31 August 2023

हिन्दू विरोधी स्वामी प्रसाद मौर्य का विवादों से पुराना नाता!

ये भारत है..वो भारत, जो हिंदू और सनातनी परंपराओं से हमेशा सराबोर रहा है...ये भारत धरती से लेकर चाँद तक की दूरी तय करना भी जानता है...ये भारत जानता है कि, संविधान के साथ-साथ देश की दिशा और हिंदुत्व की आस्था क्या होनी चाहिए. लेकिन सनातन आस्था को निशाना बनाकर वोट अपनी झोली में भरने वालों की दशा क्या होनी चाहिए यह भी देश को ही तय करना है....क्योंकि चंद नेताओं की बयानबाजी देश की सनातन संस्कृति को खोखला करने पर तुली है. ये वो नेता है जो चुनाव नजदीक आते ही हिन्दू आस्था को पुरवईया में पतंग की तरह उड़ाने की कोशिश करते हैं. ये नेता ऐसे हैं जो सनातन को निशाना बनाकर समाज के ठेकेदार बन जाते हैं...आज सबसे पहले बात करना जरुरी है कि  समाजवाद का आईना दिखा करदंभ भरने वाले सपा के कद्दवार नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की कर लेते हैं. जो पहले रामचरित मानस पर सावल उठाते हैं... और अब हिंदू धर्म को एक धोखा बता रहे हैं. इसी के साथ स्वामी प्रसाद अपने ट्विटर पर ये भी लिखते हैं कि, ब्राह्मणवाद की जड़ें गहरी हैं और सब तरह की विषमता का कारण भी यही है..इनकी आगे की करनी और कथनी क्या है आगे बतायेंगे लेकिन पहले आपको इनका वो बयान आपको सुनवाते हैं...जिसके बवाल ने इनकी जीभ का सौदा 10 लाख में एक कांग्रेस नेता ने कर दिया.

इस जुबान का सौदा कांग्रेस नेता पंडित गंगा राम शर्मा ने किया, और कीमत रखी 10 लाख रूपये..इस के साथ ही पंडित गंगाराम शर्मा ने समाजवादी पार्टी के नेता, स्वामी प्रसाद मौर्य की जुबान की कीमत इसलिये लगाई कि इन्होंने पहले रामचरित मानस पर सवाल उठाया और अब हिंदुत्व को धोखा बता कर सनातन धर्म का अपमान किया....मगर यहां ये भी गौर करना जरुरी है कि क्या कांग्रेस नेता का ये सिर्फ महज एक चुनावी बयानबाजी मात्र है या फिर...वो अपने इस सनातन रक्षा के बयां पर कायम रहेंगे...सवाल ये भी है कि क्या कांग्रेस पार्टी अपने इस नेता के बयान से इतेफाक रखती है? वही स्वामी प्रसाद मौर्य बीएसपी में रहते हुए 2014 में भी हिंदू देवी-देवताओं को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर चुके हैं,...जिसके चलते इनके खिलाफ UP के सुल्तानपुर में FIR दर्ज हुई थी

अब ऐसे में आप अंदाजा लगाईये, अगर हिंदू धर्म के रक्षा के लिये हिन्दू अपनी आवाज न उठाये तो, हिंदू धर्म की रक्षा भला कौन करेगा?....स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान को लेकर पार्टी के अंदर भी अफरा-तफरी का माहौल है, इस बयान से पार्टी के कई नेता उनपर अपना बयान वापस लेने का दबाव बना रहे हैं...वहीं मौर्य के हिंदुत्व के धोखा बयाने वाले इस बयान से संत समाज नाराज़ हैं...हिन्दू धर्मगुरूओं का गुस्सा भी अब खुलकर सामने आ रहा है.

समाजवाद के रक्षक बताने वाले ये वही स्वामी प्रसाद मौर्य हैं जो राजनीति के दलबदलू नेता कहे जाते हैं...इससे पहले ये जनाब रामचरित मानस पर सवाल उठाकर बखेड़ा खड़ा कर चुके हैं...और अब हिंदू धर्म को धोखा बता रहे हैं...चलिये स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनीतिक चिट्ठा भी आपके सामने रख ही देते हैं...स्वामी प्रसाद मौर्य अपने विवादित बयानों से हमेशा सियासी सुर्खियां बटोरते रहे हैं. इनके विवादित बयानों की आंच से समाजवादी पार्टी के साथ-साथ बसपा और बीजेपी भी झुलस चुकी है. 

 

स्वामी प्रसाद मौर्य का विवादों से पुराना नाता!

 

BSP में रहते हुए 2014 में स्वामी प्रसाद मौर्य ने हिंदू देवी-देवताओं पर टिप्पणी की थी

 

बयान को लेकर सुल्तानपुर में उनके खिलाफ FIR दर्ज हुई थी

 

बीजेपी में आने पर कैबिनेट मंत्री बने

 

तीन तलाक पर बयानबाजे से अल्पसंख्यकों में बवाल खड़ा किया


बीएसपी छोड़ने के बाद स्वामी प्रसाद ने मायावती को "दौलत की देवी" बता कर हंगामा खड़ा किया


बीजेपी छोड़कर सपा में आए तो उन्होंने बीजेपी और RSS को नाग और खुद को नेवला बताया

मौर्या ने कहा, स्वामी रूपी नेवला यूपी से बीजेपी को खत्म करके ही दम लेगा

 

क्या कहता है राजनीतिक सफर?

 

स्वामी प्रसाद मौर्य ने 1980 के दशक में अपनी राजनीति लोकदल से शुरू की थी


1996 में डलमऊ से बीएसपी के विधायक बने


2003 में बसपा सत्ता से बाहर हुई तो मायावती ने नेता प्रतिपक्ष बना दिया


2007 में सरकार बनने पर बीएसपी ने मंत्री बनाया


बाद में फिर पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष भी बने


इसके बाद 2012 में बसपा सत्ता से बाहर हुई तो फिर नेता प्रतिपक्ष बनाए गए


2017 में स्वामी प्रसाद ने बीजेपी का दामन थाम लिया और चुनाव जीत गए


योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार में मंत्री बन गए


इसके बाद उन्होंने पाला बदला और विधानसभा चुनाव से पहले सपा में चले गए... हालांकि उन्हें विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. जिसके बाद पार्टी ने उन्हें ओबीसी चेहरे के रूप में विधान परिषद भेजा हैउनका ये बयान बेसक राजनीतिक हो क्योंकि समय चुनावी है तो लाभ भी जरूरी है. लेकिन इस बयानबाजी से उन्हें कितना लाभ मिलेगा, कितना जनाधार बढ़ेगा ये तो कोई नहीं जानता... लेकिन पहले रामचरितमानस और अब हिंदू धर्म को धोखा बताकर उन्होंने एक बार फिर पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी दी हैं.

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