07 September 2020

संघ लोकसेवा आयोग के लिए संवैधानिक उपबंध

अनुच्छेद 315- संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग

इस अनुच्छेद के उपबंधों के अधीन रहते हुए, संघ के लिए एक लोक सेवा आयोग और प्रत्येक राज्य के लिए एक लोक सेवा आयोग होगा

अनुच्छेद 316- सदस्यों की नियुक्ति और पदावधि

लोक सेवा आयोग के अध्‍यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति, संघ आयोग या संयुक्त आयोग है तो, राष्ट्रपति द्वारा और, यदि वह राज्य आयोग है तो, राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाएगी

अनुच्छेद 317- लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य का हटाया जाना और निलंबित किया जाना

खंड 3 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, लोक सेवा आयोग के अध्‍यक्ष या किसी अन्य सदस्य को केवल कदाचार के आधार पर राष्ट्रपति के आदेश से उसे पद से हटाया जाएगा. अथवा राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यालय को हटाने के लिए निर्देश दे सकते हैं.

अनुच्छेद 318- आयोग के सदस्यों और कर्मचारियों की सेवा की शर्तों के बारे में नियम बनाने की शक्ति

संघ लोक सेवा आयोग या संयुक्त आयोग की दशा में राष्ट्रपति और राज्य आयोग की दशा में उस राज्य का राज्यपाल नियमों द्वारा आयोग के सदस्यों की संख्या और उनकी सेवा की शर्तों का निर्धारण कर सकेगा

अनुच्छेद 319- आयोग के सदस्यों द्वारा ऐसे सदस्य न रहने पर पद धारण करने के संबंध में प्रतिषेध

संघ लोक सेवा आयोग का अध्‍यक्ष भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन किसी भी और नियोजन का पात्र नहीं होगा

अनुच्छेद 320- लोक सेवा आयोगों के कृत्य

संघ और राज्य लोक सेवा आयोगों का यह कर्तव्य होगा कि वे संघ की सेवाओं और राज्य की सेवाओं में नियुक्तियों के लिए परीक्षाओं का संचालन करें

अनुच्छेद 321- लोक सेवा आयोगों के कृत्यों का विस्तार करने की शक्ति

संसद द्वारा या किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाया गया कोई अधिनियम लोक संस्था की सेवाओं के संबंध में भी अतिरिक्त कृत्यों के प्रयोग के लिए उपबंध कर सकेगा

अनुच्छेद 322- लोक सेवा आयोगों के व्यय

संघ या राज्य लोक सेवा आयोग के व्यय, जिनके अंतर्गत आयोग के सदस्यों या कर्मचारी को या उनके संबंध में कोई वेतन, भत्ते और पेंशन हैं, भारत की संचित निधि या राज्य की संचित निधि से होंगे

अनुच्छेद 323- लोक सेवा आयोगों के प्रतिवेदन

संघ आयोग का यह कर्तव्य होगा कि वह राष्ट्रपति को आयोग द्वारा किए गए कार्य के बारे में प्रतिवर्ष प्रतिवेदन दे

न्यायपालिका को अंधेरे में रख कर पत्रकारिता की हत्या

पत्रकारिता की हत्या न्यायपालिका को अंधेरे में रख कर किया गया. सुदर्शन न्यूज़ के प्रसिद्ध कार्यक्रम बिंदास बोल में आज रात 8:00 बजे UPSC जिहाद पर खुलासे को लेकर लाइव प्रसारण होना था. मगर अफजल प्रेमी गैंग और जेहादी गैंग ने मिलकर दिल्ली उच्च न्यालयसे कार्यक्रम का प्रसारण रोकने को लेकर स्टे आर्डर पास करा लिया. सबसे चौकाने वाली बात ये है कि अफजल प्रेमी गैंग और जेहादी गैंग इस खुलासे को रोकने के लिए पहले सर्वोच्च न्यालय गये थे. मगर सर्वोच्च न्यालय ने कार्यक्रम रोकने से मना कर दिया. 



इस बात को दिल्ली उच्च को नहीं बताया गया और कोर्ट को अंधेरे में रख कर स्टे आर्डर पास करा लिया गया. तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्या ये न्यायपालिका की हत्या नहीं है क्या ये सदी का सबसे बड़ी न्यायिक त्रासदी नहीं है ? आखिर खुलासे से पहले ही क्यों डर गया जिहादी गैंग ? प्रसारण से पहले ही हिल गये वामपंथी ? सेक्युलर जमात को क्यों चुभ रहा है बिंदास बोल ? क्या देश में मीडिया की आजादी खतरे में है ? 



कहाँ हैं लोकतंत्र की दुहाई देने वाले अवार्ड वापसी गैंग ? क्या अब पत्रकारिता की धारा अफजल प्रेमी गैंग तय करेगा ? क्या मीडिया अब आजाद नहीं रहा ? इन सभी सवालों का जवाब आज पूरा देश पूछ रहा है. सेक्युलर जमात को इन सवालों का जवाब देना पड़ेगा. आप भी आवाज़ उठाईये और पत्रकारिता और न्यायपालिका की हत्या होने से बचाईये. जय हिन्द, जय हिन्दू राष्ट्र.