30 June 2020

सफूरा जरगर को जमानत देना क्या कानून का माजाक नहीं है..?

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई दंगे की आरोपी और जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी की सदस्य सफूरा जरगर को दिल्ली उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी है. दंगे के आरोपी सफूरा जरगर के जमानत मिलते ही लोगों में जबरजस्त गुस्सा और तनाव का माहौल बना हुआ है. सफूरा के इस जमानत को लेकर कई लोग सवाल खड़ा कर रहे हैं. अदालत ने सफूरा को निर्देश दिया है कि वह ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल न हो जिससे मामले की जांच-पड़ताल में बाधा आए. आदालत के इस आदेश से ही अस्पष्ट हो जाता है की सफूरा को जमानत देना कितना खतरनाक है. आदलत को भी पता है की सफूरा के बाहर आने से दंगे की जांच प्रभावित हो सकता है. यही कारण है की जमानत को लेकर तरह तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं.

अदालत ने सफूरा को दिल्ली से बाहर जाने पर भी रोक लगा दिया है. साथ ही अदालत ने सफूरा को जांच अधिकारी से बराबर संपर्क में रहने को कहा है. दिल्ली पुलिस ने अदालत में इसी हफ्ते स्टेटस रिपोर्ट दायर की थी. दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में यह दलील दी थी कि सफूरा उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के अहम साजिशकर्ताओं में से एक है..उसे गर्भवती होने के आधार पर जमानत नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि यह जमानत का कोई आधार नहीं है.

पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कोर्ट से कहा था कि पिछले 10 सालों में जेल में 39 बच्चों का जन्म हुआ है. न्यायमूर्ति राजीव शकधर की पीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई के दौरान पुलिस ने दलील दी कि अपराध की गंभीरता सिर्फ गर्भवती होने से कम नहीं होती. पहले भी न केवल गर्भवती महिलाओं की गिरफ्तारी हुई है, बल्कि जेल में उनकी डिलीवरी भी हुई है. सफूरा पर गंभीर आरोप हैं और उसे केवल गर्भवती होने के कारण जमानत नहीं दी जानी चाहिए. दिल्ली पुलिस ने स्टेटस रिपोर्ट में ये भी कहा कि जांच और गवाहों के बयान के आधार पर सफूरा जरगर के खिलाफ गंभीर केस है. इसके ऊपर सख्त यूएपीए कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है. तो ऐसे सवाल खड़ा होता है आखिर इतनी बड़ी दंगे की आरोपी को जमानत देना कितना बड़ा कानून का माजाक है.

नेपाल की जमीन पर चीन का कब्ज़ा

नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से हाथ मिला लिया है. आज नेपाल की सरकार इस कदर चीन के चंगुल फंस गई है की उसे अपने ही देश की भूमि पर चीनी कब्ज़ा दिखाई नहीं दे रही है. ऐसे में नेपाल की सरकार के ऊपर इस बात का दबाव बढ़ रहा है कि वो चीन के साथ सीमा के मुद्दों को लेकर कड़ा रुख़ अख़्तियार करे. नेपाल की मीडिया में ऐसे कई रिपोर्ट सामने आई है जिसमे ये बताया गया है कि कई नेपाली गांव को चीन ने अपने कब्जे में ले लिया है.

नेपाल के कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक देश के कुल 10 जगहों पर चीन ने कब्‍जा कर लिया है. यही नहीं पेइचिंग ने 33 हेक्टेयर की नेपाली जमीन पर नदियों की धारा बदलकर प्राकृतिक सीमा बना दी है और कब्जा कर लिया है. भारत के बातचीत के ऑफर के बाद भी विवादित नक्‍शा जारी करने वाली नेपाल की कम्‍युनिस्‍ट सरकार ने अपने आका चीन के इस नापाक कदम पर चुप्‍पी साध रखी है. वहीं नेपाली विपक्ष को अब ड्रैगन का डर सताने लगा है.

चीनी सरकार तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र TAR में सड़क नेटवर्क के लिए निर्माण कर रहा है जिससे नदियों और सहायक नदियों का रास्ता बदल गया है और वे नेपाल की तरफ बहने लगी हैं. ऐसे में अगर समय नेपाल चीन के खिलाफ कदम नहीं उठाया तो नेपाल का एक बड़ा हिस्सा चीन के पास चला जाएगा.

बीड़ी संभावना ये है कि चीन इन इलाकों में अपने बॉर्डर ऑब्जर्वेशन पोस्ट BOP बना रहा है. जहां उसकी सशस्त्र पुलिस तैनात रहेगी.  वर्ष 1960 में सर्वे के बाद खंभे लगाकर चीन की सीमा तय कर दी गई थी लेकिन नेपाल ने सीमा को सुरक्षित करने के लिए कुछ भी नहीं किया. तो ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है की क्या नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार नेपाल को चीन में बिलय का कोई बड़ा साजिश तो नही रच रही है ?

नेपाल और चीन के बीच 100 और भारत की सीमा पर 8,553 खंभे लगे हैं. रुई गांव वर्ष 2017 से तिब्‍बत के स्‍वायत्‍त क्षेत्र का हिस्‍सा हो गया है. इस गांव में अभी 72 घर हैं. रुई गांव अभी भी नेपाल के मानचित्र में शामिल है, लेकिन वहां पर पूरी तरह से चीन का नियंत्रण हो गया है. रुई गांव के सीमा स्तंभों को नेपाल ने हटा दिया है.

नेपाल के वर्तमान सरकार ने चीन के सामने घुटने टेक दिए हैं. नेपाल की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के नेता अब भारत विरोधी बयानों और भारत विरोधी गतिविधियों का सहारा ले रहे हैं.. ताकि चीन की नेपाल सीमा में घुसपैठ को छुपा सके. 

भारत की जमीन पर नेपाल का फर्जी दावा

चीन भारत को चौतरफा घेर रहा है. यही कारण है कि अब चीन नेपाल को भारत के प्रति उकसा रहा है. नेपाल ने अपने राजनीतिक नक़्शे के आधार पर नए प्रतीक को आधिकारिक रूप से अपनाया है. इस नए नक़्शे में 1816 की सुगौली संधि के मुताबिक़ लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को जगह दी गई थी. ये क्षेत्र पहले से ही भारत के नक़्शे में शामिल रहे हैं और फ़िलहाल इन पर भारत का क़ब्ज़ा भी है.

दक्षिण एशिया में जहां एक ओर भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में तनाव की स्थिति बनी हुई है तो वहीं दूसरी तरफ़ लिपुलेख में नेपाल और भारत के बीच भी चीन ने तनाव पैदा कर दिया है.


भारत-नेपाल सीमा विवाद आज चर्चा का विषय बना हुआ है. इंडियन आर्मी चीफ मनोज मुकुंद नरवणे ने अपने शुरुआती बयान में कहा था ये सारा मामला चीन के इशारे पर उठाया गया है. नेपाल-भारत सीमा मुद्दे पर भारत की ओर से तो शायद ही कभी आवाज आई हो, लेकिन नेपाल जो 1990 से पहले इस मुद्दे को अनौपचारिक रूप से उठाता था, अब उसने इस एजेंडे को औपचारिक रूप से टेबल पर लाना शुरू कर दिया है.


1997 में भारतीय प्रधानमंत्री आईके गुजराल की नेपाल यात्रा पर आधिकारिक रूप से सीमा विवाद के मुद्दे पर चर्चा की गई थी. विदेश मंत्री जसवंत सिंह जब 1999 में काठमांडू आए थे, तब फिर से इस पर चर्चा हुई थी. बाद में इसी मुद्दे को दोनों देशों के उच्च स्तरीय संवाद से सुलझा लिया गया था. नेपाल 29 अप्रैल 1954 को तिब्बत पर हुए भारत-चीन समझौते से अच्छी तरह से वाकिफ है, जहां पहली बार लिपुलेख को भारतीय तीर्थयात्रियों को इजाजत देने वाली छह बॉर्डर में शामिल किया गया था. इसके बावजूद नेपाल जान बुझकर विवाद खड़ा कर रहा है.

 

इतिहास में नेपाल की सीमा को कई संधियों और समझौतों के जरिए रेखांकित किया गया है. उपलब्ध दस्तावेज बताते हैं कि नेपाल के दावे वाला क्षेत्र अंग्रेजों के पूर्ण नियंत्रण में था. जिस तरह नेपाल ने यह मुद्दा उठाया है उसे देखकर भारत भी अब अपना मोर्चा संभाल लिया है. ताकि नेपाल के साथ-साथ चीन को भी सबक सिखाया जा सके.

हिन्दू युवती करिश्मा भोंसले की सिंह गर्जना

वीर शिवाजी की धरती पर आज एक ऐसी मर्दानी बिरंगना क्रांति की है जिसे आज तक न तो कोई सरकार कर पायी और ना हीं कोई कोर्ट कचहरी. जी हाँ, आपने बिल्कुल सच सुना. हम बात कर रहे हैं हिन्दू क्रांतिकारी करिश्मा भोंसले की. मुंबई के मानखुर्द इलाके में करिश्मा भोंसले ने रोज सुबह लाउडस्पीकर पर अजान के खिलाफ अपनी अवाज उठाई है..हिन्दू युवती करिश्मा भोंसले के घर के सामने ही मस्जिद है जहां रोजाना अजान से आसपास के इलाके की लोगों का कान फटती थी.

तेज आवाज में होने वाली अजान से पूरा इलाका त्रस्त था..मगर किसी ने कभी इसे बंद कराने के लिए कोई आवाज़ नही उठाई...आखिकार आजान की कानफाडू भोपू को हमेशा के लिए बंद कराने के उदेश्य से करिश्मा भोसले ने लाउडस्पीकर पर अजान करने पर आपत्ति दर्ज कराने पुरानी मस्जिद जा पहुंची... मस्जिद के नामाजी करिश्मा की बात सुनने के बजाय...खुद इस क्रांतिकारी बिरंगना से उलझ गये. मस्जिद के झंडाबरदार मुल्ले और इलाके के कट्टरपंथी मुस्लिम महिलाएं भी करिश्मा भोसले के साथ कहासुनी करने लगी.

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे अजान और सड़कों पर नमाज को लेकर पहले ही विरोध जता चुके हैं...महाराष्ट्र में नमाज को लेकर विरोध का ये कोई पहला ऐसा वाक्या  नहीं है. इससे पहले सिंगर सोनू निगम लाउडस्पीकर पर अजान करने को लेकर विरोध दर्ज करा चुके हैं.

लाउडस्पीकर पर अजान को लेकर इस हिन्दू बिरंगना ने सामाज में नई चेतना जागृत की है...ऐसे में अब समय आगया है की सभी राज्य सरकारें इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन करे. साथ ही संविधान के अनुच्छेद 21 में दी गई जीवन जीने के अधिकार को केंद्र और राज्य सरकार कड़ाई ले लागू करे..ताकि किसी भी नागरिक के जीवन में नामाजी आतंक का खौफ ना रहे.   

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किसी मुस्लिम संगठन ने नहीं किया था. लेकिन बावजूद इसके देश के हर कोने में आज भी मस्जिदों से बेरोकटोक लाउडस्पीकर पर अजान हो रही है. ऐसे में ये कहीं न कहीं कानून और संविधान दोनों का घोर उलंघन है.

साथ ही ये अदालत की खुली अवमानना भी है. अगर नामाजी आतंक पर राज्य सरकारें मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठ कर, कानफाडू भोपू पर प्रतिबन्ध नही लगाया तो देश की हर हिन्दू गली मोहल्ले से मर्दानी करिश्मा भोसले निकलेंगी.

झारखण्ड में ईशाई धर्मांतरण

झारखण्ड में ईशाई धर्मांतरण अपने चरम सीमा पर है. झारखण्ड में धर्मांतरण का खेल सदियों से चला आरहा है...मगर पिछले कुछ दिनों से ईसाई मिशनरियां काफी सक्रिय हो गई हैं. ताज़ा मामला धनबाद के बेलगाड़िया का है. यहाँ के लोगों में धर्मांतरण को लेकर काफी आक्रोश है. ईसाई मिशनरियां घर बनाने के नाम पर CNT की जमीन को दान के नाम पर खरीदा और फिर उसी पर धोखे से चर्च का निर्माण कर दिया.

इस घटना की नजाकत को देखते हुए स्थानीय सिंदरी विधायक इंद्रजीत महतो मौके पर पहुंचे और गलत तरिके से CNT खाते की जमीन लेने वालों एवं धर्मांतरण कराने वालों पर की कार्यवाई की मांग की..

ग्रामीणों और स्थानीय विधायक के आक्रोश को देखते हुए मौके  पर पहुंची पुलिस ने दो यूथ मिशनरी मोमेंट को लिया हिरासत  में लिया है. सिंदरी विधायक ने आरोप लगाया है की सरकार सूबे में  तेजी से धर्मातरण को बढ़ावा दे रही है. झारखंड में सरकार बदलते हीं ईसाई मिशनरियां सक्रिय हो गयी है और तेजी से धर्मातरण का कार्य किया जा रहा है.

झरिया के अग्नि प्रभावित इलाकों से विस्थापित होकर सैकड़ों गरीब परिवारों को बेलगाड़िया टाउनशिप में बसाया गया था. यहीं पर पिछले दिनों एक महली परिवार से अरुणाचल प्रदेश के रहने वाले एवं तमिलनाडु की मिशनरी संस्था यूथ मिशनरी मूवमेंट से जुड़े  शख्स ने घर बनाने के नाम पर लगभग 3.5 डिसमिल जमीन खरीद ली एवं घर बनाते बनाते बनाते वहां पर चर्च का निर्माण भी कर दिया. वहीं आसपास के कुछ परिवारों को भी उसने ईसाई धर्म में परिवर्तित करा दिया.

इसके बाद  बाद विहिप से जुड़े दर्जनों कार्यकर्ता एवं स्थानीय ग्रामीण वहां पहुंचे और लोगों की मनस्थिति को जानने की कोशिश की. जहां स्थानीय लोग चर्च निर्माण का रोषपूर्ण विरोध करते दिखे. लोगों ने आरोप लगाया कि गरीबों को बरगला कर एवं लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन कराया गया है.

बॉलीवुड फिल्म जिहाद का स्थाई समाधान कब और कैसे ?

आज बॉलीवुड जिहाद अपने चरम सीमा पर है. किसी न किसी फिल्म में ज्यादातर निर्माता निर्देशक कोई न कोई हिन्दू विरोधी या हिन्दुओं की आस्था से जुड़ी डायलाग के माध्यम से जेहाद फैला रहे हैं.

अगर कोई हिन्दू अभिनेता या अभिनेत्री अगर जेहादी मानसिकता से इतर जब फ़िल्में करते हैं तो उन्हें या तो मार दिया जाता है, या फिर उनका शोषण और बहिष्कार शुरू हो जाता है.  

बात चाहे गुलशन कुमार की हो या फिर लक्ष्मी अग्रवाल की. बॉलीवुड के जेहादी गैंग ने अपने रास्ते से हटा दिया. जब विश्वरूपम में कमल हसन आतंकी को इस्लामी टोपी पहने दिखाते हैं तो उन्हें इतना परेशान किया जाता है कि वो देश छोड़ कर जाने तक की बातें करने लगते हैं.

चक दे इंडियामें मीर रंजन नेगी को कबीर ख़ान बना दिया जाता है. पूरा लब्बोलुआब ये है कि जब किसी हिन्दू कलाकार अच्छा कार्य करता है तो उसे हिन्दू से मुस्लिम बनाने में बॉलीवुड जेहादी गैंग सबसे आगे रहता रहता है.

विशाल ददलानी से लेकर अनुराग कश्यप तक सबने जेहादी गठजोड़ बना कर आए दिन हिन्दू संस्कृति और हिन्दुओं पर प्रहार कर रहे हैं. जावेद को शरजील इमाम नहीं दिखाई देता, इन्हें ताहिर हुसैन जैसा कातिल नजर नहीं आता है. वह राग अलापते हैं कि दिल्ली हिंसा के लिए समाज का बड़ा तबका जिम्मेदार है. ऐसे में सवाल उठता है की क्या ऐसे लोग जेहादी प्रवृत्ति के समर्थन नहीं हैं ? 

मुसलमान एक्टरों की हिन्दू पत्नियां- बॉलीवुड का विवाह जिहाद

1. शाहरुख खान की पत्नी - गौरी एक हिंदू है.

2. नवाब पटौदी- शर्मीला टैगोर से शादी की थी.

3. फरहान अख्तर की पत्नी - अधुना भवानी

4. फरहान आजमी की पत्नी- आयशा टाकिया भी हिंदू है.

5. अमृता अरोड़ा की शादी- शकील लदाक से हुई है.

6. अरबाज खान की पत्नी - मलाइका अरोड़ा हिंदू है.

7. आमिर खान के भतीजे – इमरान की पत्नी अवंतिका मलिक है.

8. संजय खान के बेटे -जायद खान की पत्नी - मलिका पारेख है.

9. फिरोज खान के बेटे - फरदीन की पत्नी- नताशा है. 

10. इरफान खान की बीवी का नाम - सुतपा सिकदर है

11. नसरुद्दीन शाह की हिंदू पत्नी -  रत्ना पाठक हैं.

12. सुहैल खान की पत्नी - सीमा सचदेव भी हिंदू है.

13. आमिर खान की पत्नियां - रीमा दत्ता, किरण राव

14. सैफ अली खान की पत्नियाँ -  अमृता सिंह, करीना कपूर दोनों हिंदू हैं

                    बॉलीवुड का फिल्म जिहाद 

1. शोले फिल्म: फिल्म शोले में धर्मेंद्र को शिव मंदिर में लड़की छेड़ते दिखाया गया है.

2. दीवार फिल्म: इस फिल्म में अमिताभ को नास्तिक दिखाया गया है.

3. दीवार फिल्म: अमिताभ बच्चन को भगवान का प्रसाद खाने से मना करते दिखाया गया है.

4. जंजीर फिल्म: इस फिल्म में भी अमिताभ बच्चन नास्तिक हैं. जया भगवान से नाराज होकर गाना गाती हैं

5. शान फिल्म: इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर साधु के वेश में जनता को ठगते हैं.

6. शान फिल्म: इस फिल्म में अब्दुल को सच्चा इंसान दिखाया गया है, जो सच्चाई के लिए जान दे देता हैं.

7. फिल्म क्रान्ति: इस फिल्म में माता का भजन करने वाला राजा गद्दार है और करीमखान एक महान देशभक्त

8. फिल्म अमर: अकबर-अन्थोनी- इस फिल्म में तीन बच्चों का बाप किशनलाल एक खूनी स्मगलर है.

                  बॉलीवुड का सांस्कृतिक जिहाद 

1. बलात्कार गैंग रेप करने के तरीके.

2. विवाह किये बिना लड़का-लड़की का शारीरिक सम्बन्ध बनाना.

3. विवाह के दौरान लड़की को मंडप से भगाना.

4. चोरी डकैती करने के तरीके.

5. भारतीय संस्कारों का उपहास उड़ाना.

6. लड़कियों को छोटे कपड़े पहने की सीख देना.

7. दारू सिगरेट चरस गांजा कैसे पिया जाये.

8. गुंडागर्दी कर के हफ्ता वसूली करना.

9. भगवान का मजाक बनाना और अपमानित करना.

10. पूजा- पाठ, यज्ञ पाखण्ड है को पाखंड बताना.

11. भारतीयों को अंग्रेज बनाना.

12. भारतीय संस्कृति को मूर्खता पूर्ण बताना

13. पश्चिमी संस्कृति को श्रेष्ठ बताना

13. माँ बाप को वृध्दाश्रम छोड़ के आना.

14. गाय पालन को मज़ाक बनाना.

15. कुत्तों उनसे श्रेष्ठ बताना और पालना सिखाना

16. रोटी हरी सब्ज़ी खाना गलत

17. रेस्टोरेंट में पिज़्ज़ा बर्गर कोल्ड ड्रिंक और नॉन वेज खाना श्रेष्ठ है.

18. चोटी रखना या यज्ञोपवीत पहनना मूर्खता है

19 मगर बालों के अजीबो- गरीब स्टाइल (गजनी) रखना व क्रॉस पहनना श्रेष्ठ है.

20. शुद्ध हिन्दी या संस्कृत बोलना हास्य वाली बात. उर्दू या अंग्रेजी बोलना सभ्य पढ़ा-लिखा और अमीरी वाली बात.

      नाम हिंदूवादी काम जिहादी- मुसलमान एक्टर हिंदू नाम

1. युसूफ खान- दिलीप कुमार

2. महजबीन अलीबख्श- मीना कुमारी

3. मुमताज बेगम जहाँ देहलवी- मधुबाला

4. बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी- जॉनी वाकर

5. हामिद अली खान- अजित

6. सायरा खान- रीना राय

7. जॉन अब्राहम- फरहान इब्राहिम


    अंडरवर्ल्ड जिहाद के शिकार बॉलीवुड हिन्दू कलाकार


1. 12 अगस्त 1997 को गुलशन कुमार की हत्या अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और अबू सलेम ने करायी थी.


2. 5 अप्रैल 1993 को दिव्या भारती की हत्या हुई थी. दिव्या भारती के मौत के पीछे भी अंडरवर्ल्ड का ही हाथ था.


3. ममता कुलकर्णी को अंडरवर्ल्ड डॉन ने ड्रग्स की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग में फंसा कर करियर बर्बाद कर दिया.


4. मोनिका बेदी को अबू सलेम ने अपने अफेयर में फंसा कर कैरियर बर्बाद कर दिया.


5. राष्ट्रवादी विचारधारा रखने के कारण कंगना रनौत को भी जिहादी खान गैंग  शोषण और बहिष्कार कर रहा है.


6. ताज़ा मामला सुशांत सिंह राजपूत का है, खान गैंग और भाई-भतीजावाद के शोषण के कारण तंग आकर सुशांत ने आत्महत्या कर ली.


                बॉलीवुड जिहाद पर हिन्दू समाज का सवाल 


1. बॉलीवुड में हमेशा हिन्दू धर्म पर ही सवाल क्यों उठाये जाते हैं ?  किसी दूसरे धर्म पर सवाल उठाने की हिम्मत क्यों नहीं करते?

2.
बॉलीवुड की फिल्मों में हमेशा मंदिरों के पुजारी को ही चोर दिखाया जाता हैं ? मस्जिद के मौलवी और चर्च के पादरी को क्यों नहीं ?
3.
बॉलीवुड में हिन्दू धर्म की मान्यताओं पर हमेशा सवाल उठाये जाते हैं, लेकिन हलाला या तीन तलाक जैसे मुद्दों नहीं ?

4.
हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं को फिल्मकार जैसा चाहें वैसा दिखा देते हैं, लेकिन इस्लाम या ईसाई को लेकर ऐसी हिम्मत  क्यों नहीं दिखाते ?

5.
बॉलीवुड की फिल्मों में हमेशा हिन्दू लड़की को ही मुसलमान लड़के के साथ प्यार करता क्यों दिखाया जाता हैं ?


6.
हिन्दू धर्म की हर जाति को गलत क्यों दिखाया जाता है ?

7.  हिन्दू साधु संतों को अपराधी, मौलवी और पादरी को महान दिखाया जाता हैं ?

8. ब्राह्मण को ढोंगी पंडित, लुटेरा, पाखंडी तो, राजपूत को बलात्कारी और क्रूर क्यों दिखाया जाता है ?

9. वैश्य को लोभी, कंजूस और गरीब हिन्दू दलित को पैसों या शराब के लालच में बेटी को बेच देने वाला क्यों दिखाया जाता है ?

10.
जाति तो सभी धर्मों में होती हैं तो फिर कभी मुस्लिम या ईसाई धर्म की जातियों के बारे में क्यों नहीं दिखाया जाता ?

अकबर के कारनामे

अकबर के सभी पूर्वज बाबर-हुमायूं से लेकर तैमूर तक सब भारत में लूट-बलात्कार, धर्म परिवर्तन और मंदिर विध्वंस में लगे रहे.

अकबर इतना ज्यादा नशा करता था कि वह मेहमानों से बात करते- करते नींद में गिर पड़ता था.

अकबर ताड़ी पीने का शौक़ीन था. वह जब ज्यादा पी लेता था तो आपे से बाहर हो जाता था.

अकबर अक्सर पागलों की जैसी हरकतें करता था.


जहाँगीर ने लिखा है कि अकबर कुछ भी लिखना-पढ़ना नहीं जानता था.

जबकि वह दिखाता यह था कि वह बड़ा भारी विद्वान है.

अबुल फजल के अनुसार अकबर के हरम में पांच हजार औरतें रहती थीं.

ये पांच हजार औरतें अकबर की 36 पत्नियों से अलावा थीं.

आइन-ए-अकबरी के अनुसार अकबर के महल के पास ही एक शराबखाना बनाया गया था.

बैरम खान जो अकबर के पिता तुल्य और संरक्षक था, उसकी हत्या करके अकबर ने उसकी पत्नी अर्थात अपनी माता के तुल्य स्त्री से शादी की.

ग्रीमन के अनुसार अकबर अपनी रखैलों को अपने दरबारियों में बाँट देता था.

अकबर औरतों को एक वस्तु की तरह बांटने और खरीदने में खूब रुचि रखता था.

अकबर के मीना बाजार में नए साल की पहली शाम को स्त्रियों को सज धज कर आने के आदेश दिए जाते थे.

हेमू के बूढ़े पिता को अकबर ने कटवा डाला. औरतों को शाही हरम में भिजवा दिया.

अकबर अपने दुश्मनों को फांसी देने सिर कटवाने, शरीर के अंग कटवाने में  खूब रूचि रखता था.

2 सितम्बर 1593 के दिन अहमदाबाद में उसने 200 दुश्मनों के सिर काटकर सबसे ऊंची सिरों की मीनार बनायी.

अकबरनामा के अनुसार जब बंगाल का दाउद खान हारा, तो कटे सिरों के आठ मीनार बनाए गए थे.

जब दाउद खान ने मरते समय पानी माँगा तो अकबर ने उसे जूतों में पानी पीने को दिया था .

कर्नल टोड लिखते हैं कि अकबर ने एकलिंग की मूर्ति तोड़ी और उस स्थान पर नमाज पढ़ी.

अपने ताकत के नशे में चूर अकबर ने बुंदेलखंड की प्रतिष्ठित रानी दुर्गावती से लड़ाई की और लोगों का कत्ल किया.

अकबर अपनी माँ के मरने पर उसकी भी संपत्ति अपने कब्जे में ले ली. जबकि उसकी माँ उसे पूरे परिवार में बांटना चाहती थी.

कंधार में एक बार अकबर ने बहुत से लोगों को गुलाम बनाया क्योंकि उसने 1581- 82 में अकबर की किसी नीति का विरोध किया था.

बाद में इन गुलामों को मंडी में बेच कर घोड़े खरीदे गए.

जब शाही दस्ते शहर से बाहर जाते थे तो अकबर के हरम की औरतें जानवरों की तरह पिंजरों में बंद कर दी जाती थीं.

जब अकबर मरा था तो उसके पास दो करोड़ से ज्यादा अशर्फियाँ केवल आगरा के किले में थी.

इसके बावजूद उसने 1595-1599 की भयानक भुखमरी के समय एक सिक्का भी देश की सहायता में खर्च नहीं किया.

अकबर ने प्रयागराज में गंगा के तटों पर रहने वाली सारी आबादी का कत्ल करवा दिया था.

सभी इमारतें गिरवा दीं क्योंकि जब उसने इस शहर को जीता तो लोग उसके इस्तकबाल करने की जगह घरों में छिप गए.

यही कारण है कि प्रयागराज के तटों पर कोई पुरानी इमारतें नहीं है.

महाराणा प्रताप की महानता

महाराणा प्रताप जैसे प्रतापी योद्धा की ललकार से अकबर के किले की दिवारें हिल उठती थी.

महाराणा प्रताप ने ये प्रण लिया था कि वे अकबर का अधिपत्य कभी स्वीकार नहीं करेंगे.

प्रताप की वीरता के कारण मुगल अपने इस्लामिक साम्राज्य का ध्वज नहीं फहरा सके.

महाराणा प्रताप ने प्रतिज्ञा की थी कि जब तक मेवाड़ आजाद नहीं होगा, वो महलों को छोड़ जंगलों में निवास करेंगे.

महाराणा प्रताप ने घास की रोटी खायी मगर कभी भी मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की.

महाराणा प्रताप जितने वीर थे उतने ही पितृ भक्त भी थे. महाराणा प्रताप की मां हमेशा अपने पुत्र को युद्ध के लिए तैयार रखती थी.

महाराणा प्रताप ने इस्लामिक सत्ता को हमेशा चुनौती दी, साथ ही मेवाड़ को भारतीय हिन्दू सत्ता का केंद्र बनाये रखा.

मेवाड़ के महान राजपूत नरेश महाराणा प्रताप अपने पराक्रम और शौर्य के लिए पूरी दुनिया में मिसाल के तौर पर जाने जाते हैं.

महाराणा प्रताप ने देश-धर्म और स्वाधीनता के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया.

अकबर ने नीति-अनीति सभी का सहारा लिया, मगर 30 वर्षों के लगातार प्रयास के बावजूद वह महाराणा प्रताप को बंदी नहीं बना सका.

महाराणा प्रताप जिस घोड़े पर बैठते थे वह घोड़ा दुनिया के सर्वश्रेष्ठ घोड़ों में एक था.

महाराणा प्रताप 72 किलो का कवच पहनकर 81 किलो का भाला अपने हाथ में रखते थे.

भाला, कवच और ढाल-तलवार सहित हथियारों का वजन कुल 208 किलो था. 208 कीलो वजन उठाकर महाराणा प्रताप युद्ध लड़ते थे.

मुगलों की बेगमों को बंदी बनाने की बजाय महाराणा प्रताप ने उन्हें सम्मानपूर्वक उनके शिविर में वापस भेज दिया था.

महाराणा प्रताप ने अभूतपूर्व वीरता और साहस से मुगलों के दांत खट्टे कर दिए और अकबर के हजारों सैनिकों को मौत के घाट उतार दिए.

महाराणा प्रताप के सामने अकबर का पुत्र जहांगीर को भी मुंह की खानी  पड़ी थी, जहांगीर युद्ध का मैदान छोड़कर भाग गया था.

महाराणा प्रताप ने भगवान एकलिंगजी की कसम खाकर प्रतिज्ञा ली थी कि जिंदगीभर उनके मुख से अकबर के लिए सिर्फ तुर्क शब्द ही निकलेगा.

महाराणा प्रताप ने ये भी प्रतिज्ञा ली थी कि अकबर को वे कभी अपना बादशाह नहीं मानेंगे.

अकबर ने महाराणा प्रताप को समझाने के लिए चार बार शांति दूतों को अपना संदेशा लेकर भेजा था. 

मगर महाराणा प्रताप ने अकबर के हर प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया था.

अकबर का सेनापति फरीद खां ने कसम खायी कि प्रताप के खून से मेरी तलवार नहायेगी, मगर महाराणा प्रताप ने उस सेनापति को पकड़ कर छोड़ दिया था.

महाराणा प्रताप ने अपना राज्य वापस जीत कर अकबर का घमण्ड चूर-चूर कर दिया.

महाराणा प्रताप का अपमान बार-बार क्यों..?

आज एक बार फिर से महाराणा प्रताप का अपमान हुआ है. हर बार की तरह इस बार भी राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने ये दुस्साहस किया है. महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच हल्दीघाटी युद्ध को 444 साल इसी वर्ष पूरे हो रहे हैं.


इस मौके पर जहां राजस्थान सरकार को महाराणा प्रताप की वीरता और ऐतिहासिक संघर्ष की कहानी को...पूरे राज्य में लोगों को बताना चाहिए. मगर इसके ठीक विपरीत  राजस्थान सरकार महाराणा प्रताप की बीरता को स्कूली किताबों से गायब कर दी है.


राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी कि आरबीएसई कक्षा 10 की सामाजिक विज्ञान की किताब में 2020 के सत्र में...युद्ध की समीक्षा से लेकर मानसिंह पर आक्रमण, वीर महाराणा प्रताप के अश्व चेतक सहित कई तथ्यों को हटा ही दिया है.

 

वहीँ अध्याय 2 में संघर्ष कालीन भारत में महाराणा प्रताप के मानसिंह पर प्रहार का विवरण भी पुस्तक से गायब कर दिया गया है. युद्ध विवरण संक्षिप्त करने के साथ ही परिणाम की समीक्षा भी नहीं है.


2017 के संस्करण की तुलना में 2020 के संस्करण में राजस्थान की सरकार ने क्या कुछ हटा दिया है आईये हम आपको विस्तार से बताते हैं... राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 10वीं व 12वीं कक्षा की इतिहास की पुस्तक में महाराणा प्रताप से जुड़ी सामग्री में दुर्भावनावश बदलाव किया गया है.


 2017 से चल रही पुस्तक में इतिहासकारों की पाठ्यक्रम कमेटी ने युद्ध का आकलन किया था. अनेकों इतिहासकारों के आकलन के आधार पर उन तथ्यों का उल्लेख किया गया था जो अकबर की सेना की असफलता सिद्ध करते हैं.

 

महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह द्वारा अब्दुल रहीम खानखाना के परिवार की स्त्रियों को बंदी बनाकर लाने पर प्रताप ने नाराजगी जताई थी. महाराणा प्रताप ने खानखाना परिवार की स्त्रियों को सकुशल वापिस उनके शिविर में छोड़ कर आने के आदेश दिए थे.

 

इस प्रसंग को भी हटाया जाना जिसमें महाराणा प्रताप का उदात्त चरित्र एवं मानवीय गुणों के प्रति उनके उच्च कोटि के समर्पण की झलक मिलती है.

 

इससे विद्यार्थियों को हर परिस्थिति में मानवीयता का पालन करने की प्रेरणा मिलती है. पुस्तक के अनुसार मुगल सेना की विजय प्रमाणित नहीं होती, क्योंकि अकबर की मानसिंह और आसफ खान के प्रति नाराजगी थी. मुगल सेना का भयग्रस्त होकर भागना और मेवाड़ की सेना का पीछा ना करना ऐसे परिदृश्य हैं जो इस युद्ध का परिणाम प्रताप के पक्ष में लाकर खड़ा कर देते हैं.


ये सभी उपरोक्त ऐतिहासिक घटनाओं को 2020 के संस्करण से राजस्थान सरकार ने हटा दिया है. आएये अब हम आपको बताते है 2017 के संस्करण के जगह 2020 के संस्करण में क्या कुछ तोड़-मरोड़ कर पेश किया है..युद्ध में अकबर की सेना की असफलता सिद्ध करने वाले तथ्यों को हटाया गया है. इससे भ्रम पैदा होता है कि हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की हार हुई थी. 2020 के संस्करण में महाराणा उदयसिंह को बनवीर का हत्यारा बताया गया है.

 

मानसिंह के हौदे में छिपने के अलावा बलीचा गांव में प्रताप की छतरी बनी होने के जिक्र ओ नीला घोड़ा रा असवारशब्द को भी हटाया गया है. किताब में मानसिंह के हाथी पर चेतक के पैर टिकाने और भाले से मानसिंह पर भरपूर इस अध्याय के लेखक प्रो. चंद्रशेखर शर्मा का कहना है कि पूर्व लेखन में कुछ भी हटाने या जोड़ने का तार्किक आधार जरूरी है.


समीक्षक का नाम भी होना चाहिए, लेकिन पुस्तक में ऐसा नहीं है. यह नैतिक और कानूनी और रूप से गलत है. प्रो. शर्मा ने इस साजिशपूर्ण बदलाव पर अपनी नाराजगी और असहमति जतायी है...तो वही दूसरी ओर श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर दसवीं कक्षा की इतिहास की किताब में महाराणा प्रताप के इतिहास के त्रुटिपूर्ण प्रकाशन में बदलाव की मांग की है.

 

कांग्रेस दशकों से देश के विद्यार्थियों को गुलामी का इतिहास पढ़ाती आई है. कांग्रेस और कम्युनिस्टों की सरकारें हमेशा से ही देश के वीर-वीरांगनाओं और उनसे जुडे शौर्य को इतिहास के पाठ्यपुस्तकों से गायब करती जा रही है. ऐसी सरकारें अकबर को महान बता कर अपनी राजीनीतिक जमीन तलाशती है..तो वहीँ दूसरी ओर महाराणा प्रताप जैसे महान योद्धा को बार-बार कमतर बता कर अपनी सियासी रोटियां सेकने से बाज़ नही आती है.

2017 के संस्करण

2017 से चल रही पुस्तक में इतिहासकारों की पाठ्यक्रम कमेटी ने युद्ध का आकलन किया था.

अनेक इतिहासकारों ने अपने आकलन में अकबर की सेना की असफलता को सिद्ध किया है.

महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह द्वारा अब्दुल रहीम खानखाना के परिवार की स्त्रियों को बंदी बनाकर लाने पर प्रताप ने नाराजगी जताई थी.

महाराणा प्रताप ने खानखाना परिवार की स्त्रियों को सकुशल वापस उनके शिविर में छोड़ने के आदेश दिए थे.

इस प्रसंग को भी हटाने से महाराणा प्रताप का उदात्त चरित्र एवं मानवीय गुणों के प्रति उनके उच्च कोटि के समर्पण की झलक दुनिया को नहीं मिल पायी.

इस प्रसंग से विद्यार्थियों को हर परिस्थिति में मानवीयता का पालन करने की प्रेरणा मिलती है.

मुगल सेना का भयग्रस्त होकर भागना और मेवाड़ की सेना का पीछा ना करना ऐसे परिदृश्य हैं जो इस युद्ध का परिणाम महाराणा प्रताप के पक्ष में लाकर खड़ा कर देते हैं.

ये सभी उपरोक्त ऐतिहासिक घटनाओं को 2020 के संस्करण से राजस्थान सरकार ने हटा दिया है. आएये अब हम आपको बताते है 2017 के संस्करण के जगह 2020 के संस्करण में क्या कुछ तोड़-मरोड़ कर पेश किया है.. 

2020 के संस्करण

युद्ध में अकबर की सेना की असफलता सिद्ध करने वाले तथ्यों को हटाया गया है.

इससे भ्रम पैदा होता है कि हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की हार हुई थी.

2020 के संस्करण में महाराणा उदयसिंह को बनवीर का हत्यारा बताया गया है.

मानसिंह के हौदे में छिपने के अलावा बलीचा गांव में प्रताप की छतरी बनी होने के जिक्रओ नीला घोड़ा रा असवारशब्द को भी हटाया गया है.

किताब में मानसिंह के हाथी पर चेतक के पैर टिकाने और भाले से मानसिंह पर भरपूर प्रहार करने की घटना को भी हटा दिया गया है.

23 June 2020

पतंजली ने बनाई कोरोना का दवा

भारत एक बार फिर से विश्वगुरु की ओर कदम आगे बढ़ा दिया है. इस बार मौका है कोरोना के महासंकट से दुनिया को उबारने की... पतंजलि के बाबा रामदेव ने कोरोना पर दवा बनाने का दावा किया है. बाबा रामदेव ने हरिद्वार में कोरोनिल दवा की लॉन्चिंग की. बाबा रामदेव के अनुसार दिल्ली सहित कई शहरों में क्लिनिकल कंट्रोल स्टडी किया गया. इसके तहत 280 रोगियों को सम्मिलित किया गया. 


क्लिनिकल स्टडी के रिजल्ट में 100 फीसदी मरीजों की रिकवरी हुई और एक भी मौत नहीं हुई. 100 फीसदी मरीजों की रिकवरी का मतलब है ये दवा अपने आप में राम रामबाण है... और अब बारी है दुनिया के सामने इसको खरा उतरने की. अगर पतंजली दुनिया के सामने खरा उतरता है तो भारत एक बार फिर से विश्व गुरु बन कर पूरे विश्व का उपचार करेगा.


पतंजली के इस आयुर्बैदिक दवा का क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल किया गया. स्टडी में 3 दिन के अंदर 69 फीसदी रोगी रिकवर हो गए, यानी पॉजिटिव से निगेटिव हो गए. ये अपने आप में चौकाने वाली घटना है. इस दिव्य कोरोनिल टैबलेट से सात दिन के अंदर 100 फीसदी रोगी रिकवर हो गए. पतंजली का दावा है की इसमें सौ फीसदी रिकवरी रेट संभव हो पाया है...और शून्य फीसदी डेथ रेट.


बाबा रामदेव के अनुसार क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल को लेकर बहुत से अप्रूवल लेने होते हैं. इसके लिए एथिकल अप्रूवल लिया...साथ ही सीटीआईआर का अप्रूवल और रजिस्ट्रेशन कराया गया. पतंजली कि ओर से रामदेव ने कहा कि भले ही लोग इस दवा को लेकर प्रश्न करें, मगर हमारे पास हर सवाल का पुख्ता जवाब है. पतंजली के अनुसार सभी वैज्ञानिक नियमों का पालन किया गया है.


इस दवा की सबसे बड़ी बात ये है कि इसको बनाने में सिर्फ देसी सामान का इस्तेमाल किया गया है. इसमें मुलैठी-काढ़ा समेत कई आयुर्वेदिक जड़ी बुटियों को डाला गया है. साथ ही गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, श्वासरि का भी इस्तेमाल किया गया है.


आयुर्वेद से बनी ये दवा अगले सात दिनों में पतंजलि के सभी स्टोर पर मिलेगी. साथ हीं ये दवा ऑनलाइन भी लोग खरीद सकेंगे. दिव्य फार्मेसी और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड हरिद्वार में इस दवा का उत्पादन हो रहा है. पतंजलि योगपीठ की अगर माने तो कोरोना टैबलेट पर हुआ यह शोध पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट हरिद्वार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस जयपुर के संयुक्त प्रयासों से संभव हो पाया है. 


दवा के मुख्य घटक अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी, श्वसारि रस और अणु तेल होंगे. इनका मिश्रण और अनुपात शोध के अनुसार तय किया गया है, जिससे ये कोरोना वायरस के प्रभाव को पुख्ता तरीके से खत्म कर देता है. इसका नियमित इस्तेमाल से कोरोना का संक्रमण नहीं होता है. ये दवा सर्दी जुकाम और बुखार को भी नियंत्रित करती है.