15 February 2024

श्रीकृष्ण जन्मभूमि का साक्ष्य, इतिहास और सच्चाई जिसे अबतक छिपाई गई

कृष्ण-जन्मभूमि का विवाद क्या है ?

ये पूरा विवाद 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है। जिसमें 10.9 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान और 2.5 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। ये बंटवारा 1968 के समझौते के आधार पर हुआ था, लेकिन ये समझौता भी विवादों में है.

हिंदुओं का दावा है कि जिस जमीन पर ईदगाह मस्जिद है, पहले वहां मंदिर था, जिसे औरंगजेब ने तुड़वाकर मस्जिद बनवाई थी.


  • हिंदू पक्ष का ये भी दावा है कि ईदगाह मस्जिद,उसी जगह पर है, जहां कंस के कारागार में देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया था यानी ईदगाह मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बनी हुई है.
  • हिंदू पक्ष चाहता है कि उसे पूरी 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक दिया जाए, जिसे लेकर मथुरा कोर्ट में 25 सितंबर 2020 में याचिका दाखिल की गई थी. 
  • हिंदू पक्ष की याचिका को मथुरा कोर्ट ने प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव की कांग्रेस सरकार के Places Of Worship Act 1991 के आधार पर खारिज कर दिया था.

 


  • हिंदू पक्ष ने 12 अक्टूबर 2020 को दोबारा पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. इसी केस में अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया है.
  • मुस्लिम पक्ष ये मानने के लिए तैयार नहीं है कि शाही ईदगाह मस्जिद को श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बनाया गया है.

समझिए कृष्ण-जन्मभूमि पर क्यों हुआ विवाद ?

श्रीकृष्ण जन्मभूमिशाही ईदगाह मस्जिद का पूरा ऐतिहासिक विवाद क्यों हुआ ये बताएंगे..बल्कि आपको आज से 162 वर्ष पहले Archeological Survey of India द्वारा किए गए शाही ईदगाह मस्जिद की एक्सक्लूजिव सर्वेक्षण रिपोर्ट भी बताएंगे. जिससे आप समझ सकेंगे कि अब 162 साल बाद जब शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वेक्षण होगा तो कौन सी ऐतिहासिक जानकारियां सामने आ सकेंगी.

  • क्या आपने कभी इतिहास की किसी किताब में पढ़ा कि आज से 160 वर्ष पहले Archeological Survey of India ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के प्राचीन मंदिर के अवशेषों पर बने होने की पुष्टि की थी?



  • क्या आपको किसी ने आजतक बताया कि अंग्रेजो के जमाने में 1832 से 1935 तक मथुरा की जिला अदालत से लेकर इलाहाबाद हाइकोर्ट तक ने हर बार पूरी जमीन का मालिक हिंदुओ को माना था?
  • आज भी मथुरा के राजस्व रिकॉर्ड में जिस जगह पर मस्जिद बनी है, उसके मालिक के तौर पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट लिखा हुआ है.

ये पांच सबूत बताते हैं कृष्ण-जन्मभूमि की पूरी कहानी

आज मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान-शाही ईदगाह से जुड़े जो दस्तावेज हैं, उनमें से कई कागज़ों को आपने पहले कभी नही देखा होगा.

·         सबूत नंबर 1- आज से 160 वर्ष पुरानी Archeological Survey of India की ये रिपोर्ट.



·         सबूत नंबर 2- 27 जनवरी 1670 को दिया गया मुस्लिम आक्रांता औरंगजेब का फरमान.



सबूत नंबर 3- 1968 के उस समझौते की Original Copy, जो श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह इंतजामिया कमेटी के बीच हुआ था.



·         सबूत नंबर 4- वर्ष 1935 का इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले की Copy, जिसने इस विवाद में हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया था.

·         सबूत नंबर 5- उत्तर प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग का वो दस्तावेज, जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन का मालिकाना हक श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के नाम दर्ज है.

ये वो सबूत हैं जिनके आधार पर हिंदू पक्ष दावा करता है कि मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को प्राचीन कृष्ण मंदिर को तोड़कर बनाया गया था, इन दस्तावेजों में लिखे सच को समझने के लिए जरूरी है कि इस विवाद का इतिहास पता हो ।

अब आप सबूत भी समझ लीजिए

पुरानी कहावत है - प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती . एक-एक ऐतिहासिक और सबूतों के प्रमाण यहां मिलेंगे

  • इसकी शुरुआत मुस्लिम आक्रांता औरंगजेब के उस फरमान से करते हैं जो उसने 27 जनवरी 1670 को दिया था.
  • इस फरमान की मूल प्रति फारसी भाषा में है, जिसका अंग्रेजी अनुवाद, औरंगजेब के फरमानों के अनुवाद पर लिखी पुस्तक Masir A alamgiri में किया गया है.



  • इस फरमान में लिखा है कि रमज़ान के पाक महीने में मथुरा स्थित केशव देव मन्दिर को तोड़ने का फरमान बादशाह ने दिया है.

 



  • मन्दिर को तोड़ कर उसकी मूर्तियों को आगरा स्थित बेगम साहिब मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफना दिया जाना है. साथ ही मथुरा का नाम अब से बदल कर इस्लामाबाद कर दिया गया है.



  • इतिहासकारों के मुताबिक, मन्दिर को विध्वंस करने के फरमान पर अमल होने के बाद, 1670 में ही शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया, जिसमें ध्वस्त मन्दिर के अवशेषों का इस्तेमाल हुआ था.

बेर्नियर की किताब में जिक्र है केशव मंदिर का

विध्वंस से पहले मंदिर कितना सुंदर था, इसका जिक्र डॉक्टर Francois Bernier (बेर्नियर) अपनी किताब Travels in the Mogul Empire 1656-1666 में करते हैं. Francois Bernier लिखते हैं कि दिल्ली से आगरा के बीच 50 से 60 लीग यानी 277 से 330 किलोमीटर की दूरी के बीच कुछ भी देखने लायक नही था. सब बेकार है, सिवाय मथुरा के, जहां एक प्राचीन और सुंदर मंदिर अभी भी खड़ा है. इतिहासकार मानते हैं कि ये मथुरा का केशव राय मन्दिर है, जिसका जिक्र बेर्नियर कर रहे है, जिसे औरंगजेब ने तुड़वाकर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण करवा दिया था .




शाही ईदगाह मस्जिद की दरोदीवार पर भी दर्ज हैं सबूत

ये वही मस्जिद है जिसका निर्माण औरंगजेब ने उस समय के विशाल मंदिर को तोड़कर करवाया था. इस बात की निशानियां आज भी इस मस्जिद की दरो-दीवार पर मौजूद हैं. मस्जिद की दीवारों पर मंदिर के निशान पहचानने के लिए किसी पारखी नजर की जरूरत नहीं है. मुस्लिम आक्रांताओं ने हिंदू निशानों और प्रतीक चिन्हों को मिटाने में मेहनत तो पूरी की, लेकिन कहते हैं ना, दुनिया में ऐसी कोई दीवार नहीं बनी जो सच को दबा पाए.

पूरी 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक तो राय पटनीमल से होते हुए स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के पास आ गया, लेकिन 2.5 एकड़ जमीन के लिए सैकड़ों वर्षों से भगवान श्रीकृष्ण खुद अपनी जन्मभूमि के मालिकाना हक की लड़ाई कोर्ट में लड़ रहे हैं, जिनके पैरोकारों में शामिल हैं महेंद्र प्रताप सिंह.

ऐतिहासिक तथ्यों से लेकर ASI की रिपोर्ट तक शाही ईदगाह मस्जिद के हिन्दू मन्दिर को तोड़ कर बनाये जाने की गवाही दे रही है लेकिन शाही ईदगाह मस्जिद इंतजामिया कमेटी तो ASI की रिपोर्ट को ही मनगढ़ंत बता रही है.

अयोध्या, मथुरा हो या काशी या फिर कुतुब मीनार...पेशे से वकील हरिशंकर जैन, 30 वर्षों से आराध्यों के हक की लड़ाई कोर्ट में लड़ रहे हैं . वो मथुरा में हिंदू मुस्लिम पक्ष के बीच हुए 1968 के समझौते को Fraud की संज्ञा दी रहे हैं और उम्मीद जता रहे हैं जैसे अयोध्या में जीत हासिल की थी, वैसे ही मथुरा में करेंगे. मथुरा जन्मभूमि और शाही ईदगाह के विवाद पर मथुरा की अलग-अलग अदालतों में कई मुकदमे चल रहे हैं, लेकिन प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती. शाही ईदगाह मस्जिद खुद इसकी गवाही दे रही है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि अगर कहीं है तो यहीं है यहीं है.



क्या है वो समझौता, जो विवाद की असली जड़ है

शाही ईदगाह मस्जिद की इंतजामिया कमेटी वर्ष 1976 में साल 1968 के कथित समझौते को लेकर मथुरा नगर पालिका के पास जाती है और उससे 2.5 एकड़ जमीन जहां मस्जिद है, उसे मस्जिद इंतजामिया कमेटी के नाम करने का आवेदन करती है. लेकिन मथुरा नगरपालिका इस समझौते को ही खारिज कर देती है. मथुरा नगर निगम का वो Document भी है, जिसमें खेवत संख्या 255 (जहां शाही ईदगाह मस्जिद बनी है), उस जमीन का मालिक श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, लिखा हुआ है. इसके अलावा वर्ष 2015 की उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा verified खतौनी की भी Copy है. यहां भी खेवत संख्या 255 का मालिक भगवान श्रीकृष्ण को ही बताया गया है.

सारे कागज, शाही ईदगाह मस्जिद के नीचे हिंदू मंदिर होने के पक्ष में गवाही दे रहे हैं और शाही ईदगाह मस्जिद की दीवारों पर भी सच साफ-साफ दिखाई दे रहा है.

24 November 2023

राजस्थान में इस बार किसकी सरकार ?

राजस्थान में चुनाव प्रचार का शोर थम चुका है। शनिवार 25 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। मतदान शुरू होने में कुछ ही 24 घंटे का समय शेष बचा है, लेकिन चुनाव के अंतिम क्षणों में भी अभी तक कोई यह कहने की स्थिति में नहीं है कि इस बार राजस्थान में किसकी सरकार बनेगी...। अशोक गहलोत सरकार के विकास के कार्यों और जनता से किये गए वादों के आधार पर वोट मांगा है....वहीँ बीजेपी ने राज्य में बिगड़े कानून-व्यवस्था और कुशासन को अपना मुद्दा बनाया है... राजस्थान चुनाव में अशोक गहलोत सरकार के विकास और भारतीय जनता पार्टी के बदलाव के बीच कड़ी टक्कर है। इसबार मामला बिल्कुल भी एक तरफ नहीं है और थोड़े-बहुत अंतर से यह किसी की भी ओर झुक सकता है। चुनाव के अंतिम क्षणों में नेता अपने-अपने तरीके से लोगों से व्यक्तिगत रूप से मिलकर अपनी ओर बाजी पलटने की कोशिश कर रहे हैं।

राजस्थान में इस बार बीजेपी या कांग्रेस, किस पार्टी की सरकार बनेगी? ये ऐसा सवाल है, जिसका जवाब सभी जानना चाहते हैं। राजस्थान में इस बार 6 छोटी पार्टियां चुनाव मैदान में अपनी किस्मत दांव पर लगाई हुई हैं...। इसके अलावा बीजेपी और कांग्रेस के बागी भी चुनाव मैदान में हैं। छोटी पार्टियां और बागी, ये सभी बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों को चुनौती दे रहे हैं।

राजस्थान के मतदाता 1998 के विधानसभा चुनावों के बाद से 'एक बार बीजेपी, एक बार कांग्रेस' के लिए मतदान करते रहे हैं, लेकिन इस दौरान भी छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 200 सदस्यीय राज्य विधानसभा में 100 के जादुई आंकड़े को पार करने के लिए इन पार्टियों को अपना 199 सीटों पर महत्वपूर्ण समर्थन दिया है। वसुंधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व में बीजेपी ने 2013 के चुनावों में निर्णायक जीत हासिल की थी। इसके बाद 2018 में अशोक गहलोत को निर्दलीय और छोटे दलों का महत्वपूर्ण समर्थन पाने के लिए एक से अधिक बार अपना जादू चलाना पड़ा। तब गहलोत ने निर्दलीय विधायकों के समर्थन में अपनी सरकार बनाई थी।

इस बार, बीजेपी और कांग्रेस दोनों एक समान समस्या का सामना कर रहे हैं। दोनों दलों की ओर से मैदान में उतारे गए आधिकारिक उम्मीदवारों को चुनौती देने वाले विद्रोहियों की संख्या भी ठीक ठाक है। बीजेपी नामांकन वापसी के समय तक 'अपनों' के विद्रोह को शांत करने में सक्षम रही है। हालांकि, इस बार दोनों तरफ के बागियों ने अपनी एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। ऐसे में अब देखना ये होगा की अबकी बार किसकी बनेगी सरकार ?

20 November 2023

जहरीली यमुना का जिमेद्दार कौन ?

सालभर इंतजार किए जाने वाल छठ महापर्व के अंतिम दिन दिल्ली में छत पूजा करने वाले लोगों लप यमुना की जहरीली पानी ने निराश कर दिया। 19 नवंबर को डूबते सूर्य को व 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जा चुका है। देशभर में राज्य सरकारों द्वारा छठ के त्योहार को लेकर खास तैयारियां की गई थीं। कहीं लोगों ने अपने छतों के ऊपर टैंक में खड़े होकर छठ का त्योहार मनाया। वहीं कुछ लोगों ने नदियों व तालाबों में खड़े होकर छठ का उत्सव त्योहारा मनाया। दिल्ली सरकार द्वारा इस बारे में बड़े वायदे और लोक लुभावन पोस्टर लगाई गई थीं... 1000 स्थानों पर छठ पूजा की व्यवस्था की गई थी। मगर इस बीच एक वीडियो सामने आई...इस तस्वीर में यमुना नदी में खड़े होकर कुछ महिलाएं छठ का त्योहार मना रही हैं।

वीडियो में तस्वीर साफ दिख रहा है कि महिलाएं यमुना नदी के गंदे झाग वाले पानी में घुटनेभर तक डूबकर खड़ी हैं। साथ ही इस पानी से उन्होंने स्नान भी किया है। यमुना नदी के पानी को देखकर साफ पता चलता है कि यह कितना प्रदूषित और जहरीला है। कालिंदी कुंज में आयोजित छठ पूजा के दौरान की यह तस्वीरें हैं। झाक वाले जहरीले पानी में भारी मात्रा में फॉस्फेट मिला हुआ है। इस कारण लोगों को सांस लेने और स्किन संबंधित बीमारियां हो रही सकती हैं। 36 घंटे तक व्रत रखने वाले इस त्योहार में यमुना के गंदे पानी में अर्घ्य बीमारियों का कारण बन सकता है। 

यमुना नदी का पानी पिछले साल भी ऐसा ही था, जब छठ पूजा के दौरान लोगों को झाग वाले गंदे व जहरीले पानी में खड़े होकर पूजा करना पड़ा। दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने कहा था कि साल 2015 से अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा छठ पूजा के लिए खास व्यवस्था की जा रही है ताकि यूपी व बिहार के लोग दिल्ली को अपना घर समझे। मगर यहां घर कौन कहे...स्थिति नरक जैसी है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि जहरीली यमुना का जिमेद्दार कौन ?

31 August 2023

हिन्दू विरोधी स्वामी प्रसाद मौर्य का विवादों से पुराना नाता!

ये भारत है..वो भारत, जो हिंदू और सनातनी परंपराओं से हमेशा सराबोर रहा है...ये भारत धरती से लेकर चाँद तक की दूरी तय करना भी जानता है...ये भारत जानता है कि, संविधान के साथ-साथ देश की दिशा और हिंदुत्व की आस्था क्या होनी चाहिए. लेकिन सनातन आस्था को निशाना बनाकर वोट अपनी झोली में भरने वालों की दशा क्या होनी चाहिए यह भी देश को ही तय करना है....क्योंकि चंद नेताओं की बयानबाजी देश की सनातन संस्कृति को खोखला करने पर तुली है. ये वो नेता है जो चुनाव नजदीक आते ही हिन्दू आस्था को पुरवईया में पतंग की तरह उड़ाने की कोशिश करते हैं. ये नेता ऐसे हैं जो सनातन को निशाना बनाकर समाज के ठेकेदार बन जाते हैं...आज सबसे पहले बात करना जरुरी है कि  समाजवाद का आईना दिखा करदंभ भरने वाले सपा के कद्दवार नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की कर लेते हैं. जो पहले रामचरित मानस पर सावल उठाते हैं... और अब हिंदू धर्म को एक धोखा बता रहे हैं. इसी के साथ स्वामी प्रसाद अपने ट्विटर पर ये भी लिखते हैं कि, ब्राह्मणवाद की जड़ें गहरी हैं और सब तरह की विषमता का कारण भी यही है..इनकी आगे की करनी और कथनी क्या है आगे बतायेंगे लेकिन पहले आपको इनका वो बयान आपको सुनवाते हैं...जिसके बवाल ने इनकी जीभ का सौदा 10 लाख में एक कांग्रेस नेता ने कर दिया.

इस जुबान का सौदा कांग्रेस नेता पंडित गंगा राम शर्मा ने किया, और कीमत रखी 10 लाख रूपये..इस के साथ ही पंडित गंगाराम शर्मा ने समाजवादी पार्टी के नेता, स्वामी प्रसाद मौर्य की जुबान की कीमत इसलिये लगाई कि इन्होंने पहले रामचरित मानस पर सवाल उठाया और अब हिंदुत्व को धोखा बता कर सनातन धर्म का अपमान किया....मगर यहां ये भी गौर करना जरुरी है कि क्या कांग्रेस नेता का ये सिर्फ महज एक चुनावी बयानबाजी मात्र है या फिर...वो अपने इस सनातन रक्षा के बयां पर कायम रहेंगे...सवाल ये भी है कि क्या कांग्रेस पार्टी अपने इस नेता के बयान से इतेफाक रखती है? वही स्वामी प्रसाद मौर्य बीएसपी में रहते हुए 2014 में भी हिंदू देवी-देवताओं को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर चुके हैं,...जिसके चलते इनके खिलाफ UP के सुल्तानपुर में FIR दर्ज हुई थी

अब ऐसे में आप अंदाजा लगाईये, अगर हिंदू धर्म के रक्षा के लिये हिन्दू अपनी आवाज न उठाये तो, हिंदू धर्म की रक्षा भला कौन करेगा?....स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान को लेकर पार्टी के अंदर भी अफरा-तफरी का माहौल है, इस बयान से पार्टी के कई नेता उनपर अपना बयान वापस लेने का दबाव बना रहे हैं...वहीं मौर्य के हिंदुत्व के धोखा बयाने वाले इस बयान से संत समाज नाराज़ हैं...हिन्दू धर्मगुरूओं का गुस्सा भी अब खुलकर सामने आ रहा है.

समाजवाद के रक्षक बताने वाले ये वही स्वामी प्रसाद मौर्य हैं जो राजनीति के दलबदलू नेता कहे जाते हैं...इससे पहले ये जनाब रामचरित मानस पर सवाल उठाकर बखेड़ा खड़ा कर चुके हैं...और अब हिंदू धर्म को धोखा बता रहे हैं...चलिये स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनीतिक चिट्ठा भी आपके सामने रख ही देते हैं...स्वामी प्रसाद मौर्य अपने विवादित बयानों से हमेशा सियासी सुर्खियां बटोरते रहे हैं. इनके विवादित बयानों की आंच से समाजवादी पार्टी के साथ-साथ बसपा और बीजेपी भी झुलस चुकी है. 

 

स्वामी प्रसाद मौर्य का विवादों से पुराना नाता!

 

BSP में रहते हुए 2014 में स्वामी प्रसाद मौर्य ने हिंदू देवी-देवताओं पर टिप्पणी की थी

 

बयान को लेकर सुल्तानपुर में उनके खिलाफ FIR दर्ज हुई थी

 

बीजेपी में आने पर कैबिनेट मंत्री बने

 

तीन तलाक पर बयानबाजे से अल्पसंख्यकों में बवाल खड़ा किया


बीएसपी छोड़ने के बाद स्वामी प्रसाद ने मायावती को "दौलत की देवी" बता कर हंगामा खड़ा किया


बीजेपी छोड़कर सपा में आए तो उन्होंने बीजेपी और RSS को नाग और खुद को नेवला बताया

मौर्या ने कहा, स्वामी रूपी नेवला यूपी से बीजेपी को खत्म करके ही दम लेगा

 

क्या कहता है राजनीतिक सफर?

 

स्वामी प्रसाद मौर्य ने 1980 के दशक में अपनी राजनीति लोकदल से शुरू की थी


1996 में डलमऊ से बीएसपी के विधायक बने


2003 में बसपा सत्ता से बाहर हुई तो मायावती ने नेता प्रतिपक्ष बना दिया


2007 में सरकार बनने पर बीएसपी ने मंत्री बनाया


बाद में फिर पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष भी बने


इसके बाद 2012 में बसपा सत्ता से बाहर हुई तो फिर नेता प्रतिपक्ष बनाए गए


2017 में स्वामी प्रसाद ने बीजेपी का दामन थाम लिया और चुनाव जीत गए


योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार में मंत्री बन गए


इसके बाद उन्होंने पाला बदला और विधानसभा चुनाव से पहले सपा में चले गए... हालांकि उन्हें विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. जिसके बाद पार्टी ने उन्हें ओबीसी चेहरे के रूप में विधान परिषद भेजा हैउनका ये बयान बेसक राजनीतिक हो क्योंकि समय चुनावी है तो लाभ भी जरूरी है. लेकिन इस बयानबाजी से उन्हें कितना लाभ मिलेगा, कितना जनाधार बढ़ेगा ये तो कोई नहीं जानता... लेकिन पहले रामचरितमानस और अब हिंदू धर्म को धोखा बताकर उन्होंने एक बार फिर पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी दी हैं.

26 August 2023

चाँद पर शिव शक्ति और तिरंगा पॉइंट इसरो का हर हर महादेव !

शिव ही आदि हैं, शिव ही मध्य और शिव ही अनंत। शिव हैं प्रथम और शिव ही है अंतिम। इसे चरितार्थ कर दिखाया है हमारे इसरो के वैज्ञानिकों ने. सनातन धर्म में परम कारण और कार्य। शिव हैं धर्म की जड़ और शिव से ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है। यही कारण है कि संपूर्ण जगत शिव की ही शरण में है, जो शिव के प्रति शरणागत नहीं है वह प्राणी दुख के गहरे गर्त में डूबता जाता है ऐसा पुराण भी कहते हैं। जाने-अनजाने शिव का अपमान करने वाले को प्रकृ‍ति कभी क्षमा नहीं करती है। यही वजह रही होगी की इसरो ने प्रकृति को प्रेम से नामकरण कर अपने चंद्रयान को माहादेव शिव को समर्पित किया है



शिव जब सरवोच्च सत्ता के रूपमें अर्थात परब्रह्म के रूप में होते हैं तो उनका आदि और अंत नहीं होता क्योंकि परब्रह्म का आदि और अंत नहीं है। क्योंकि शिव परब्रह्म से ही उद्भूत होते हैं। इसरो ने महान भारतीय संस्कृति विरासत को उस आदि आनादी महादेव से जोड़ा है जिसका सीधा संबंध प्रकृति और ईश्वर से है




शिवलिंग को ज्योति रूप माना गया है और उसके आसपास के क्षेत्र को चंद्र। आपने आसमान में अर्ध चंद्र के ऊपर एक शुक्र तारा देखा होगा। यह शिवलिंग उसका ही प्रतीक नहीं है, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड ज्योतिर्लिंग के ही समान है। यहीं कारण है कि चंद्रयान को संपूर्ण ब्रह्मांड से जोड़ कर इसरो ने विज्ञान और अध्यात्म को आगे बढ़ाया है



शिव और चन्द्मा का संबंध सृस्ती के उदय से आजतक एक और है और अनंतकाल तक ये रिश्ता निरंतर और निर्बाध चलता रहेगा. इसरो ने इस शिव ज्ञान और और सनातन विज्ञान को बखुबू समझा और चन्द्रमा के सीश पर शिव को स्थापित कर सत्यम शिवम सुन्दरम को दुनिया को समझाया है


21 July 2023

ज्ञानवापी मामले में कहानी उन पांच महिलाओं की, जिनकी याचिका पर पहला सर्वे हुआ था

1. राखी सिंह  

दिल्ली के हौज खास की रहने वाली राखी सिंह इस मामले की अगुवाई कर रहीं थीं। इस पूरे मामले को 'राखी सिंह और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार' नाम दिया गया। राखी के पति का नाम इंद्रजीत सिंह है। इनका दूसरा घर लखनऊ के हुसैनगंज में है। 


2. लक्ष्मी देवी 

ज्ञानवापी मामले में दूसरी याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी हैं। लक्ष्मी वाराणसी के महमूरगंज इलाके की रहने वाली हैं। पति डॉक्टर सोहन लाल आर्य ने भी 1996 में ज्ञानवापी को लेकर अदालत में एक मामला दर्ज कराया था। इसके बाद ज्ञानवापी का निरीक्षण भी हुआ था, लेकिन कोई सर्वे नहीं हो सका। लक्ष्मी ने मीडिया को बताया कि पति भी चाहते थे कि मैं इस मामले को उठाऊं। ये मां शृंगार गौरी का मुद्दा है। इसलिए मैंने याचिका दायर की। 

 

3. सीता साहू

वाराणसी के चेतगंज की रहने वाली सीता साहू इस मामले में तीसरी याचिकाकर्ता हैं। सीता समाज सेविका हैं। पति का नाम बाल गोपाल साहू है। सीता का कहना है, वह कई बार मां शृंगार गौरी की पूजा करने आ चुकी हैं। उनका दावा है कि मां शृंगार गौरी का मंदिर मस्जिद के अंदर बना है, लेकिन हम लोग अंदर नहीं जा सकते। इसकी अनुमति नहीं है। सिर्फ बाहर से पैर छू पाते हैं। 


4. मंजू व्यास 

ज्ञानवापी मामले में चौथी याचिकाकर्ता मंजू व्यास भी वाराणसी की रहने वाली हैं। यहां उनका राम घाट में घर है। पति का नाम विक्रम व्यास है। मंजू भी समाज सेविका हैं। वह कहती हैं, रोजाना मां शृंगार गौरी के दर्शन की अनुमति होनी चाहिए। अभी हम लोग चौखट के दर्शन करके लौट आते हैं। 

 

5. रेखा पाठक 

पांचवीं याचिकाकर्ता रेखा पाठक भी वाराणसी की रहने वाली हैं। रेखा का घर वाराणसी के हनुमान फाटक के पास है। पति का नाम अतुल कुमार पाठक है। रेखा कहती हैं, ज्ञानवापी हम सभी के आस्था का केंद्र बिंदु है। इसपर कब्जा हुआ है। इसे छुड़ाने तक ये लड़ाई जारी रहेगी।

ज्ञानवापी पर वाराणसी जिला न्यायालय का आदेश

वाराणसी जिला न्यायालय ने शुक्रवार को चार हिंदू महिलाओं द्वारा दायर आवेदन को स्वीकार कर ASI को आदेश दिया है। 

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संपूर्ण ज्ञानवापी मस्जिद परिसर (वुज़ुखाना को छोड़कर) का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की मांग की गई थी।

ये मांग इस लिए की गई थी ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद हिंदू मंदिर संरचना पर किया गया था।

जिला न्यायाधीश एके विश्वेश की अदालत ने आज आदेश दिया है। अदालत ने निर्देश दिया कि एएसआई द्वारा वैज्ञानिक सर्वेक्षण सुबह 8-12 बजे के बीच होना चाहिए। 

कोर्ट ने साफ किया है कि सर्वे के दौरान नमाज पर कोई रोक नहीं होगी और ज्ञानवापी मस्जिद को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा।

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूरे साल पूजा करने का अधिकार मांगने के लिए वाराणसी कोर्ट में लंबित एक मुकदमे में चार हिंदू महिला उपासकों द्वारा इस साल मई में सीपीसी की धारा 75 (ई) और आदेश 26 नियम 10 ए के तहत अदालत में आवेदन दायर किया गया था।

चार हिंदू महिला उपासकों के आवेदन में कहा गया है कि स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लाखों वर्षों से आने स्थल ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर मौजूद था।

काफिरों और मूर्ति के प्रति घृणा रखने वाले मुस्लिम आक्रमणकारियों (1017 ई. में महमूद गजनवी के आक्रमण) द्वारा इसे कई बार नष्ट/क्षतिग्रस्त किया कराया।

सबसे कट्टर और क्रूर मुगल सम्राटों में से एक औरंगजेब ने 1669 में संबंधित स्थल पर भगवान आदिविशेश्वर के मंदिर को ध्वस्त करने के लिए फरमान जारी किया था।

औरंगजेब और उसके आदेश के अनुसार, उसके अधीनस्थों ने ज्ञानवापी मंदिर को ध्वस्त करके अपने इस्लामिक आदेश को लागू किया।

बाद में पुराने ध्वस्त मंदिर के बगल में, काशी विश्वनाथ के नाम पर एक नया मंदिर 1777-1780 में इंदौर की रानी रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा बनवाया गया था। 

विचाराधीन परिसर ज्ञानवापी मस्जिद जो वर्तमान में है उससे स्पष्ट रूप से इसके प्राचीन अतीत के बारे में समझा जा सकता बताता है। 

इमारत की संरचना को देखने के बाद, कोई भी आसानी से कह सकता है कि इमारत एक पुराने हिंदू मंदिर के अवशेष है और वर्तमान संरचना को किसी भी तरह से मस्जिद नहीं माना जा सकता है।

एडवोकेट कमिश्नरों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए आवेदन में विस्तार से बताया गया है कि कैसे पूरे मस्जिद परिसर में हिंदू मंदिर की कई कलाकृतियां और चिन्ह हैं।

18 July 2023

सीमा हैदर की भारत आने की कीमत पाकिस्तान के हिन्दू चुका रहे हैं

जिस दिन से सीमा हैदर की भारत आने की खबर पाकिस्तान को लगी है तब से लगातार जिहादी कट्टरपंथी वहां के हिन्दुओं को और उनके धार्मिक स्थलों को निशाना बना रहे हैं। कभी जिहादियों द्वारा हिन्दुओं के बहन- बेटियों ले साथ बलात्कार करने की धमकी दी जा रही तो कभी उनके घरों में लूट-पाट कर भागने की गीदड़ भभकी। सीमा हैदर की भारत आने की कीमत पाकिस्तान के हिन्दू चुका रहे हैं।

सीमा हैदर सिंध प्रांत की राजधानी कराची की रहने वाली है। वह सचिन नाम के एक भारतीय युवक के प्यार में पाकिस्तान से अपने चार बच्चों के साथ भारत आई है। सीमा पाकिस्तान से पहले संयुक्त अरब अमीरात और बाद में नेपाल के रास्ते भारत में घुसपैठ की है। उसके भारत आने के बाद पाकिस्तानी हिंदुओं को कट्टरपंथियों ने अंजाम भुगतने की धमकी भी दी थी। कट्टरपंथियों ने कहा था कि अगर सीमा हैदर को भारत ने वापस नहीं किया तो पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों पर हमले किए जाएंगे। ऐसे में कराची के सोल्जर बाजार इलाके में मौजूद मरी माता मंदिर को गिराने की घटना का कनेक्शन भी सीमा हैदर की भारत में घुसपैठ से जुड़ा हुआ है।

कराची में गिराया गया हिंदू मंदिर 150 साल पुराना है। इस मंदिर के प्रबंधन का काम स्थानीय मद्रासी समुदाय करता था। सीमा हैदर केस सामने आने के बाद से जिहादी लगातार धमकियां मिल रही थी। मंदिर के पुजारी जब सुबह पहुंते तो उन्हें गेट और बाहरी दीवार के अलावा कुछ नहीं मिला। हमलावरों ने मंदिर को पूरी तरह से तबाह कर दिया था।

स्थानीय एसएसपी सैम्मो का कहना है कि इस हमले में आठ से नौ जिहादी कट्टरपंथी बंदूकधारी शामिल थे, इस घटना से स्थानीय हिन्दू निवासियों में दहशत है। पूरे मामले की गंभीरता देखते हुए मानवाधिकार आयोग ने सिंध के काशमोर और घोटकी जिलों में बिगड़ती कानून व्यवस्था की रिपोर्टों पर अपनी चिंता जताई है। ऐसे में आगे अब देखना ये होगा की पाकिस्तान सीमा हैदर के आड़ में किस हद तक जाता है।

 

15 July 2023

आगरा के जामा मस्जिद से श्री कृष्ण भगवान की मूर्तियों को मुक्त करो

औरंगजेब के कट्टरतापूर्वक कार्यों की झलक उसके प्रशंसक इतिहासकारों की पुस्तकों में मिलती है।

'मआसिर-ए-आलमगीरी' में लिखा है कि मंदिरों की रत्नजड़ित मूर्तियों को आगरा मंगवाया गया और बेगम साहिब की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे रखा गया। 



मथुरा का नाम बदलकर इस्लामाबाद रखा गया। बेगम साहिब की मस्जिद जहांआरा द्वारा आगरा में बनवाई गई जामा मस्जिद है।

औरंगजेब के मुख्य दरबारी साखी मुस्ताक खान की लिखी किताब ई-आलम गीरी में लिखा है, ‘जो मूर्तियां थीं वो छोटी-बड़ी थीं। 

जिसमें बहुत महंगे-महंगे रत्न लगे हुए थे। जो मंदिर के अंदर लगी हुईं थीं।



उनको मथुरा से आगरा लाया गया। और उनको बेगम साहिब मस्जिद की सीढ़ियों में दफना दिया गया। 

इसके लिए कि लोग उन पर चढ़ते-उतरते रहें। इतना ही नहीं मथुरा के जिस मंदिर को डेरा ऑफ केशव राय के नाम से जाना जाता था, उसको भी तोड़ा गया।



किताब में आगे यह भी लिखा है कि औरंगजेब का आदेश था कि मंदिरों को जल्द तोड़ा जाए। 

मंदिरों को तोड़ने के बाद उस जगह पर शानदार मस्जिद का निर्माण किया गया। सन 1670 में ईद के दिन उस मस्जिद का उद्घाटन किया गया’।


जनवरी, 1670

"रमज़ान के इस महीने औरंगजेब द्वारा पैगंबर के विश्वास को पुनर्जीवित करने हेतु मथुरा में केशव राय के मंदिर को गिराने का आदेश”



थोड़े ही समय में कुफ्र की इस मजबूत बुनियाद को चकनाचूर कर दिया गया और उसके स्थान पर एक ऊंची मस्जिद का निर्माण किया गया।

मंदिर की छोटी-बड़ी मूर्तियों को आगरा लाया गया और बेगम साहिब की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफना दिया गया।

ताकि वे लगातार बनी रहें लोग उसे कुचलते रहे और मथुरा का नाम बदलकर इस्लामाबाद कर दिया गया। 


मासीर-ए-आलमगिरी, पृ. 95-96

28 May 2023

वीर सावरकर जी से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी- विनायक दामोदर सावरकर जयंती विशेष

वीर सावरकर जी की जयंती पर विशेष लेख

पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था

जन्म 28 मई 1883 को नासिक के गांव में हुआ

उनकी पुस्तकें क्रांतिकारियों के लिए गीता के समान थीं

स्वतंत्रता सेनानी एवं प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे 

महान क्रांतिकारी, इतिहासकार और समाज सुधारक थे

आजाद हिंदुस्थान के लिए उन्होंने एक गुप्त सोसायटी बनाई 

बंग भंग के बाद पुणे में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई

पढ़ाई के दौरान राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत ओजस्वी भाषण देते थे

लंदन में उनकी मुलाकात लाला हरदयाल जी से हुई

सावरकर जी 1937 में हिन्दू महासभा के अध्यक्ष चुने गए

वीर सावरकर जी आजीवन अखंड भारत के पक्षधर रहे

कील और कोयले से कई कविताएं लिखीं और उन्हें याद किया

10 हजार पंक्तियों को उन्होंने जेल से छूटने के बाद पुनः लिखा

26 फरवरी 1966 को सावरकर जी का निधन हुआ

संपूर्ण जीवन स्वराज्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष किया

भारतीय क्रांति के महानायक थे वीर सावरकर जी

राष्ट्र ध्वज के बीच में धर्म चक्र लगाने का सुझाव दिया

पूर्ण स्वतंत्रता को आंदोलन का लक्ष्य घोषित किया

राष्ट्र के विकास और चिंतन करने वाले प्रथम क्रांतिकारी थे 

अस्पृश्यता और कुरीतियों के विरुद्ध आंदोलन शुरू किया

इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस 1857 का लेखन किए 

वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस पुस्तक ने अंग्रेजों को हिला डाला

सावरकर जी को 2-2 आजीवन कारावास की सजा मिली थी 

प्रथम लेखक जिनकी कृति को प्रकाशन से पूर्व प्रतिबंधित 

स्नातक की उपाधि को आंदोलन में भाग लेने पर वापस लिया

इंग्लैंड के राजा के प्रति वफादारी की शपथ लेने से मना किया

फलस्वरूप उन्हें वकालत करने से रोक दिया गया

महमूद गजनवी, अलाउद्दीन खिलजी और अंत में औरंगजेब द्वारा सोमनाथ मंदिर के विध्वंस व तोड़ने का आदेश

9 अप्रैल, 1669

कठैवाड़ में समुद्र के किनारे बने सोमनाथ के अत्यधिक सम्मानित मंदिर को नष्ट कर दिया गया था। 

प्रसिद्ध मंदिर भगवान शिव को समर्पित था। 11वीं सदी में महमूद गजनवी ने इस मंदिर को लूटा और नष्ट कर दिया। 

इसे गुजरात के राजा भीम देव सोलंकी द्वारा फिर से बनाया गया था और 1143-44 ईस्वी में कुमारपाल द्वारा फिर से पुनर्निर्मित किया गया था। 

1299 में अलाउद्दीन खिलजी के सैनिकों द्वारा मंदिर को फिर से नष्ट कर दिया गया था। 

"मंदिर के शिखर पर चढ़ गए और अपने हथौड़ों से तीनों तरफ पत्थर की मूर्तियों पर वार करना शुरू कर दिया।

अलाउद्दीन के समय में सोमनाथ मंदिर के विनाश के बाद, इसे फिर से बनाया गया था। 

फिर इस मंदिर को औरंगजेब ने भी इसके विनाश का आदेश दिया था।

1951 में इसे फिर से निर्माण किया गया।

औरंगजेब द्वारा मथुरा केशव मंदिर तोड़ने का आदेश

 जनवरी, 1670

"रमज़ान के इस महीने औरंगजेब पैगंबर के विश्वास को पुनर्जीवित करने वाले ने मथुरा में केशव राय के मंदिर को गिराने का आदेश जारी किया”।

थोड़े ही समय में कुफ्र की इस मजबूत बुनियाद को चकनाचूर कर दिया गया और उसके स्थान पर एक ऊंची मस्जिद का निर्माण किया गया।

मंदिर की छोटी-बड़ी मूर्तियों को आगरा लाया गया और बेगम साहिब की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफना दिया गया।

ताकि वे लगातार बनी रहें लोग उसे कुचलते रहे और मथुरा का नाम बदलकर इस्लामाबाद कर दिया गया। 

मासीर-ए-आलमगिरी, पृ. 95-96

औरंगजेब द्वारा मथुरा केशव मंदिर तोड़ने का आदेश

 जनवरी, 1670

"रमज़ान के इस महीने औरंगजेब पैगंबर के विश्वास को पुनर्जीवित करने वाले ने मथुरा में केशव राय के मंदिर को गिराने का आदेश जारी किया”।

थोड़े ही समय में कुफ्र की इस मजबूत बुनियाद को चकनाचूर कर दिया गया और उसके स्थान पर एक ऊंची मस्जिद का निर्माण किया गया।

मंदिर की छोटी-बड़ी मूर्तियों को आगरा लाया गया और बेगम साहिब की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफना दिया गया।

ताकि वे लगातार बनी रहें लोग उसे कुचलते रहे और मथुरा का नाम बदलकर इस्लामाबाद कर दिया गया। 

मासीर-ए-आलमगिरी, पृ. 95-96

औरंगजेब द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर के विध्वंस का आदेश

 अगस्त 1669

औरंगजेब ने आदेश दिया था की कशी विश्वनाथ का मंदिर तोड़ दिया जाय। 

काशी भारत के सबसे पवित्र शहरों में से एक है और विश्वेश्वर के रूप में शिव की पूजा यहां आदि काल से होती आ रही है।

मंदिरों और अन्य पूजा स्थलों को अपवित्र और नष्ट करने के आदेश जारी किए गए थे।

औरंगजेब के फौजदार बिठूर द्वारा हिन्दुओं का बड़ी संख्या में धर्मांतरण

अप्रैल, 1667 

बिठूर के फौजदार शेख अब्दुल हिन्दुओं के खिलाफ था, उसने बड़ी संख्या में हिन्दुओं का धर्मांतरण किया।

औरंगजेब खुश होकर फौजदार शेख अब्दुल को मोती और नकद दिया था। औरंगजेब ने कहा था "ये आगे भी जारी रहना चाहिए"

औरंगजेब द्वारा दीपावली में आतिशबाजी पर प्रतिबंध

 अप्रैल 1667"

औरंगजेब ने जमदत-उल-मुल्क को साम्राज्य के सभी प्रांतों के कूटनीतिकों को आदेश दिया कि आतिशबाज़ी का प्रदर्शन निषेध है।

साथ ही, फौलाद खान को शहर में घोषणा की व्यवस्था करने का आदेश दिया गया था। 

ढोल पीटवा की थाप पर कि किसी को भी आतिशबाज़ी नहीं करनी है। यह आदेश दिया जाता है कि दीवाली पर बाजारों में रोशनी नहीं होनी चाहिए।”

अखबार-ए-दरबार ए-मुआल्ला, 10 जुलस, शव्वाल 24/9

औरंगजेब द्वारा हिन्दुओं के स्थान पर मुसलमानों की तैनाती

 मई 1667

"हिन्दू चौकीवालों को बरखास्त करने और उनके स्थान पर मुसलमानों को नियुक्त करने के लिए उच्च न्यायालय द्वारा आदेश जारी किए गए थे, और इसी तरह, मुसलमानों द्वारा हफ्ता-चौकी के अमीनों को बदलने के लिए भी आदेश दिए गए"

सियाहा अख़बारत दरबार मुअल्ला, जूलस (वर्ष) 10, ज़िलहिज्जा 16/30

27 May 2023

छत्रपति संभाजी महाराज जी के साथ औरंगजेब की क्रूरता

संभाजी महाराज पर औरंगजेब ने अनेक क्रूरता की 

इस्लाम कबूल ना करने पर यातनाएं दी 

संभाजी महाराज जी और कवि कलश को जोकर की वेशभूषा में ऊँट पर बिठा कर घुमाया

संभाजी महाराज जी और कवि कलश की जीभ काटी 

संभाजी महाराज जी की दोनों आखें फोड़ डाली 

नखुनों को उखाड़ कर शरीर के अलग-अलग अंगों को काटा 

लगातार तीन सप्ताह तक तड़पाया 

असीम प्रताड़ना के बाद कलम करवा दी गर्दन

कटे सिर को दक्षिण के प्रमुख शहरों में घुमाया

क्रूर अत्याचारी औरंगजेब की क्रूरता।

सत्ता की भूख में पिता शाहजहां को बनाया बंधक

बड़े भाई दारा शिकोह का किया कत्ल 

दिल्ली की सड़कों पर घुमवाया दारा शिकोह का कटा सिर
छोटे भाई मुराद बख्श की हत्या करवाई 

हिन्दू और सिक्खों के धर्मांतरण के लिए क्रूर आदेश जारी किया 

हिंदू त्योहारों पर कठोर प्रतिबंध लगाया 

कश्मीर के पंडितों को खत्म करने का फरमान जारी किया
 
गैर मुस्लिमों पर जजिया टैक्स लगाया 

मंदिर तुड़वाकर मस्जिद बनवाने का अभियान चलाया 

अनेक हिंदू राजाओं का कत्ल किया 

सिक्खों के 9वें गुरू तेग बाहुदर जी की हत्या करवाया 

आगरा की बेगम मस्जिद में श्रीकृष्ण जी की मूर्ति को सीढ़ियों में चुनवाया 

छत्रपती संभाजी महाराज जी का क्रूरता से कत्ल करवाया

13 May 2023

क्या पाकिस्तान से गुलाम कश्मीर को वापस लेने का समय आ गया है ?

पाकिस्तान इस वक्त गृह युद्ध जैसी स्थिति से गुजर रहा है, चारों तरफ अफरातफरी का माहौल है। पाकिस्तानी नागरिक, सेना और सरकारी इमारतों को अपना निशाना बना रहे हैंI ऐसे में हिन्दुस्थान के अन्दर ये मांग उठ रही है कि पाकिस्तान पर हमला कर गुलाम कश्मीर को क्यों न वापस लिया जाय ? भारत को इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा। 


पिछले दिनों पीओके को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बड़ा बयान दिया था और उन्होंने कहा था कि POK को कब्जे में ले लिया जाएगाI इस बयान पर भारतीय सेना के उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ऐसी प्रतिक्रिया दी थी कि पाकिस्तान में भी हलचल शुरू हो गई थी।


लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा था कि पीओके को वापस लेने के लिए भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार है। जब भी सरकार आदेश देगी, हम उसपर अमल कर देंगेI ऐसे में लोग अब भारत सरकार से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द पाकिस्तान पर सेना को हमला करने का आदेश दे ताकि गुलाम कश्मीर को वापस लिया जा सके।


इस वक्त पाकिस्तान अपने हालातों से थर-थर कांप रहा हैI पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में शहबाज शरीफ ने खुद भारत से युद्ध से डर को लेकर हलफनामा पेश किया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा है कि पकिस्तान में जारी आर्थिक तंगहाली, राजनीतिक अस्थिरता और आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि के बीच पाकिस्तान को भारत से युद्ध का डर है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में होने वाली विधानसभा चुनाव में देरी की अपील पर सुनवाई के दौरान पाकिस्तान का ये डर निकल के सामने आया है। 


पिछले कुछ वर्षों से पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था की हालत ऐसी है कि की पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं पर सेनाओं की तैनाती कमजोर हुई है। ये दावा खुद पाकिस्तान अपने सुप्रीम कोर्ट में कर रहा है। इसलिए आज पूरा देश कह रहा है कि पाकिस्तान पर हमला बोलो और गुलाम कश्मीर को वापस लो।  

08 May 2023

बिंदास बोल के मुद्दे जो आगे चलकर एक बड़ा ट्रेंड बना

बिंदास बोल हमने कई ऐसे विषयों को उठाया जो आगे चलकर एक बड़ा ट्रेंड बना आज उन प्रमुख मुद्दों से भी आपको अगवत कराएंगेI जब देश नेताजी सुभाष चंद्रबोस को सिर्फ फाईलों में खोज रहा तब हमने 23.01.10 को नेताजी को न्याय दिलाने के लिए आवाज उठाईI क्या नेताजी के साथ अन्याय हुआ है ? इसका असर ये हुआ कि भी टीवी चैनल नेताजी से जुड़ी हुई जानकारी और ख़बरों को दिखाना शुरू कियाI 

29.01.10- 26 जनवरी पर लाल चौक पर तिरंगा फहराना क्या राष्ट्रीय शर्म की बात है? जब हमने पूछा तो देश ने हिम्मत दिखाई और धीरे-धीरे सभी नेता और दल लाल चौक पर तिरंगा फहराना शुरू किये 07.04.12 से लव जिहाद पर हमने जब प्रोग्राम किया तो देश को जिहादी साजिश के बारे में एक नई जानकारी मिली हिन्दू बहन बेटियां सतर्क हुई और समाज जागरूक हुआI देश ने माना कि लव जिहाद हो रहा है अन्य मीडिया संस्थान ने भी लव जिहाद को दिखाना शुरू कियाI 06.04.12- पुरातत्व विभाग- धरोहरों का संरक्षक या भक्षक ? के नाम से हमने सवाल उठाया तो पुरातत्व विभाग ने कुछ हिन्दू मंदिरों को अपने कब्जे से मुक्त करने का फैसला कियाI  

28.11.13 को बांग्लादेशी घुसपैठिये को देश से भगाया जाय ? इसके लिए हमने टीवी पर चर्चा की और मुहीम का असर हुआ और देश ने एकसुर में स्वागत कियाI  

20.06.14 से लगातार हमें भारत हिन्दू राष्ट्र कब घोषित करने के लिए लोगों को आगे आने की अपील कीI आज देश हिन्दू राष्ट्र की मांग कर रहा हैंI

हमने कश्मीर के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया 16.08.13 को हमने पूछा था कि क्या कश्मीर से हिन्दुओं को पलायन कराया जा रहा है? ये बात सच साबित हुई और बाद में रोशनी एक्ट में इसका खुलासा हुआI