तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख मिलती रही है लेकिन
इंसाफ नहीं मिला, मिली है तो ये सिर्फ तारीख’..जी हां वैसे तो ये 1993 में आई हिंदी
फीचर फिल्म दामिनी का बेहद चर्चित डायलॉग है, जिसमें
सनी देवल एक रेप पीड़िता के इंसाफ के लिए ज्यूडीशियल सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर
देते हैं. तारीखों का दौर औऱ न्याय में देरी का कुछ ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के
जौनपुर का भी है. जहां 35 साल पहले कब्जाई गई शिवमंदिर की जमीन वापस पाने के लिए
पुजारी दर-दर भटक रहे हैं. इस दौरान उन्हें 400 बार तारीख तो मिली लेकिन न्याय
नहीं मिला.
चकबंदी ऑफिस मंदिर की जमीन को कब्जाने का आरोप
अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी की सरकार में पुलिस महानिदेशक
(डीजीपी) रहे जगमोहन यादव पर लगे हैं. शिकायतकर्ता के पिता मुकदमा लड़ते-लड़ते
गुजर गए, वो खुद इस ऑफिस से उस ऑफिस के चक्कर
काट रहा है लेकिन इंसाफ से वंचित रहा. आरोप है कि अपनी पहुंच का इस्तेमाल करके
जगमोहन यादव ने अभी तक इस मामले को अटकाए रखा है.
दूसरी तरफ मंदिर की जमीन के संरक्षक
विजय कुमार उपाध्याय न्याय की लड़ाई लड़ते रहे. 04.04.2012 को चकबन्दी अधिकारी सदर
जौनपुर ने मंदिर के पक्ष में आदेश पारित कर अभिलेखो में नाम दर्ज करने हेतु आदेश
पारित किया.
वर्तमान में प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ मंदिर की जमीन के इस मुकदमें में इसी साल 03 मई को फैसला विजय कुमार उपाध्याय के पक्ष में आया, पीड़ित विजय के मुताबिक़ जगमोहन यादव के दबाव में सहायक चकबंदी अधिकारी (राकेश बहादुर सिंह) म्युटेशन नहीं कर रहे हैं.
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