31 May 2022

देशभर में हिन्दू मंदिरों को ध्वस्त कर बनाई गई मस्जिदें-मजार राज्यवार सूची

आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश में 142 हिन्दू मंदिरों को तोड़ कर अवैध मस्जिदें बनाई गई है।

कदिरी में जामी मस्जिद।

पेनुकोंडा में अनंतपुर शेर खान मस्जिद।

बाबया दरगाह पेनुकोंडा- इवारा मंदिर को तोड़कर बनाया गया।

तदपत्री में ईदगाह।

गुंडलाकुंटा में दतगिरी दरगाह।

दतगिरी दरगाह- जनलापल्ले में जंगम मंदिर के ऊपर बनाया गया है।

हैदराबाद के अलियाबाद में मुमिन चुप की दरगाह-  इसे 1322 में एक मंदिर की जगह पर बनाया गया था।

राजामुंदरी में जामी मस्जिद- इसका निर्माण 1324 में वेणुगोपालस्वामी मंदिर को नष्ट करके किया गया था। 


असम

पोआ मस्जिद- सुल्तान गयासुद्दीन बलबन की मजार- ये दोनों कामरूप जिले के हाजो के मंदिरों की जगह पर आज भी मौजदू हैं।

 

पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल में 102 जगहों पर मस्जिदें, किले और दरगाह हैं, जिन्हें मुस्लिम शासकों ने मंदिर को नष्ट करके बनाया था।

लोकपुरा की गाजी इस्माइल मजार- वेणुगोपाल मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी।

बीरभूम सियान में मखदूम शाह दरगाह को बनाने के लिए मंदिर की सामग्री का उपयोग किया गया था।

सुता में सैय्यद शाह शाहिद महमूद बहमनी दरगाह- बौद्ध मंदिर की सामग्री से बनाया गया था।

बनिया पुकुर में 1342 में बनाई गई अलाउद-दीन अलौल हक़ मस्जिद- मंदिर की सामग्री का इस्तेमाल करके बनाया गया था।

 

बिहार

बिहार में कुल 77 जगहों पर मंदिर को नष्ट करके या फिर उसकी सामग्री का उपयोग करके मस्जिदों, मुस्लिम संरचनाओं, किलों आदि को बनाया गया था।

भागलपुर- हजरत शाहबाज की दरगाह 1502 में मंदिर की जगह पर बनाई गई थी।

चंपानगर- जैन मंदिरों को नष्ट कर कई मजारों का निर्माण कराया गया था।

मुंगेर- अमोलझोरी में मुस्लिम कब्रिस्तान एक विष्णु मंदिर की जगह पर बनाया गया था।

गया- नादरगंज में शाही मस्जिद 1617 में एक मंदिर की जगह पर बनाई गई थी।

नालंदा- 1380 में मखदुमुल मुल्क शरीफुद्दीन की दरगाह, बड़ा दरगाह, छोटा दरगाह और अन्य शामिल हैं।

पटना- शाह जुम्मन मदारिया की दरगाह एक मंदिर की जगह पर बनाई गई थी।

शाह मुर मंसूर की दरगाह, शाह अरज़ानी की दरगाह, पीर दमरिया की दरगाह भी बौद्ध स्थलों पर बनाई गई थीं।

 

दिल्ली

यहां कुल 72 जगहों पर मुस्लिम आक्रमणकारियों ने सात शहरों का निर्माण करने के लिए इंद्रप्रस्थ और ढिलिका को नष्ट कर दिया था।

मंदिर की सामग्री का उपयोग कई स्मारकों, मस्जिदों, मजारों और अन्य संरचनाओं में किया गया।

कुतुब मीनार, कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद (1198)

शम्सूद-दीन इल्तुतमिश का मकबरा, जहाज़ महल, अलल दरवाजा, अलल मीनार, मदरसा और अलाउद-दीन खिलजी का मकबरा और माधी मस्जिद शामिल हैं।

 

गुजरात

गुजरात की 170 ऐसी जगहों पर मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई हैं।

असवल, पाटन और चंद्रावती के मंदिरों को नष्ट कर इनकी सामग्री का उपयोग अहमदाबाद को एक मुस्लिम शहर बनाने के लिए किया गया था।

अहमदाबाद में मंदिर सामग्री का उपयोग करने वाले जो स्मारक बनाए गए हैं, वह हैं- अहमद शाह की जामी मस्जिद, हैबिट खान की मस्जिद।

ढोलका जिले में बहलोल खान की मस्जिद और बरकत शहीद की मजार भी मंदिरों को ध्वस्त करके बनाई गई थी।

सरखेज में, शेख अहमद खट्टू गंज बक्स की दरगाह 1445 में मंदिर की सामग्री का उपयोग करके बनाई गई थी।

1321 में भरूच में हिंदू और जैन मंदिरों के विध्वंस के बाद जो सामग्री इकट्ठा हुई थी। उसका उपयोग करके जामी मस्जिद का निर्माण किया गया था।

भावनगर में बोटाद में पीर हमीर खान की मजार एक मंदिर की जग​ह पर बनाई गई थी।

1473 में द्वारका में एक मंदिर के स्थल पर मस्जिद का निर्माण किया गया था।

भुज में जामी मस्जिद और बाबा गुरु के गुंबद मंदिर के स्थान पर बनाए गए थे।

जैन समुदाय के लोगों को रांदेर से निकाल दिया गया और मंदिरों की जगह मस्जिद बना दी गई थीं।

सोमनाथ पाटन में बाजार मस्जिद, चाँदनी मस्जिद और काजी की मस्जिद भी मंदिर के स्थानों पर बनाई गई थी।


दीव

दीव में जो जामी मस्जिद है, उसका निर्माण 1404 में किया गया था। इसे भी एक मंदिर को तोड़कर बनाया गया था।


हरियाणा

हरियाणा में कुल 77 स्थलों पर मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है।

पिंजौर और अंबाला में मंदिर की सामग्री का उपयोग फिदई खान के बगीचे के निर्माण में किया गया था।

फरीदाबाद में जामी मस्जिद 1605 में एक मंदिर के स्थान पर बनाई गई है।

नूंह में मंदिर की सामग्री का उपयोग करके 1392 में एक मस्जिद का निर्माण किया गया था।

बावल में मस्जिदें और गुरुग्राम जिले के फर्रुखनगर में जामी मस्जिद मंदिर के स्थान पर बनाई गई हैं।

कैथल में बल्ख के शेख सलाह-दीन अबुल मुहम्मद की दरगाह 1246 में मंदिर की सामग्री का उपयोग करके बनाई गई थी।

कुरुक्षेत्र में टीले पर मदरसा और झज्जर में काली मस्जिद मंदिर स्थलों पर बनाई गई थी।

हिसार का निर्माण फिरोज शाह तुगलक ने अग्रोहा से लाई गई मंदिर सामग्री का उपयोग करके किया था।

अग्रोहा शहर का निर्माण भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज महाराजा अग्रसेन ने करवाया था।

महाराजा अग्रसेन का जन्म भगवान राम के बाद 35वीं पीढ़ी में हुआ था। 1192 में मुहम्मद गौरी ने इस शहर को नष्ट कर दिया था।

 

हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, यहाँ मंदिर सामग्री का उपयोग करके जहाँगीरी गेट बनाया गया था।

 

कर्नाटक

कर्नाटक में कुल 192 स्थान हैं। बेंगलुरु के डोड्डा बल्लापुर में अजोधन की मुहिउद-दीन चिश्ती की दरगाह मंदिर की सामग्री का उपयोग करके बनाई गई थी।

कुदाची में मखदूम शाह की दरगाह और शेख मुहम्मद सिराजुद-दीन पिरदादी की मजार भी मंदिर की जगह पर बनाई गई थी।

हम्पी के विजयनगर में मस्जिद और ईदगाह भी मंदिर की सामग्री का उपयोग करके बनाए गए थे।

सोला खंबा मस्जिद, जामी मस्जिद, मुख्तार खान की मस्जिद मंदिर के स्थान पर बनाई गई थीं और कुछ में मंदिर की सामग्री का इस्तेमाल भी किया गया था।

जामी मस्जिद, महला शाहपुर में मंदिर के स्थान पर आज भी मस्जिद मौजूद हैं।

बीजापुर एक प्राचीन हिंदू शहर हुआ करता था, लेकिन इसे एक मुस्लिम राजधानी में तब्दील कर दिया गया था।

जामी मस्जिद, करीमुद-दीन की मस्जिद, छोटा मस्जिद, आदि मंदिर स्थलों पर बनाए गए थे या मंदिर सामग्री का इस्तेमाल किया गया था।

टोन्नूर, मैसूर में सैय्यद सालार मसूद की मजार मंदिर की सामग्री का उपयोग करके बनाई गई थी।

 

केरल

केरल की दो जगहों का उल्लेख किया गया है। पहला कोल्लम में जामी मस्जिद और दूसरा पालघाट में टीपू सुल्तान द्वारा बनाए गए किले का, जिसमें मंदिर की सामग्री का उपयोग किया गया था।

 

लक्षद्वीप

लक्षद्वीप में दो जगहों के बारे में बताया गया है। कल्पेनी में मुहिउद-दीन-पल्ली मस्जिद और कवरती में प्रोट-पल्ली मस्जिद भी मंदिर के स्थान पर बनाई गई है। यह सर्वविदित है कि लक्षद्वीप में अब 100% के आसपास मुस्लिम हैं।

 

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के 151 स्थलों पर मंदिर को तोड़ कर मस्जिद बनाई गई है, भोपाल में कुदसिया बेगम द्वारा जामी मस्जिद का निर्माण किया गया था, जहाँ कभी सभामंडल मंदिर हुआ करता था।

दमोह में गाजी मियां की दरगाह भी पहले एक मंदिर ही था।

धार राजा भोज परमार की राजधानी हुआ करती थी। इसे भी मुस्लिम राजधानी में बदल दिया गया।

कमल मौला मस्जिद, लाट की मस्जिद, अदबुल्लाह शाह चंगल की मजार आदि का निर्माण मंदिर की जगह पर या ​फिर उनकी सामग्री का इस्तेमाल करके बनाया गया है।

मांडू एक प्राचीन हिंदू शहर था। इसे भी मुस्लिम राजधानी में भी बदल दिया गया था।

जामी मस्जिद, दिलावर खान की मस्जिद, छोटी जामी मस्जिद आदि का निर्माण मंदिर के स्थानों पर किया गया है।

चंदेरी को भी मंदिर की सामग्री का उपयोग करके बनाया गया था। मोती मस्जिद, जामी मस्जिद और अन्य संरचनाओं में भी मंदिर की सामग्री का इस्तेमाल किया गया था।

ग्वालियर में, मुहम्मद गौस की दरगाह, जामी मस्जिद और गणेश द्वार के पास मस्जिद मंदिर स्थलों पर बनाई गई थी।

 

महाराष्ट्र

किताब में महाराष्ट्र के 143 स्थलों के बारे में बात की गई है।

अहमदनगर में अम्बा जोगी किले में मंदिर की सामग्री का इस्तेमाल किया गया था।

गॉग में ईदगाह, जिसे 1395 में बनाया गया था, यह भी एक मंदिर के स्थान पर बना है।

अकोट की जामी मस्जिद 1667 में एक मंदिर के स्थल पर बनाई गई थी।

करंज में अस्तान मस्जिद 1659 में एक मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी।

रीतपुर में औरंगजेब की जामी मस्जिद मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी।

हजरत बुरहानुद्दीन-दीन गरीब चिश्ती की दरगाह खुल्दाबाद में एक मंदिर स्थल पर 1339 में बनाई गई थी।

मैना हज्जम की मजार मुंबई में महालक्ष्मी मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी।

मुंबई में जामी मस्जिद एक मंदिर स्थल पर बनाई गई थी।

परंदा में तलाब के पास नमाजगाह का निर्माण मनकेवरा मंदिर को ध्वस्त करके किया गया था।

लातूर में, मीनापुरी माता मंदिर को मबसू साहिब की दरगाह में बदल दिया गया था, सोमवारा मंदिर को सैय्यद कादिरी की दरगाह में बदल दिया गया था।

रामचंद्र मंदिर को पौनार की कादिमी मस्जिद में बदल दिया गया था।

 

ओडिशा

ओडिशा में 12 ऐसी जगह हैं, जहाँ मंदिरों को तोड़कर उसके स्थान पर मस्जिद, दरगाह और मजार बनाई गई है।

बालेश्वर में महल्ला सुन्नत में जामी मस्जिद श्री चंडी मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी।

शाही मस्जिद और कटक में उड़िया बाजार की मस्जिदों के साथ-साथ केंद्रपाड़ा में एक मस्जिद को मंदिर को तोड़कर बनाया गया था।

 

पंजाब

बाबा हाजी रतन की मजार बठिंडा में एक मंदिर को तोड़कर बनाई गई है।

जालंधर के सुल्तानपुर की बादशाही सराय बौद्ध विहार के स्थान पर बनी हुई है।

लुधियाना में अली सरमस्त की मस्जिद भी एक मंदिर के स्थान पर बनाई गई है।

बहादुरगढ़ में किले अंदर एक मस्जिद बनाई गई है। उसका निर्माण भी मंदिर की जगह पर किया गया है।

 

राजस्थान

राजस्थान के 170 स्थलों पर मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था।

पहले अजमेर एक हिंदू राजधानी हुआ करती थी, जिसे मुस्लिम शहर में बदल दिया गया था।

अढ़ाई-दिन-का-झोंपरा 1199 में बनाया गया था, मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह 1236 में बनाई गई थी, और अन्य मस्जिदों का निर्माण मंदिर के स्थान पर किया गया था।

तिजारा में भरतारी मजार एक मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई थी।

बयाना में नोहारा मस्जिद का निर्माण उषा मंदिर के स्थान पर किया गया था।

भितरी-बहारी की मस्जिद में विष्णु भगवान की मंदिर की सामग्री का उपयोग किया गया था।

काम्यकेश्वर मंदिर को कामां में चौरासी खंबा मस्जिद में बदल दिया गया था।

पार्वंथा मंदिर की सामग्री का उपयोग जालोर में तोपखाना मस्जिद में किया गया था, जिसे 1323 में बनाया गया था।

शेर शाह सूरी के किले शेरगढ़ में हिंदू, बौद्ध और जैन मंदिरों की सामग्री का उपयोग किया गया था।

लोहारपुरा में पीर जहीरुद्दीन की दरगाह मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी।

1625 में, सलावतन में मस्जिद एक मंदिर स्थल पर बनाई गई थी।

पीर जहीरुद्दीन की मजार और नागौर में बाबा बद्र की दरगाह भी मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी।

 

तमिलनाडु

तमिलनाडु के 175 स्थलों पर मंदिरों को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था।

आचरवा में शाह अहमद की मजार भी एक मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी।

कोवलम में मलिक बिन दिनार की दरगाह एक मंदिर की जगह पर बनाई गई थी।

पंचा पद्यमलाई की पहाड़ी का नाम बदलकर मौला पहाड़ कर दिया गया था।

एक प्राचीन गुफा मंदिर के सेट्रल हॉल को मस्जिद में बदल दिया गया था।

कोयंबटूर में, टीपू सुल्तान ने अन्नामलाई किले की मरम्मत के लिए मंदिर की सामग्री का इस्तेमाल किया।

टीपू सुल्तान की मस्जिद भी एक मंदिर की जगह पर बनाई गई थी। तिरुचिरापल्ली में नाथर शाह वाली की दरगाह एक शिव मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी।

मंदिर के लिंगम का उपयोग लैंप के रूप में किया गया था।

 

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश पर में भी 299 स्थलों को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था।   आगरा की कलां मस्जिद का निर्माण मंदिर की सामग्री से किया गया था।

अकबर के किले में नदी के किनारे का हिस्सा जैन मंदिर के स्थान पर बनाया गया था।

अकबर का मकबरा भी एक मंदिर के ऊपर खड़ा है।

इलाहाबाद में अकबर का किला मंदिर को तोड़कर बनाया गया था।

मियां मकबुल और हुसैन खान शाहिद की मजार भी मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी।

पत्थर महल में मस्जिद का निर्माण लक्ष्मी नारायण मंदिर को ध्वस्त करके किया गया था।

अयोध्या में राम जन्मभूमि के स्थल पर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था।

हालाँकि उस विवादित ढाँचे को ध्वस्त कर दिया गया है और उस स्थान अब भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।

स्वर्गद्वार मंदिर और त्रेता का ठाकुर मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था और उन जगहों पर औरंगजेब द्वारा मस्जिदों का निर्माण किया गया था।

शाह जुरान गौरी की मजार एक मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी।

सर पैगंबर और अयूब पैगंबर की मजार एक बौद्ध मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी, जहाँ बुद्ध के पदचिन्ह थे।

गोरखपुर में इमामबाड़ा एक मंदिर के स्थान पर बनाया गया था। इसी तरह, पावा में कर्बला एक बौद्ध स्तूप के स्थान पर बनाया गया था।

टिलेवाली मस्जिद लखनऊ में एक मंदिर के स्थान पर बनाई गई है।

मेरठ में जामा मस्जिद एक बौद्ध विहार के खंडहर पर स्थित है।

एक दरगाह नौचंड़ी देवी के मंदिर को तोड़कर बनाई गई है।

वाराणसी में, ज्ञानवापी विवादित ढाँचे को विश्वेश्वर मंदिर सामग्री का उपयोग करके बनाया गया है।

हाल ही में अदालत ने विवादित ढाँचे के सर्वेक्षण का आदेश दिया था। स

र्वेक्षण करने वाली टीम को वहां एक शिवलिंग भी मिला है।

इसके बाद अदालत ने उस जगह को सील कर दिया है।

नालंदा के उदंतपुरी विश्वविद्यालय को मस्जिद/ मजार जिहाद से मुक्त करो !

मजार जिहाद का संक्रमण विश्व के सबसे प्राचीनतम विश्वविद्यालय नालंदा और उदंतपुरी पर पहुँच चुका है. भगवान अविमुक्तेश्वर का विहार अब लैंड के कब्जे में है. खिलजी ने जब अपने सैनिकों को हमले के लिए ललकारा और नारा ए तकबीर के साथ उदंतपुरी की ओर बढ़ा तब हिन्दू राजाओं ने खिलजी का जमकर विरोध किया. यही उदंतपुरी विश्वविधालय युद्ध का गवाह था, यहां का बच्चा-बच्चा अस्त्र शस्त्र के साथ मुकाबला किया. खिलजी को पीछे हटना पड़ा मगर यहां बड़े पैमाने पर खिलजी ने मंदिरों को तोड़ा और इस्लामिक क्रूरता के साथ कई ऐतिहासिक स्थलों लो तहस-नहस कर दिया. 


मगर अब जिहादी तत्वों द्वारा उदंतपुरी विश्वविधालय परिसर में लैंड जिहाद के जरिये मस्जिद और मजार का निर्माण किया गया है. जो विश्वविधालय पहले सनातन धर्म और अस्त्र-शस्त्र विद्या का केंद्र था, आज मजार और मस्जिद जिहाद के कारण अपने सनातन ऐतिहासिक पहचान को खो रहा है.


भारतीय पुरात्व विभाग और स्थानीय प्रशाशन के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण जिहादियों का मनोबल लगातार बढ़ते जा रहा है. उदंतपुरी विश्वविद्यालय नालंदा के बाद भारत का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय था. 


यह 8 वीं शताब्दी में पाला सम्राट गोपाला प्रथम द्वारा स्थापित किया गया था. महाविहार भारत के मगध क्षेत्र के अंतर्गत हिरण्य प्रभात पर्वत नामक पहाड़ पर और पंचानन नदी के किनारे स्थित है.


विक्रमाशिला के आचार्य श्री गंगा इस महाविहार में छात्र थे. तिब्बती रिकॉर्ड के मुताबिक उदंतपुरी में लगभग 12,000 छात्र थे. आधुनिक युग में, यह नालंदा जिले के मुख्यालय बिहार शरीफ में स्थित है.


                            कुछ बड़े सवाल


01. मजार जिहाद का संक्रमण विश्व के सबसे प्राचीनतम विश्वविद्यालय नालंदा और उदंतपुरी तक पहुंच चुका है, इसकी भनक ASI और सरकार को क्यों नहीं लगी ?

 

02.  भगवान अविमुक्तेश्वर के स्थान पर लैंड जिहाद के लिए कौन जिम्मेदार है ? ये बिहार के इस्लामीकरण का षड्यंत्र नहीं तो क्या है ?

 

03. यह विश्वविधालय पहले सनातन धर्म और अस्त्र-शस्त्र विद्या का केंद्र था, यहां पर अतिक्रमण से क्या जिहादी चरित्र बदल नहीं रहे हैं ?

 

04. पाला सम्राट गोपाला प्रथम द्वारा 8 वीं शताब्दी में इस विश्वविद्यालय को स्थापित किया गया था, फिर किस आधार पर यहां मजार का निर्माण हुआ है ?

 

05. नालंदा और उदंतपुरी विश्वविद्यालय से हिन्दू चिन्हों को मिटाया जा रहा है तो भविष्य में सबूत कहां से जाऐंगे ?

 

06. बख्तियार खिलजी को अपनाने वाले वो कौन लोग हैं जो आज भी नालंदा की धरती पर इतिहास दोहरा रहे हैं ?

 

07. हिंदुत्व और सनातन के केंद्र रहे प्राचीन विश्वविद्यालयों के इस्लामीकरण के विरूद्ध आक्रोश क्यों नहीं ?

 

08. चाणक्य ने तक्षशिला विश्वविद्याल से चंद्रगुप्ते मौर्य जैसे प्रतापी सम्राट को तैयार कर राष्ट्र को एकजुट किया, उसके केंद्र रहे नालंदा पर अतिक्रमण विश्व गुरू अभियान में बाधा नहीं है ?

 

09. जिस धरती से चंद्रगुप्तन मौर्य ने सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस को 2 बार बंदी बनाया, उस स्थान से हिन्दू मजार जिहाद रोकने में अक्षम क्यों है ?

 

10. माता सीता, लव-कुश, भगवान महावीर, गुरु गोबिंद सिंह, जरासंघ, कौटिल्य-चाणक्य और सम्राट अशोक की धरती पर मजार जिहाद क्या सांस्कृतिक गुलामी नहीं है ?

24 May 2022

देशभर में मंदिरों को तोड़कर बनाई गई मस्जिदें

                           मंदिरों को तोड़कर बनाई गई मस्जिदें


01. स्थान: वाराणसी

मंदिर: काशी विश्वनाथ मंदिर

वर्तमान स्थिति: ज्ञानवापी मस्जिद

 

02. स्थान: भोजशाला

मंदिर: सरस्वती मंदिर

वर्तमान स्थिति: कमाल मौला मस्जिद

 

03. स्थान: केरल

मंदिर: अराथली मंदिर 

वर्तमान स्थिति: चेरामन जुमा मस्जिद

 

04. स्थान: मालदा

मंदिर: आदिनाथ मंदिर

वर्तमान स्थिति: आदिना मस्जिद

 

05. स्थान: सिद्धपुर

मंदिर: रूद्र महालय मंदिर 

वर्तमान स्थिति: जामी मस्जिद

 

06. स्थान: श्रीनगर

मंदिर: काली माता मंदिर

वर्तमान स्थिति: खानकाह-ए-मौला

 

07. स्थान: अहमदाबाद

मंदिर: भद्रकाली मंदिर  

वर्तमान स्थिति: जामा मस्जिद

 

08. स्थान: विदिशा

मंदिर: विजय सूर्य मंदिर  

वर्तमान स्थिति: बीजामंडल मस्जिद

 

09. स्थान: मथुरा 

मंदिर: श्री कृष्ण मंदिर

वर्तमान स्थिति: ईदगाह मस्जिद


10.  स्थान: जौनपुर  

मंदिर: अटाला देवी मंदिर

वर्तमान स्थिति: अटाला मस्जिद 

 

21 May 2022

कुतुबमीनार नहीं विष्णु स्तंभ या सूर्य स्तंभ कहो

1.      कुतुबमीनार 25 इंच दक्षिण की तरह झुकी हुई है।

2.      इसे कर्क रेखा के ऊपर बनाया गया है। 

3.      यह कर्क रेखा से 5 डिग्री उत्तर में स्थित है।

4.      21 जून को दोपहर 12 बजे कुतुबमीनार की छाया जमीन पर नहीं पड़ती है।

5.      उत्तरायण से दक्षिणायन में सूर्य ठीक 12 बजे आता है।

6.      स्तंभ में 27 आले हैं, जिनमें आँख लगाकर बाहर देखा जा सकता है।

7.      यह केवल नक्षत्रों के अध्ययन करने के लिए था और बीच में सूर्य स्तंभ था।

8.      कुतुबमीनार के मुख्य गेट से 25 इंच पीठ झुकाकर ऊपर देखेंगे तो ध्रुव तारा नजर आएगा।

9.      इसकी तीसरी मंजिल पर देवनागरी में सूर्य स्तंभ के बारे में जिक्र है। 

10.    यह वेधशाला विष्णु पद पहाड़ी पर थी।

11.    इसका निर्माण वराहमिहिर की अध्यक्षता में परमार वंश के राजा विक्रमादित्य ने करवाया था।

12.     वेधशाला के ऊपर कोई छत नहीं है।

13.     वेधशाला का मुख्य द्वार ध्रुव तारे की दिशा की ओर खुलता है।

14.      इस मीनार के ऊपर बेल बूटे घंटियां आदि बनी हैं, जो हिंदुओं की सभ्यता का प्रतीक है।

15.      इसके भीतर देवनागरी में लिखे हुए कई अभिलेख हैं जो सातवीं और आठवीं शताब्दी के हैं।

16.      इसे बनाने वालों के इसके ऊपर जो नाम लिखे हैं उनमें एक भी मुस्लिम नहीं था।

17.      कुतुबमीनार को बनाने वाले सभी हिंदू थे।

18.      इसका इस्तेमाल अजान देने के लिए नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे अंदर की आवाज बाहर की ओर नहीं जाती है।

19.    निर्माण कई चरणों में होने की बात भी गलत है। इसका निर्माण एक ही बार में किया गया था। 

20.     मीनार में बाहर की ओर फारसी में लिखा गया है।

21.     इस मीनार के चारों ओर 27 नक्षत्रों के सहायक मंदिर थे, जिन्हें तोड़ दिया गया है।

22.     आले के ऊपर पल और घटी जैसे शब्द देवनागरी में लिखे हुए हैं।

23.     इसका मुख्य द्वार छोड़कर सभी द्वार पूर्व की ओर खुलते हैं।