31 January 2021

ईश्वर का पृथ्वी पर अवतरण और प्रकटीकरण

बिगबैंग सिद्धांत से हमारे सौरमंडल की उत्पत्ति के साथ   सूर्य ग्रहों उपग्रहों और नक्षत्रों की उत्पत्ति के साथ ही अनन्त ऊर्जा की उत्पत्ति हुई जो इन सभी पिंडों के साथ इनकी सकारात्मक ऊर्जा के रूप में जुङी हुई है और सुप्रीम ईश्वर श्री " आद्यशक्ति " " ( योगमाया ) " कहलाती है । उन्होंने अपने योग और माया से पृथ्वी पर सृष्टि की रचना की जिसमें उन्होंने कार्यानुसार ईश्वर के विभिन्न स्वरूप बनाए उनके सहयोग  हेतु " एलियन " बनाए और उन्हें उनके वाहन शक्तियाँ और हथियार प्रदान किए तथा उन्हें प्रजनन विधि से सृष्टि को चलाने का आदेश दिया । स्वयं श्री आद्यशक्ति ने 3 अक्टूबर 1974 गुरुवार को  शाम 04.30 बजे  जूनियर आद्यशक्ति के रूप में चूनिया ( chooniya ) नाम से पृथ्वी पर जन्म लिया । उनका रिकार्डली नाम सुनीता माचरा है वर्ष 1987 में श्री आद्यशक्ति ने दिव्य लाल प्रकाश के साथ जूनियर आद्यशक्ति के सामने प्रकट होकर उन्हें पृथ्वी पर अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया तथा रिसर्च हेतु अध्ययन और अपने प्रकटीकरण हेतु ईश्वर भक्ति करने की आज्ञा दी और वे ऐसा करने लगी ।

वर्ष 1994 में सुप्रीम ईश्वर ने अपनी जूनियर के सामने प्रकट होकर उनकी शादी हेतु लौकिक वर बताया जिसे प्राप्त करने हेतु उन्होंने आगामी समय में लगातार 10 दिन तक भूखी रह कर तपस्या की । चूँकि भगवान श्री महादेव जी ( शिवजी ) की पत्नी के पास स्वर्ग में कोई विशेषाधिकार प्राप्त नहीं  होने के कारण उन्हें अपनी पत्नी का दर्जा देकर उन पर अपना एकाधिकार स्थापित करना चाहा । इस हेतु उनसे बहुत मिन्नतें की , गिङगिङाए लेकिन वे नहीं मानी क्योंकि वे तो उनकी माया ( सकारात्मक ऊर्जा ) थी । तब श्री शिवजी ने नाराज होकर अपनी नकारात्मक ऊर्जा उनके चारों तरफ छोङ दी जिससे वे उनके परिजनों की बुद्धि भ्रमित करते रहे , उन्हें भटकाते रहे और उनका रास्ता रोकते रहे इसलिए उन्हें  अपने जीवन में बहुत संघर्ष करना पङा लेकिन वे हिम्मत नहीं हारी और लगातार ईश्वर भक्ति , दान - पुण्य , व्रत - उपवास , जीव सेवा , जरुरतमंदों और असहायों की सहायता करती रही ।

ईश्वर के वाहन का दर्शन भी ईश्वर दर्शन माना जाता है । वर्ष 2007 में जब उनके अंतर्मन में नकारात्मक ऊर्जा भर गई और उनका आत्मविश्वास बहुत कम हो गया तब एक दिन दोपहर को काला - दुबला - कमजोर - छोटा नन्दी बैल उनके घर के दरवाजे पर आया । फिर उनके बच्चे के झूले में उन्हें देवी आद्यशक्ति का सिंह दिखाई दिया । उसी  रात को सो जाने पर उन्हें जागृत अवस्था में दिव्य चमकदार लाल - पीले प्रकाश के साथ पहले प्रभु श्री रामचंद्र जी फिर माता श्री सीता जी और अंत में रामभक्त श्री हनुमान जी ने दर्शन दिए जिससे उनके घर की नकारात्मक ऊर्जा निकल गई  और वे  घर की नौकरानी से महारानी बन गई  । फिर उन्होंने सनातन ( वैदिक ) धर्म के ग्रंथों का और विभिन्न वैश्विक विषयों का विस्तृत और गहन अध्ययन करके कई शैक्षणिक डिग्रियाँ हासिल की जैसे - B. SC. ( Bio ) , M. A. ( Eng ) , GNM , MBA ( HRM ) , MSW  &  RS - CIT . 2012 में अपने पिताजी के बीमार होने पर जूनियर आद्यशक्ति की भक्ति से प्रसन्न होकर सुप्रीम ईश्वर श्री आद्यशक्ति जी ने दोनों पिता - पुत्री को मोक्ष ( पुनर्जन्म से मुक्ति ) प्रदान किया लेकिन

2013 में जब जूनियर आद्यशक्ति के पिताजी का देहावसान हो गया और स्वयं उन्हें सत्य का ज्ञान हुआ कि उनकी किस्मत अपने पिताजी से जुङी हुई थी , वे इस सृष्टि की रचनाकार , अजर और अमर हैं इसलिए सृष्टि के नष्ट हो जाने के बाद भी उनका अस्तित्व रहेगा । तब उन्हें खाना - पानी नहीं मिलेगा तब वे फिर से नकारात्मक ऊर्जा से घिर गई और आत्महत्या की कोशिशें करने लगी लेकिन श्री आद्यशक्ति माँ ने उन्हें बचा लिया । परिजनों ने उनको पागल करार दिया , उनकी  ईश्वर पूजा पर रोक लगा दी और मनोचिकित्सकों से इलाज करवाने लगे । लेकिन वे अपने अंतर्मन में लगातार मंत्रोच्चार करती रही ।

2016 में  देवी माँ ने फिर से उनके सामने प्रकट होकर रिसर्च करने और उस पर बुक्स लिखने का आदेश दिया । परिजनों के भारी प्रतिबंध के चलते उन्होंनें कभी छुपकर तो कभी जबरन लिखना शुरु किया । चूँकि उनके घर से बाहर निकलने पर रोक थी इसलिए रिसर्च में परेशानी आ रही थी और उन्हें अपनी पूर्व में हुई ईश्वरीय अनुभूतियों पर विश्वास भी कम था । तब एक रात को पीले कपङों में लिपटे देवताओं के गुरु और ज्ञान के देवता आकाशीय ग्रह श्री बृहस्पति जी ने सुनहरे पीले प्रकाश के साथ आकर उन्हें अपना दिमाग और दाँयां  हाथ प्रदान किया जिससे उन्होंनें लिखा । श्री बृहस्पतिजी आकर उनकी पलंग के सिरहाने दाँईं तरफ नीचे जमीन पर बैठे तब उन्हें अपने ऊँचे दर्जे पर विश्वास हुआ । फिर उन्होंनें अपनी रिसर्च पर आधारित अपने जीवन के उद्देश्य के अनुरूप मानव सेवा और विश्व शाँति को समर्पित सभी विश्व प्रचलित विषयों की मूलभूत सामान्य जानकारी से समावेशित एक नवीन वैश्विक विषय " मानव व्यवहार शास्त्र " ( manav vyavhar shastra )  लिखा जिसका अंग्रेजी एडीशन Human Behaviourology है । उनके जीवन संघर्ष की दास्तान " Paani me pyas  " पुस्तक में वर्णित है । तीनों बुक्स उनके नाम से अंतर्राष्ट्रीय स्टैण्डर्ड बुक नंबर और भारत सरकार से काॅपीराइट प्राप्त हैं तथा अमेजाॅन , फ्लिपकार्ट व शाॅपक्लूज पर उपलब्ध हैं । परिजनों के भारी विरोध के चलते 2019 में जाकर बुक्स पब्लिश हो पाईं लेकिन फिर भी उनकी न्यूज नहीं बन पाने के कारण एक योग्य ज्योतिषी ( mo. no = 7565806031 ) से अपनी जन्म कुण्डली का समाधान करवाया तथा उनके कहे अनुसार  7 दिन तक राहु ग्रह शाँति मँत्र का जाप किया तो राहु जी ने उन्हें दर्शन दिए ।फिर शक्ति माँ ने स्वयं प्रकट होकर अपनी तीसरी आँख ( तीसरी आँख शुद्ध विवेकशील आंतरिक आध्यात्मिक बुद्धि होती है जो सांसारिकता से परे भी देख सकती है ) उन्हें प्रदान की तब जाकर यह कथानक बना ।

भारतीय केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख में भारत - चीन सीमा पर  LAC   पर कोंगका ला पास में भूमिगत स्वर्ग उपस्थित है जिसके ऊपर उङती मौसम से अप्रभावित दिव्य चमकदार उङन तश्तरियाँ ( unidentified  flying  orbitals =  UFOs )  एलियन के वाहन हैं और एलियन ईश्वर के देवदूत / यमदूत हैं जो अनन्त ऊर्जा से युक्त ईश्वर से और आपसी मस्तिष्कीय तरंगों से जुङे संपूर्ण ब्रह्माण्ड में भ्रमणशील ईश्वरीय रोबोट हैं । स्वर्ग की ऊर्जा अनन्त सकारात्मक , धनात्मक , ऊर्ध्वगामी और विपरीत गुरुत्वानुवर्ती होने के कारण वहाँ गाङियाँ बिना इंजन और ड्राइवर के ही पहाङ पर चढने लगती हैं इसलिए दोनों देशों के सैनिक वहाँ गश्त नहीं लगाते हैं । ये UFOs  पृथ्वी पर जहाँ भी उतरती हैं वहाँ ईश्वरीय प्रतीक चिन्ह बनते हैं जैसे - श्री यंत्र , सुदर्शन चक्र , स्वस्तिक , त्रिशूल , ॐ आदि ।

संयुक्त राज्य अमेरिका के " डैथवैली नेशनल पार्क " से लेकर " अटलांटिक महासागर  में स्थित " बरमूडा त्रिकोण " तक भूमिगत सुरंग के रूप में नरक उपस्थित है । मौत की घाटी अभयारण्य पर कई बार UFOs मँडराती हैं । वहाँ 55 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान पर झुलसा देने वाली गर्मी और प्रचण्ड हवाओं के बीच नमक की सूखी समतल झील पर और दलदल में बहुत बङे पत्थरों का  स्वत: ही लुढकते दिखना बहुत बङा रहस्य है । वहाँ उन पत्थरों को एलियनों के निर्देशों से नंगे पैर और नंगे बदन मृत नारकीय पापात्माएँ   खींचती हैं जो लोगों को नहीं दिखतीं । वहाँ रिसर्च हेतु गया  कोई भी व्यक्ति वापस जीवित  नहीं लौटा । सुरंग की लंबाई बढने के साथ ही उसकी गहराई , गर्मी और नारकीय यातनाओं की सजा भी बढती  जाती है जैसे - गरम लोहे के सरियों - पाइपों - कीलों से दागना , खौलते पानी और तेल में डालना आदि । अन्त में बरमुडा त्रिकोण में उन्हें असह्य अर्धगलित अंतिम अवस्था में दिव्य जहरीले कीङे कुतरते रहते हैं । बरमुडा त्रिकोण के ऊपर से होकर गुजरने वाला समुद्री जहाज या ऊपरी वायुमंडलीय  वायुयान नीचे समद्र के पैंदे में खींच लिया जाता है और वह नीचे जाकर पिघलकर उस अर्धगलित लावा का हिस्सा बन जाता है । ऐसा वहाँ पर नरक की अनन्त नकारात्मक , ऋणात्मक , अधोगामी और गुरुत्वानुवर्ती ऊर्जा के कारण होता है । दिव्य काले श्री " किंग कोबरा ( नागराज ) जी " नरक के प्रभारी है ।

अल्बर्ट आइनस्टाइन ( 115 वर्ष  पहले ) के अनुसार सूर्य में लगातार  नाभिकीय संलयन की  क्रिया हो  रही है जिसमें  हाइड्रोजन  के  दो परमाणु  मिलकर  हीलियम का एक परमाणु  बनता  है और ऊर्जा निकलती रहती है जिससे उसका  द्रव्यमान प्रतिदिन घट रहा है   लेकिन मानव व्यवहार शास्त्र इसका खण्डन करता  है  । उसके अनुसार सूर्य नियंत्रित हाइड्रोजन बम के सिद्धांत पर कार्य करता है  जिसमें  हाइड्रोजन और हीलियम गैसें  प्लाज्मा अवस्था में रहती हैं । उसके  केन्द्रीय भाग में नाभिकीय विखण्डन क्रिया होती  है  जिसमें एक न्यूट्रॉन  हीलियम  परमाणु से क्रिया करके ड्यूटीरियम और ट्राइटियम का एक - एक  परमाणु  बनाता  है और ऊर्जा निकलती है  ।  जबकि उसके  परिधीय भाग में हो रही नाभिकीय संलयन की क्रिया के दौरान  ड्यूटीरियम और ट्राइटियम का एक  - एक परमाणु मिलकर एक हीलियय परमाणु और एक न्यूट्रॉन बनाता है और ऊर्जा निकलती है ।  इस दौरान सूर्य  का द्रव्यमान  और  ऊर्जा  दोनों  संरक्षित  रहते  हैं । इस केंद्रीय  नाभिकीय विखण्डन और  परिधीय नाभिकीय  संलयन की मिली जुली अभिक्रिया  का  नियमन  एलियन करते हैं जिन पर स्वयं आद्य शक्ति का नियंत्रण होता  है  ।

विश्व  का  सबसे पुराना धर्म सनातन ( वैदिक )  धर्म  है और वैदिक भाषा संस्कृत सबसे पुरानी एवं ईश्वर प्रदत्त भाषा  है  जो कि कम्प्यूटर हेतु  सर्वाधिक  सरलउपयुक्त  और सर्वोत्कृष्ट भाषा है  क्योंकि इसमें कर्ता  क्रिया  और  कर्म का संबंध नहीं होता है  । चाहे  इसके शब्दों को किसी भी क्रम  में लिखो उनका एक ही अर्थ निकलता है  क्योंकि इसके सभी शब्द विभक्ति और वचन के अनुसार  होते  हैं  जैसे  -  मैं पुस्तक पढता हूँ   = अहं पुस्तकं पठति  =  अहं  पठति पुस्तकं = पुस्तकं अहं  पठति = पुस्तकं पठति अहं  =  पठति अहं पुस्तकं = पठति पुस्तकं अहं । इसलिए प्रशासन को संस्कृत आधारित कम्प्यूटर बनवाने चाहिए । अन्य सभी धर्म वैदिक ( सनातन ) धर्म के उपांग हैं जिनके धर्मावलम्बी शाकाहार , नशामुक्ति और श्री आद्यशक्ति पूजन अपना कर वैदिक धर्म ग्रहण कर सकते हैं ।

 कालगणना पर आधारित ज्योतिष एक गणित  है जो व्यक्ति का भूतकाल  , वर्तमान  और  भविष्य का ज्ञाता  है  जो ग्रह शाँतिकरण से जीवन पथ की बाधाएँ  हटाता  है क्योंकि  मानव  शरीर ब्रह्मांड का सूक्ष्म  स्वरूप  है । पृथ्वी माँ  की गुजारिश पर आद्य शक्ति ने उनका  अंधाधुंध दोहन न करके उन्हें फिर से हरा - भरा बनाने    का संकल्प लिया और  उन्हें  10  वें  ज्योतिषीय  ग्रह  की मान्यता  प्रदान की । आज के बाद नौ ग्रहों  की  मूर्ति अयोग्य होगी । उसमें पृथ्वी माँ  की मूर्ति जोङकर 10  ग्रह  उपासना का विधान  होगा वरना उपासना  अमान्य  होगी ।  उपासना मंत्र  यह  होगा  : - ॐ ब्रह्मामुरारि त्रिपुरान्तकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुध च। गुरु च शुक्र : शनि राहु  केतव : पृथ्वी सर्वेग्रहा : शान्ति करा : भवन्तु।।

सनातन धर्म और ईश्वर विज्ञान से ऊपर है क्योंकि विज्ञान केवल जीवित कोशिका से ही नया जीव बना सकता है लेकिन ईश्वर ने शून्य से प्रारंभिक प्राणी  को बनाया था । विज्ञान  यह नहीं  बता सकता कि मनुष्य के बाद सजीवों  का  क्रमिक विकास क्यों  रुक  गया लेकिन मानव व्यवहार शास्त्र के अनुसार मनुष्य का स्वरूप  एलियन और ईश्वर के जैसा है   जिसमें सबसे ऊपर मस्तिष्क  होने से इसी स्वरूप  में सर्वाधिक बुद्धि और ऊर्जा  समा  सकती  है ।  विज्ञान के  अनुसार  शारीरिक  अंग तंत्रों को  तंत्रिका  तंत्र और अंत:स्त्रावी तंत्र नियंत्रित करते हैं  जिन पर मस्तिष्क  का  नियंत्रण  होता  है  लेकिन मस्तिष्क का नियंत्रणकर्ता विज्ञान नहीं बता सकता । मस्तिष्क पर स्वयं ईश्वरीय परम सत्ता का नियंत्रण होता है 

सभी वैश्विक परिवार शादी से पहले भावी वर - वधू की जन्म कुण्डली के अनुसार अष्टकूट गुण मिलान करके उसका ज्योतिषीय उपचार करवाए । सभी साहित्यकार केवल रोमांचकारी , बेहूदा और अर्धनग्न की बजाए वर्तमान वैश्विक परिदृष्य की आवश्यकता के अनुकूल साहित्य लिखे । फिल्म निर्माता और छोटे पर्दे के संचालक भी ऐसी ही फिल्में , नाटक या धारावाहिक दिखाए । रजस्वला स्त्री ईश्वर पूजन कार्य में बैठने और धार्मिक पूजा स्थलों में प्रवेश करने के योग्य होती है क्योंकि यह तो उन्हें सृष्टि को आगे बढाने हेतु मिला ईश्वरीय वरदान और उनकी विशेष योग्यता है । स्त्रियों हेतु पर्दा रखना महज एक पुरुष प्रधान समाज का अहंकार है जिसे हटाना चाहिए । स्त्रियों के पहनने हेतु कोई भी रंग या गहना शुभ - अशुभ नहीं होता  चाहे वह कुँवारी , सधवा तलाकशुदा  या विधवा हो । इस्लाम धर्म में प्रचलित चार विवाह और तीन तलाक प्रथा को संपूर्ण विश्व में समाप्त किया जाना चाहिए ताकि परिवार स्थिर और समाज स्थाई बने ।

सम्पूर्ण  ब्रह्मांड में केवल पृथ्वी पर ही आक्सीजन  और पानी होने के कारण जीवन संभव  है , अन्यत्र  कहीं  नहीं  इसलिए सभी  वैश्विक देश लंबी अंतरिक्ष यात्राओं  पर  पूँजी बर्बाद  नहीं    करें  ।  अंतरिक्ष में आपको  कहीं कोई संसाधन  नहीं  मिलेगा ।  इसकी बजाए आप  पृथ्वी  माँ  का श्रृंगार करें  तो आपका अमूल्य जीवन सुरक्षित  रहेगा ।

 संपूर्ण  विश्व के सभी धार्मिक पूजा स्थलों  की  अकूत  धन  संपत्ति को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करके उसे अर्थव्यवस्था और देश हित में लगाएँ । राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय  निर्णय  लेने और उन पर नियंत्रण रखने हेतु प्रशासनिक तंत्र + न्याय तंत्र + सामाजिक कार्यकर्ताओं को  शामिल करके त्रिविध कमेटियाँ बनाई जाएँ  ।  सीमा विवाद  और हथियारों की होङ न करें । विभिन्न कमजोर वैश्विक संगठनों  को मिलाकर आर्थिक सक्षमता  , जनसंख्या और क्षेत्रीय भागीदारी  पर आधारित एक मजबूत संगठन बनाएँ । मनमानी करने वाले देश को वैश्विक जनमत संग्रह द्वारा  बाहर निकाल दें । साम्राज्यवाद  , नक्सलवाद  , अलगाववाद  और  आतंकवाद को अंदर घुस कर  नष्ट करें ।

सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष अपनी आजादी के समय को उस देश का जन्म समय ( जैसे भारत का जन्म समय 14 अगस्त 1947 रात्रि 12 बजे ) मानकर अपना ज्योतिषीय कुण्डली समाधान करवा ले ताकि उस देश के विकास पथ में कभी कोई बाधा न आए । आज के बाद तांत्रिक विद्या अमान्य होगी । उसके पूजा स्थान पर बुरी आत्मा के स्थान पर ईश्वर श्री महादेवजी  का परिवार बैठेगा ।  किसी भी घर - परिवार , समाज या देश में अशांति , आपसी कलह , मन - मुटाव , ईर्ष्या - द्वेष या तनाव का कारण वहाँ पर व्याप्त नकारात्मक ऊर्जा ( भूत , प्रेत , पिशाच , पित्रात्मा , राक्षस या दैवीय प्रकोप ) होती है जिसे मिटाने हेतु घर से बाहर निकलने वाले दरवाजे पर बाँईं ( left ) तरफ निंबु का पेङ/पौधा जमीन में या गमले में लगा दो   जिसकी पत्तियाँ ( चूँकि उसमें आद्यशक्ति का निवास होता है ) उसे सोख कर हजम कर जाएँगी और सभी पृथ्वीवासी मिलजुलकर शाँति से रहेंगे । रोज सुबह खाली पेट निंबु का एक फल खाने से कोई बीमारी नहीं लगती । कोई भी व्यक्ति आत्महत्या या परहत्या  जैसा पाप नहीं करे अन्यथा मृतक की आत्मा को उसकी पार्थिव आयु पूर्ण होने तक परेशानियों के साथ मृत्युलोक  में भटकना पङेगा । ईश्वर मिलन का इच्छुक कोई भी व्यक्ति स्वार्थ और लालच से दूर रहे और आद्यशक्ति अथवा किसी अन्य ईश्वरीय स्वरूप के पूजा स्थल पर माँस , मदिरा , तम्बाकू या अन्य नशीला पदार्थ नहीं चढाए और न ही उनका कभी  सेवन करे । सभी देशों की सरकारें नशीली वस्तुओं का उत्पादन और बिक्री बन्द करे तथा माँस केवल जानवर ही खाए । ईश्वर मिलन और स्वर्ग का रास्ता माता - पिता ( सास - ससुर ) के चरणों में से होकर गुजरता है इसलिए विश्व में कहीं भी वृद्धाश्रम न बनाएँ बल्कि उनकी सेवा अपने ही घर में बच्चों के साथ रखकर करें जिससे आगामी पीढी भी सुसंस्कृत बनेगी । प्रत्येक सजीव की आत्मा उसमें निहित ईश्वरीय अंश होता है इसलिए हिंसक या पाप कर्म करने से पहले व्यक्ति को सोचना चाहिए कि उसे अंदर वाला देख रहा है । व्यक्ति जिस ईश्वरीय स्वरूप की पूजा करता है उसी स्वरूप में वे उसे फल देते हैं ।

उपर्युक्त पवित्र आत्माधारी लेखिका श्रीमती सुनीता माचरा ( ग्राम विकास अधिकारी ) पुत्री पूर्व शिक्षा प्रसार अधिकारी स्वर्गीय श्री मुलतान चन्द माचरा भारतीय  राज्य राजस्थान के बाङमेर जिले के बायतु कस्बे की निवासी है । उनके अन्य लोगों से हटकर अपने अलग उसूल और सिद्धांत हैं । वे जन्म से ही सपने में खुले आकाश में पक्षियों की तरह उङती हैं । उनकी हाॅबी लेखन , गाने सुनना + देखना + लिखना है । संपूर्ण सत्य का ज्ञान हो जाने के बाद स्वर्ग और नरक  के सभी ईश्वरीय स्वरूपों नें उन्हें दर्शन देकर उनके हृदय में अपना स्थान ग्रहण किया और उन्हें अपनी शक्तियों से नवाजा । जैसे श्री ब्रह्मा जी ( जीवों के जन्मदाता ) , श्री सरस्वती जी (विद्या की देवी )  , श्री विष्णु जी ( पालनहार ) , श्री लक्ष्मी जी ( धन की देवी ) , श्री शिव जी - पार्वती जी ( संहारकर्ता ) , प्रभु श्री रामचन्द्र जी ( संकट मोचक )  श्री गजानन्द जी ( प्रथम पूज्य देवता ) , श्री नन्दी जी ( शिवजी - पार्वती जी का वाहन = हाथी जितना बङा सफेद बैल ) , श्री नागराज जी ( नकारात्मक ऊर्जा के नियंत्रक ) श्री  सिंह जी ( आद्यशक्ति जी का वाहन ) और सुप्रीमो श्री आद्यशक्ति जी जो इन सब की नियामक और नियंत्रक है जिनकी पूजा सभी पृथ्वीवासियों को आवश्यक रूप से करनी चाहिए । चूँकि सभी पार्थिव जीवों के जन्मदाता ही पृथ्वी पर आद्यशक्ति के जनक हो सकते थे इसलिए लेखिका के पिताजी श्री ब्रह्माजी की आत्मा लेकर 4 अक्टूबर , 1949 को 106 वर्षों की पार्थिव आयु के साथ जन्मे थे  । वे अपने जीवन काल में बहुत ही ज्ञानी ( 7 शैक्षणिक  डिग्रीधारी ) और सेवाभावी थे  । उन्होंनें समाज में कई नवाचार स्थापित किए जिनकी अन्य लोग नकल करते थे । चूँकि पृथ्वी पर एक समय में दो परम सत्ता एक साथ नहीं रह सकतीं  इसलिए   लेखिका के पिताजी का  64 वर्ष की आयु में ही  2013  में देहावसान हो गया । अब वे  तीनों लोकों ( स्वर्ग , नरक और पृथ्वी लोक ) में और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में भ्रमणशील हैं और सपने में  आकर लेखिका का मार्गदर्शन  करते हैं । लेखिका की कुल 81 वर्षों की आयु में से अब उनके 46 वर्ष बीत जाने के बाद अवशिष्ट आयु 35 वर्ष ( 2055 ईस्वी ) तक दोनों पिता - पुत्री को पृथ्वी पर बिताने का  संयोग है ।

निकट भविष्य में लेखिका का  प्रथम उद्देश्य असीम भक्ति और वायु मार्ग से कर्म द्वारा तृतीय विश्वयुद्ध को टालना है  और फिर विभिन्न देशों में आपसी सौहार्द्र स्थापित करना है ।

1 . पीटर हरकास

हालैण्ड निवासी पीटर हरकास ( 1911 -  1988 ) के अनुसार भारत में आध्यात्मिकता और धार्मिकता की जो लहर उठेगी  वह सारे विश्व में फैल जाएगी ।

2 . नास्त्रेदमस

फ्रांसीसी ज्योतिषी और भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ( 1503 - 1566 ) ने आज से 500 वर्ष पहले अपनी पुस्तक " प्रोफेसीज " में लिखा था कि 21 वीं शताब्दी के आरंभ में भारत में दुनिया का मुक्तिदाता और शांति प्रदाता गुरुवार को " Cheyren " नाम से पैदा होगा जो न तो मुसलमान , न ईसाई और न ही ज्यू होगा । धीरे - धीरे उसकी प्रशंसा , प्रसिद्धि , सत्ता और शक्ति बढती जाएगी और समुद्र में तथा पृथ्वी पर उस  जैसा शक्तिशाली  कोई न होगा । वह शत्रु के उन्माद को हवा के  जरिए खत्म करेगा 

गुमराह सिख समुदाय पंजाबी लड़कियों के साथ लव जिहाद

आज सिख समुदाय जिहादी ताकतों के जाल में गुमराह होरहा है. उन्हें ये पता नहीं की आज जिहादी ताकतें उनके बहु बेटियों को अपने लव-जिहाद के जाल में फंसा रहे हैं. उनकी जिन्दगी नर्क बना रहे है. साथ हीं इन्हीं जिहादी खेल के रास्ते उनके धर्म और आस्था पर गहरा चोट हो रहा है. मगर फिर भी सिख समुदाय जिहादी ताकतों की चाल को समझ नहीं पारहा है. सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म और वॉट्सऐप पर एसएमएस भेजकर व स्कूल कॉलेज हर तरफ आज सिख समुदाय के लड़कियों को निशाना बनाया जारहा है.

मुस्लिम लड़कों को सिख धर्म की लड़की से शादी करने के लिए उकसाया जा रहा है. इतना ही नहीं, इसके बदले में उन्हें अच्छी खासी रकम भी दिया जारहा है. स्टूडेंट्स ऑफ मुसलिम यूथ फोरम की तरफ से भेजे जा रहे मैसेज में मुसलिम लड़कों सिख लड़कियों को प्यार में फंसाने और उनसे शादी करने के और आतंकी गतिविधियों में शामिल करने के लिए उकसाने साजिश रची जारही है.

इसके लिए एक रेट कार्ड भी जारी किया गया है जिसमे पंजाबी लड़की को लव जिहाद में फंसाने पर 7 लाख देने की बात कही गई है. हाल ही में यूपी के शाहजहांपुर में सिख परिवार की बेटी लव जिहाद का शिकार हुई है. सिख सुलक्खन सिंह के घर एक मुस्लिम समुदाय का युवक उस्मान खान दूध लेने आता था. धीरे धीरे उस्मान ने सुलक्खन की नाबालिग पुत्री को अपने प्रेम जाल में फंसाया और मौका मिलते ही उसे कहीं गायब कर दिया.

लड़की अब तक गायब है. पता नहीं उसे बेच दिया गया या आतंकी बना दिया गया. ऐसे अनेको घटनाएं है जिसकी वजह से आए दिन सिख समुदाय की लड़कियां लव जिहाद की शिकार हो रही है. मगर फिर भी आज सिख समुदाय इन जिहादी ताकतों के हरकतों से अनभिज्ञ है और उनके साजिश का सिकार होरहा है.

किसान आंदोलन में जिहादी घुसपैठियों के सबूत

 किसान आंदोलन में अब जिहादी घुसपैठियों की इंट्री हो चुकी है. देशभर में आएदिन कोई न कोई जिहादी तत्व किसान आन्दोलन में अपना जिहाद फैलाते दिख हीं जाता है. कहीं पर अल्लाह हु अकबर के नारे लग रहे हैं तो कहीं पर तिरंगे का अपमान हो रहा है. राम मंदिर की झाकियां तोड़ने की बात हो या फिर भारतीय सेना की झांकी को तहस नहस करना, हर जगह जिहादी ताकतें किसान आन्दोलन के आड़ में अपना जिहादी एजेंडा चला रहे हैं.

पूरे आन्दोलन के दौरान ऐसे अनेकों घटनाएं सामने आई है जब जिहादी ताकतें आंदोलन में घुसपैठ बना कर देश की एकता और अखंडता को तोड़ने की साजिश रचते देखे गए. राकेश टिकैत का हिन्दू धर्म पर भड़काऊ बयान और उसके समर्थन में होने वाली प्रतिक्रिया भी इसी ओर इशारा करती है. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा की किसान आन्दोलन अब जिहादी ताकतों के हाथों का कठपुतली बन चुका है. 

26 जनवरी के दिन हुई राष्ट्रविरोधी उत्पात को पूरे देशा ने देखा. किसान आंदोलन के बीच दिल्ली पुलिस ने 5 आतंकियों को पहले ही गिरफ्तारकर चुकी है. इनमें दो आतंकी पंजाब के खालिस्तान से जुड़े हुए हैं और 3 आतंकी कश्मीर के हैं. पकड़े गए आतंकियों के नाम हैं शब्बीर अहमद, अयूब पठान, रियाज है. 

इनके पास से हथियारों के साथ साथ कुछ दस्तावेज़ भी बरामद हुए हैं. दिल्ली पुलिस इन आतंकियों का किसान संगठनों से भी लिंक खंगालने में जुटी हुई है. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा की किसान आंदोलन अब जिहादी घुसपैठियों की जद में है.

किसान आंदोलन की आड़ में जिहाद

1.  मुज़फ़्फ़रनगर के महापंचायत में MLA  नादिर हसन ने कहा हम बदला लेंगे

2.  मुज़फ़्फ़रनगर के महापंचायत में लगे अल्लाह हू अकबर के नारे

3.  मंच से ऐलान, टिकैत के लिए सिख समाज खून बहा देगी

4.  पानीपत करनाल रोड पर रैली के दौरान अल्लाह हू अकबर के लगे नारे

5.  गुजरात के कच्छ में आदोलन के दौरान खुलेआम जिहाद करने की बात

6.  मुज़फ़्फ़रनगर के महापंचायत में जयंत चौधरी ने कहा अब मुकाबला करेंगे

7. दिल्ली में आंदोलन के दौरान मुसलमानी टोपी उतार कर भगवा पगड़ी बांधते हुए देखे गए आन्दोलनकारी  

8. आंदोलन के दौरान दिल्ली के सड़कों पर नमाज़ पढ़ेते देखे गए आन्दोलनकारी

9.  लाल कोट दिल्ली में मुज़फ़्फ़रनगर भसाना के निवासी, मोहम्मद शहजाद भगवा पगड़ी बांधे हुए दिखा

गुरूग्रंथ साहिब में 5500 बार श्रीराम का उल्लेख

गुरूग्रंथ साहब में भगवान राम का 5500 बार उल्लेख है। भगवान राम की महिमा सिख परंपरा में भी बखूबी विवेचित है। सिखों के प्रधान ग्रंथ गुरुग्रंथ साहब में साढ़े पांच हजार बार भगवान राम के नाम का जिक्र मिलता है। दशम गुरु गोविंद सिंह ने तो दशमग्रंथ में रामावतार के नाम से एक परिपूर्ण सर्ग की ही रचना कर रखी है। सिख परंपरा में भगवान राम से जुड़ी विरासत रामनगरी में ही स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड में पूरी शिद्दत से प्रवाहमान है। गुरुद्वारा में प्रति वर्ष राम जन्मोत्सव मनाया जाता है। सुबह अरदास-कीर्तन के साथ भगवान राम पर केंद्रित गोष्ठी एवं दोपहर में भंडारा प्रस्तावित है। 

सिख परंपरा में घट-घट व्यापी राम के साथ दशरथनंदन राम की भी प्रतिष्ठा है और यह लगाव वैचारिक और दार्शनिक होने के साथ अनुवांशिकी के स्तर पर भी है। सिख गुरूओं के अनुसार भगवान राम सिखों के डीएनए में शामिल हैं। प्रथम सिख गुरु नानकदेव जिस वेदी कुल के दीपक थे, उसकी जड़ें भगवान राम के पुत्र लव से जुड़ती हैं और दशम गुरु गोविंद सिंह जिस सोढ़ी कुल के नरनाहर थे, उसकी जड़ें भगवान राम के दूसरे पुत्र कुश से जुड़ती हैं। 

रामजन्मभूमि मुक्ति के संघर्ष से भी सिखों का भगवान राम से जुड़ाव परिपुष्ट है। गुरु गोविंद सिंह से लेकर ब्रह्मकुंड गुरुद्वारा के पूर्व महंत गुलाब सिंह, शत्रुजीत सिंह और नारायण सिंह जैसी विभूतियों ने रामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए बराबर प्रयास किया। सिखों में वीरता एवं विनम्रता का समंवित योग उन्हें भगवान राम का बरबस वंशज सिद्ध करता है। ऐसे में वो सिख हो ही नहीं सकते जो भगवान राम का अपमान करने वाले हों।

श्रीराम मंदिर झांकी को किसने तोड़ा.. ?

राजपथ पर भव्य श्रीराम मंदिर की झांकी निकाली गई। सर्वश्रेष्ठ झांकी का पुरस्कार भी श्रीराम मंदिर झांकी को मिला। लेकिन लाल कोट पर गए दंगाईायों ने श्रीराम मंदिर झांकी को तोड़ा। जी हां, श्रीराम मंदिर झांकी को आखिर किसने तोड़ा ये सबसे बड़ा सवाल है। हिंदू और सिक्ख भगवान राम का अपमान नहीं कर सकते। गुरूवाणी में 5500 बार भगवान राम का जिक्र किया गया है। हर सिख भगवान राम की पूजा करता है। सभी गुरूओं ने भगवान राम की महत्ता के बारे में बताया है। ऐसे में कोई सच्चा सिख भगवान राम की प्रतियों को खंडित नहीं कर सकता। भगवान राम से जुड़ी झांकी पर तोड़फोड नहीं कर सकता।

ऐसे में सवाल ये है कि आखिर दंगाईयों की भीड़ में से किसने श्रीराम मंदिर झांकी पर हमला किया। क्या हमलाबरों के भेश में ऐसे कटटरपंथी घुसे थे जो श्रीराम का अपमान करना चाहते थे। क्या दंगाईयों की भीड़ में ऐसे आतंकी घुसे थे जो गुरूवाणी को नहीं मानते। क्या दंगाईयों की भीड़ में ऐसे लोग घुसे थे जो गुरूओं के उपदेशों का अपमान करना चाहते थे। क्या लालकोट पर हुए दंगे में ऐसे लोग घुसे थे, जो सच्चे सिख और हिंदुओं को बदनाम करना चाहते थे। क्या दंगाईयों की भीड़ में भेश बदलकर आतंकी घुस गए थे।

क्या अब संतवाणी का अपमान करने वाले भी दंगाईयों में घुस गए हैं। क्या निशान साहब को बदनाम करने की साजिश थी श्रीराम मंदिर झांकी पर हमला। ऐसे में सवाल ये हैं कि आखिर कौन थे श्रीराममंदिर झांकी पर हमला करने वाले। क्या श्रीराम झांकी पर हमला करने वाले पाकिस्तान के भेजे आतंकी थे। क्या लाल कोट के दंगाई खालिस्तानियों के टटटू थे। क्या श्रीराम मंदिर झांकी पर हमला करने वाले राजनीति मौहरे थे।

आखिर श्रीराम के नाम से कौन डरता है। किस राजनीतिक पार्टी को श्रीराम के नारे से परहेज है। क्या श्रीराम मंदिर झांकी पर हमला करने वालों को किसी राजनीतिक पार्टी ने भेजा था। क्या हिंदुओं और सिखों को लड़ाने की बडी साजिश की गई थी। क्या सिखों को हिंदुओं से अलग करने की साजिश थी श्रीराम झांकी पर हमला। ऐसे ही कई सवाल हम सबके सामने हैं। ऐसे में आप भी अपनी राय दे सकते हैं बिंदास बोल में बेखौफ।

18 January 2021

वाल्मीकि समुदाय के कर्मचारियों के साथ जामिया की जलालत !

देश के सबसे विवादित विश्वविद्यालयों में से एक जामिया मिलिया इस्लामिया एक बार फिर से चर्चा में है. यूनिवर्सिटी ने दलितों के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया है. वाल्मीकि समुदाय के 23 स्वच्छता कर्मचारियों को जामिया ने अचानक से निकाल कर बाहर कर दिया है. असहाय और पीड़ित वाल्मीकि समुदाय के स्वच्छता कर्मचारी जामिया के इस फैसले से बेबस और लाचार दिख रहे हैं. इननके पास अब खर्चे के लिए ना तो कोई आय का श्रोत बचा है और ना ही खाने के लिए घर में अन्न. अब ये मजदूर दर-दर की ठोकर खाकर असहाय महसूस कर रहे हैं. वाल्मीकि समुदाय के 23 हिन्दू स्वच्छता कर्मचारियों के पीड़ा को देखते हुए सुदर्शन न्यूज़ ने इस नाइंसाफी को देश के सामने उठाने का निर्णय किया. क्योकि ऐसी खबरें हमारे देश के कॉर्पोरेट मीडिया को दिखाने की कोई वजह नहीं दिखती है. उनका इसमें कोई टीआरपी नहीं दिखता है. 

इस पूरे घटनाक्रम में सबसे चौकाने वाली बात ये है की अन्य धर्मों के कर्मचारियों को छोड़ कर केवल वाल्मीकि समाज के ही सारे कर्मचारियों को हटाया गया है. ऐसे में सवाल इनके समानता के अधिकारों के हनन को लेकर भी उठता है.. की क्या इसपर कोई कार्रवाई जामिया के भेदभावकारी अधकारियों पर नहीं होना चाहिए..? साथ ही सवाल उन समानता के अधिकारों और दलितों के पैरोकारों को लेकर भी है...जो बात-बात पर राजनीति करने से बाज नहीं आते हैं. कहाँ हैं वो जय भीम और जय मीम के नारे देने वाले जो दलित मुस्लिम एकता और उदारता की बातें करते हैं..? आखिर कोई दलित नेता और दलितों के नाम पर वोट बटोरने वाली पार्टीयां अबतक आवाज क्यों नहीं उठाई है..?

बाल्मीकि समाज के ये सभी हिन्दू कर्मचारी 15-20 वर्षों से जामिया में काम कर रहे थे. कोरोना जैसे महा माहामारी में भी ये सफाईकर्मी पूरी लगन और मेहनत के साथ परिसर और नालियों की सफाई में जुटे रहे. जामिया के बदहाल तंग गलियों और कोरोना संक्रमण वाले इलाके में ये सभी मजदूर अपनी जान के परवाह किये बगैर दिनरात अपने स्वक्षता मिशन में जुटे रहे. मगर इनके इस कमरतोड़ मेहनत और इमानदरी पर जामिया के भेदभावकारी अधिकारीयों ने ऐसा कोड़ा चलाया है की इनकी ज़िन्दगी अधर में पड़ गई है. सभी कर्मचारी 10वीं से लेकर बारहवीं तक की पढ़ाई भी किये हैं. इनकी उम्र भी अब उतनी नहीं बची है की इन्हें कोई और अपने यहाँ नौकरी पर रख सके.

इनका कहना है की जामिया में मलेरिया की रोकथाम और अन्य शार्ट टर्म काम के लिए फूल टाइम बेतन पर कर्मचारी हैं. मगर जो दिनरात साफ-सफाई में लगा रहता था उसे ही आज जामिया ने निकाल दिया है. इन मजदूरों को पिछले 3-4 महीनों से वेतन भी नहीं मिला है. इनमें से अधिकतर सफाईकर्मी किराए के घरों  में रहते हैं. इनके पास बच्चों के खाने तक के पैसे नहीं हैं. निकाले गए सफाईकर्मीयों का आरोप है की उन्हें इसलिए हटाया जारहा है ताकि मुस्लिम समुदाय के लोगों को उनके जगह पर भर्ती किया जासके.

जामिया का विवादों से पुराना नाता रहा है. जामिया मिलिया इस्लामिया के संस्थापक सदस्य मोहम्मद अली जौहर हिंदुस्तान को दारुल इस्लाम बनाना चाहते थे. तो क्या जामिया के कर्मचारियों का निकाला जाना इसी सोच का परिणाम है..? सवाल कई हैं जिसका जवाब जामिया को देना होगा.

10 January 2021

भारतीय इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन बुराड़ी घाट का संग्राम

10 जनवरी 1760 भारतीय इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन है. 10 जनवरी को दत्ताजी शिंदे, जानकोजी शिंदेमालोजी शिंदेविष्णुपंत सवाजी वयाजी शिंदे महादजी शिंदे सहित असंख्य मराठा वीर दिल्ली से सटे बुराड़ी घाट पर रोहिले अफगानों का से मुकाबले के लिए भोर्चा लगाये हुए थे. नजीब सान, कुतुबशाह, महाबत खान सहित कई बड़े- बड़े रोहिले सरदार दिल्ली पर राक्षसी नजरे डाले हुए थे. इस सकट को टालने और दिल्ली को आबाद रखने का प्रण किये लाखों मराठा सैनिकों ने अपनी वीरता और पराक्रम से इस्लामी आक्रन्ताओं से डट कर मुकाबला किया.

दत्ताजी शिंदे प्रण किये थे कि अबकी बार अंतिम सांस तक नजीब और उसकी सेना को यमुनाजी पार करने नहीं देंगे. ठिठुराती कडाके कि शर्दी में भी मराठा साईं सैनिकों ने अपना मोर्चा संभाले हुए थे. लगभग सुबह 9 बजे वीर मराठा जानराव वाबळे के मोर्च पर नजीब खान कि सेना ने जोरदार आक्रमण किया खबर मिलते ही हिमराठी ने भी हर हर महादेव का नारा लगाकर बुराडी घाट यमुना जी में कुद गये, घनघोर युद्ध शुरू हुआ नजीबोला कि सेना ने सीधा हमला भगवा ध्वज गिराने का लक्ष्य रखा. युद्ध में जानकोजी शिदे शहीद होने कि गलत खबर फ़ैली. दोपहर तक मराठों ने यमुनाजी का पानी रक्त से लाल कर दिया. दत्ताजि पर तोप दागी गयी जिससे दत्ताजि अपने लॉलमणि घोडे से गिरकर यमुनाजी में बहने लगे. यह देख रणभूमि मे एकहि चर्चा उठी दत्ताजी का पतन हो गया.

यमुनाजी में खून से लथपथ दत्तारि के पास कुतुबशाहा नजीब पहुंचा और दत्ताजी को पुछा क्यो पाटिल और लटोगे ? अतिम समय पर भी दत्ताजी ने जोश भरा उत्तर दिया क्यो नहीं जियेंगे तो और भी लडेंगे. यह जवाब सुनते हि कुतुबशाह ने दत्ताजी किं गर्दन उतार दी और भाले की नोक पर लगाकर नाचना शुरू किया शाम होने तक मराठा पतन हो गया. दत्ताजि के शरीर को मराठा सैनिक रामचंद्र और उनके दस्ते ने अग्निदान दिया. प्रतिशोध कि भाग मराठों मे जलती रही मात्र छह महीने में दिल्ली के पास हि कुजपुरा कि लढाई में जानकोजी शिदे ने बदला लेते हुए कुतुबशाहा कि गर्दन उतार कर भाले कि नोक पर नचाई और एक बार फिर से हर हर महादेव के नारों के साथ पूरा युद्ध क्षेत्र गूंज उठा.

01 January 2021

दलितों आदिवासियों का ईसाई धर्मांतरण

आप दलित हैं, गरीब हैं हिंदू धर्म के देवी देवताओं में दुष्टता का वास है। दलित और गरीब बस्तियों में जाकर ईसाई पादरी ऐसा ही संदेश देते हैं। यहीं नहीं कुछ बस्तियों में हिंदू देवताओं की मूर्ति भी साथ ले जाकर गरीबों और दलितों को ईसाई बनाने का लालच देते हैं। जी हां, भारत में 90 प्रतिशत से ज्यादा गरीबों और दलितों को ईसाई बनाया गया है। समाज सुधार के नाम पर ईसाई बने दलितों को अब पछतावा हो रहा है। दलितों के साथ चर्च में दुव्र्यवहार हो रहा है। दलित पादरियों और दूसरे लोगों को चर्च में सम्मान नहीं मिलता। जिन दलितों को सम्मान और पैसे का लालच देकर ईसाई बनाया गया वो आज भी छुआछूत के शिकार हो रहे हैं। भारत में सदियों से ऊंच-नीच, असमानता और भेदभाव का शिकार रहे करोड़ों दलितों आदिवासियों और सामाजिक हाशिए पर खड़े लोगों ने चर्च क्रूस को चुना है लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि चर्च उनके जीवन स्तर को सुधारने की जगह अपने साम्राज्यवाद के विस्तार में व्यस्त है। 

चर्च का मकसद लोगों का जीवस्तर सुधारने में नहीं लोगों को सिर्फ ईसाई बनाने में है। विशाल संसाधनों से लैस चर्च अपने अनुयायियों की स्थिति से पल्ला झाड़ते हुए उन्हें सरकार की दया पर छोड़ना चाहता है। दरअसल चर्च का इरादा एक तीर से दो शिकार करने का है। कुल ईसाइयों की आबादी का आधे से ज्यादा अपने अनुयायियों को अनुसूचित जातियों की श्रेणी में रखवा कर वह इनके विकास की जिम्मेदारी सरकार पर डालते हुए देश की कुल आबादी के पाचवें हिस्से हिन्दू दलितों को ईसाइयत का जाम पिलाने का ताना-बाना बुनने में लगा है। ऐसे में यीशु के सिद्धांत कहीं पीछे छूट गए हैं। चर्च आज साम्राज्यवादी मानसिकता का प्रतीक बन गया है। 

आज भारत में कैथोलिक चर्च के 6 कार्डिनल है पर कोई दलित नहीं, 30 आर्च बिशप में कोई दलित नहीं, 175 बिशप में केवल 9 दलित हैं। 822 मेजर सुपिरयर में 12 दलित हैं, 25000 कैथोलिक पादरियों में 1130 दलित ईसाई हैं। इतिहास में पहली बार भारत के कैथलिक चर्च ने यह स्वीकार किया है कि जिस छुआछूत और जातिभेद के दंश से बचने को दलितों ने हिंदू धर्म को त्यागा था, वे आज भी उसके शिकार हैं। वह भी उस धर्म में जहां कथित तौर पर उनको वैश्विक ईसाईयत में समानता के दर्जे और सम्मान के वादे के साथ शामिल कराया गया था। 

कैथलिक चर्च ने 2016 में अपने पॉलिसी ऑफ दलित इम्पावरन्मेंट इन द कैथलिक चर्च इन इंडियारिपोर्ट में यह मान लिया है कि चर्च में दलितों से छुआछूत और भेदभाव बड़े पैमाने पर मौजूद है ये स्वीकारोक्ति नई बोतल में पुरानी शराब भरने जैसी ही है। 4 साल पहले दलित ईसाइयों के एक प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून के नाम एक ज्ञापन देकर आरोप लगाया था कि कैथोलिक चर्च और वेटिकन दलित ईसाइयों का उत्पीड़न कर रहे हैं। 

जातिवाद के नाम पर चर्च संस्थानों में दलित ईसाइयों के साथ लगातार भेदभाव किया जा रहा है। कैथोलिक बिशप कांफ्रेंस ऑफ इंडिया और वेटिकन को बार बार दुहाई देने के बाद भी चर्च उनके अधिकार देने को तैयार नहीं है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून को दिए ज्ञापन में मांग की गई कि वह चर्च को अपने ढांचे में जातिवाद के नाम पर उनका उत्पीड़न करने से रोके और अगर चर्च ऐसा नहीं करता तो संयुक्त राष्ट्र में वेटिकन को मिले स्थाई अबर्जवर के दर्जे को समाप्त कर दिया जाना चाहिए। लेकिन दलित ईसाई के साथ चर्च ने कभी भी न्याय नहीं किया।

पादरी को 28 साल लगे सजा दिलाने में

पादरी नन बना रहे थे शारीरिक संबंध, होस्टल में रहने वाली लड़की ने देख लिया। ऐसे में पादरी और नन ने लडकी को सिर में हथौडे के वार से मार डाला। 28 साल बाद मिली पादरी और नन को उम्र कैद की सजा। जी हां, हत्यारे पादरी और नन को सजा दिलाने में 28 साल लग गए। चर्च का दबाव, राजनीतिक साजिश और न्यायपालिका में ईसाईयों का प्रभुत्व केस को 28 साल तक खींच ले गए। सीबीआई की एक विशेष अदालत ने केरल के बहुचर्चित सिस्टर अभया हत्या मामले में एक पादरी और नन को उम्र कैद की सजा सुनाई है. तिरुवनंतपुरम में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के जज के सनल कुमार ने पादरी थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को पाँच-पाँच लाख रुपए का जुर्माना भी भरने का आदेश दिया. हत्या का ये मामला केरल में अब तक हुए आपराधिक मामलों के इतिहास का सबसे लंबा चला केस है। पैकेज पादरी को 28 साल लगे सजा दिलाने में

28 साल पहले अभया का शव उन्हीं के होस्टल के कुंए में मिला था. विशेष अदालत ने 69 साल के पादरी फादर थॉमस कोट्टूर और 55 साल की नन सेफी को दोषी ठहराया था. अदालत ने दोनों को हत्या के साथ साथ, अहम सबूत मिटाने का भी दोषी पाया. फादर कोट्टूर को आपराधिक साजिश करने का भी दोषी करार दिया गया. बात 26 मार्च 1992 की रात की है. 19 साल की प्री-डिग्री स्टूडेंट. अभया कोट्टायम में मौजूद पिऊस टेन्थ कॉन्वेंट के होस्टल में रहती थीं. ये होस्टल कनन्या कैथलिक चर्च चलाता था. परीक्षा की तैयारी के लिए अभया को सवेरे जल्दी उठना था. उसकी रूममेट शर्ली ने उसे तड़के चार बजे पढ़ने के लिए जगा दिया. अभया उठी और ठंडे पानी से मुंह धोने के लिए किचन की तरफ गई. आखिरी बार उसकी रूममेट शर्ली ने उसे रूम से जाते हुए देखा था. अभियोजन पक्ष का आरोप है कि जब अभया किचन में पहुंची तो उसने पादरी थॉमस कोट्टूर, सेफी और पादरी पुट्ट्रीकायल को अनैतिक स्थिति में पाया. 

अभया सभी को उनके बारे में बता न दे, इस डर से पादरी कोट्टूर ने उसका गला घोंटा और सिस्टर सेफी ने कुल्हाड़ी से उस पर वार किया. बाद में इन तीनों ने मिल कर उसे कॉन्वेंट के ही कुंए फेंक दिया. साल 1993 में सीबीआई ने इस मामले की तफ्तीश शुरू की और साल के आखिर तक थॉमस और उनकी टीम इस नतीजे पर पहुंची कि ये आत्महत्या का मामला है.

अब 76 साल के हो चुके थॉमस कहते हैं, अधिकारी चाहते थे कि इस मामले को आत्महत्या का मामला बता कर बंद कर दिया जाए. वो कोई भी पेंडिंग केस नहीं चाहते थे. मैंने इसका विरोध किया और नौकरी से इस्तीफा दे दिया. जब हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि इस मामले की सही तरीके से जांच की जाए तब जा कर इसकी जांच में गंभीरता आई. कई बार सबूतों के साथ और यहां तक कि नार्को-एनालिसिस की रिकॉर्डिंग के साथ भी छेड़छाड़ करने की कोशिशें हुई हैं, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया. इस मामले में कम से कम तीन बार ऐसा हुआ जब सबीआई की टीम ने कहा कि सिस्टर अभया ने आत्महत्या नहीं की बल्कि उसकी हत्या हुई थी. लेकिन गुनाहगारों तक पहुंचने में टीम नाकाम रही. चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट के साथ-साथ उच्च अदालतों ने सीबीआई की रिपोर्ट को स्वी

कार करने से मना कर दिया. साल 2008 में हाई कोर्ट ने सीबीआई को रिपोर्ट सौंपने के लिए तीन महीने का वक्त दिया. सीबीआई ने कॉन्वेंट के बगल में रहने वाले संजू मैथ्यू नाम के एक व्यक्ति को ढूंढ निकाला जिन्होंने धारा 164 के तहत गवाही दी कि 26 मार्च 1992 की रात उन्होंने फादर कोट्टूर को होस्टल परिसर में देखा था. इसके बाद सीबीआई की टीम ने फादर थॉमस कोट्टूर, सिस्टर सेफी और फादर पुट्ट्रीकायल को गिरफ्तार किया. हालाँकि गवाह संजू मैथ्यू बाद में अपने बयान से मुकर गया.