वीर सावरकर जी की जयंती पर विशेष लेख
पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था
जन्म 28 मई 1883 को नासिक के गांव में हुआ
उनकी पुस्तकें क्रांतिकारियों के लिए गीता के समान थीं
स्वतंत्रता सेनानी एवं प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे
महान क्रांतिकारी, इतिहासकार और समाज सुधारक थे
आजाद हिंदुस्थान के लिए उन्होंने एक गुप्त सोसायटी बनाई
बंग भंग के बाद पुणे में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई
पढ़ाई के दौरान राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत ओजस्वी भाषण देते थे
लंदन में उनकी मुलाकात लाला हरदयाल जी से हुई
सावरकर जी 1937 में हिन्दू महासभा के अध्यक्ष चुने गए
वीर सावरकर जी आजीवन अखंड भारत के पक्षधर रहे
कील और कोयले से कई कविताएं लिखीं और उन्हें याद किया
10 हजार पंक्तियों को उन्होंने जेल से छूटने के बाद पुनः लिखा
26 फरवरी 1966 को सावरकर जी का निधन हुआ
संपूर्ण जीवन स्वराज्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष किया
भारतीय क्रांति के महानायक थे वीर सावरकर जी
राष्ट्र ध्वज के बीच में धर्म चक्र लगाने का सुझाव दिया
पूर्ण स्वतंत्रता को आंदोलन का लक्ष्य घोषित किया
राष्ट्र के विकास और चिंतन करने वाले प्रथम क्रांतिकारी थे
अस्पृश्यता और कुरीतियों के विरुद्ध आंदोलन शुरू किया
इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस 1857 का लेखन किए
वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस पुस्तक ने अंग्रेजों को हिला डाला
सावरकर जी को 2-2 आजीवन कारावास की सजा मिली थी
प्रथम लेखक जिनकी कृति को प्रकाशन से पूर्व प्रतिबंधित
स्नातक की उपाधि को आंदोलन में भाग लेने पर वापस लिया
इंग्लैंड के राजा के प्रति वफादारी की शपथ लेने से मना किया
फलस्वरूप उन्हें वकालत करने से रोक दिया गया
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