26 October 2022

फाइव हंड्रेड फॉर्चून कम्पनियां और उनके भारतीय सीईओ

      01. सुंदर पिचाई- अल्फाबेट

 

02. सत्या नडेला, माइक्रोसॉफ्ट

 

   03. पराग अग्रवाल, ट्विटर

 

04. ​लीना नायर, चैनल

 

05. शांतनु नारायण, एडोब इंक

 

06. ​अरविंद कृष्णा, आईबीएम

 

07. संजय मेहरोत्रा, माइक्रोन टेक्नोलॉजी

 

08. निकेश अरोड़ा, पालो ऑल्टो नेटवर्क्स

 

09. जयश्री उल्लाल, अरिस्टा नेटवर्क्स

 

10. जॉर्ज कुरियन, नेटऐप कंपनी

 

11. अजयपाल सिंह बंगा, मास्टरकार्ड

 

12. प्रेम वत्स, फेयरफैक्स फाइनेंशियल सर्विसेज

भारतीय मूल के विदेशी राष्ट्राध्यक्ष विदेशों में भारतीयों का डंका

      01. शिवसागर रामगुलाम

मॉरीशस के पूर्व प्रधान मंत्री

12 मार्च 1968- 30 जून 1982

 


02. देवन नैरो

सिंगापुर के पूर्व राष्ट्रपति

23 अक्टूबर 1981- 27 मार्च 1985

 


03. फ्रेंड रामदत्त मिश्रा

सूरीनाम के पूर्व राष्ट्रपति

8 फरवरी 1982- 25 जनवरी 1988

 


 

04. अनिरुद्ध जगन्नाथ

मॉरीशस के प्रधान पूर्व मंत्री

30 सितंबर 2003- 23 जनवरी 2017

 




05. प्रताप राधाकिशुन

सूरीनाम के पूर्व प्रधान मंत्री

17 जुलाई 1986- 7 अप्रैल 1987

 


06. रामसेवक शंकर

सूरीनाम के पूर्व राष्ट्रपति

25 जनवरी 1988- 24 दिसंबर 1990

 


07. छेदी जगना

गुयाना के पूर्व राष्ट्रपति

9 अक्टूबर 1992- 6 मार्च 1997

 


08. वासुदेव पांडे

त्रिनिदाद और टोबैगो के पूर्व प्रधान मंत्री

9 नवंबर 1995- 24 दिसंबर 2001

 


09. नवीन रामगुलाम

मॉरीशस के पूर्व प्रधान मंत्री

11 सितंबर 2000- 17 दिसंबर 2014

 


10. महेंद्र चौधरी

फिजी पूर्व प्रधान मंत्री

19 मई 1999- 27 मई 2000

 


11. भरत जगदेव

गुयाना के पूर्व राष्ट्रपति

11 अगस्त 1999- 3 दिसंबर 2011

 


12. एस. आर. नाथन

सिंगापुर के पूर्व राष्ट्रपति

11 अगस्त 1999- 3 दिसंबर 2011

 


13. कमला प्रसाद बिस्सार

त्रिनिदाद और टोबैगो के पूर्व प्रधान मंत्री

26 मई 2010- 9 सितंबर 2015

 


14. कैलाश पुरयाग

मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति

21 जुलाई 2012- 29 मई 2015

 


15. ऋषि सुनक

ब्रिटेन में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार

28 अक्टूबर 2022 को शपथ ग्रहण



ब्रिटेन में तो हिन्दू PM बना, पर भारत में घटते हिन्दुओं का PM कबतक रह पाएगा ?

लंदन में प्रधानमंत्री आवास का पता 10, डाउनिंग स्ट्रीट है. कभी भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन का अब एक भारतवंशी नेतृत्व करेगा. ऋषि सुनक का पता अब 10, डाउनिंग स्ट्रीट होगा. 28 अक्टूबर को शपथ ग्रहण करते ही वह आधिकारिक रूप से ब्रिटेन के पहले हिंदू प्रधानमंत्री हो जाएंगे.

पिछले वर्ष दीपावली पर ऋषि ने अपने घर पर दिवाली मनाई थी. ऋषि सुनक ने दीवाली पर अपने घर के बाहर दीपक जलाए थे. मगर ये एक संयोग ही है कि इस बार दीपावली पर ब्रिटेन में इतिहास रच गया. इसबार की दीवाली पर उनके प्रधानमंत्री पद के नाम का एलान हुआ.

ऋषि सुनक हिन्दू धर्म में आस्था रखते हैं और और गर्व के साथ अपने आप को हिन्दू बताते हैं, राम नाम का पटका हमेशा धारण करते हैं और गौ भक्ति भी करते हैं. उनका गौ पूजन करते हुए ये वीडियो पूरी देश दुनिया में बहुत चर्चित हुई थी.

सनातन संस्कृति में रचे-बसे सुनक के लिए जब प्रधानमंत्री पद का एलान हुआ तो दुनियांभर के हिन्दू समाज में ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी. भारत में ऋषि सुनक ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा. सुनक को अपने हिंदू होने पर गर्व है। उन्होंने स्वयं यह बात कही है.

वर्ष 2020 में सुनक ने हाथ में भगवद्गीता लेकर वित्त मंत्री पद की शपथ ली थी. मीडिया द्वारा सवाल उठाने पर उन्होंने स्पष्ट शब्दों में उत्तर देते हुए कहा थी वे ब्रिटिश नागरिक हैं, लेकिन उनका धर्म हिंदू है. भारत उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत है, ‘मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैं एक हिंदू हूं और हिंदू होना ही मेरी पहचान है

ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस के इस्तीफे के बाद नये प्रधानमंत्री की रेस में भारतवंशी ऋषि सुनक और पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना जतायी जा रही थी, लेकिन बोरिस जॉनसन के पीछे हटने के बाद ऋषि सुनक का रास्ता साफ हो गया था. वह 28 अक्टूबर को शपथ लेंगे.

जानिए क्या है पूना पैक्ट में डॉ. अंबेडकर के बयान और हिंदू नेताओं बीच का संबंध।

24 सितंबर 1932 को पूना पैक्ट हुआ था


डॉ. अंबेडकर और हिंदू नेताओं और दलित वर्ग के बीच समझौता हुआ


इसे पूना समझौते के नाम से जाना जाता है


व्यवस्थापिका सभा में SC ST को हिंदू वर्ग के अंतर्गत ही रखा गया


SC ST को हिंदू सामाजिक व्यवस्था के एक हिस्से के रूप में रखा गया


पूना पैक्ट करते समय बाबा साहब अम्बेडकर ने स्पस्ट किया था


SC ST आरक्षण धर्मांतरण करने वालों को नहीं मिलना चाहिए


धर्मांतरित अनुसूचित जाति के लोगों को दो- दो आरक्षण नहीं मिले

 

हिंदू धर्म छोड़ चुके लाभार्थियों का आरक्षण बंद करो, सरकारी सुविधा लेने वालों पर कार्रवाई करो।

विश्व हिंदू परिषद ने भोले-भाले हिन्दुओं के हक़ को लेकर एक बड़ा मुद्दा उठाया है. VHP के अनुसार धर्मांतरण कर चुके एससी-एसटी समाज को आरक्षण के लाभ की मांग न केवल संविधान बल्कि राष्ट्र विरोधी है. साथ हीं अनुसूचित जनजाति समाज के अधिकारों पर खुला डाका है. यही कारण है कि विश्व हिंदू परिषद इसे लेकर विरोध जता रही है. धर्मांतरण माफिया कैसे अनुसूचित जनजाति समाज के लिए खतरा बनते जा रहे हैं, इसे लेकर VHP देशभर में जनजागरण अभियान चलाएगी. केंद्र सरकार से भी क्रिप्टो क्रिश्चियन और इस्लामिक धर्मांतरण के मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की मांग की है.

धर्मांतरित अनुसूचित समाज अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ ले रहा है, जबकि ये संविधान के खिलाफ भी है. वर्ष 1932 में पूना पैक्ट करते समय बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने स्पस्ट किया था कि अनुसूचित जाति के लिए मिलने वाला आरक्षण धर्मांतरण करने वालों को नहीं मिलना चाहिए. पूना पैक्ट में प्रावधान किया गया था कि धर्मांतरित अनुसूचित जाति के लोगों को दो- दो आरक्षण नहीं मिलेंगे.

वर्ष 1936 में मिशनरी और मौलवियों ने दलित समुदाय के आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन किया था, उस वक्त तब महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर ने इस आंदोलन को अनुचित ठहराया था. इसके बाद अम्बेडकर ने इसे देश विरोधी तक करार दिया था.

दरअसल ईसाई मिशनरीज छद्म धर्मांतरण के जरिए एससी-एसटी समुदाय का धर्मांतरण करा लेती हैं, कानूनी अधिकारों से सम्बंधित दस्तावेजों में जाति वही रहती है, जिससे उन्हें लाभ मिलता रहता है. वहीं जो व्यक्ति धर्मांतरित हो जाता है, उसकी पूजा पद्धति रीति- रिवाज आदि सब बदल जाते हैं. यही कारण है कि धर्मांतरण करने वालों को एससी-एसटी आरक्षण का लाभ न मिले इसे लेकर अब जागरूकता अभियान चलाने और कानूनी लड़ाई लड़ने की योजना बन रही है. पिछले कुछ वर्षों में ईसाई धर्मांतरण की तादाद बढ़ी है, दस साल पहले छह करोड़ ईसाई आबादी थी, जो अब लगभग देश में ऐसे लोगों की संख्या दस करोड़ के करीब हैं. इतनी बड़ी संख्या में बदलाव धर्मांतरण के जरिये हीं संभव है.

अजमेर दरगाह, फारूक चिश्ती, सेक्स स्कैंडल और "सोफिया गर्ल्स स्कूल" की अनकही कहानी !

राजस्थान में अजमेर का "सोफिया गर्ल्स स्कूल" देश में लड़किओं के सबसे नामी स्कूलों में एक सोफिया गर्ल्स स्कूल में बड़े-बड़े रसूकदार लोगों की बेटियां पढ़ने आती थीं।राजस्थान के कई आईएएस और आईपीएस अधिकारिओं की बेटियां भी यहीं पर पढ़ती थीं। शहर में रहने वाले एक लड़के ने स्कूल के 9वीं क्लास की एक छात्रा से दोस्ती कर ली, छुट्टी के बाद वो छात्रा लड़के के साथ घूमने-फिरने जाने लगी। लड़के ने छात्रा  की अश्लील फोटो खिंच ली इसके बाद जो कुछ हुआ वो देश में अपराध के इतिहास में एक काले अध्याय की तरह दर्ज है, लेकिन आज भी भारत में इसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। ये घटना है वर्ष 1992 की और इसे "अजमेर सेक्स स्कैंडल" के नाम से जाना जाता है। सोफिया कॉलेज की 9वीं क्लास की छात्रा से दोस्ती करने वाले युवक का नाम था "फारूक चिश्ती" उसका परिवार अजमेर के ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर खादिम का काम करता था। फारूक चिश्ती अजमेर युवा कांग्रेस का अध्यक्ष भी था।  

छात्रा को प्रेमजाल में फ़साने के बाद फारूक चीश्ती ने उसकी अश्लील तस्वीरें ले ली और फिर ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। पहले छात्रा का यौन शोषण होता रहा फिर उससे कॉलेज की दूसरी सहेलिओं को लाने के लिए कहा गया। एक के बाद एक लडकियां इस जाल में फसती गईं और इज़्ज़त बचाने के लिए वो अपने साथ दूसरी लड़कियों को भी लाती गईं  ,कुछ से तो उनकी भाभी और बहनो को लाने को भी कहा गया था। पहले एक लड़की फिर दूसरी फिर तीसरी। बहुत जल्दी इस गिरोह जाल में लगभग 200 से अधिक हिन्दू लडकियां फंस चुकी थीं। 

अपुष्टदावों के अनुसार लगभग 250 लड़कियां गिरोह के जाल में फंस चुकी थीं। ये लड़कियां किसी गरीब या मध्यम वर्गीय परिवारों की नहीं बल्कि अजमेर की सबसे रईस परिवारों कि थीं, यह सबकुछ होता रहा और किसी लड़की के घरवालों को भनक तक नहीं लगी। ये मात्र संयोग नहीं था कि सिर्फ हिन्दू लड़किओं को ही निशाना बनाया गया, मुस्लिम लड़कियों को छुवा तक नहीं गया। जिन लड़किओं से बलात्कार हुआ उनमे से अधिकतर 10वीं और 12वीं क्लास में पढ़ती थीं। मास्टरमइंड फारूक चीश्ती अकेला नहीं था उसके साथ अजमेर शरीफ दरगाह से जुड़ा एक पूरा गिरोह सक्रिय था।  

उसके मुख्य सहयोगी थें नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती। ये दोनों भी युवा कांग्रेस  के नेता थें। बहुत संगठित ढंग से उनका गिरोह काम करता रहा। मज़हबी और कांग्रेसी संरक्षण मिला हुआ था इसलिए डरने की वैसे भी कोई बात नहीं थी। अजमेर के एक फाम हाउस पर ये काम बड़े आराम से चलता रहा। लड़कियों को लेने गाडी जाती थी और बाद में भी उन्हें गाडी से ही छोड़ा जाता था। बलात्कार के समय उनकी फोटो खिंच ली जाती थी ताकि वो किसी के आगे मुँह खोलने की हिम्मत न कर सकें। उस ज़माने में आज की तरह डिजिटल कैमरे नही हुआ करते थें तब कैमरे की रील धुलने जिस स्टूडियो में गयी वह भी एक मज़हबी व्यक्ति का था।  

स्टूडियो वाला भी एक्स्ट्रा कॉपी निकाल कर अलग से लड़कयों का यौन शोषण किया करता था। ये ब्लैकमैलेर्स स्वयं तो बलात्कार करते ही अपने दोस्त यारों को भी उपकृत करते। जिन लड़कियों के साथ बलात्कार और ब्लैकमेलिंग हुई उनमे से कुछ ने आत्माहत्या करनी शुरू कर दी। एक ही स्कूल के छात्राओं का इस तरह आत्महत्या करना ही मामले की पोल खुलने का कारण बना। शुरू में पुलिस ने 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया। समाज में बदनामी के डर से अधिकांश लड़कियों के परिवारों ने पुलिस में शिकायत दर्ज़ कराने से भी मना कर दिया। जो 12 लडकियां हिम्मत करके पुलिस के पास गयीं उनमे से भी 10 बाद में पीछे हट गयीं क्यूंकि आरोपी उन्हें धमकियां दिलवा रहे थें, बाकि बची 2 लड़कियों ने ही केस को आगे बढाया उन्होंने अकेले 16 आरोपियों की पहचान की।  

ये वो दौर था जब बलात्कार जैसे अपराधों में कड़ी सजा नहीं होती थी। घटना के 6 वर्ष बाद जिला न्यायलय ने 8 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई लेकिन मुख्य आरोपी फारूक चिश्ती ने खुद को मानसिक रोगी घोषित करवा लिया जिससे उसके मुक़दमे की सुनवाई लटक गयी। जिन आरोपियों को उम्रकैद हुई थी उनकी भीं सजा को 10 साल की जेल में बदल दिया गया। एक फरार आरोपी सलीम नफीस 19 वर्ष बाद साल 2012 में पकड़ा गयाबाद में वो भी ज़मानत पर छूट गया। जब इस बलात्कार काण्ड का भांडाफोड़ हुआ तो राजस्थान में कांग्रेस का पूरा सिस्टम आरोपियों को बचाने में लग गया , जो भी सामने आता उसे डरा धमका कर चुप करा दिया जाता, कहा गया की आरोपियों पर कार्र्यवाही हुई तो सांप्रदायिक माहौल खराब हो जायेगा। 

बलात्कारी एक मज़हब विशेष के थें इसलिए मोमबत्ती गैंग भी तब लड़कियों के बजाए बलात्कारियों के समर्थन में खड़ा हो गया था, सब का प्रयास यही था की देश के लोगों को अजमेर की ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की आड़ में हुए इस घिनौने और बर्बर काण्ड की कानो कान खबर न लग पाए, उन्हें चिंता थी की इससे दरगाह पर आने वाले हिन्दुओं की संख्या कम हो सकती है। वास्तव में अजमेर गैंगरेप काण्ड की शुरुवात लव जिहाद से हुई थी। पूरी तरह से धार्मिक पहचान के आधार पर हिन्दू लड़कियों को जाल में फसाया गया। 

हिन्दू आश्रमों और साधु संतों पर बेहूदी फिल्म बनाने वाले जिहादी बॉलीवुड ने भी कभी अजमेर के खादिमों के हाथों हुए इस बलात्कार कांड पर कोई फिल्म नहीं बनाई। अजमेर में माथा टेकने के लिए जाने वाले हिंदू ना तो दरगाह के इतिहास के बारे में जानते हैं और न यहाँ के खादिमों के हांथों हुए देश के सबसे बड़े बलात्कार कांड के बारे में। उनको ये भी आभास नहीं होता की ये मात्र किसी सूफी की दरगाह नहीं बल्कि यहाँ न जाने कितनी अबोध हिन्दू लड़कियों की चीख भी दफ्न है।  

18 October 2022

कानिफनाथ मंदिर पर हरा रंग पोता संत की कुटिया को भी जलाया, महाराष्ट्र के कन्नड़ में लैंड जिहाद का नंगा नाच।

देश में लैंड जिहाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. हर दिन कोई न कोई लैंड जिहाद की ख़बर सामने आ जाती है. संभाजीनगर जिले के कन्नड़ तालुके में स्थित करंजखेड़ गांव में एक बड़ा लैंड जिहाद हुआ है. जिहादियों ने हिंदुओं की प्राचीन ओम टेकरी पर संत कानिफनाथ महाराज की मंदिर समाधि पर मजार का निर्माण कर दिया है. साथ हीं मंदिर को भी हरे रंग से रंग कर, भगवा झंडे को उतारकर फ़ेंक दिया है. 

जिहादियों ने अपनी सारी हदें पर करते हुए मंदिर के सामने बनी संत की कुटिया को भी आग लगा कर जला दिया है. इस गांव में मुस्लिम आबादी काफी संख्या में रहती है. सिर्फ कुछ ही घर हिंदुओं के हैं जो आज डरे सहमे हुए हैं. इसी करंजखेड़ं गांव के पास एक बहुत बड़ा पर्वत है जिसका आकार ओम के जैसा है जिसके चलते इस पर्वत को ओम टेकरी के नाम से जाना जाता है.

इसी ओम टेकरी पर हिंदुओं के आराध्य कानिफनाथ महाराज जी का वर्षों पुराना ऐतिहासिक समाधि मंदिर है. हर गुरुवार को यहां पर हिंदुओं द्वारा भंडारा और महाप्रसाद का आयोजन किया जाता था, जिसमें बड़ी संख्या में हिंदू भक्त यहां पहुंचते थे और प्रसाद ग्रहण करते थे. लेकिन पिछले 2 वर्षों से कोरोना के चलते हिंदू भक्त ओम टेकरी पर नहीं पहुंच पा रहे थे, इसी का फायदा उठाकर जिहादियों ने इस मंदिर के महंत को डरा धमका कर मंदिर की दीवारों पर हरा रंग पोत दिया. मंदिर पर लगे भगवा झंडे को हटाकर हरे रंग का झंडा लगा दिया.

इतना हीं नहीं संत कानिफनाथ महाराज जी की समाधि मंदिर में मजार जैसा आकार बनाकर हरी चादर भी चढ़ा दी और समाधि मंदिर के सामने बनी मंदिर के सेवा करने वाले महाराज जी की कुटिया में, मांस मटन के टुकड़े फेंकना भी शुरू कर दिए.

लॉकडाउन के दरमियान जब यह पूरा मामला सुदर्शन न्यूज़ के संज्ञान में आया तो सुदर्शन न्यूज़ ने इस खबर को ग्राउंड जीरो से प्रमुखता से दिखाया था जिसके बाद ओम टेकरी पर पुलिस बल तैनात किया गया था. लेकिन जून महीने में ओम टेकरी के महंत भंडारी महाराज जी चार धाम की यात्रा पर गए थे, इसी दौरान जिहादियों ने आधी रात में कानिफनाथ महाराज जी के मंदिर के सामने बनी महंत भंडारी महाराज जी की कुटिया को आग लगा कर पूरी कुटिया को जला दिया. महंत जी के पास कानिफनाथ महाराज समाधि मंदिर के कुछ मुख्य दस्तावेज थे जिसे महंत जी ने कुटिया में रखा था कुटिया में आग लगने से दस्तावेज भी जल गए.

सिंदूर लगे हुए भगवान की मूर्ति आग लगाने के बाद जब नहीं जल पाई तो वहां  पर जिहादियों ने चूना लगाकर हरे रंग के कपड़ों से ढक दिया. जब महंत जी ने  स्थानीय पुलिस से कार्रवाई की मांग की तो पुलिस ने उल्टा उनको हीं नोटिस थमा दिया. स्थानीय पुलिस ने जिहादियों के दबाव में मंदिर के महंत को ओम टेकरी पर जाने से इसलिए रोक दिया कि आपके जाने से वहां दो समुदायों में तनाव पैदा हो जाएगा. ऐसे में जिहादियों को पुलिस प्रशासन से सह मिलने के बाद पूरा का पूरा मंदिर और कुटिया लैंड जिहाद का शिकार हो गया.

अंत में मंदिर के महंत भंडारी जी महाराज ने जब सुदर्शन न्यूज़ से मदद मांगी तो हमारे संवाददाता बाबूलाल राठौर ने जिहादी आतंक के अड्डे से मंदिर और कुटिया को मुक्त कराने के लिए ग्राउंड जीरों पर पहुंचे और पूरी घटनाक्रम को विस्तार से कवरेज किया जिसे हम आपको आगे इस कार्यक्रम में दिखाएंगे. ब्यूरो रिपोर्ट सुदर्शन न्यूज़.


कौन हैं कानिफनाथ नाथ जी ?


कानिफनाथ जी नाथ सम्प्रदाय के एक योगी थे।

उनके द्वारा प्रवर्तित योग मत साधना शुरू किया गया।

यह नाथ पन्थ में वामार्ग के रूप में जाना जाता है।

कानिफनाथ जी को कानिपा, कानपा, कान्हपा, कान्हपाद, करनिपा, कानेरी पाद आदि अनेक उपनामों से जाना जाता है।

इनका जन्म कर्णाट देशीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

इनके शरीर का वर्ण काला था इसलिए इनको कृष्णपाद नाम से भी जाना जाता है।

कानिफनाथ जी जालन्धर नाथ जी के प्रधान शिष्य थे।

कृष्ण पाद की प्रेरणा नाथ योग के सिद्धांतों से पोषिता थी।

कृष्ण पाद कपालिक की अपेक्षा शैव योगी थे।

मस्जिद पर हमले की फर्जी कहानी का भंडाफोड़, बकरी बांधने की जगह दी तो मोहल्ला बसा दिया, गुरुग्राम से लैंड जिहाद की पूरी कहानी।

हरियाणा के गुरुग्राम में मस्जिद पर झूठी हमले की खबर को लेकर गलत ख़बरें फैलाई गईI नमाजियों से मारपीट करने, मस्जिद में तोड़फोड़ करने के के नाम पर लैंड जिहाद को खुला समर्थन दिया गयाI इस पूरे मामले को सांप्रदायिक रंग देकर सरपंच के स्थानीय चुनाव में वोट का फसल काटने के लिए पूरे माहौल को कुछ सरारती तत्वों ने पूरे इलाके में माहौल को तनावपूर्ण बना दियाI

गुरुग्राम के पटौदी कस्बा में पड़ने वाले गांव भोड़ाकलां में कुछ वर्ष पहले तक यहां नाम मात्र के मुसलमान रहते थेI स्थानीय हिन्दुओं ने पशुओं को बांधने के लिए मौखिक रूप से अपनी जमीन दी..तो कुछ हीं दिन में मुसलामानों ने लैंड जिहाद कर मजार बना दियाI इसे कुछ सेक्युलर जमात के लोगों ने मस्जिद बता कर मुसलमानों के समर्थन में उतार आएI

मगर सच्चाई ये है कि यहां न तो कोई मस्जिद है और ना पहले से कोई मस्जिद थीI मगर धीरे-धीरे लैंड जिहाद करके पशु बांधने की जगह पर मज़ार बना दिया गयाI 2013 में एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी हुआ थाI SDM की मौजूदगी में जिस सहमती पत्र पर आम राय बनी थी, उसमे स्पस्ट रूप से लिखा है कि कोई मौलवी यहां नहीं आएगाI

मगर सहमती पत्र की शर्तों को तोड़ पर मुसलामनों ने नमाज़ पढ़ना शुरू कर दियाI जब इस बात का विरोध हिन्दुओं ने किया तो..इसे साम्प्रदायिक रंग देकर मुसलामनों ने मस्जिद पर हमला बता दियाI

मामले को कुछ मुस्लिम परस्त मीडिया हाउस और पत्रकारों ने गलत तरीके से रिपोर्टिंग की जिसके बात माहौल तनावपूर्ण हो गयाI ये मुद्दा अब सुर्ख़ियों में बना हुआ हैI


                         SDM को दी गई लिखित चिट्ठी

 

जिस स्थान पर फर्जी मस्जिद बताया जा रहा है उसको लेकर 2013 में SDM को एक लेटर दिया गया था जिसमें दोनों पक्षों के लोगों ने हस्ताक्षर के साथ स्वीकार किया था कि यहां पर गांव से बाहर के लोग नमाज पढ़ने नहीं आएंगे और कोई भी बाहरी मौलवी नहीं रखेगें।

मगर यहां पर बाद में जिहादियों ने नमाज़ पढ़ने के बाद अवैध मज़ार और ऊपर की तरफ़ एक फ़्लोर भी बना दिया। SDM को दिए लिखित पत्र में क्या कहा गया था आईये आपको विस्तार से यहां पर बताते हैं।

“आज दिनांक 23.8.2013 को उप मण्डल अधिकारी पटौदी के कार्यालय में उपस्थित लोगों, सर्व श्री नेपाल सिंह पुत्र श्री भरत सिंह, योगन्द्र चौहान, आन्नदपाल, औमपाल पुत्र करण सिंह, मेदखान पुत्र डुडियां, बाबूलाल पुत्र बुद्धराम, नजर मोहम्मद पुत्र जफरखान अन्य मौजिजान लोगों ने आश्वासन दिया कि मेदखान के मकान के अन्दर एक कमरा है जिसको वह अपने व्यक्तिगत नागज के लिए इस्तेमाल करते है। यहां इस बारे उन्होने आश्वासन दिया कि वहां पर गांव से बाहर के लोग नमाज पढ़ने नहीं आयेगें और मोलवी भी नहीं रखेगें। इस कमरे में हिन्दु समाज के लोग कोई प्रसाद आदि नहीं चढ़ायेगे। जो पीर बाबा की मजार के रास्ते में जो शौचालय व सिढ़िया व मजार के उपर जो कमरा है उन्हें हटा लिया जायेगा और जो भी बदलाव, तरमीम होगी इन निम्न लिखित व्यक्तियों की देख-रेख में होगी, जैसे महेश कुमार पुत्र भरत सिंह, योगेन्द्र पुत्र आन्नदपाल सिंह व नेपाल पुत्र भरत सिंह, औम पाल पुत्र करण सिंह, नजर मोहम्मद पुत्र जफरखान, बाबूलाल पुत्र बुद्धराम, आश मोहम्मद पुत्र अली मोहम्मद। यह भी उपरोक्त सभी व्यक्तियों ने उपरोक्त फैसले की सहमति प्रकट की और आश्वासन दिया कि कोई भी व्यक्ति आपसी भाईचारे और शान्ति को भंग करने की कोई कोशिश नहीं करेगा। गांव के उपस्थित सभी लोगों ने इस फैसले पर अपनी पूर्ण रूप से सहमति प्रकट की है। उपरोक्त फैसला माननीय उप मण्डलाधीश पटौदी, सहायक पुलिस आयुक्त पटौदी, तहसीलदार पटौदी, नायब तहसीलदार पटौदी, थाना प्रबन्धक बिलासपुर आदि की उपस्थिति में हुआ।

हिन्दू धर्म में विवाह और गृह प्रवेश का महत्व।

हिंदू विवाह से तात्पर्य कन्यादान से है।


परंपराओं, संस्कारों, रिवाजों के साथ उपहार। 


हिंदू विवाह एक प्राचीन परंपरा है।


हिंदू धर्म में 16 संस्कार हैं।


विवाह हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण संस्कार है।


अग्नि के सात फेरे से ध्रुव तारा को साक्षी मानते हैं।


तन, मन व आत्मा एक पवित्र बंधन में बंध जाते हैं।


इन संस्कारों के बगैर जीवन सफल नहीं माना जाता।


पति पत्नी का जन्म जन्मांतर का संबन्ध माना गया है।

 

गृह प्रवेश का महत्व

 

गृह प्रवेश हिन्दू धर्म का अभिन्न हिस्सा हैI

 

घर में सबसे पहले दुल्हन पैर रखती हैI

 

प्रवेश के वक्त दाहिने पैर पहले रखते हैंI

 

इससे दुल्हन सौभाग्य को प्रवेश देती हैI

 

समृद्धि की देवी-लक्ष्मी घर में प्रवेश करती हैI

 

स्त्री धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैI

 

चावल से भरे कलश को पैर से गिराते हैंI

 

इसे भाग्य का प्रतीक माना जाता है। 

विवाह परंपरा का मजाक उड़ाने वाले आमिर खान को गिरफ्तार करो, AU बैंक का हिन्दू विरोधी एजेंडा।

आमिर खान का एकबार फिर से हिन्दू विरोधी चेहरा सामने आया हैI हमेशा की तरह इसबार भी आमिर खान ने हिन्दू परंपराओं का माजाक उड़ाया हैI आमिर खान और कियारा आडवाणी ने भले ही साथ में कोई फिल्म न की हो, लेकिन एक विज्ञापन में वो दोनों पति-पत्नी के रूप में साथ नजर आए हैं। ये विज्ञापन AU स्मॉल फाइनेंस बैंक के लिए शूट किया गया। चूँकि इसकी टैगलाइन थी- बदलाव हमसे है, इसलिए क्रिएटिविटी के नाम पर दिखाया गया कि शादी में अब लड़कों की विदाई उनके घरों से होनी चाहिए। 

ये विज्ञापन हिन्दू धर्म के विरुद्ध है और परंपराओं को बिखंडित करने वाला हैI  देखने के बाद सोशल मीडिया पर हिंदू भड़के हुए हैं। AU बैंक बदलाव के नाम पर हिंदू रीति-रिवाज को हीं चेंज करने पर तुला हिया। यही कारण है कि सोशल मीडिया में बायकाट AU बैंक का भी ट्रेंड चल रहा है।

इस विज्ञापन में आप देख सकते हैं कि एक गाड़ी में दूल्हा बने (आमिर खान) और दुल्हन बनी (कियारा आडवाणी) बिदाई के बाद घर जा रहे हैं। आमिर खान कहता हैं कि ये पहली बिदाई है जिसमें लड़की नहीं रोई। इसके बाद अगल सीन गृह प्रवेश का है। यहाँ आमिर पूछता हैं कि अंदर पहले कौन जाएगा? इसपर कियारा आडवाणी जवाब देती हैं कि जो नया है वो। फिर आमिर कहता हैं यानी मैं

विज्ञापन में आगे गृह प्रवेश होता है और लड़की की जगह आमिर को घर में प्रवेश करते दिखाया गया है। विज्ञापन के आखिर में इस बात को स्पस्ट किया गया है कि ‘सदियों से जो प्रथा चलती आ रही है, अब उसकी क्या जरुरत है’ ? विज्ञापन में AU बैंक कहता है कि ‘तभी तो हम सवाल पूछते हैं बैंकिंग की हर प्रथा से ताकि आपको मिले अलग बैंकिंग सर्विस’ अंत में बैंक का स्लोगन आता है ‘AU बैंक- बदलाव हमसे है’।  

ऐसे में सवाल AU बैंक से हम भी पूछ रहे हैं कि बदलाव के नाम पर हिन्दू परंपराओं का मजाक क्यों ? क्या बैंक ऐसा मजाक किसी अन्य धर्म को लेकर दिखा सकता है ? इस विज्ञापन पर कई लोगों ने इस पर आपत्ति जताई है। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्यों ना AU बैंक को बायकाट कर आमिर खान को गिरफ्तार किया जाय।