31 August 2021

हरियाणा में मंदिरों की घंटी बजाने पर रोक

हरियाणा में लगातार हिन्दू आस्था के साथ खिलवाड़ होरहा है. ताज़ा मामला  भिवानी का है जहां पर हिंदू आस्था को चोट पहुंचाया गया है. पालवास स्कूल के पास बने माता छत्रेश्वरी मंदिर में घंटी बजाने व आरती करने को लेकर पुलिस ने पुजारी को नोटिस जारी किया है. पुलिस के इस नोटिस के बाद हिंदू समाज सड़कों पर उतर आया है. इसे लेकर विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल सहित कई हिंदू संगठन सड़कों ने सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ किया और नोटिस देने वाले सब्जी चौकी इंचार्ज को बर्खास्त करने की मांग की.

इस बारे में हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने बताया कि भिवानी के माता छत्रेश्वरी मंदिर में सुबह शाम आरती होती है तथा घंटा बजाया जाता है. इस दौरान आसपास के श्रद्धालु भी मंदिर आते हैं तथा माता के दर्शन के साथ ही मंदिर की आरती आदि में सम्मिलित होते हैं. इस बीच कुछ वामपंथी विचारधारा के लोगों ने मंदिर घंटी बजाने, आरती करने आदि का विरोध किया तथा लोगों को भी भड़काया, जिसे लेकर विवाद हो गया. इस दौरान कुछ लोगों के बीच हाथापाई भी हुई. 

इसके बाद सब्जी मंडी चौकी इंचार्ज राकेश कुमार से बात करने के लिए हिंदूवादी कार्यकर्ता गए तो उनके साथ चौकी इंचार्ज ने अभद्रता की तथा अंजाम भुगत लेने की चेतावनी दी. इसके बाद हिंदू समाज तथा हिंदूवादी कार्यकर्ता भड़क गए.

हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने कहा कि भिवानी जैसी धर्मनगरी में अगर मंदिर में घंटी ओर आरती करने की परमिशन लेनी होगी तो इसका हम पुरजोर विरोध करेंगे. जिस प्रकार पुलिस-प्रशासन ने घंटी और आरती करने की परमिशन मांगी है, वह कहां का नियम है? भिवानी एक धार्मिक नगरी है. इसमें हर वर्ष कार्यक्रम होते रहते हैं, किस-किस कार्यक्रम के लिए परमिशन लेंगे?

हरियाणा के मेवात अधर्म धर्मांतरण कर खिलाया गौमांस

हरियाणा के मेवात से एक बार फिर धर्म परिवर्तन से जुड़ा मामला सामने आया है. इस बार शिकायत रोजकामेव थाना में दर्ज हुई है. रोजकामेव थाना अंतर्गत बरोटा गाँव के एक व्यक्ति को पैसे का लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाया गया और बाद में उससे मारपीट की गई. इस मामले में 4 लोगों के विरुद्ध थाने में तहरीर दी गई थी. मामले की जाँच के बाद रविवार की शाम पुलिस ने अबू बकर नाम के आरोपित को गिरफ्तार कर लिया जबकी बाकी आरोपितों की तलाश जारी है.

थाना एसएचओ मनोज वर्मा के अनुसार पुलिस ने अबू बकर को गिरफ्तार कर लिया है. शिकायतकर्ता मनोज कुमार ने नूँह जिला के एसपी को बताया था कि अप्रैल 2020 में अबू बकर, दिलशाद मौलाना, मौलाना मुबीन, मास्टर सोहराब व इनके अन्य साथियों ने रुपयों का लालच देकर उसका धर्म परिवर्तन करवाया था. इस दौरान दिलशाद ने कागज तैयार करवाकर उसे धर्म परिवर्तित करने को कहा था और हिंदुओं के देवी-देवताओं के बारे में कई आपत्तिजनक शब्द बोलते हुए कहा था कि मूर्ति पूजा में दम नहीं है.

पीड़ित ने पुलिस को बताया कि वह सबसे पहले सलंबा गाँव के अबू बकर से संपर्क में आया था. इसके बाद उसी अबू ने उसे तावडू निवासी मौलाना दिलशाद और गाँव खड़खड़ी के रहने वाले मौलाना मुबीन से मिलाया. सबने मिल कर ऐसे स्थिति बनाई कि अप्रैल 2020 में मनोज को इस्लाम कबूलना पड़ा. मनोज बताता है कि उसे इस्लाब कबूलने पर कुछ रकम दी गई थी और बाद में शादी कराने का वादा किया गया था.

मनोज के अनुसार, धर्म परिवर्तन के बाद उसे सलंबा में ही बसा दिया गया और अन्य हिंदू युवकों को इस्लाम कबूल करवाने के काम में लगाया गया. कई माह तक आरोपितों ने उसे अपने साथ रखा और गोमाँस खिलाने का प्रयास करते थे. मना करने पर मारपीट होती थी. धीरे-धीरे मनोज को हकीकत समझ आने लगी. उसने किसी तरह अपने पिता को ये सारी बातें बताई. जब पिता उससे मिलने आए तो उन पर भी धर्मांतरण का दबाव बनाया गया और पैसे का लालच देकर रोकने का प्रयास हुआ. 

मनोज किसी तरह आरोपितों के चंगुल से निकला और दो दिन पहले पुलिस अधीक्षक को शिकायत दी। आरोपित दावत-ए-इस्लाम और ग्लोबल पीस सेंटर चलाते हैं. ये सभी गरीब, छोटी जातियों के हिंदुओं, बेसहारा हिंदू धर्म के लोगों को बहला-फुसला कर इस्लाम कबूल करवाते है.

उत्तर प्रदेश में 5 हजार मदरसे बंद

उत्तर प्रदेश के मदरसों में कई तरह की गैर कानूनी गतिविधियाँ लगातार जारी है.आए दिन कोई न कोई मामला मदरसों से जुड़ा हुआ सामने आहीं जाता है. ऐसे में मदरसों को बंद करने और इनकी जाँच करने की मांग लगातार होरही है. ऐसे में अब उत्तर प्रदेश ने एक बड़ा कदम उठाया है. मेरठ में मानकों से विपरीत चल रहे करीब 5 हजार मदरसों को बंद कर दिया गया है. यूपी अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सुरेश जैन ने यह जानकारी दी है. जैन ने बताया कि यूपी में पांच हजार मदरसे बंद कर दिए गए हैं. ये मदरसे मानकों के विपरीत चल रहे थे, इसलिए इनको आयोग ने बंद क्या है. 

यूपी अल्पसंख्यक आयोग का कहना है की मान्यता प्राप्त मदरसों का विवरण पोर्टल में अनिवार्य रुप से अपलोड़ करने के बाद, यूपी में पांच हज़ार मदरसे मानकों के विपरित संचालित पाए गए जिसकी वजह से उन्हें तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया.

पांच हज़ार मदरसों के बंद होने से सौ करोड़ की वार्षिक बचत हुई है. उन्होंने कहा मदरसा शिक्षा का नया पोर्टल बनाया गया है, इस पोर्टल में मान्यता प्राप्त मदरसों का विवरण अपलोड करना अब अनिवार्य कर दिया गया है, साथ हीं मदरसों के पाठ्यक्रम को भी संशोधित किया गया है.

कई मदरसों में धोखाधड़ी, गबन और फर्ज़ीवाड़ा, गैर कानूनी कार्य करने का मामला सामने आया है. यूपी अल्पसंख्यक आयोग का कहना है की केवल मुस्लिम समाज के मदरसों के लिए ही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना पर्याप्त नहीं है.

जैन समुदाय और सिख समुदाय की भी अनेकों धार्मिक शिक्षण संस्थाएं हैं, जहां धर्म की शिक्षा दी जाती है. जैन समुदाय के अनेकों गुरुकुल स्थापित हैं, इसलिए उन्हें भी सुविधाएं मिलनी चाहिए.

29 अगस्त राष्ट्रीय खेल दिवस पर विशेष

भारत में हर साल खेल को बढ़ावा देने के लिए 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के तौर पर मनाया जाता है. हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का आज हीं के दिन जन्म हुआ था. ध्यानचंद ने ओलंपिक खेलों में भारत का झंड़ा लहराया था और तीन बार हॉकी में देश को इन खेलों में गोल्ड मेडल जिताया था. स्पोर्ट्स डे के मौके पर देश के राष्ट्रपति द्रोणाचार्य, मेजर ध्यानचंद और अर्जुन अवॉर्ड देकर खिलाड़ियों को सम्मानित करते हैं. राष्ट्रपति भवन में सभी खिलाड़ी और कोचों को पुरस्कार से नवाजा जाता है.

ध्यानचंद की अगुवाई में भारतीय टीम हॉकी के खेल में हमेशा टॉप पर रही. ध्यानचंद का कद हॉकी में उतना ही बड़ा माना जाता है जितना क्रिकेट में सर डॉन ब्रैडमैन और फुटबॉल में पेले का है. ध्यानचंद ने लगातार तीन ओलंपिक में भारत को गोल्ड मेडल दिलाकर देश का मन बढ़ाया था. ये ओलंपिक साल 1928  में एम्सटर्डम , 1932 में लॉस एंजिल्स और 1936 में बर्लिन में खेले गए थे. मेजर ध्यानचंद को साल 1965 में हॉकी को अपना पूरा जीवन समर्पित करने के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. भारत के इस महान खिलाड़ी के बारे में कहा जाता था कि वह जब हॉकी स्टिक लेकर  मैदान पर उतरते थे तो गेंद उनकी स्टिक में ऐसी चिपकी रहती थी, जैसे मानो किसी ने उस पर चुंबक लगा रखी हो.

राष्ट्रीय खेल दिवस पहली बार साल 2012 में मनाया गया था. इसके बाद से हर साल 29 अगस्त को इसको मनाया जाता है. हाल ही में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि खेल रत्न अवॉर्ड को अब राजीव गांधी की बजाए मेजर ध्यानचंद के नाम से जाना जाएगा. इसकी मांग पिछले कई वर्षों से होरही थी.

बिहार में अधर्म, बांका में दस हज़ार हिन्दुओं को बना दिया ईसाई

एकतरफ इस्लामिक जिहादी देश के विभिन्न हिस्सों में धर्मांतरण जिहाद की फैक्ट्री चलाकर हिंदुओं को मुसलमान बनाने की कोशिशों में जुटे हैं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शासित बिहार ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाए जा रहे धर्मांतरण का अड्डा बनता जा रहा है. ताज़ा मामला बिहार के बांका जिले की है जहां 10,000 लोगों को ईसाई बना दिया गया है. बांका जिले के चार प्रखंडों में पिछले दो-तीन साल के दौरान 10 हजार से अधिक हिंदू/संथाली ईसाई मत को अपना चुके हैं. 

धर्मांतरण के लिए उनके बीच ईसाईयत के प्रचार के लिए हर रविवार चर्च के प्रतिनिधि के माध्यम से बैठकें हो रही हैं. बस्ती में धर्म बदलने वाले लोगों की हर रविवार को जीसस की प्रार्थना सभा भी आयोजित हो रही है.

बांका के चांदन, कटोरिया और बौंसी में चर्च, धर्मांतरण के कार्य में संलिप्त हैं. चर्च, धर्मांतरण के लिए ऐसी बस्तियों का चयन कर रहे हैं जहाँ संसाधनों की कमी है. इन जगहों पर ईसाई मत के प्रचार के लिए हर रविवार को चर्च के प्रतिनिधि बैठक का आयोजन करते हैं. साथ ही धर्म बदलने वालों के लिए हर रविवार को जीसस की एक प्रार्थना सभा का आयोजन भी होता है. जयपुर, भैरोगंज, बाबूमहल, बेलहरिया, आमगाछी, बसमत्ता, चांदन सहित कई अन्य इलाकों के चर्च वर्षों से ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार और धर्मांतरण का केंद्र बने हुए हैं.

वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के कारण जब देश में लॉकडाउन लगाया गया तो ईसाई मिशनरियों ने इस आपदा को अवसर के रूप में देखा तथा धर्मांतरण के घिनौने खेल को और अधिक तेज कर दिया. लॉकडाउन में जब लोगों की परेशानियां बढ़ीं तो यहां चापाकल अर्थात पानी पीने के नल लगाए जाने लगे. चर्च द्वारा इन्हें जीसस वेल का नाम दिया गया. 

लोगों को बताया गया कि इस चापाकल में जीसस प्रवेश कर गए हैं. इसका पानी कभी नहीं सूखेगा, यह सोता(पानी का प्राकृतिक स्रोत) बन जाएगा. मिशनरियों द्वारा लोगों को बताया जा रहा है कि जीसस ही असली भगवान हैं. इनके झांसे में आकर जिस परिवार के सभी लोग ईसाई मत को स्वीकार कर लेते हैं, उसे विशेष जीसस वेल दिया जाता है.

ईसाई धर्म स्वीकार करने के लिए उस परिवार के बच्चों को पढ़ाई के लिए चर्च में बुलाया जाता है. उन्हें पुस्तकें व अन्य पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई जाती हैं। इन परिवारों की लड़कियों की शादी में भी आर्थिक सहायता दी जाती है. मिशनरियों की कोशिश यही है कि किसी भी तरह ज्यादा से ज्यादा लोगों को ईसाईयत में धर्मांतरित किया जाए.

बिहार के औरंगाबाद में तालीबानी हरकत मंदिर तोड़ा

बिहार के औरंगाबाद में असामाजिक तत्वों ने की तालीबानी हरकत हरकतों को अंजाम दिया है. उमगा पहाड़ पर स्थापित प्राचीन पुरातात्विक पालकालीन गौरी-शंकर की मूर्ति को जिहादी तत्वों ने तोड़ दिया है. अफगानिस्तान में जिस तरह तालिबान ऐतिहासिक स्थलों को नुकसान पहुंचा रहा है, उसका असर भारत में भी देखने को मिल रहा है. बिहार के औरंगाबाद जिले में हुए इस घटना के बाद यह कहना गलत नहीं होगा की बिहार में तालिबानी मानसिकता अब अपने चरम सीमा को पार कर रही है. औरंगाबाद के अत्यंत प्राचीन पुरातात्विक पालकालीन गौरी-शंकर की मूर्ति और अति प्राचीन शिवलिंग को असमाजिक तत्वों ने तोड़ कर बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है. अति प्राचीन मूर्तियों को खंडित किये जाने से लोगों का गुस्सा उबाल पर है.

लोग मूर्तियों को खंडित करने वाले असामाजिक तत्वों की पहचान कर कार्रवाई करने की लगातार मांग कर रहे है. उमगा पहाड़ी पर 52 मंदिरों का समूह है और समूह के हर मंदिर में देवी-देवताओं की एक से बढ़कर एक दुर्लभ और अति प्राचीन मूर्तियां स्थापित है. इस स्थल की महता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उमगा पहाड़ी पर स्थित 52 मंदिरों के समूह को यूनेस्को के विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने की चर्चा जोर पकड़ चुकी थी. 

इन्ही मंदिरों के समूह में एक अति प्राचीन सूर्य मंदिर भी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने एक ही रात में तीन मंदिरों-देव, देवकुंड और उमगा का निर्माण किया था. गौरीशंकर खोह जाने का पहाड़ी रास्ता बेहद संकीर्ण, चुनौतीपूर्ण और कंकरीला-पथरीला है. यह दुनिया की इकलौती मूर्ति है, जिसे असामाजिक तत्वों ने खंडित कर दिया है.

रामायण सीरीज के विरुद्ध बाबर सीरीज क्यों ?

बॉलीवुड का नापाक चेहरा एकबार फिर से सामने आया है..एक ओर जहां देश में राम मंदिर का पुनर्निर्माण हो रहा तो वहीँ दूसरी ओर रामद्रोही बाबर का महिमामंडन भी शुरू होगया है. डिजनी प्लस हॉटस्टार और OTT प्लेटफार्म पर इस वेब सीरीज को रिलीज किया गया है. मुगलों के इतिहास पर बने डिजनी के एक्सक्लूसिव सीरीज द एम्पायर को लेकर लोगों में जबरजस्त गुस्सा और आक्रोश को देखा जारहा है. द एम्पायर का पहला सीजन स्ट्रीम हो रहा है जिसकी कहानी भारत में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना करने वाले बाबर पर आधारित है. इसमें अफगानिस्तान से भारत पहुंचने, इब्राहिम लोदी को हराकर दिल्ली में सल्तनत बनाने तक की कहानी को दिखाया गया है. 

ऐसे में समय को लेकर भी सवाल खड़ा होता है की एक ओर तालिबान अफगानिस्तान पर कब्ज़ा कर रहा है तो वही दूसरी ओर अत्याचारी बाबर को दिल्ली पर कब्जे का इतिहास दिखाया जा रहा है. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा की ये पूरा क्रोनोलौजी एक सोची समझी साजिश के तहत किया जारहा है. 

लगातार मुगलों को लेकर तीखी बहस सोशल मीडिया पर भी जारी है. लोग लगातार इस सीरीज का बहिष्कार और डिजनी हॉटस्टार के एप को अनइंस्टॉल करने की मुहिम चला रहे हैं. विदेशी आक्रमणकारी खासकर मुगलों का महिमामंडन करना आज एक ट्रेंड बन गया है. आए दिन किसी न किसी फ़िल्म निर्माता द्वारा हिन्दुओं के इतिहास, हिन्दू देव देवताओं का अपमान पर फ़िल्म और वेब सीरीज का निर्माण किया जारहा है..ताकी हिन्दू भावनाओं को ठेस पहुंचे और एक खास समुदाय को खुश करके पैसा और प्रसिद्धी हासिल किया जा सके.

बॉलीवुड में ऐसे संवेदनशील विषयों को छेड़ने में फ़िल्म निर्माताओं को खूब दिलचस्पी दिखाई देती है. "द एम्पायर" को निखिल आडवाणी ने क्रिएट किया है जबकी इसका निर्देशन मीताक्षारा कुमार का है. इस पूरे सीरीज में बाबर से लेकर औरंगजेब तक मुग़ल साम्राज्य का इतिहास दिखाया जा रहा है. जिसमे कई ऐसे तथ्य हैं जो मूल इतिहास से अलग है और हिन्दू भावनाओं के विपरीत भी है. यही कारण है की इसका जमकर विरोध होरहा है. द एम्पायर अलेक्स रदरफोर्ड की किताब "एम्पायर ऑफ़ द मुग़ल" पर आधारित है. किताब में बाबर के बचपन से लेकर जवानी तक और भारत में उसके प्रवेश, मुग़ल साम्राज्य की स्थापना के बारे में विस्तार से चर्चा है. बाबर के बाद औरंगजेब तक की दास्तां किताब में है.

अफगानिस्तान से निकलकर साम्राज्य बनाने तक की कहानी में बाबर को हीरो की तरह पेश किया गया है. जिस बाबर ने तलवार के बूते हिन्दुओं का धर्मांतरण किया, हिंदू मंदिरों को तोड़ा और ऐतिहासिक स्थलों को ध्वस्त किया आज उसी बाबर का महिमामंडन आज का हिन्दुस्थान भला कैसे बर्दास्त कर सकता है..? तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्यों न इस वेब सीरीज को तत्काल बैन कर दिया जाय..?

डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व कांफ्रेंस का पर्दाफाश

पूरी दुनिया में हिंदुत्व के बढ़ते प्रभाव से वामपंथी गैंग घबराया हुआ है. उन्हें समझ नहीं आरहा है कि वो क्या करें. ऐसे में अपनी हिंदुत्व विरोधी विचारधारा को जिन्दा रखने के लिए विदेशों में कांफ्रेंस कर रहे हैं, ताकी हिंदुत्व को नुकशान पहुंचा सकें. इसके लिए कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों से इनलोगों ने संपर्क किया है ताकी इनके मंसूबों को धार मिल सके. “डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व” 10 सितंबर से शुरू हो रहे तीन दिवसीय कार्यक्रम को करीब 40 विश्वविद्यालयों के 45 से अधिक केंद्रों और विभागों ने को-स्पांसर किया है. इनमें अधिकतर विश्वविधालय अमेरिका के हैं.



अमेरिका सहित विश्व में कई देशों के हिन्दू संगठनों ने इस कांफ्रेंस पर विश्वविद्यालयों से रोक लगाने की मांग की है. कांफ्रेंस के विरोध में अमेरिकन हिन्दू संगठनों से अपना आक्रोश जाहिर किया है. “डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व” के आयोजनकर्ताओं ने एक वेबसाइट भी बनाया है. वेबसाइट के होम पेज लिखे एक लेख में हिन्दू को “मिलिटेंट” कहा गया है. अगर पूरे वेबसाइट की कंटेंट पर नज़र डालें तो कांफ्रेंस का उदेश्य सिर्फ हिंदुत्व को नीचा दिखाने और उसे अपमान करना है. वेबसाइट के माध्यम से आरएसएस, बीजेपी और भारत सरकार के खिलाफ जमकर जहर उगला गया है. 



ऐसे में इस कांफ्रेंस का उदेश्य सिर्फ राष्ट्र विरोधी माहौल बनाना है. यहां सबसे गौर करने वाली बात ये है की इस सम्मेलन में जिन वक्ताओं को शामिल किया गया है उनमें वे लोग हैं जो भारत और अमेरिका में हिन्दू संगठनों के खिलाफ जहर उगलते हैं, हिंदुत्व व राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहते हैं. जिसका खुलासा हम आपको इस कार्यक्रम के अगले रिपोर्ट में करेंगे. 



कांफ्रेंस के वेबसाइट पर जिस प्रकार की भाषा और शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, उससे जहीर होता है कि इस पूरे कांफ्रेंस के जरिये भारत के धार्मिक और अल्पसंख्यक विषयों पर हिंसा को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय एकता और अखंडता को चोट पहुंचाना है. इस कांफ्रेंस के जरिये नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को एकबार फिर से मिसइन्टरप्रेट किया जाएगा और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को धत्ता बता कर असंतोष को बढ़ाव दिया जायेगा और राष्ट्र विरोधी माहौल को खड़ा किया जाएगा. 



इस कांफ्रेंस में भाजपा शासित केंद्र सरकार और उसके नीतियों को दुष्प्रचार किया जायेगा ताकी किसान आन्दोलन की तरह देश में एक अराजकता का माहौल खड़ा किया जासके. ऐसे में सवाल उन विश्वविधालयों पर भी खड़ा होता है कि कैसे इस तरह के वामपंथी, फासीवादी कांफ्रेंस का समर्थन और को-स्पांसर अमेरिकन विश्वविधालय कर रहे हैं ? सवाल यहां ये भी है की कैसे अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देश, भारत के लोकतंत्र, संविधान, सरकार, धर्म, जाती, लिंग, संप्रदाय जैसे विषयों पर जहर उगलने, असंतोष और वैमनस्य फ़ैलाने की इजाजत दे सकता है..?   


              डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व कांफ्रेंस के विवादित वक्ता

 

01. आनंद पटवर्धन: फिल्म निर्माता

विवादों से नाता: अयोध्या फैसले पर निराशा जताया था

  बाबरी मस्जिद को राष्ट्रीय स्मारक बताया था

 

02.आयशा किदवई: प्रोफेसर, JNU दिल्ली

विवादों से नाता: संघ, बीजेपी और सरकार पर विवादित बयान

 

03.बानू सुब्रमण्यम: प्रोफेसर, मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय, एमहर्स्ट

विवादों से नाता: हिंदुत्व और हिन्दू विरोधी बयान

 

04. भँवर मेघवंशी: मानवाधिकार कार्यकर्ता

विवादों से नाता: संघ विरोधी, जातिवादी आलोचक

कारसेवक और बाबरी ढांचा गिराने पर विवादित पुस्तक का लेखन

 

05.कविता कृष्णन: सीपीआई (एमएल) की पोलित ब्यूरो सदस्य

  विवादों से नाता: मोदी और सरकार विरोधी बयान

   सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल, जम्मू के दक्षिणपंथी नेताओं को आतंकवादी कहा, NIA पर सवाल और झूठा आरोप लगाया, गौ रक्षकों को गुंडा कहा


06. मीना कंडास्वामी: कथा लेखिका

 विवादों से नाता: नारीवाद का समर्थक और जाति-विरोधी कथा का लेखन


07. मोहम्मद जुनैद: पाकिस्तानी मूल के बांग्लादेशी क्रिकेटर

विवादों से नाता: भारत विरोधी बयान, भारतीय क्रिकेटरों पर अपमानजनक टिप्पणी

 

08. नंदिनी सुन्दर: प्रोफेसर, दिल्ली यूनिवर्सिटी

विवादों से नाता: माओवादियों का समर्थक होने का आरोप है इनपर

छत्तीसगढ़ पुलिस ने नंदिनी सुंदर पर हत्या का मामला दर्ज की थी.

नंदिनी सुंदर की शिकायत करने वाले ग्रामीणों को नक्सलियों ने हत्या कर दी थी 


09. नेहा दीक्षित: पत्रकार और लेखिका

विवादों से नाता: मुजफ्फरनगर दंगों पर हिन्दू विरोधी एकतरफा रिपोर्टिंग.

सरकार विरोधी इन्वेस्टिगेटिव स्टोरी. सरकार और हिन्दू विरोधी मीडिया संस्थानों के लिए पत्रकारिता करती है


10. रितिका खेड़ा: एसोसिएट प्रोफेसर, आईआईटी दिल्ली

विवादों से नाता: वन नेशन वन राशन योजना का विरोध

आधार कार्ड की अनिवार्यता का विरोध

केंद्र सरकार की योजनाओं पर सवाल


                    कुछ महत्वपूर्ण सवाल

 

1- हिन्दुओं के खात्मे के लिए खुलेआम कांफ्रेंस करने तक की हिम्मत कैसे हो सकती है ?

2- 40 अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय हिंदुत्व को समाप्त करने के लिए कैसे एक साथ आए ?

3- हिंदुत्व का ख़ात्मा करने का नारा देने वालों ने इस्लाम या ईसाइयत के ख़ात्मे का नारा क्यों नहीं दिया ?

4- विश्वभर में फैले हिंदू इस षड्यंत्र को क्यों नहीं समझ रहें हैं ? अगर समझ रहे हैं तो फिर विरोध क्यों नहीं करते ?

5- कांफ्रेंस के वक्ताओं में अधिकतर नाम हिंदू है, वह पहले अपने हिंदू ना होने की घोषणा करें

6- इतने बड़े षड्यंत्र के पीछे कौन है ? इसकी जांच अभीतक क्यों नहीं हुईं ?

7- साधु-संतों और हिंदू संगठनों का इसपर कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं आई है ?

8- अमेरिकी सरकार ने इस कांफ्रेंस को अनुमति कैसे दे दी ?

9- इंटरनेट पर इसका खुला प्रचार हो रहा है, क्या सोशल मीडिया कंपनियां किसी दूसरे मजहब के विरुद्ध ऐसे कैंपेन को चलने देती ?

10- इस कांफ्रेंस को एक्सपोज करने के लिए संपूर्ण हिन्दू एक क्यों नहीं होता ?

26 August 2021

हिन्दू बनो नागरिकता लो धर्म छोड़ोगे तो नागरिकता भी जाएगी !

तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से अफगानी शरणार्थियों ने अपना नया ठिकाना भारत में ढूँढना शुरू कर दिया है. दिल्ली में रह रहे अफगानी मूल के लोगों ने अपनी वजूद के लिए संघर्ष शुरू कर दिया है. पिछले कुछ वर्षों से दिल्ली में रह रहे 21 हजार से अधिक लोगों में 60 फीसदी बचे लोगों को शरणार्थी का दर्जा देने, दीर्घकालीक वीजा या तीसरे देशों में जाने के लिए सपोर्ट लेटर जल्द दिलवाने की मांग कर रहे हैं. 

दिल्ली के वसंत विहार स्थित संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के सामने महिलाएंपुरुषों ने हाथों में पोस्टर बैनर लेकर प्रदर्शन किये किए. ऐसे में सवाल अब ये उठने लगा है की क्या भारत कोई धर्मशाला है जहां पर कोई भी आए और उसे भारत की नागरिकता दे दी जाय...?

अफगान सॉलिडरिटी कमेटी के सामने प्रदर्शन करने वालों में 60 फीसदी से अधिक लोग अफगानी मूल के नागरिक हैं, जिसमे अधिकतर मुस्लिम समुदाय से हैं. ऐसे में इनको नागरिकता देने पर तरह-तरह के सवाल हिन्दुस्थान के लोगों के मन में है. सबसे बड़ी समस्या ये है की क्या ये के धर्म और संस्कृति का सम्मान करेंगे..? क्या अगर इन्हें नागरिकता मिलती है तो उसके साथ कोई शर्त होनी चाहिए..? क्या इन्हें नागरिकता सिर्फ हिन्दू धर्म अपनाने पर हीं देना चहिए..?

क्योंकी आज देश में शरणार्थियों का एक ऐसा वर्ग है जो आए दिन राष्ट्र और हिन्दू धर्म विरोधी गतिविधियों को हवा देने का कार्य कर रहा है. ऐसे में अगर शरणार्थियों को नागरिकता मिलती है तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है की ये कानून और संविधान के लिए चुनौती नहीं बनेंगे.

नागरिकता के नाम पर अपना दूकान चलाने वालों ने भी मौका देख अफगानी शरणार्थियों के समर्थन में आवाज़ उठाने लगे हैं. दिल्ली के मंडी हाउस पर वामपंथी महिला और छात्र संगठनों का प्रदर्शन हुआ. वामपंथ के जमावड़ा में जुटे लोगों ने सरकार से अफगानिस्तान के नागरिकों को स्वागत करने की मांग की. भारत ने यूएन रिफ्यूजी कन्वेंशन पर साइन नहीं किए है ऐसे भारत शरणार्थियों को वीजा या शरण देने के लिया बाध्य नहीं है. मगर वामपंथी समूह लगातार अफगानियों को नागरिकता देने की वकालत कर रहा है.

देश की राजधानी दिल्ली, मुंबई, जयपुर और बिहार सहित कई राज्यों में अफगानिस्तान के लोगों के साथ एकजुटता के नाम वामपंथी दलों और संगठनों ने इनके सुर में सुर मिलाया है. मुंबई के सामाजिक कार्यकर्ता, अफगानिस्तान के नागरिकों के साथ एकजुटता से खड़े होने के लिए राष्ट्रव्यापी आह्वान में शामिल हुए. वहीँ आजाद मैदान के प्रेस क्लब में भी एकजुटता बैठक का आयोजन किया गया. 

तो ऐसे में सवाल यहं ये भी खड़ा होता है की क्या अफगानियों के नागरिकता देने के नाम CAA आन्दोलन की तरह कोई बड़ी साजिश तो नहीं रची जारही है.

एडमिशन जिहाद का पर्दाफाश

देश की राजधानी दिल्ली में जिहाद अपने चरम सीमा पर है...आए दिन दिल्ली में कोई न कोई जिहाद का एक नया रूप सामने आजाता है. इसबार एडमिशन जिहाद का एक ऐसा मामला सामने आया जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है. शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाला स्कूल आज जिहादियों के कब्जे में है... हमारे देश में एक ओर जहां शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े वायदे किये जारहे हैं, वहीँ दूसरी ओर देश की राजधानी दिल्ली में एक माँ 3 साल से लगातार अपनी बच्ची की एडमिशन करने के लिए चक्कर लगा रही है..फिर भी उसे एडमिशन नहीं मिल रहा है. 

अपनी बच्ची की शिक्षा और भविष्य को लेकर बेबस और लाचार जहांगीरपुरी की रहने वाली डिम्पी की माँ दिल्ली सरकार द्वारा संचालित सर्वोधय कन्या विधालय में एडमिशन कराने के लिए हर साल आवेदन करती है,.. मगर हमेशा सीट फूल होने का हवाला देकर उसे एडमिशन नहीं दिया जाता है. जब हमने स्कूल का एडमिशन लिस्ट चेक किया तो चौकाने वाले तथ्य सामने आए..इस सर्वोधय विधालय में 80 प्रतिशत से जयादा एडमिशन मुस्लिम समुदाय के बच्चों का किया गया है.

ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया सकता है की इस विधालय में एक खास समुदाय और वर्ग विशेष को हीं एडमिशन दिया जारहा है... ये पूरा खेल एडमिशन जिहाद से जुड़ा हुआ है. आप भी इस पूरे लिस्ट को ध्यान से देखिए कैसे पूरा का पूरा लिस्ट मुस्लिम समुदाय के बच्चों से भरा पड़ा है. लिस्ट में दो-चार नाम SC समुदाय के बच्चों का दिख रहा है..तो आईये हम आपको इसका भी कारण बता देते हैं. 

दरअसल कुछ सीटें विधालय में आरक्षण के तहत रिजर्व्ड है..ऐसे में इस सीट पर किसी अन्य समुदाय का एडमिशन नहीं होसकता.. इसलिए सूचि में एक्का-दुक्का अगर हिन्दू नाम दिख रहा है तो सिर्फ और सिर्फ आरक्षण की वजह से है. जो महज एक खानापूर्ति के लिए दिखाया गया है. ऐसे में इस विधालय का पूरा एडमिशन संदेह के घेरे में है. इस एडमिशन के माध्यम से कहीं न कहीं एक सन्देश देने की कोशिश की गई है की अगर आपको स्कूल में एडमिशन कराना है तो आप मुसलमान बन जाईये आपके बच्चे को एडमिशन मिल जायेगा.

आज सर्वोदय विधालय में एडमिशन नहीं मिलने के कारण जहांगीरपुरी की डिम्पी शिक्षा से वंचित है. माता- पिता बच्ची की एडमिशन नहीं मिलने से हताश और निराश हैं और दर-दर भटक रहे हैं. दिल्ली सरकार के नाक के निचे एडमिशन जिहाद चल रहा मगर कोई भी नेता या अधिकारी जिहादियों की सुध लेने वाला नहीं है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्या दिल्ली के सरकारी स्कूल में एडमिशन लेने के लिए मुस्लिम बनना हीं एकमात्र विकल्प है..?

क्या है तालिबान की प्रेरणा..?

आज तालिबान लगातार अपना असली खूंखार चेहरा दिखा रहा है..मगर क्या आप जानते है की इसके पीछे कारण क्या है..? तो आईये हम आपको बताते हैं... आज तालिबान का प्रेरणा बन कुरान जिहाद का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है.. कुरान की कुछ ऐसी खूंखार आयतें हैं तो तालिबान को हैवान बनती है.

सूरा नमबर 24 आयत के आयत नम्बर 2 की बात करें तो इसमें साफ तौर पर लिखा है की अगर कोई भी स्त्री या पुरुष व्यविचार करते हैं तो उन्हें 100 कोड़े मारा जाना चहिए. ज़िना करने वाली औरत और ज़िना करने वाले मर्द इन दोनों को ये सजा दी जाती है.

साथ हीं उन दोनों की सज़ा के वक्त मोमिन की एक जमाअत को मौजूद रहना चाहिए भी अनिवार्य बताया गया है. सूरा नम्बर 24 के आयता नम्बर 3 में ज़िना करने वाला मर्द और ज़िना करने वाली औरत या मुशरिक से निकाह करेगा तो उसे भी ये दण्ड दिया जायेगा.

ज़िना करने वाली औरत भी बस ज़िना करने वाले ही मर्द या मुशरिक से निकाह करेगी और सच्चे ईमानदारों पर तो इस क़िस्म के ताल्लुक़ात हराम बताया गया है.

तालिबान ने जब अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन में प्रवेश किया तब भी उसने कुरान की आयतों को पढ़ा. तालिबान की जिहादी प्रेरणा का भी मूल कारण कुरान की खुनी आयतें हीं है जो उसे खूंखार और क्रूर बनाती है. 

यही कारण है की आज तालिबान और कुरान पर सवाल खड़ा होरहा है. इसलिए आज हम पूछ रहे हैं की क्या तालिबान का प्रेरणा कुरान है...क्या कुरान हीं तालिबान को खूंखार बना रहा है..?


कुरान और दण्ड


01. सूरा-24 आयत-2: ज़िना करने वाली औरत और ज़िना करने वाले मर्द इन दोनों में से हर एक को सौ (सौ) कोडे मारो

उन दोनों की सज़ा के वक्त मोमिन की एक जमाअत को मौजूद रहना चाहिए

02. सूरा-24 आयत-3: ज़िना करने वाला मर्द और ज़िना करने वाली औरत या मुशरिका से निकाह करेगा

ज़िना करने वाली औरत भी बस ज़िना करने वाले ही मर्द या मुशरिक से निकाह करेगी और सच्चे ईमानदारों पर तो इस क़िस्म के ताल्लुक़ात हराम हैं

महिलाओं पर तालिबानी आतंक की दास्तां

आपने अबतक तालिबान की आतंकी दास्तां बहुत सुना और देखा होगा, मगर आज हम आपको तालिबान का वो खौफनाक चेहरा दिखाना चाहते हैं जिसकी आप कभी कल्पना नहीं कर सकते हैं. आज तालिबान पूरी दुनिया में आतंक का वो पर्याय बन चुका है जिसे सून कर मानवता की रूह कांप उठती है. आज पूरी दुनिया में महिला अधिकारों की बात होरही है तो वहीँ दूसरी ओर तालिबान में महिलाओं को अपने मन की बात कहने, पुरुषों के साथ काम करने की आज़ादी नहीं है. अगर किसी महिला का व्यभिचार सामने आता है तो इसके लिए उसे पत्थर या सीधे चौराहे पर खड़ा करके गोली मार दी जाती है. अपने मन मुताबिक कपड़े नहीं पहन सकती हैं तालिबानी महिलाएं, इसके लिए भी उन्हें दण्डित किया जाता है. 

आज अफगानिस्तान की कठोर वास्तविकता ये है कि लाखों लड़कियों और महिलाओं को तालिबान के पैरों तले रौंदा जारहा है. शरिया कानून का आतंक इसकदर है की महिलाएं काम नहीं कर सकती, लड़कियां स्कूल नहीं जा सकती. इतना हीं नहीं महिलाओं को सार्वजनिक रूप से अपना चेहरा ढंकना पड़ता है और हमेशा एक पुरुष के साथ रहना पड़ता है. अपने रिश्तेदार के साथ भी कोई महिला या लड़की घर से बाहर नहीं जासकती है. यहां तक की महिलाओं के लिए सार्वजानिक सौचालय तक का इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध है.

संयुक्त राष्ट्र ने जुलाई में रिपोर्ट दी थी कि अफगानिस्तान में 2021 की शुरुआत के बाद से नागरिकों की मौत में लगभग 50% की वृद्धि हुई है. आकड़े बताते हैं की क्रूरता और यातनाओं का आतंक इतना कठोर है की लोगों के जीवन जीने का अधिकार अब तालिबान के रहमों करम पर निर्भर है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार पहले छह महीनों की तुलना में महिलाएं और बच्चे अधिक संख्या में मारे गए. तालिबान की टेढ़ी तरकश से आम तालिबानियों का जीवन अंधकारमय बन होचुका है और महिलाओं की ज़िन्दगी काली कोठरी में कैद होचुकी है.

तालिबान 15 से 45 बर्ष के उम्र की लड़कियों और महिलाओं की सूचि तैयार कर रहा है, ताकी तालिबानी आतंकी उनसे शादियाँ कर सकें. मतलब साफ और की तालिबान में महिलाओं का जीवन नर्क से बत्तर होने वाला है. आज यही कारण की लोग अब अफगानिस्तान को छोड़ कर किसी भी तरह भाग जाना चाहते है.


महिलाओं के लिए तालिबान के नियम


1. महिलाओं को बिना खून के रिश्तेदार या बुर्के के सड़क पर नहीं निकलना चाहिए

2. किसी भी पुरुष को किसी महिला के आदर्श वाक्य नहीं सुनने चाहिए

3. महिलाओं को ऊँची एड़ी के जूते नहीं पहनने चाहिए

4. किसी महिला की आवाज किसी अजनबी को नहीं सुननी चाहिए

5. महिलाओं को घर के बालकनी से नहीं देखना चाहिए

6. महिलाओं को अपनी तस्वीरें लेने, वीडियो बनाने, अखबारों में प्रदर्शित करना मना है

7. किसी भी स्थान का नाम किसी महिला के नाम पर नहीं होनी चाहिए

8. महिलाओं को टेलीविजन पर या सार्वजनिक सभा में उपस्थित होने की अनुमति नहीं है

9. महिलाओं को सार्वजानिक शौचालय इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है


तालिबान का क्रूर दंड


01. सार्वजनिक जगह पर फांसी देता है तालिबान

02. चोरों के हाथ काट दिए जाते है

03. व्यभिचार की आरोपी महिलाओं पर पथराव किया जाता है

04. नेल पॉलिश लगाने पर अंगूठे की नोक काट दी जाती है

05. पोशाक के उल्लंघन करने पर पैरों और पीठ पर कोड़े मारा जाता है

06. 1.5 मीटर लंबी धातु से या चमड़े के चाबुक से पीटाई करता है तालिबान

07. दूसरे धर्म में शादी करने पर मौत या नाक-कान काट दी जाती है


तालिबान की आतंकी दास्तां


अफगानिस्तान में मौत का आकड़ा 50 प्रतिशत तक बढ़ गया है  

संयुक्त राष्ट्र ने जुलाई में रिपोर्ट दी थी

अफगानिस्तान में 2021 की शुरुआत के बाद से लगातार मौतें होरही हैं

नागरिकों की मौत में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है

आकड़े बताते हैं की क्रूरता और यातनाओं का आतंक कितना कठोर है

आम अफगानियों का जीवन तालिबान के रहमों करम पर निर्भर है

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार महिलाएं और बच्चे अधिक संख्या में मारे गए

तालिबान की वजह से अफगानियों का जीवन अंधकारमय होचुका है

महिलाओं की ज़िन्दगी काली कोठरी में कैद हो चुकी है

तालिबान 15 से 45 वर्ष के उम्र की लड़कियों, महिलाओं की सूचि तैयार कर रहा है

तालिबान अपने आतंकियों से लड़कियों और महिलाओं की शादियां कराना चाहता है

डर के कारण लोग अफगानिस्तान छोड़कर किसी भी तरह भाग जाना चाहते हैं  

तालिबान का शिया मुसलमानों पर अत्याचार

 तालिबानी चरमपंथी शिया धार्मिक स्थलों को निशाना बना रहे हैं

तालिबान ने अफगानिस्तान में शिया समुदाय का झंडा हटा दिया है

अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा शिया समुदाय के लोगों का नरसंहार जारी है

पूरी दुनिया में 18 करोड़ से ज्यादा शिया मुसलमान हैं

अफगानिस्तान से लगातार गायब हो रहे हैं शिया समुदाय के लोग

शिया मुसलमानों की घरों और संपत्तियों पर कब्ज़ा कर रहा है तालिबान

शियाओं के धार्मिक स्थलों पर कब्ज़ा रहा है तालिबान

शिया महिलाओं और लड़कियों के साथ जबरन निकाह कर रहे हैं तालिबानी

विरोध करने पर खौफनाक तरीके से हत्या कर देते हैं तालिबानी

डर के कारण घरों में बंद हैं शिया समुदाय के लोग

शिया वक्फ बोर्ड का बयान

 

शिया वक्फ बोर्ड ने तालिबानी हरकत पर जताई नाराजगी

हिंदू और हिंदुस्तान के खिलाफ है तालिबान- शिया वक्फ बोर्ड

शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना यासूब अब्बास का बयान

यासूब अब्बास ने कहा, पर्सनल लॉ बोर्ड तालिबान की खिलाफत करता है

अब्बास ने हिंदुस्तान में तालिबानी मानसिकता रखने वालों को दी हिदायत

शिया पर्सनल लॉ बोर्ड तालिबान की हिमायत बर्दाश्त नहीं करेगा- यासूब 

हिन्दुस्थान में जैनियों पर तालिबानी हमला

एक बार फिर से जैनियों पर तालिबानी हमला हुआ है. उत्तर प्रदेश के बागपत में खेकड़ा थानाक्षेत्र के बड़ागांव में मंदिर के बाहर बिरयानी बेचने का विरोध करने पर जिहादियों ने हंगामा खड़ा कर दिया. बात गाली गलौज से शुरू हुई और देखते हीं देखते चारों तरफ चीख पुकार मच गई. पूरी घटना बस में आग लगाने, पेट्रोल डालकर जिन्दा जलाने तक जा पहुंची. 

थोड़ी हीं देर में जिहादियों की एक लंबी भीड़ इकठा होगई. जैनियों को जिन्दा जला कर मारने के मकसद से आसपास के गांव से भारी संख्या में जिहादियों की जामात ने बस में सवार तीर्थ यात्रियों पर धावा बोल दिया.

ईट-पत्थर से तबातोड़ बस पर हमले शुरू होगये...बस के शीशे टूट गए, कई श्रद्धालु घायल होगये... चारों-तरफ चीख पुकार मच गई..जैनियों ने किसी तरह से बस के अन्दर अपने आप को कैद करके अपनी जान बचाई. हमले की बात जब मंदिर से जुड़े लोगों तक पहुंची तो आननफानन में स्थानीय पुलिस को सूचना दी गई.

पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन इससे पहले ही आरोपी वहां से फरार हो गए थे. घटाने के तुरंत बाद उत्तर प्रदेश ने तेज़ी दिखाते हुए तकरीबन एक दर्जन आरोपियों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. अब भी वहां पर तनाव बना हुआ है. स्थिति को देखते हुए मौके पर पुलिस तैनात की गई है. मगर अबतक किसी पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है.

जैनियों के साथ गोधरा जैसा कांड करने की योजना तो विफल होगई मगर आज भी श्रधालुओं के अन्दर भय और दहशत का माहौल बना हुआ है. इस मामले की जाँच कर रहे  इंस्पेक्टर नोवेंद्र सिंह सिरोही ने कठोर कार्रवाई की बात कही है. सिरोही के अनुसार आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है. नामजद आरोपी शराफत, शहजाद, अरशद, नदीम और  नौशाद को गिरफ्तार कर लिया गया है.

बड़ागांव स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में रविवार को भगवान पार्श्वनाथ के निर्वाण महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन हुआ था. इसमे दूर-दराज से आए महिला-पुरुष श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया लिया. भगवान पार्श्वनाथ की पालकी यात्रा निकाली गई. ये सभी धार्मिक अनुष्ठान जिहादियों को रास नहीं आई और उन्होंने जैनियों पर हमला कर दिया.

हिन्दुस्थान के अंदर के तालिबान का खात्मा करो

एक ओर जहां तालिबानी पूरे अफगानिस्तान में अपना कहर बरपा रहे हैं तो वही दूसरी ओर भारत सहित विश्वभर के लिबरल्स अपनी चुप्पी साधे बैठे हैं. भारत के लिबरल तालिबान पर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. कुछ ऐसे तालिबान प्रेमी भी है जो भारत सरकार को तालिबान से बात करने के लिए दबाव बना रहे हैं. उलटे सरकार को हीं इसके लिए जिम्मेदार बता रहे हैं और मानवाधिकार के नाम पर भारत को एक बार फिर से शरणार्थियों का अड्डा बनाना चाहते हैं. 

वही चीन ने तो यहां तक घोषणा तक कर दी है कि वह अफगानिस्तान की प्रभुसत्ता का पक्षधर है और कभी उसके आंतरिक मामलों में किसी तरह के हस्तक्षेप के पक्ष में नहीं है. तालिबान जिस वैश्विक शिखर पर पहुँचना चाहता है उसका बेस कैंप चीन बनाकर दे रहा है. यही कारण है खुद को लिबरल दिखाने वाले आज इस मुद्दे पर चुप हैं.

अफगानिस्तान की वर्तमान हालात ने सुपर पावर से लेकर विश्व समुदाय तक को सोचने पर विवस कर दिया है. ISIS ने जब यजीदियों पर अत्याचार की सुनामी शुरू की थी तब भी लिबरल गैंग ने चुप्पी साध ली थी. दुनियाँ भर में लोकतंत्र के झंडाबरदार अबतक अफगानियों को हीं लानतें भेजने में लगे हुए हैं. खुद अमेरिकी प्रेसिडेंट अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के माथे ठीकरा फोड़ रहे हैं.

अफगानिस्तान में जो हो रहा है क्या वह दुनियां के लिए लोकतंत्र की लड़ाई नहीं है...? क्या वहां का मानवाधिकार विश्व समुदाय के लिए कोई मायने नहीं रखता है..? अफगान अब क्लैश ऑफ़ सिविलाइजेशन भी नहीं है. अब ये यह शुद्ध रूप से मज़हबी और तालिबानी सारिया हुकूमत और सियासती सत्ता का अड्डा बन चुका है. मगर आज लिबरल के नाम पर दुनियांभर में अपनी हाय तौबा मचाने वाले शांत हैं..उनकी जुबां पर बर्फ की परतें जमी हुई है.

पूरी दुनियाँ को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वाले पश्चिमी देश अफगानिस्तान से आँखें मूँदकर भाग रहे हैं. तालिबान के खिलाफ हमेशा मुखर होकर अपनी आवाज उठाने वाली शांति की नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई भी एकदम चुप्पी साधे हुई है. अफगानिस्तान में पूरी तरह से अराजकता का साम्राज्य फैल गया है. ऐसे में आज पूरा विश्व के लिबरल गैंग की चुप्पी पर कई सारे सवाल खड़े होरहे हैं.

अफगानिस्तान के दुष्प्रभावों से हिंदुस्थान कैसे बचे ?

तालिबान का अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जे के बाद से पूरी दुनिया की चिंता बढ़ गई है. आज भारत के सामने तालिबान के दुष्प्रभाव से निपटने को लेकर एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. भारत को इससे कैसे बचाया जाय इसको लेकर भारत को अपनी नई रणनीति बनाने की जरुरत है. तालिबान की इस मज़बूती से भारत के हितों पर पड़ने वाला प्रभाव अब साफ़ दिख रहा है. अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद भारत के राजनयिकों, कर्मचारियों और नागरिकों लिए खतरा बढ़ गया है. अमेरिकी सैनिक अफ़ग़ानिस्तान छोड़ रहे हैं, वहीँ भारत ने अपने राजनयिक उपस्थिति को वहां से हटा लिया है. 

भारत 15 अगस्त को जब देश की आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहा था तो अफगानिस्तान में पिछले 20 सालों में आई तब्दीली को रौंदते हुए तालिबान आगे बढ़ रहा था. 15 अगस्त की सुबह जब खबर आई कि तालिबान ने जलालाबाद को अपने कब्जे में ले लिया, तभी लगने लगा था कि काबुल उसके लिए अब दूर नहीं है.

दोपहर होते होते तालिबान के लड़ाकों ने काबुल को चारों ओर से घेर लिया और दुनिया में ये खबर सनसनी की तरह फैल गई. लोग अमेरिका से सवाल करने लगे कि क्या उसने पिछले 20 सालों में इसी तरह अफगानिस्तान में अशरफ गनी की सरकार और मजबूत सेना को तैयार किया था.?. 

इन सवालों के बीच शाम होते होते पता चला कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने भी मुल्क छोड़ दिया है. रात में उन्होंने फेसबुक पर एक भावुक पोस्ट लिखी और अहम मोड़ पर देश छोड़ने को लेकर सफाई पेश की. मिशन काबुल दूतावास ने सभी भारतीय नागरिकों को यह कहते हुए सख़्त सलाह भेजी है कि वे जल्द से जल्द भारत लौट जाएं. विदेश मंत्रालय ने हिंदू और सिख समुदाय के 383 से अधिक लोगों को भारत 'लौटने' में मदद कर चुका है.

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से बड़ी संख्या में लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं. राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही हालात बेहद खराब हो चुके हैं. लोग देश छोड़ने के लिए एयरपोर्ट का रुख कर रहे हैं.


                                   कुछ महत्वपूर्ण सवाल


01.   तालिबान के क्रूर कारनामों के बावजूद लिबरल गैंग चुप क्यों है ?

02.   हिंदुस्थान अपने यहां के तालिबान की कारखानों को कब बंद करेगा ?

03.   9/11 के लिए अफगानिस्तान पर हमला करने वाले अमेरिका का बदला पूरा हुआ ?

04.   अपने स्वार्थ के लिए मैदान छोड़ कर भागने वाले अमेरिका को दुनियां प्रश्न क्यों नहीं पूछ रहा ?

05.   रूस और चीन के तालिबान को छुपे समर्थन पर भी विश्व समुदाय की चुप्पी क्यों ?

06.   लाखों लोगों के जान-माल के नुक़सान का ज़िम्मेदार है कौन ? उसे क्या सजा होगी ?

07.   इजराइल पर हल्ला करने वाले अफगानिस्तान के अत्याचारों पर मौन क्यों हैं ?

08.   सम्भावित ख़तरे को देखते हुए क्या देश के सभी राजनैतिक दल एक होकर साथ आएंगे ?

09.   देश के अंदर के तालिबान को खोजने के लिए समाज क्या करेगा ?

10.   अफगानिस्तान के बाद अगला नंबर कौन से देश का होगा ?