26 August 2023

चाँद पर शिव शक्ति और तिरंगा पॉइंट इसरो का हर हर महादेव !

शिव ही आदि हैं, शिव ही मध्य और शिव ही अनंत। शिव हैं प्रथम और शिव ही है अंतिम। इसे चरितार्थ कर दिखाया है हमारे इसरो के वैज्ञानिकों ने. सनातन धर्म में परम कारण और कार्य। शिव हैं धर्म की जड़ और शिव से ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है। यही कारण है कि संपूर्ण जगत शिव की ही शरण में है, जो शिव के प्रति शरणागत नहीं है वह प्राणी दुख के गहरे गर्त में डूबता जाता है ऐसा पुराण भी कहते हैं। जाने-अनजाने शिव का अपमान करने वाले को प्रकृ‍ति कभी क्षमा नहीं करती है। यही वजह रही होगी की इसरो ने प्रकृति को प्रेम से नामकरण कर अपने चंद्रयान को माहादेव शिव को समर्पित किया है



शिव जब सरवोच्च सत्ता के रूपमें अर्थात परब्रह्म के रूप में होते हैं तो उनका आदि और अंत नहीं होता क्योंकि परब्रह्म का आदि और अंत नहीं है। क्योंकि शिव परब्रह्म से ही उद्भूत होते हैं। इसरो ने महान भारतीय संस्कृति विरासत को उस आदि आनादी महादेव से जोड़ा है जिसका सीधा संबंध प्रकृति और ईश्वर से है




शिवलिंग को ज्योति रूप माना गया है और उसके आसपास के क्षेत्र को चंद्र। आपने आसमान में अर्ध चंद्र के ऊपर एक शुक्र तारा देखा होगा। यह शिवलिंग उसका ही प्रतीक नहीं है, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड ज्योतिर्लिंग के ही समान है। यहीं कारण है कि चंद्रयान को संपूर्ण ब्रह्मांड से जोड़ कर इसरो ने विज्ञान और अध्यात्म को आगे बढ़ाया है



शिव और चन्द्मा का संबंध सृस्ती के उदय से आजतक एक और है और अनंतकाल तक ये रिश्ता निरंतर और निर्बाध चलता रहेगा. इसरो ने इस शिव ज्ञान और और सनातन विज्ञान को बखुबू समझा और चन्द्रमा के सीश पर शिव को स्थापित कर सत्यम शिवम सुन्दरम को दुनिया को समझाया है


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