15 July 2023

आगरा के जामा मस्जिद से श्री कृष्ण भगवान की मूर्तियों को मुक्त करो

औरंगजेब के कट्टरतापूर्वक कार्यों की झलक उसके प्रशंसक इतिहासकारों की पुस्तकों में मिलती है।

'मआसिर-ए-आलमगीरी' में लिखा है कि मंदिरों की रत्नजड़ित मूर्तियों को आगरा मंगवाया गया और बेगम साहिब की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे रखा गया। 



मथुरा का नाम बदलकर इस्लामाबाद रखा गया। बेगम साहिब की मस्जिद जहांआरा द्वारा आगरा में बनवाई गई जामा मस्जिद है।

औरंगजेब के मुख्य दरबारी साखी मुस्ताक खान की लिखी किताब ई-आलम गीरी में लिखा है, ‘जो मूर्तियां थीं वो छोटी-बड़ी थीं। 

जिसमें बहुत महंगे-महंगे रत्न लगे हुए थे। जो मंदिर के अंदर लगी हुईं थीं।



उनको मथुरा से आगरा लाया गया। और उनको बेगम साहिब मस्जिद की सीढ़ियों में दफना दिया गया। 

इसके लिए कि लोग उन पर चढ़ते-उतरते रहें। इतना ही नहीं मथुरा के जिस मंदिर को डेरा ऑफ केशव राय के नाम से जाना जाता था, उसको भी तोड़ा गया।



किताब में आगे यह भी लिखा है कि औरंगजेब का आदेश था कि मंदिरों को जल्द तोड़ा जाए। 

मंदिरों को तोड़ने के बाद उस जगह पर शानदार मस्जिद का निर्माण किया गया। सन 1670 में ईद के दिन उस मस्जिद का उद्घाटन किया गया’।


जनवरी, 1670

"रमज़ान के इस महीने औरंगजेब द्वारा पैगंबर के विश्वास को पुनर्जीवित करने हेतु मथुरा में केशव राय के मंदिर को गिराने का आदेश”



थोड़े ही समय में कुफ्र की इस मजबूत बुनियाद को चकनाचूर कर दिया गया और उसके स्थान पर एक ऊंची मस्जिद का निर्माण किया गया।

मंदिर की छोटी-बड़ी मूर्तियों को आगरा लाया गया और बेगम साहिब की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफना दिया गया।

ताकि वे लगातार बनी रहें लोग उसे कुचलते रहे और मथुरा का नाम बदलकर इस्लामाबाद कर दिया गया। 


मासीर-ए-आलमगिरी, पृ. 95-96

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