है. फिर इस प्रकार के अभियान की क्या
जरूरत?” सपा सांसद ने इस अभियान को लोकसभा
चुनाव 2024
से जोड़ा. उन्होंने
कहा कि इनकी हर योजना और पॉलिसी में प्रचार होता है, 2024 इन्हें दिखाई दे रहा है.
पीएम मोदी
ने देशवासियों से अपील की थी कि वो 2 से 15 अगस्त के
बीच सोशल मीडिया पर तिरंगे को अपनी प्रोफाइल पिक्चर के रूप में इस्तेमाल करें.
उसके बाद पीएम मोदी के साथ-साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी
अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई बीजेपी नेताओं ने भी अपनी डीपी बदलते हुए तिरंगा लगाया
था. इसके जरिए लोगों को अपने देश के राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान का भाव का विकसित
करने की कोशिश की जा रही है. साथ ही, 75 साल पुरानी
स्वतंत्रता के मायनों को तिरंगे के माध्यम से समझाने का प्रयास किया जा रहा है.
देशभर में इन दिनों आजादी का अमृत महोत्सव चल रहा है. 11 अगस्त से हर घर तिरंगा अभियान शुरू हो रहा है. लोगों से अपने घरों में तिरंगा लगाने की अपीलें की जा रही है. इससे पहले जनसंख्या नियंत्रण कानून पर भी शफीकुर्रहमान बर्क ने विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि बच्चा पैदा करने का ताल्लुक अल्लाह से है, इंसान से नहीं है. अल्लाह बच्चा पैदा करता है तो पालने का भी इंतजाम करता है. साथ हीं शफीकुर्रहमान ने संसद में राष्ट्र गान का भी अपमान कर चुके हैं.
कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
01.हिंदुस्तान गद्दारों को कब तक सहन
करेगा और संभालता रहेगा ?
02.अपने सांसद पर कार्रवाई न करने का मतलब
क्या समाजवादी पार्टी उससे सहमत है ?
03.लोकसभा अध्यक्ष ने अबतक सांसद को नोटिस
तक क्यों नहीं दिया, कार्रवाई कब होगी ?
04.कई मामलों में स्वयं संज्ञान लेने वाले
न्यायालय ने अभी तक इसका संज्ञान क्यों नहीं लिया ?
05.सांसदों ने संसद के अंदर प्रस्ताव लाकर
ग़द्दारी की सज़ा क्यों नहीं दी ?
06.स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के निमित्त
राष्ट्रपति प्रधानमंत्री कार्यालय ने कार्रवाई के आदर्श क्यों नहीं स्थापित किया ?
07.शफीकुर्रहमान और उसके साथियों के
विरुद्ध मीडिया आवाज़ क्यों नहीं उठा रहा ?
08.क्या देशद्रोह के क़ानून को अधिक सशक्त
करने का समय नहीं आया है ?
09.क्या नागरिकता छीनने के लिए इससे अधिक सशक्त
कारण कोई चाहिए ?
10.क्या 76वें वर्षों की यात्रा हम ऐसे ग़द्दारों के साथ आगे बताएंगे ?
कौन है शफीकुर्रहमान ?
शफीकुर्रहमान समाजवादी पार्टी के
लोकसभा सांसद हैं
2019 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर संभल
से चुनाव जीते
मुरादाबाद से भी कई बार लोकसभा के लिए
चुने जा चुके हैं
समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप
में तीन बार संसद सदस्य रहे हैं
2008 में बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो
गए थे
फरवरी 2014 में समाजवादी पार्टी में शामिल हुए
क्या जिहादी तय करेंगे जिलाधिकारी ? जिहादी झुंड के आगे क्यों झुकी केरल सरकार ?
केरल के अलाप्पुझा जिला कलेक्टर
के रूप में नियुक्त हुए आईएएस अधिकारी श्रीराम वेंकटरमन का जिहादियों ने जमकर
विरोध किया. इस जिहादी विरोध के आगे केरल सरकार झुक गई. विरोध के बाद श्रीराम
वेंकटरमन को पद से हटा दिया गया. केरल सरकार ने मुस्लिम संगठनों के विरोध के आगे
घुटने टेकते हुए अब उन्हें नागरिक आपूर्ति निगम का महाप्रबंधक नियुक्त किया है. वहीं सरकार द्वारा अलाप्पुझा
में उनके स्थानांतरण से पहले वेंकटरमन केरल चिकित्सा सेवा निगम के प्रबंध निदेशक
के रूप में कार्यरत थे.
केरल बीजेपी ने कहा है कि “देश के इतिहास में पहली बार किसी
जिला कलेक्टर को उनके पद से सिर्फ इसलिए हटाया गया है क्योंकि मुस्लिम आबादी ने
उनका विरोध किया था. यह बहुप्रशंसित धर्मनिरपेक्ष केरल में हुआ है. CM पिनराई विजयन ने इस्लामी ताकतों
के सामने पूरी तरह से आत्मसमर्पण कर दिया है.”
इससे पहले भी मुस्लिम संगठनों ने
श्रीराम वेंकटरमन को अलाप्पुझा के जिला कलेक्टर के रूप में नियुक्त करने के खिलाफ
राज्य भर में विरोध मार्च निकाला था. अब उन्हें हटा दिया गया है. यह प्रदर्शन
सुन्नी समूह से जुड़े कई मुस्लिम संगठनों ने आयोजित किया था. यह प्रदर्शन केएम
बशीर नाम के पत्रकार की मौत के आरोप में श्रीराम वेंकटरमण की अलाप्पुझा जिला
कलेक्टर के रूप में नियुक्ति के खिलाफ तिरुवनंतपुरम में राज्य सचिवालय और सभी जिला
कलेक्ट्रेट के सामने शुरू हुआ था. केरल में भारी विरोध के बाद जिहादियों के आगे पिनराई
विजयन सरकार ने घुटने टेक दिए.
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने
शुरू में आईएएस ऑफिसर श्रीराम वेंकटरमन की अलाप्पुझा जिला कलेक्टर के रूप में
नियुक्ति को सही ठहराते हुए बचाव किया था. लेकिन भारी दबाव और विरोध प्रदर्शन को
देखते हुए अब उन्होंने अपना फैसला बदल दिया.
श्रीराम पर नशे में गाड़ी चलाने
का आरोप था. जिसके कारण 2019
में एक
पत्रकार केएम बशीर की मौत हो गई थी. दिया था। हालाँकि, तब उन्हें तब राज्य सरकार ने
निलंबित कर दिया था. वहीं इस मामले में उन्हें प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट कोर्ट ने
अक्टूबर 2020
में जमानत
दे दी थी. बाद में श्रीराम को मार्च 2020 में सरकार द्वारा सेवा में वापस बहाल कर दिया
गया और स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय विभाग में संयुक्त सचिव बना दिया गया.
1 अगस्त 2022- आईएएस अधिकारी श्रीराम वेंकटरमन का
जिहादियों के दबाव में तबादला
केरल के अलाप्पुझा जिला कलेक्टर
के रूप में नियुक्त हुए थे श्रीराम वेंकटरमन
27 जुलाई 2013- तत्कालीन समाजवादी
पार्टी की सरकार ने आनन-फानन में जिहादियों के दबाव में दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित
कर दिया था
आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल ने अवैध
रूप से बनाई गई मस्जिद की दीवार को गिरवा दिया था
जैसलमेर
के तत्कालीन एसपी पंकज चौधरी का तबादला कांग्रेस सरकार के कैबिनेट मंत्री सालेह
मोहम्मद ने करवा दिया था
आईपीएस पंकज चौधरी ने हिस्ट्रीशीटर जिहादियों
के फाइल खोले थे, जिहादी लगातार दबाव बना रहे थे
6
जनवरी 2022- आर्यन खान मामले की जांच करने वाले एनसीबी के अधिकारी समीर वानखेड़े का
तबादला
शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को एनसीबी ने ड्रग
केस में गिरफ्त में लिया था
अमेरिका ने अपने दुश्मनों को मारा, हम कब मारेंगे ?
अमेरिका ने अपने दुश्मन
नंबर वन अलकायदा का सरगना अयमान अल जवाहिरी को काबुल एयर स्ट्राइक कर मारा गिराया
है. अल जवाहिरी को मारने के बाद अमेरिका पूरी दुनियां में सुर्खियां बटोर रहा है. अमेरिकी
अधिकारियों ने कहा है कि 2011
में लादेन के मारे जाने के बाद यह अलकायदा के
लिए सबसे बड़ा झटका है. अल जवाहिरी के ऊपर 25 मिलियन डॉलर का ईनाम भी अमेरिका ने घोषित किया था. ऐसे में अब हिंदुस्तान
में भी ये मांग उठने लगी है कि भारत अपने देश के दुश्मनों को कब मारेगा ?
राष्ट्रपति बायडेन ने कहा कि “शनिवार को मेरे निर्देशों पर अमेरिका ने अफगानिस्तान के काबुल में सफलतापूर्वक एयर स्ट्राइक की, जिसमें अलकायदा का अयमान अल जवाहिरी मारा गया. अमेरिका को अब न्याय मिल गया है.” बायडेन ने कहा कि “अमेरिका अपने नागरिकों की रक्षा करेगा और जो भी हमें नुकसान पहुँचाएगा उनके खिलाफ अपने क्षमता का प्रदर्शन करेगा. आज हमने साफ कर दिया है कि इससे मतलब नहीं है कि कितना समय लगा या तुम कहा छिपे, अगर तुम लोगों के लिए खतरा हो तो अमेरिका तुम्हें ढूँढ के मार डालेगा.”
अमेरिका के सर्विलांस ने अल
जवाहिरी को घर के बालकोनी में देखा था. इसके बाद अमेरिका ने कन्फर्म करके प्लॉनिंग
के साथ उसे अल जवाहिरी को मार डाला. अमेरिका ने ये सुनिश्चित किया कि जिस समय वह
जवाहिरी पर हमला बोलें उस समय जवाहिरी के परिवार को कोई नुकसान न पहुँचे, इसलिए उसने हेल फायर जैसी मिसाइल
का प्रयोग किया,
जिसने घर
में सीधे जवाहिरी को टारगेट किया गया.
अलकायदा का सरगना अल जवाहिरी वही खूँखार आतंकी था जिसने 11 सितंबर 2001 के हमलों में 4 विमानों को हाइजैक करने में मदद की थी. इन्हीं चार जहाजों में 2 वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दोनों टॉवर्स से टकराए थे और तीसरे को विमान अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन से टकराया गया था. चौथा जहाज शेंकविले के एक खेत में क्रैश हुआ था. इस घटना में लगभग 3 हजार से ज्यादा लोग मरे थे.
इसके अलावा जवाहिरी ने समय-समय पर भारतीय मुस्लिमों को भी भड़काने का काम किया था. वह कहता था कि भारतीय मुस्लिम हथियार इकट्ठा करके जिहाद छेड़ें. इतना ही नहीं भारत में हिजाब विवाद के समय उसने बुर्के वाली लड़की की शान में कविता भी पढ़ी थी.
कुछ महत्वपूर्ण सवाल
01.अमेरिका अपने दुश्मनों को चुन-चुन कर
मारता है, तो हिंदुस्थान क्यों नहीं ?
02.इजराइल अपने दुश्मनों को चुन-चुन कर
मारता है, तो हिंदुस्थान क्यों नहीं ?
03.अमेरिका- इजराइल के पास हिंदुस्थान से
क्या अधिक है जो हमारे पास नहीं है ?
04.हम भी निर्णय करें तो क्यों नहीं कर
सकते ?
05.हमारे दुश्मनों को भी यह कड़ा संदेश जाएगा
तो हमारे दुश्मन कम नहीं होंगे क्या ?
06.हमारा प्रतिशोध का अतीत हमारे सरकारी
तंत्र में क्यों नहीं ?
07.क्या लाखों वर्षों बाद भी रावण को हम
सज़ा नहीं देते ?
8. हमारे महावीर महा योद्धा की परम्परा
को आगे बढ़ाने से कौन रोकता है ?
08.विकास का रास्ता अपनाने वाला हिन्दुस्थान
यह उच्च आत्मविश्वास कब स्वीकार करेगा ?
09.क्या स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में यह नया रास्ता अपनाकर हम अपने नई पीढ़ी को नया हिन्दुस्थान नहीं दे सकते ?
बड़े आतंकी जिसे अमेरिका ने मारा
02 अगस्त
2022- काबुल में एयर स्ट्राइक कर अयमान
अल जवाहिरी को मार गिराया
25 मिलियन डॉलर का ईनाम भी अमेरिका
ने घोषित किया था
2
मई 2011- पाकिस्तान के एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मौत के घाट उतारा
10 साल बाद लिया अपने
दुश्मन से 9/11 का बदला
30 दिसंबर 2006- इराक़ के कट्टरपंथी सद्दाम हुसैन को 30 दिसंबर को सजा मिली
1. मौलाना
मसूद अजहर- जैश-ए-मोहम्मद के सरगना
2. हाफिज सईद- पाकिस्तान का एक कट्टरपंथी
आतंकवादी
3. दाऊद
इब्राहिम- भारत का सबसे बड़ा दुश्मन और अंडरवर्ल्ड डॉन
4. साजिद मीर- साल 2008 में हुए मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड
5. यूसुफ मुजम्मिल- भारत के दुश्मनों में
से एक
6. अब्दुल रहमान मक्की- 26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड और आतंकी संगठन जमात-उद-दावा का
सदस्य
7. सैयद सलाहुद्दीन- आतंकी संगठन हिजबुल का मुखिया
सरकारी स्कूलों में शुक्रवार को जुम्मे की छुट्टी!
मुस्लिम बहुल इलाकों के स्कूलों
में शुक्रवार को छुट्टी दिए जाने की बात सामने आने के बाद बिहार सरकार ने रिपोर्ट
तलब की है. सरकार में साझीदार भाजपा की माँग है कि पूरे बिहार में एक समान
छुट्टी होनी चाहिए. इस माँग से NDA
में शामिल JDU और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा
(सेक्युलर) सहमत नहीं हैं और वो ‘परम्परा
और मिसाल’
नाम पर
वर्तमान हालात बनाए रखना चाहते हैं.
JDU नेता विजय कुमार चौधरी ने ऐसे
स्कूलों की लिस्ट मँगाई है. मंत्री ने कहा कि हमें जानकारी मिलते ही हमने रिपोर्ट
तलब की और अधिकारियों से जवाब माँगा है. विभाग के अधिकारियों ने भी इस बावत मौखिक
आदेश मिलने की पुष्टि की है. कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि बिहार के
पूर्णिया,
किशनगंज, कटिहार और अररिया के लगभग 500 सरकारी स्कूलों में शुक्रवार को
साप्ताहिक अवकाश होता है. ये जिले बिहार के मुस्लिम बहुल जिले माने जाते हैं.
बिहार की
कुल आबादी में मुस्लिम लगभग 17 % हैं. सबसे
अधिक मुस्लिम आबादी किशनगंज जिले में
है,
जहाँ लगभग 67% मुस्लिम
बताए जाते हैं. इसके बाद कटिहार, अररिया और पूर्णिया का नंबर आता
है,
जहाँ
मुस्लिम आबादी 40 से 50% के बीच
बताई जाती है. बिहार में सरकारी स्कूलों की कुल संख्या लगभग 75,000
है. इसमें
पूर्णिया में लगभग 200, अररिया में 229, कटिहार में
100
और किशनगंज
के लगभग 37
स्कूलों
में रविवार के बजाय शुक्रवार की छुट्टी होने की बात सामने आई है.
मगर यहां सवाल ये है कि सिर्फ इसकी जाँच क्यों हो रही है. इस तरह के इस्लामिक कट्टरपंथियों के दबाव में लिए गए फैसले तत्काल प्रभाव से रद्द क्यों नहीं कर दिया जाता है. घटना सामने आने के बाद से लगातार हिन्दू समाज इसे बदलने की मांग कर रहा है. पिछले कुछ दिनों में इस तरह की और भी घटनाएं सामने आई जिसमे बिहार सहित, झारखण्ड, और उत्तराखंड राज्य शामिल हैं.
कुछ माहत्वपूर्ण सवाल
01.सरकारी स्कूल में जुम्मे की छुट्टी क्या
हिन्दू छात्रों के संवैधानिक अधिकारों का उलंघन नहीं है ?
02.मुस्लिम बहुल इलाकों के स्कूलों में शुक्रवार को छुट्टी किसके आदेश
पर दिया जा रहा है ?
03.बिना आदेश के छुट्टी के बारे में जिला शिक्षा अधिकारी और राज्य शिक्षा
विभाग को इसकी भनक क्यों नहीं लगी ?
04.बिहार सरकार रिपोर्ट तलब करने के बजाय दोषियों पर कार्रवाई क्यों
नहीं कर रही रही ?
05.JDU
और
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा इसका समर्थन क्यों कर रही हैं ?
06.‘परम्परा और मिसाल’ के
नाम पर JDU
इस्लामिक कल्चर को क्यों बढ़ावा दे रही है ?
07.इस घटना के बाद जिहादी अन्य राज्यों में भी स्कूलों को शुक्रवार के
दिन बंद करवा रहे हैं, इसपर कैसे रोक लगेगी ?
0 8.सरकार
इस नासूर को ख़त्म करने के बजाय, वोट बैंक की चश्मे से क्यों देख रही है ?
0 9. झारखण्ड
और उत्तराखंड में भी ऐसा हीं हो रहा है, मगर वहां अबतक कोई रिपोर्ट तलब क्यों नहीं
हुई ?
गद्दारों की नागरिकता छिनने का इजरायली फॉर्मूला हिंदुस्थान में लागू करो।
कर्नाटक में भारतीय जनता युवा मोर्चे के जिला सचिव
प्रवीण नेट्टारू की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई. दुकान बंद कर घर लौटते वक्त
उन पर धारदार हथियारों से वार किया गया. हत्या के पीछे PFI का नाम सामने आ रहा है. प्रवीण की इस तरह से हुई हत्या
पर भाजपा कार्यकताओं सहित देशभर के लोगों में गुस्सा और आक्रोश है. साथ हीं अब ये
मांग भी उठने लगी है कि बार-बार हिंसक घटनाओं में नाम आने के बाद भी PFI को बैन क्यों नहीं किया जाता है.
इजरायल के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, देश में आतंकवाद, जासूसी या राजद्रोह सहित देश के प्रति ‘वफादारी का उल्लंघन’ करने वाले व्यक्तियों की नागरिकता को रद्द किया जाएगा. कोर्ट के इस कड़े के बाद से मानवाधिकार संगठनों के भी कान खड़े हो गए हैं. ये फैसला इजरायल में 2008 के नागरिकता कानून को संसोधित कर बनाया गया था. इसमें राज्य को ‘वफादारी का उल्लंघन’ करने वाले कार्यों के आधार पर नागरिकता रद्द करने का अधिकार दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला इजरायल के दो
फिलिस्तीनी नागरिकों के मामलों में अलग-अलग अपीलों के बाद आया था. साथ हीं उन्हें इजरायली नागरिकों पर हमलों को अंजाम
देने का दोषी ठहराया गया था.
ऐसे में अब भारत में भी ये मांग उठने
लगी है कि गद्दारों की नागरिकता छिनने का इजरायली फॉर्मूला को लागू किया जाय. ऐसे
तो में नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा-9 पहले से हीं लागू है, इसके तहत किसी भी
नागरिक की नागरिकता वापस ली जा सकती है.
मगर कोर्ट और कानून का जाल कुछ ऐसा है कि इस सही तरीके से इस्तेमाल नहीं हो
पाता है.
इजरायल के सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मुस्लिमों के लिए काम करने वाले संगठनों की दुकानें बंद होने का डर सता रहा है. दुनिया के कई देशों में ऐसे कानून हैं, जिनके जरिए किसी विशेष मामले में दोषी पाए जाने पर व्यक्ति की नागरिकता को खत्म करने की इजाजत है. वहीँ अंतरराष्ट्रीय कानून किसी देश की सरकार को उसके नागरिकों की नागरिकता की स्थिति को रद्द करने से रोकता है. मगर इजरायल के इस फैसले के बाद अब ये मांग भारत में भी तेज़ गई है नागरिकता कानून और संवैधानिक प्रावधानों को कठोरता से गद्दारों और देशद्रोहियों पर लागू किया जाय.
भारत में नागरिकता देने का कानून
भारत
का संविधान लागू होने यानी कि 26 जनवरी, 1950
के बाद भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति
1
जुलाई 1987 के बाद भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति भारत का नागरिक है, यदि उसके जन्म के समय उसके माता या
पिता (दोनों में से कोई एक) भारत के नागरिक थे
व्यक्ति
का जन्म अगर भारत के बाहर हुआ हो तो उसके जन्म के समय उसके माता या पिता में से
कोई एक भारत का नागरिक होना चाहिए
जिसकी
शादी किसी भारतीय नागरिक से हुई हो और वो नागरिकता के आवेदन करने से पहले कम से कम
सात साल तक भारत में रह चुका हो
राष्ट्रमंडल
के सदस्य देशों के नागरिक जो भारत में रहते हों या भारत सरकार की नौकरी कर रहें
हों
भारत में नागरिकता वापस लेने का कानून
भारत में नागरिकता अधिनियम 1955 की
धारा-9 पहले से हीं लागू है
इसके तहत किसी भी नागरिक की नागरिकता
वापस ली जा सकती है
शर्तें: नागरिक जो 7 वर्षों से लगातार भारत
से बाहर रह रहा हो
ये साबित हो जाए कि व्यक्ति ने अवैध
तरीक़े से भारतीय नागरिकता प्राप्त की
यदि कोई व्यक्ति देश विरोधी गतिविधियों
में शामिल हो
यदि व्यक्ति भारतीय संविधान का अनादर करे
BJP नेता प्रवीण नेट्टारू की हत्या पर आक्रोश, कार्यकर्ताओं के इस्तीफे का संदेश क्या ?
कर्नाटक में भारतीय जनता युवा मोर्चे के जिला सचिव प्रवीण नेट्टारू की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई. दुकान बंद कर घर लौटते वक्त उन पर धारदार हथियारों से वार किया गया. हत्या के पीछे PFI का नाम सामने आ रहा है. प्रवीण की इस तरह से हुई हत्या पर भाजपा कार्यकताओं सहित देशभर के लोगों में गुस्सा और आक्रोश है. साथ हीं अब ये मांग भी उठने लगी है कि बार-बार हिंसक घटनाओं में नाम आने के बाद भी PFI को बैन क्यों नहीं किया जाता है.
हम
गर्व से कहते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. लोकतंत्र मतलब जहां
सभी अपनी बात बिना डरे कह सकते हों. लेकिन क्या वाकई ऐसा है? ये सवाल हम इसलिए पूछ रहे हैं, क्योंकि कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में बीजेपी के 32 साल के युवा नेता प्रवीण नेट्टारू की मंगलवार को हत्या कर
दी गई. प्रवीण ने 29 जून
को राजस्थान में मारे गए कन्हैयालाल की हत्या के विरोध में सोशल मीडिया पर एक
पोस्ट लिखी थी और एक महीने के अंदर ही उन्हें दर्दनाक मौत दे दी गई.
इस हत्या से सवाल खड़ा होता है कि हिन्दुस्तान में किसी के समर्थन में हम और आप क्या लिख भी नहीं सकते? क्या भारत में नूपुर शर्मा और कन्हैया लाल का समर्थन करने वालों का हश्र अब यही होगा? यानी कोई भी व्यक्ति जो नूपुर शर्मा या कन्हैयालाल का समर्थन करेगा, तो उसकी क्रूर हत्या कर दी जाएगी? आज ये सवाल पूरा देश पूछ रहा है. स्थानीय कार्यकर्ताओं में इतना आक्रोश है कि वो अपना इस्तीफा पार्टी पदाधिकारियों को सौप रहे हैं.
प्रवीण नेट्टारू ने अपनी पोस्ट में लिखा था - राष्ट्रवादी विचारधारा का समर्थन करने पर कन्हैयालाल की खुलेआम हत्या कर दी गई. उनकी हत्या का वीडियो भी बनाया. जब इन हत्यारों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना अगला निशाना बताया तब धर्मनिरपेक्षता का दिखावा करने वाले लोग कहां थे? क्या अब आप अपनी जुबान नहीं हिलाएंगे? क्या उस बेचारे पर आपको दया नहीं आई?
इस पोस्ट को पढ़कर ये समझ में आता है कि प्रवीण नेट्टारू, कन्हैया लाल की हत्या से बहुत दुखी और नाराज
थे. वो धर्मनिरपेक्षता का ड्रामा करने वालों से सवाल पूछ रहे थे. उन्हें आइना दिखा
रहे थे. लेकिन इस फेसबुक पोस्ट की वजह से उन्हें भी कन्हैयालाल की तरह अपनी जान
गंवानी पड़ी.
पुलिस के मुताबिक दक्षिण कन्नड़ जिले के बेल्लारे इलाके में प्रवीण की पोल्ट्री की दुकान है. मंगलवार को जब प्रवीण दुकान बंद कर घर लौट रहे थे, तभी बाइक पर कुछ लोग आए. तीनों बदमाशों के चेहरे नकाब और मास्क से ढके हुए थे. तीनों के हाथों में धारदार हथियार लहरा रहे थे. तीनों ने उतरकर सबसे पहले प्रवीण को रोका. इससे पहले प्रवीण कुछ समझ पाते, तीनों ने उन पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया. प्रवीण को बुरी तरह से जख्मी करने के बाद वो तीनों बदमाश जिस मोटरसाइकिल से आए थे, उसी पर सवार होकर अंधेरे में फरार हो गए.
अब तक पुलिस को सुराग के नाम पर सिर्फ एक बाइक मिली है.. इसके बारे में कुछ चश्मदीदों का दावा है कि ये केरल की है. वहीं अब तक 9 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है. बड़ी बात ये है कि इस हत्या के पीछे पीएफआई और एसडीपीआई का हाथ होने का शक जताया जा रहा है.
कुछ महत्वपूर्ण सवाल
01.कर्नाटक
में BJP युवा
मोर्चे के जिला सचिव की निर्मम हत्या से क्या सन्देश मिला ?
02. प्रवीण
की हत्या में भी PFI का
नाम सामने आ रहा है, फिर भी अबतक बैन क्यों नहीं हुआ ?
03. प्रवीण
की हत्या के बाद भाजपा कार्यकर्त्ता इस्तीफा क्यों दे रहे हैं ?
04. हत्या के बाद पार्टी के अन्दर कार्यकर्ताओं में जो गुस्सा और आक्रोश है उसे BJP कैसे रोकेगी ?
05. प्रवीण
ने कन्हैयालाल की हत्या के विरोध में सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखी, तो हत्या हो गई ?
कहां है संविधान के मौलिक अधिकार ?
06.
सरकार जिहादी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही है ?
07.
हिन्दुओं की हत्याओं का ये सिलसिला कब और कहां जाकर थमेगा ?
08. अबतक
हत्यारों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया ?
09. जब
राज्य में सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्त्ता सुरक्षित नहीं हैं, तो आम हिन्दू कैसे
सुरक्षित रहेगा ?
10. जिहाद का स्थाई समाधान कब और कैसे होगा इसपर हिन्दू क्यों नहीं सोच रहा है ?