25 December 2022

केरल में लव जिहाद कि घटनाएं I

3 अगस्त, 202032 वर्षीय फैजल यूसुफ ने 25 वर्षीय हिन्दू युवती रिद्धिमा पी (बदला हुआ नाम) को लव जिहाद में फंसाया।

8 अगस्त, 2020- 21 वर्षीय अख्तर ने 20 वर्षीय हिन्दू युवती पीवी शिक्षा (बदला हुआ नाम) को लव जिहाद में फंसाया।

23 मार्च, 2020- 23 वर्षीय उवैस ने हिन्दू युवती सुपर्णा को लव जिहाद में फंसाया।

25 मई, 202030 साल के रउफ उम्मेर ने 25 साल की सुनीता (बदला हुआ नाम) को लव जिहाद में फंसाया।

1 जून, 202027 साल के व्यापारी शाहिद ने आईटी रीता (बदला हुआ नाम) को लव जिहाद में फंसाया।

7 जुलाई, 2021- 24 साल के मुहम्मद सादिक ने 24 साल की मोनिका (बदला हुआ नाम) को लव जिहाद में फंसाया।

9 अगस्त 2021- 40 वर्षीय मुहम्मद साहिर ने 29 साल की कृष्णा श्री को लव जिहाद में फंसाया।

12 सितंबर 2021- 26 वर्षीय शाबिर अली ने 25 साल की अंजली (बदला हुआ नाम) को लव जिहाद में फंसाया।

3 अक्टूबर 2021- 25 साल मुहम्मद राफीन ने 22 साल की रीता (बदला हुआ नाम) को लव जिहाद में फंसाया।

5 जून 2022- मोहम्मद तस्लीम ने अंजली (बदला हुआ नाम) को लव जिहाद में फंसाया।

15 जून 2022- मोहम्मद इकबाल (27) ने 18 साल की वर्षा (बदला हुआ नाम) को लव जिहाद में फंसाया।

12 जुलाई 2022- 24 साल के बिजनेस मैन आसिफ निजाम ने 23 साल की हिन्दू छात्रा लक्ष्मी कन्नन (बदला हुआ नाम) को लव जिहाद में फंसाया।

19 जुलाई 2022- 22 साल के असरुद्दीन ने 20 साल की छात्रा राजी पीवी (बदला हुआ नाम) को लव जिहाद में फंसाया।

10 सितंबर 2022- आशिफ नाम के युवक ने 21 साल की लिबी थॉमस (बदला हुआ नाम) को लव जिहाद में फंसाया।

3 अक्टूबर 2022- मुख्तार ने करूमल्लूर की अथीरा (बदला हुआ नाम) को लव जिहाद में फंसाया।

 

32000 हिन्दू लड़कियों के इस्लामी आतंकवादी बनाने वाले सच्ची घटना पर आधारित फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ की ख़तरनाक कहानी।

बॉलीवुड के मशहूर निर्माता विपुल अमृतलाल शाह की  का टीजर रिलीज हो गया है। यह फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है। इसमें केरल की 32000 महिलाओं की तस्करी-धर्मांतरण की दिल दहला देने वाली क्रूरता दिखाई जाएगी। इस फिल्म को देखने के बाद आपको बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देगा।

फिल्म में एक ऐसी महिला की कहानी दिखाई गई है, जो नर्स बनने का सपना देखती थी, लेकिन उसका उसके घर से अपहरण कर लिया जाता है और अब वह महिला ISIS आतंकवादी के रूप में अफगानिस्तान के जेल में बंद है।

हाल ही में एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि “वर्ष 2009 से केरल और मैंगलोर की लगभग 32000 लड़कियों को हिंदू और ईसाई से इस्लाम मजहब में कन्वर्ट किया गया है और उनमें से ज्यादातर सीरिया, अफगानिस्तान और अन्य ISIS व हक्कानी प्रभावशाली क्षेत्र में पहुँच जाती हैं।

इस दौरान यह भी पता चला कि अपहरण और तस्करी के जरिए गायब हुईं कुछ लड़कियाँ अफगानिस्तान और सीरिया की जेल में पाई गई थीं। इनमें से ज्यादातर लड़कियों की शादी ISIS के आतंकवादियों से की गई थी और उन्हें सेक्स स्लेवबनाया गया था।

जून 2021 में अफगानिस्तान में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) में शामिल हुई केरल की चार महिलाओं के जेल में बंद होने की खबर सामने आई थी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इसकी पुष्टि की थी कि केरल की ये चार महिलाएँ अफगानिस्तान की जेल में बंद हैं, जिन्हें भारत वापस लौटने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

ये महिलाएँ अफगानिस्तान के खुरासान प्रांत में अपने शौहरों के साथ इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए गई थीं। सुदर्शन न्यूज़ केरल सहित देशभर में हो रहे ऐसी घटनाओं को शुरू से उठाता रहा है। अब सच्चाई दुनिया के सामने है।

04 November 2022

पाकिस्तान के मस्जिद से मौलवी ने रोहिंग्याओं को भड़काया, जिहादियों ने कर दी लिचिंग।

पाकिस्तान के कराची में भीड़ ने 2 लोगों की हत्या कर दी है। दोनों मृतक एक टेलिकॉम कंपनी में काम करते थे, जिनके नाम मोहम्मद इशहाक और आयमान जावेद हैं। पुलिस को इस मॉब लिंचिंग के पीछे रोहिंग्याओं के होने का शक है। हिंसा में शामिल अब तक 5 नामजदों सहित 37 आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं। मुख्य आरोपित का नाम अब्दुल गफूर बताया जा रहा है। हमले की वजह बच्चों के अपहरण करने की अफवाह बताई जा रही है।

आरोप है कि दोनों की हत्या का फरमान एक मस्जिद से मौलवी ने जारी किया था। पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना कराची के मच्छर कालोनी की है। घटना के दिन आयमान जावेद और अब्दुल इशहाक दोनों कॉलोनी में मोबाइल के नेटवर्क की जाँच करने पहुँचे थे। इस दौरान दोनों ने वहाँ के एक बच्चे से टॉवर का पता पूछा। इस दौरान आस-पास के लोग दोनों को बच्चा चोर कह कर शोर मचाने लगे।

जब तक दोनों कुछ समझ या लोगों को समझा पाते तब तक भीड़ ने उन दोनों पर हमला बोल दिया। हमले में दोनों बुरी तरह से घायल हो गए।

इस बीच किसी ने पुलिस को खबर दी। पुलिस ने मौके पर पहुँच कर भीड़ को तितर-बितर किया लेकिन तब तक दोनों कर्मचारियों की मौत हो चुकी थी। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में भीड़ ने न सिर्फ टेलिकॉम कंम्पनी के दोनों कमर्चारियों को बेरहमी से पीटा है बल्कि उनकी कार को भी बुरी तरह से तोड़ डाला है। हमले के लिए लाठी, डंडे, रॉड, पत्थरों के साथ लात और घूँसों का भी प्रयोग किया जा रहा था।

 

इस घटना के विरोध में घटना स्थल पर प्रदर्शन हुआ। इस दौरान एक प्रदर्शनकारी ने आरोप लगाया कि भीड़ को दोनों मृतकों पर हमले के लिए एक मौलवी ने उकसाया था। प्रदर्शनकारी ने कहा कि मौलवी ने लोगों को उकसाने के लिए एक मस्जिद का प्रयोग किया था, जिसके बाद भीड़ हिंसक हो उठी थी। प्रदर्शनकारी ने मौलवी की गिरफ्तारी न होने पर भी नाराजगी जताई।

सिंध ज़ोन के IG ने इस घटना पर चल रही पुलिस कार्रवाई के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि टेलिकॉम कंपनी के दोनों इंजीनियरों की हत्या में रोहिंग्याओं का हाथ होने के सबूत मिले हैं। इन सभी को पाकिस्तान में आधिकारिक तौर पर शरण मिली हुई है। वहीं पुलिस ने गवाहों के आगे हिरासत में लिए गए सभी आरोपितों की पहचान और परेड करवाई है। पुलिस का कहना है कि प्राप्त वीडियो फुटेज और गवाहों के बयानों के आधार पर अभी अन्य आरोपितों की तलाश की जा रही है।

 

हिंदू छात्र को शिक्षक जस्टिन ने कॉलर पकड़कर कहा, "भारत माता की जय अपने घर पर कहो" मिशनरी स्कूल का राष्ट्र विरोधी एजेंडा।

मध्य प्रदेश के गुना जिला मुख्यालय स्थित एक मिशनरी स्कूल में भारत माता की जयबोलने पर सातवीं के छात्र को न केवल फटकार लगाई गई, बल्कि उसे 4 पीरियड (करीब ढाई घंटे) तक जमीन पर भी बिठाए मुस्लिम शिक्षिका ने बैठाए रखा। जानकारी मिलने पर हिंदू नेता और अभिभावक पहुंचे और जोरदार तरीके से विरोध जताया। मामले में स्कूल प्रशासन और दो शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

गुना के क्राइस्ट सीनियर हायर सेकंडरी स्कूल में बुधवार को राष्ट्रगान के बाद एक छात्र ने भारत मां के जयकारे लगाए, तो शिक्षक ने छात्र की कालर पकड़कर लाइन से बाहर निकाल दिया। साथ ही कक्षा में नाबालिग छात्र को ढाई घंटे तक जमीन पर बैठाकर प्रताड़ित किया। इसके विरोध में गुरुवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सहित अन्य सामाजिक संगठनों ने स्कूल परिसर में जमकर नारेबाजी कर धरना दिया। शहर कोतवाली थाना पुलिस ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ तीन धाराओं में मामला दर्ज किया है।

पीड़ित छात्र के पिता ने बताया कि उनका बेटा क्राइस्ट स्कूल में कक्षा 7वीं में पढ़ता है। बुधवार को स्कूल में प्रेयर के बाद उसने भारत माता की जयबोल दिया। इसी बात पर मौजूद टीचर भड़क उठे। बच्चे को 4 पीरियड तक जमीन पर बैठने की सजा दी गई। उसे डराया-धमकाया गया। यह बात बच्चे के दिल में इतनी असर कर गई कि घर पहुंचकर उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया। माता-पिता ने तुरंत हाव भाव देख उससे बात की, तो बच्चे ने पूरी घटना बताई। छात्र ने बताया कि जब उसने राष्ट्रगान के बाद भारत माता का जयघोष किया तो शिक्षक जस्टिन ने कालर पकड़कर कहा कि भारत माता की जय वह अपने घर पर कहे। स्कूल में भारत माता का जयघोष नहीं कर सकते हैं। छात्र को कक्षा शिक्षक जस्मीना खातून ने भी ढाई घंटे तक जमीन पर बैठाकर प्रताड़ित किया।

इस घटना के बाद अभाविप व अन्य सामाजिक संगठनों के साथ अभिभावक गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे स्कूल पहुंच गए। यहां पहुंचकर हंगामा शुरू कर दिया। वे स्कूल में परिसर में धरने पर बैठ गए। उन्होंने नारेबाजी करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ किया। सूचना पर पुलिस और प्रशासन के अफसर भी मौके पर पहुंच गए। हंगामा शाम 7.00 बजे तक चलता रहा। इस दौरान पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे। इस घटना के बाद स्कूल प्रशासन ने लिखित माफीनामा देते हुए पालक शिक्षक संघ को संबंधित शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।

प्रदर्शन के बाद कोतवाली थाना पुलिस ने दो शिक्षकों जस्टिन और जास्मिना खातून के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। प्रशासन ने भी स्कूल की जमीन की मापी की है। एक बीघा सरकारी जमीन स्कूल के कब्जे में निकली है। सरकारी जमीन को मुक्त कराने हेतु जल्द कार्रवाई की जाएगी।

26 October 2022

फाइव हंड्रेड फॉर्चून कम्पनियां और उनके भारतीय सीईओ

      01. सुंदर पिचाई- अल्फाबेट

 

02. सत्या नडेला, माइक्रोसॉफ्ट

 

   03. पराग अग्रवाल, ट्विटर

 

04. ​लीना नायर, चैनल

 

05. शांतनु नारायण, एडोब इंक

 

06. ​अरविंद कृष्णा, आईबीएम

 

07. संजय मेहरोत्रा, माइक्रोन टेक्नोलॉजी

 

08. निकेश अरोड़ा, पालो ऑल्टो नेटवर्क्स

 

09. जयश्री उल्लाल, अरिस्टा नेटवर्क्स

 

10. जॉर्ज कुरियन, नेटऐप कंपनी

 

11. अजयपाल सिंह बंगा, मास्टरकार्ड

 

12. प्रेम वत्स, फेयरफैक्स फाइनेंशियल सर्विसेज

भारतीय मूल के विदेशी राष्ट्राध्यक्ष विदेशों में भारतीयों का डंका

      01. शिवसागर रामगुलाम

मॉरीशस के पूर्व प्रधान मंत्री

12 मार्च 1968- 30 जून 1982

 


02. देवन नैरो

सिंगापुर के पूर्व राष्ट्रपति

23 अक्टूबर 1981- 27 मार्च 1985

 


03. फ्रेंड रामदत्त मिश्रा

सूरीनाम के पूर्व राष्ट्रपति

8 फरवरी 1982- 25 जनवरी 1988

 


 

04. अनिरुद्ध जगन्नाथ

मॉरीशस के प्रधान पूर्व मंत्री

30 सितंबर 2003- 23 जनवरी 2017

 




05. प्रताप राधाकिशुन

सूरीनाम के पूर्व प्रधान मंत्री

17 जुलाई 1986- 7 अप्रैल 1987

 


06. रामसेवक शंकर

सूरीनाम के पूर्व राष्ट्रपति

25 जनवरी 1988- 24 दिसंबर 1990

 


07. छेदी जगना

गुयाना के पूर्व राष्ट्रपति

9 अक्टूबर 1992- 6 मार्च 1997

 


08. वासुदेव पांडे

त्रिनिदाद और टोबैगो के पूर्व प्रधान मंत्री

9 नवंबर 1995- 24 दिसंबर 2001

 


09. नवीन रामगुलाम

मॉरीशस के पूर्व प्रधान मंत्री

11 सितंबर 2000- 17 दिसंबर 2014

 


10. महेंद्र चौधरी

फिजी पूर्व प्रधान मंत्री

19 मई 1999- 27 मई 2000

 


11. भरत जगदेव

गुयाना के पूर्व राष्ट्रपति

11 अगस्त 1999- 3 दिसंबर 2011

 


12. एस. आर. नाथन

सिंगापुर के पूर्व राष्ट्रपति

11 अगस्त 1999- 3 दिसंबर 2011

 


13. कमला प्रसाद बिस्सार

त्रिनिदाद और टोबैगो के पूर्व प्रधान मंत्री

26 मई 2010- 9 सितंबर 2015

 


14. कैलाश पुरयाग

मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति

21 जुलाई 2012- 29 मई 2015

 


15. ऋषि सुनक

ब्रिटेन में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार

28 अक्टूबर 2022 को शपथ ग्रहण



ब्रिटेन में तो हिन्दू PM बना, पर भारत में घटते हिन्दुओं का PM कबतक रह पाएगा ?

लंदन में प्रधानमंत्री आवास का पता 10, डाउनिंग स्ट्रीट है. कभी भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन का अब एक भारतवंशी नेतृत्व करेगा. ऋषि सुनक का पता अब 10, डाउनिंग स्ट्रीट होगा. 28 अक्टूबर को शपथ ग्रहण करते ही वह आधिकारिक रूप से ब्रिटेन के पहले हिंदू प्रधानमंत्री हो जाएंगे.

पिछले वर्ष दीपावली पर ऋषि ने अपने घर पर दिवाली मनाई थी. ऋषि सुनक ने दीवाली पर अपने घर के बाहर दीपक जलाए थे. मगर ये एक संयोग ही है कि इस बार दीपावली पर ब्रिटेन में इतिहास रच गया. इसबार की दीवाली पर उनके प्रधानमंत्री पद के नाम का एलान हुआ.

ऋषि सुनक हिन्दू धर्म में आस्था रखते हैं और और गर्व के साथ अपने आप को हिन्दू बताते हैं, राम नाम का पटका हमेशा धारण करते हैं और गौ भक्ति भी करते हैं. उनका गौ पूजन करते हुए ये वीडियो पूरी देश दुनिया में बहुत चर्चित हुई थी.

सनातन संस्कृति में रचे-बसे सुनक के लिए जब प्रधानमंत्री पद का एलान हुआ तो दुनियांभर के हिन्दू समाज में ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी. भारत में ऋषि सुनक ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा. सुनक को अपने हिंदू होने पर गर्व है। उन्होंने स्वयं यह बात कही है.

वर्ष 2020 में सुनक ने हाथ में भगवद्गीता लेकर वित्त मंत्री पद की शपथ ली थी. मीडिया द्वारा सवाल उठाने पर उन्होंने स्पष्ट शब्दों में उत्तर देते हुए कहा थी वे ब्रिटिश नागरिक हैं, लेकिन उनका धर्म हिंदू है. भारत उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत है, ‘मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैं एक हिंदू हूं और हिंदू होना ही मेरी पहचान है

ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस के इस्तीफे के बाद नये प्रधानमंत्री की रेस में भारतवंशी ऋषि सुनक और पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना जतायी जा रही थी, लेकिन बोरिस जॉनसन के पीछे हटने के बाद ऋषि सुनक का रास्ता साफ हो गया था. वह 28 अक्टूबर को शपथ लेंगे.

जानिए क्या है पूना पैक्ट में डॉ. अंबेडकर के बयान और हिंदू नेताओं बीच का संबंध।

24 सितंबर 1932 को पूना पैक्ट हुआ था


डॉ. अंबेडकर और हिंदू नेताओं और दलित वर्ग के बीच समझौता हुआ


इसे पूना समझौते के नाम से जाना जाता है


व्यवस्थापिका सभा में SC ST को हिंदू वर्ग के अंतर्गत ही रखा गया


SC ST को हिंदू सामाजिक व्यवस्था के एक हिस्से के रूप में रखा गया


पूना पैक्ट करते समय बाबा साहब अम्बेडकर ने स्पस्ट किया था


SC ST आरक्षण धर्मांतरण करने वालों को नहीं मिलना चाहिए


धर्मांतरित अनुसूचित जाति के लोगों को दो- दो आरक्षण नहीं मिले

 

हिंदू धर्म छोड़ चुके लाभार्थियों का आरक्षण बंद करो, सरकारी सुविधा लेने वालों पर कार्रवाई करो।

विश्व हिंदू परिषद ने भोले-भाले हिन्दुओं के हक़ को लेकर एक बड़ा मुद्दा उठाया है. VHP के अनुसार धर्मांतरण कर चुके एससी-एसटी समाज को आरक्षण के लाभ की मांग न केवल संविधान बल्कि राष्ट्र विरोधी है. साथ हीं अनुसूचित जनजाति समाज के अधिकारों पर खुला डाका है. यही कारण है कि विश्व हिंदू परिषद इसे लेकर विरोध जता रही है. धर्मांतरण माफिया कैसे अनुसूचित जनजाति समाज के लिए खतरा बनते जा रहे हैं, इसे लेकर VHP देशभर में जनजागरण अभियान चलाएगी. केंद्र सरकार से भी क्रिप्टो क्रिश्चियन और इस्लामिक धर्मांतरण के मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की मांग की है.

धर्मांतरित अनुसूचित समाज अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ ले रहा है, जबकि ये संविधान के खिलाफ भी है. वर्ष 1932 में पूना पैक्ट करते समय बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने स्पस्ट किया था कि अनुसूचित जाति के लिए मिलने वाला आरक्षण धर्मांतरण करने वालों को नहीं मिलना चाहिए. पूना पैक्ट में प्रावधान किया गया था कि धर्मांतरित अनुसूचित जाति के लोगों को दो- दो आरक्षण नहीं मिलेंगे.

वर्ष 1936 में मिशनरी और मौलवियों ने दलित समुदाय के आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन किया था, उस वक्त तब महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर ने इस आंदोलन को अनुचित ठहराया था. इसके बाद अम्बेडकर ने इसे देश विरोधी तक करार दिया था.

दरअसल ईसाई मिशनरीज छद्म धर्मांतरण के जरिए एससी-एसटी समुदाय का धर्मांतरण करा लेती हैं, कानूनी अधिकारों से सम्बंधित दस्तावेजों में जाति वही रहती है, जिससे उन्हें लाभ मिलता रहता है. वहीं जो व्यक्ति धर्मांतरित हो जाता है, उसकी पूजा पद्धति रीति- रिवाज आदि सब बदल जाते हैं. यही कारण है कि धर्मांतरण करने वालों को एससी-एसटी आरक्षण का लाभ न मिले इसे लेकर अब जागरूकता अभियान चलाने और कानूनी लड़ाई लड़ने की योजना बन रही है. पिछले कुछ वर्षों में ईसाई धर्मांतरण की तादाद बढ़ी है, दस साल पहले छह करोड़ ईसाई आबादी थी, जो अब लगभग देश में ऐसे लोगों की संख्या दस करोड़ के करीब हैं. इतनी बड़ी संख्या में बदलाव धर्मांतरण के जरिये हीं संभव है.

अजमेर दरगाह, फारूक चिश्ती, सेक्स स्कैंडल और "सोफिया गर्ल्स स्कूल" की अनकही कहानी !

राजस्थान में अजमेर का "सोफिया गर्ल्स स्कूल" देश में लड़किओं के सबसे नामी स्कूलों में एक सोफिया गर्ल्स स्कूल में बड़े-बड़े रसूकदार लोगों की बेटियां पढ़ने आती थीं।राजस्थान के कई आईएएस और आईपीएस अधिकारिओं की बेटियां भी यहीं पर पढ़ती थीं। शहर में रहने वाले एक लड़के ने स्कूल के 9वीं क्लास की एक छात्रा से दोस्ती कर ली, छुट्टी के बाद वो छात्रा लड़के के साथ घूमने-फिरने जाने लगी। लड़के ने छात्रा  की अश्लील फोटो खिंच ली इसके बाद जो कुछ हुआ वो देश में अपराध के इतिहास में एक काले अध्याय की तरह दर्ज है, लेकिन आज भी भारत में इसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। ये घटना है वर्ष 1992 की और इसे "अजमेर सेक्स स्कैंडल" के नाम से जाना जाता है। सोफिया कॉलेज की 9वीं क्लास की छात्रा से दोस्ती करने वाले युवक का नाम था "फारूक चिश्ती" उसका परिवार अजमेर के ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर खादिम का काम करता था। फारूक चिश्ती अजमेर युवा कांग्रेस का अध्यक्ष भी था।  

छात्रा को प्रेमजाल में फ़साने के बाद फारूक चीश्ती ने उसकी अश्लील तस्वीरें ले ली और फिर ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। पहले छात्रा का यौन शोषण होता रहा फिर उससे कॉलेज की दूसरी सहेलिओं को लाने के लिए कहा गया। एक के बाद एक लडकियां इस जाल में फसती गईं और इज़्ज़त बचाने के लिए वो अपने साथ दूसरी लड़कियों को भी लाती गईं  ,कुछ से तो उनकी भाभी और बहनो को लाने को भी कहा गया था। पहले एक लड़की फिर दूसरी फिर तीसरी। बहुत जल्दी इस गिरोह जाल में लगभग 200 से अधिक हिन्दू लडकियां फंस चुकी थीं। 

अपुष्टदावों के अनुसार लगभग 250 लड़कियां गिरोह के जाल में फंस चुकी थीं। ये लड़कियां किसी गरीब या मध्यम वर्गीय परिवारों की नहीं बल्कि अजमेर की सबसे रईस परिवारों कि थीं, यह सबकुछ होता रहा और किसी लड़की के घरवालों को भनक तक नहीं लगी। ये मात्र संयोग नहीं था कि सिर्फ हिन्दू लड़किओं को ही निशाना बनाया गया, मुस्लिम लड़कियों को छुवा तक नहीं गया। जिन लड़किओं से बलात्कार हुआ उनमे से अधिकतर 10वीं और 12वीं क्लास में पढ़ती थीं। मास्टरमइंड फारूक चीश्ती अकेला नहीं था उसके साथ अजमेर शरीफ दरगाह से जुड़ा एक पूरा गिरोह सक्रिय था।  

उसके मुख्य सहयोगी थें नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती। ये दोनों भी युवा कांग्रेस  के नेता थें। बहुत संगठित ढंग से उनका गिरोह काम करता रहा। मज़हबी और कांग्रेसी संरक्षण मिला हुआ था इसलिए डरने की वैसे भी कोई बात नहीं थी। अजमेर के एक फाम हाउस पर ये काम बड़े आराम से चलता रहा। लड़कियों को लेने गाडी जाती थी और बाद में भी उन्हें गाडी से ही छोड़ा जाता था। बलात्कार के समय उनकी फोटो खिंच ली जाती थी ताकि वो किसी के आगे मुँह खोलने की हिम्मत न कर सकें। उस ज़माने में आज की तरह डिजिटल कैमरे नही हुआ करते थें तब कैमरे की रील धुलने जिस स्टूडियो में गयी वह भी एक मज़हबी व्यक्ति का था।  

स्टूडियो वाला भी एक्स्ट्रा कॉपी निकाल कर अलग से लड़कयों का यौन शोषण किया करता था। ये ब्लैकमैलेर्स स्वयं तो बलात्कार करते ही अपने दोस्त यारों को भी उपकृत करते। जिन लड़कियों के साथ बलात्कार और ब्लैकमेलिंग हुई उनमे से कुछ ने आत्माहत्या करनी शुरू कर दी। एक ही स्कूल के छात्राओं का इस तरह आत्महत्या करना ही मामले की पोल खुलने का कारण बना। शुरू में पुलिस ने 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया। समाज में बदनामी के डर से अधिकांश लड़कियों के परिवारों ने पुलिस में शिकायत दर्ज़ कराने से भी मना कर दिया। जो 12 लडकियां हिम्मत करके पुलिस के पास गयीं उनमे से भी 10 बाद में पीछे हट गयीं क्यूंकि आरोपी उन्हें धमकियां दिलवा रहे थें, बाकि बची 2 लड़कियों ने ही केस को आगे बढाया उन्होंने अकेले 16 आरोपियों की पहचान की।  

ये वो दौर था जब बलात्कार जैसे अपराधों में कड़ी सजा नहीं होती थी। घटना के 6 वर्ष बाद जिला न्यायलय ने 8 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई लेकिन मुख्य आरोपी फारूक चिश्ती ने खुद को मानसिक रोगी घोषित करवा लिया जिससे उसके मुक़दमे की सुनवाई लटक गयी। जिन आरोपियों को उम्रकैद हुई थी उनकी भीं सजा को 10 साल की जेल में बदल दिया गया। एक फरार आरोपी सलीम नफीस 19 वर्ष बाद साल 2012 में पकड़ा गयाबाद में वो भी ज़मानत पर छूट गया। जब इस बलात्कार काण्ड का भांडाफोड़ हुआ तो राजस्थान में कांग्रेस का पूरा सिस्टम आरोपियों को बचाने में लग गया , जो भी सामने आता उसे डरा धमका कर चुप करा दिया जाता, कहा गया की आरोपियों पर कार्र्यवाही हुई तो सांप्रदायिक माहौल खराब हो जायेगा। 

बलात्कारी एक मज़हब विशेष के थें इसलिए मोमबत्ती गैंग भी तब लड़कियों के बजाए बलात्कारियों के समर्थन में खड़ा हो गया था, सब का प्रयास यही था की देश के लोगों को अजमेर की ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की आड़ में हुए इस घिनौने और बर्बर काण्ड की कानो कान खबर न लग पाए, उन्हें चिंता थी की इससे दरगाह पर आने वाले हिन्दुओं की संख्या कम हो सकती है। वास्तव में अजमेर गैंगरेप काण्ड की शुरुवात लव जिहाद से हुई थी। पूरी तरह से धार्मिक पहचान के आधार पर हिन्दू लड़कियों को जाल में फसाया गया। 

हिन्दू आश्रमों और साधु संतों पर बेहूदी फिल्म बनाने वाले जिहादी बॉलीवुड ने भी कभी अजमेर के खादिमों के हाथों हुए इस बलात्कार कांड पर कोई फिल्म नहीं बनाई। अजमेर में माथा टेकने के लिए जाने वाले हिंदू ना तो दरगाह के इतिहास के बारे में जानते हैं और न यहाँ के खादिमों के हांथों हुए देश के सबसे बड़े बलात्कार कांड के बारे में। उनको ये भी आभास नहीं होता की ये मात्र किसी सूफी की दरगाह नहीं बल्कि यहाँ न जाने कितनी अबोध हिन्दू लड़कियों की चीख भी दफ्न है।  

18 October 2022

कानिफनाथ मंदिर पर हरा रंग पोता संत की कुटिया को भी जलाया, महाराष्ट्र के कन्नड़ में लैंड जिहाद का नंगा नाच।

देश में लैंड जिहाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. हर दिन कोई न कोई लैंड जिहाद की ख़बर सामने आ जाती है. संभाजीनगर जिले के कन्नड़ तालुके में स्थित करंजखेड़ गांव में एक बड़ा लैंड जिहाद हुआ है. जिहादियों ने हिंदुओं की प्राचीन ओम टेकरी पर संत कानिफनाथ महाराज की मंदिर समाधि पर मजार का निर्माण कर दिया है. साथ हीं मंदिर को भी हरे रंग से रंग कर, भगवा झंडे को उतारकर फ़ेंक दिया है. 

जिहादियों ने अपनी सारी हदें पर करते हुए मंदिर के सामने बनी संत की कुटिया को भी आग लगा कर जला दिया है. इस गांव में मुस्लिम आबादी काफी संख्या में रहती है. सिर्फ कुछ ही घर हिंदुओं के हैं जो आज डरे सहमे हुए हैं. इसी करंजखेड़ं गांव के पास एक बहुत बड़ा पर्वत है जिसका आकार ओम के जैसा है जिसके चलते इस पर्वत को ओम टेकरी के नाम से जाना जाता है.

इसी ओम टेकरी पर हिंदुओं के आराध्य कानिफनाथ महाराज जी का वर्षों पुराना ऐतिहासिक समाधि मंदिर है. हर गुरुवार को यहां पर हिंदुओं द्वारा भंडारा और महाप्रसाद का आयोजन किया जाता था, जिसमें बड़ी संख्या में हिंदू भक्त यहां पहुंचते थे और प्रसाद ग्रहण करते थे. लेकिन पिछले 2 वर्षों से कोरोना के चलते हिंदू भक्त ओम टेकरी पर नहीं पहुंच पा रहे थे, इसी का फायदा उठाकर जिहादियों ने इस मंदिर के महंत को डरा धमका कर मंदिर की दीवारों पर हरा रंग पोत दिया. मंदिर पर लगे भगवा झंडे को हटाकर हरे रंग का झंडा लगा दिया.

इतना हीं नहीं संत कानिफनाथ महाराज जी की समाधि मंदिर में मजार जैसा आकार बनाकर हरी चादर भी चढ़ा दी और समाधि मंदिर के सामने बनी मंदिर के सेवा करने वाले महाराज जी की कुटिया में, मांस मटन के टुकड़े फेंकना भी शुरू कर दिए.

लॉकडाउन के दरमियान जब यह पूरा मामला सुदर्शन न्यूज़ के संज्ञान में आया तो सुदर्शन न्यूज़ ने इस खबर को ग्राउंड जीरो से प्रमुखता से दिखाया था जिसके बाद ओम टेकरी पर पुलिस बल तैनात किया गया था. लेकिन जून महीने में ओम टेकरी के महंत भंडारी महाराज जी चार धाम की यात्रा पर गए थे, इसी दौरान जिहादियों ने आधी रात में कानिफनाथ महाराज जी के मंदिर के सामने बनी महंत भंडारी महाराज जी की कुटिया को आग लगा कर पूरी कुटिया को जला दिया. महंत जी के पास कानिफनाथ महाराज समाधि मंदिर के कुछ मुख्य दस्तावेज थे जिसे महंत जी ने कुटिया में रखा था कुटिया में आग लगने से दस्तावेज भी जल गए.

सिंदूर लगे हुए भगवान की मूर्ति आग लगाने के बाद जब नहीं जल पाई तो वहां  पर जिहादियों ने चूना लगाकर हरे रंग के कपड़ों से ढक दिया. जब महंत जी ने  स्थानीय पुलिस से कार्रवाई की मांग की तो पुलिस ने उल्टा उनको हीं नोटिस थमा दिया. स्थानीय पुलिस ने जिहादियों के दबाव में मंदिर के महंत को ओम टेकरी पर जाने से इसलिए रोक दिया कि आपके जाने से वहां दो समुदायों में तनाव पैदा हो जाएगा. ऐसे में जिहादियों को पुलिस प्रशासन से सह मिलने के बाद पूरा का पूरा मंदिर और कुटिया लैंड जिहाद का शिकार हो गया.

अंत में मंदिर के महंत भंडारी जी महाराज ने जब सुदर्शन न्यूज़ से मदद मांगी तो हमारे संवाददाता बाबूलाल राठौर ने जिहादी आतंक के अड्डे से मंदिर और कुटिया को मुक्त कराने के लिए ग्राउंड जीरों पर पहुंचे और पूरी घटनाक्रम को विस्तार से कवरेज किया जिसे हम आपको आगे इस कार्यक्रम में दिखाएंगे. ब्यूरो रिपोर्ट सुदर्शन न्यूज़.


कौन हैं कानिफनाथ नाथ जी ?


कानिफनाथ जी नाथ सम्प्रदाय के एक योगी थे।

उनके द्वारा प्रवर्तित योग मत साधना शुरू किया गया।

यह नाथ पन्थ में वामार्ग के रूप में जाना जाता है।

कानिफनाथ जी को कानिपा, कानपा, कान्हपा, कान्हपाद, करनिपा, कानेरी पाद आदि अनेक उपनामों से जाना जाता है।

इनका जन्म कर्णाट देशीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

इनके शरीर का वर्ण काला था इसलिए इनको कृष्णपाद नाम से भी जाना जाता है।

कानिफनाथ जी जालन्धर नाथ जी के प्रधान शिष्य थे।

कृष्ण पाद की प्रेरणा नाथ योग के सिद्धांतों से पोषिता थी।

कृष्ण पाद कपालिक की अपेक्षा शैव योगी थे।