15 February 2024

श्रीकृष्ण जन्मभूमि का साक्ष्य, इतिहास और सच्चाई जिसे अबतक छिपाई गई

कृष्ण-जन्मभूमि का विवाद क्या है ?

ये पूरा विवाद 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है। जिसमें 10.9 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान और 2.5 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। ये बंटवारा 1968 के समझौते के आधार पर हुआ था, लेकिन ये समझौता भी विवादों में है.

हिंदुओं का दावा है कि जिस जमीन पर ईदगाह मस्जिद है, पहले वहां मंदिर था, जिसे औरंगजेब ने तुड़वाकर मस्जिद बनवाई थी.


  • हिंदू पक्ष का ये भी दावा है कि ईदगाह मस्जिद,उसी जगह पर है, जहां कंस के कारागार में देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया था यानी ईदगाह मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बनी हुई है.
  • हिंदू पक्ष चाहता है कि उसे पूरी 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक दिया जाए, जिसे लेकर मथुरा कोर्ट में 25 सितंबर 2020 में याचिका दाखिल की गई थी. 
  • हिंदू पक्ष की याचिका को मथुरा कोर्ट ने प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव की कांग्रेस सरकार के Places Of Worship Act 1991 के आधार पर खारिज कर दिया था.

 


  • हिंदू पक्ष ने 12 अक्टूबर 2020 को दोबारा पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. इसी केस में अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया है.
  • मुस्लिम पक्ष ये मानने के लिए तैयार नहीं है कि शाही ईदगाह मस्जिद को श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बनाया गया है.

समझिए कृष्ण-जन्मभूमि पर क्यों हुआ विवाद ?

श्रीकृष्ण जन्मभूमिशाही ईदगाह मस्जिद का पूरा ऐतिहासिक विवाद क्यों हुआ ये बताएंगे..बल्कि आपको आज से 162 वर्ष पहले Archeological Survey of India द्वारा किए गए शाही ईदगाह मस्जिद की एक्सक्लूजिव सर्वेक्षण रिपोर्ट भी बताएंगे. जिससे आप समझ सकेंगे कि अब 162 साल बाद जब शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वेक्षण होगा तो कौन सी ऐतिहासिक जानकारियां सामने आ सकेंगी.

  • क्या आपने कभी इतिहास की किसी किताब में पढ़ा कि आज से 160 वर्ष पहले Archeological Survey of India ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के प्राचीन मंदिर के अवशेषों पर बने होने की पुष्टि की थी?



  • क्या आपको किसी ने आजतक बताया कि अंग्रेजो के जमाने में 1832 से 1935 तक मथुरा की जिला अदालत से लेकर इलाहाबाद हाइकोर्ट तक ने हर बार पूरी जमीन का मालिक हिंदुओ को माना था?
  • आज भी मथुरा के राजस्व रिकॉर्ड में जिस जगह पर मस्जिद बनी है, उसके मालिक के तौर पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट लिखा हुआ है.

ये पांच सबूत बताते हैं कृष्ण-जन्मभूमि की पूरी कहानी

आज मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान-शाही ईदगाह से जुड़े जो दस्तावेज हैं, उनमें से कई कागज़ों को आपने पहले कभी नही देखा होगा.

·         सबूत नंबर 1- आज से 160 वर्ष पुरानी Archeological Survey of India की ये रिपोर्ट.



·         सबूत नंबर 2- 27 जनवरी 1670 को दिया गया मुस्लिम आक्रांता औरंगजेब का फरमान.



सबूत नंबर 3- 1968 के उस समझौते की Original Copy, जो श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह इंतजामिया कमेटी के बीच हुआ था.



·         सबूत नंबर 4- वर्ष 1935 का इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले की Copy, जिसने इस विवाद में हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया था.

·         सबूत नंबर 5- उत्तर प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग का वो दस्तावेज, जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन का मालिकाना हक श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के नाम दर्ज है.

ये वो सबूत हैं जिनके आधार पर हिंदू पक्ष दावा करता है कि मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को प्राचीन कृष्ण मंदिर को तोड़कर बनाया गया था, इन दस्तावेजों में लिखे सच को समझने के लिए जरूरी है कि इस विवाद का इतिहास पता हो ।

अब आप सबूत भी समझ लीजिए

पुरानी कहावत है - प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती . एक-एक ऐतिहासिक और सबूतों के प्रमाण यहां मिलेंगे

  • इसकी शुरुआत मुस्लिम आक्रांता औरंगजेब के उस फरमान से करते हैं जो उसने 27 जनवरी 1670 को दिया था.
  • इस फरमान की मूल प्रति फारसी भाषा में है, जिसका अंग्रेजी अनुवाद, औरंगजेब के फरमानों के अनुवाद पर लिखी पुस्तक Masir A alamgiri में किया गया है.



  • इस फरमान में लिखा है कि रमज़ान के पाक महीने में मथुरा स्थित केशव देव मन्दिर को तोड़ने का फरमान बादशाह ने दिया है.

 



  • मन्दिर को तोड़ कर उसकी मूर्तियों को आगरा स्थित बेगम साहिब मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफना दिया जाना है. साथ ही मथुरा का नाम अब से बदल कर इस्लामाबाद कर दिया गया है.



  • इतिहासकारों के मुताबिक, मन्दिर को विध्वंस करने के फरमान पर अमल होने के बाद, 1670 में ही शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया, जिसमें ध्वस्त मन्दिर के अवशेषों का इस्तेमाल हुआ था.

बेर्नियर की किताब में जिक्र है केशव मंदिर का

विध्वंस से पहले मंदिर कितना सुंदर था, इसका जिक्र डॉक्टर Francois Bernier (बेर्नियर) अपनी किताब Travels in the Mogul Empire 1656-1666 में करते हैं. Francois Bernier लिखते हैं कि दिल्ली से आगरा के बीच 50 से 60 लीग यानी 277 से 330 किलोमीटर की दूरी के बीच कुछ भी देखने लायक नही था. सब बेकार है, सिवाय मथुरा के, जहां एक प्राचीन और सुंदर मंदिर अभी भी खड़ा है. इतिहासकार मानते हैं कि ये मथुरा का केशव राय मन्दिर है, जिसका जिक्र बेर्नियर कर रहे है, जिसे औरंगजेब ने तुड़वाकर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण करवा दिया था .




शाही ईदगाह मस्जिद की दरोदीवार पर भी दर्ज हैं सबूत

ये वही मस्जिद है जिसका निर्माण औरंगजेब ने उस समय के विशाल मंदिर को तोड़कर करवाया था. इस बात की निशानियां आज भी इस मस्जिद की दरो-दीवार पर मौजूद हैं. मस्जिद की दीवारों पर मंदिर के निशान पहचानने के लिए किसी पारखी नजर की जरूरत नहीं है. मुस्लिम आक्रांताओं ने हिंदू निशानों और प्रतीक चिन्हों को मिटाने में मेहनत तो पूरी की, लेकिन कहते हैं ना, दुनिया में ऐसी कोई दीवार नहीं बनी जो सच को दबा पाए.

पूरी 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक तो राय पटनीमल से होते हुए स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के पास आ गया, लेकिन 2.5 एकड़ जमीन के लिए सैकड़ों वर्षों से भगवान श्रीकृष्ण खुद अपनी जन्मभूमि के मालिकाना हक की लड़ाई कोर्ट में लड़ रहे हैं, जिनके पैरोकारों में शामिल हैं महेंद्र प्रताप सिंह.

ऐतिहासिक तथ्यों से लेकर ASI की रिपोर्ट तक शाही ईदगाह मस्जिद के हिन्दू मन्दिर को तोड़ कर बनाये जाने की गवाही दे रही है लेकिन शाही ईदगाह मस्जिद इंतजामिया कमेटी तो ASI की रिपोर्ट को ही मनगढ़ंत बता रही है.

अयोध्या, मथुरा हो या काशी या फिर कुतुब मीनार...पेशे से वकील हरिशंकर जैन, 30 वर्षों से आराध्यों के हक की लड़ाई कोर्ट में लड़ रहे हैं . वो मथुरा में हिंदू मुस्लिम पक्ष के बीच हुए 1968 के समझौते को Fraud की संज्ञा दी रहे हैं और उम्मीद जता रहे हैं जैसे अयोध्या में जीत हासिल की थी, वैसे ही मथुरा में करेंगे. मथुरा जन्मभूमि और शाही ईदगाह के विवाद पर मथुरा की अलग-अलग अदालतों में कई मुकदमे चल रहे हैं, लेकिन प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती. शाही ईदगाह मस्जिद खुद इसकी गवाही दे रही है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि अगर कहीं है तो यहीं है यहीं है.



क्या है वो समझौता, जो विवाद की असली जड़ है

शाही ईदगाह मस्जिद की इंतजामिया कमेटी वर्ष 1976 में साल 1968 के कथित समझौते को लेकर मथुरा नगर पालिका के पास जाती है और उससे 2.5 एकड़ जमीन जहां मस्जिद है, उसे मस्जिद इंतजामिया कमेटी के नाम करने का आवेदन करती है. लेकिन मथुरा नगरपालिका इस समझौते को ही खारिज कर देती है. मथुरा नगर निगम का वो Document भी है, जिसमें खेवत संख्या 255 (जहां शाही ईदगाह मस्जिद बनी है), उस जमीन का मालिक श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, लिखा हुआ है. इसके अलावा वर्ष 2015 की उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा verified खतौनी की भी Copy है. यहां भी खेवत संख्या 255 का मालिक भगवान श्रीकृष्ण को ही बताया गया है.

सारे कागज, शाही ईदगाह मस्जिद के नीचे हिंदू मंदिर होने के पक्ष में गवाही दे रहे हैं और शाही ईदगाह मस्जिद की दीवारों पर भी सच साफ-साफ दिखाई दे रहा है.

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