हरियाणा की बांगर बेल्ट शुरू से ही प्रदेश की राजनीति की दिशा और दशा तय
करती आई है। ऐसे तो बांगर बेल्ट के कई नेता हरियाणा की राजनीति में अपना प्रभाव
रखते हैं...मगर यहां के कद्दावर नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह सियासत के केंद्र बिंदु
रहे हैं। 10 साल पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा
में जाकर उन्होंने कांग्रेस को इस बेल्ट में खासा नुकसान पहुंचाया था। चौधरी
बीरेंद्र सिंह कांग्रेस में दोबारा सियासी पारी खेलने के लिए काफी सक्रिय नजर आ
रहे हैं।
कौन हैं चौधरी बीरेंद्र सिंह ?
रोहतक में जन्म, जींद को बनाया कर्मभूमि
1972 में पहला चुनाव लड़ा और उचाना ब्लॉक समिति के अध्यक्ष बने
1977 में कांग्रेस की टिकट पर उचाना से MLA बने
5 बार MLA और 2 बार राज्यसभा और एक बार लोकसभा के सांसद रहे
पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में मंत्री बने
2014 में BJP में शामिल होने के बाद केंद्र सरकार में पहली बार
मंत्री बने
बीरेंद्र सिंह और उनके बेटे, बांगर की धरती से एक बार फिर विधानसभा चुनावों में अहम
भूमिका निभाते दिख रहे हैं। चौधरी छोटूराम की विरासत संभाल रहे बीरेंद्र सिंह का अपनी बेल्ट
के साथ-साथ पूरे प्रदेश में प्रभाव है। बीरेंद्र सिंह अपने क्षेत्र में किसी भी
सियासी हवा का रूख मोड़ने की महारत रखते हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि हरियाणा
में पार्टी को मजबूती देने में इसबार चौधर की राजनीति से उसे लाभ मिल सकता है। बांगर बेल्ट
में जींद, कैथल और हिसार लोकसभा क्षेत्र के
28 विधानसभा क्षेत्र आते हैं।
बांगर बेल्ट की विधानसभा क्षेत्र
जुलाना सफीदों जींद उचाना कलां नरवाना
गुहला कलयात कैथल पुंडरी
आदमपुर उकलाना नारनौद हांसी बरवाला हिसार नलवा
1986 में कांग्रेस की बंसीलाल सरकार
के खिलाफ चौधरी देवीलाल ने न्याय युद्ध बांगर बेल्ट जींद से ही शुरू किया था। इसका
असर ये रहा कि 1987 में हुए विधानसभा चुनाव में जनता दल- भाजपा
गठबंधन को 90 में से 85 सीटें मिली थी। चौधरी बंसीलाल ने 1995 में हरियाणा विकास पार्टी की बड़ी रैली की थी, जिसके बाद प्रदेश में उनकी लहर बनी और 1996 में वह सत्ता तक पहुंचे थे। वहीं, कंडेला कांड के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 2002 में जींद से किसान पदयात्रा शुरू की थी, जिसके बाद 2005 में वह सीएम की कुर्सी हासिल कर सके। प्रदेश के मध्य में पड़ने वाले जींद
से उठने वाली राजनीतिक आवाज का पूरे प्रदेश में असर पड़ता है। यही कारण है कि बांगर बेल्ट
हमेशा से ही हरियाणा की राजनीति में काफी अहम रहा है।
इनेलो का शुरू से ही जींद गढ़ रहा है, खुद ओमप्रकाश चौटाला नरवाना से विधायक बनकर सीएम बने थे। इसके बाद, इनेलो टूटने के बाद जजपा ने भी 9 दिसंबर, 2018 को इसी बांगर की धरती से नई शुरुआत की थी और सत्ता की चाबी उनके हाथ लगी।
उचाना से विधायक दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम बने थे। भाजपा के कई बड़े नेता और गृह मंत्री अमित शाह भी जींद की जमीं से हरियाणा
की राजनीति को साधते रहे हैं। 2019 की रैली में अमित शाह ने कहा था कि....
महाभारत का युद्ध जीतने के बाद पांडवों ने भी इसी धरती पर जयंती देवी मंदिर
की स्थापना करवाई थी। वे चौथी बार जींद आए हैं और जयंती देवी की धरती से उन्हें
हमेशा ऊर्जा मिली है। पांडवों की जमीं से प्रदेश की जनता उन्हें जरूर आशीर्वाद
देगी’।
- अमित शाह, गृह मंत्री
इस धरती की ताकत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हरियाणा में
राजनीतिक जमीन तलाश रही आम आदमी पार्टी यहां पर कई बड़ी रैली कर चुकी है। दिल्ली
के सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान यहां के लोगों से सीधे रूबरू
हो चुके हैं। वहीं, महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने अपनी नई पार्टी हरियाणा
जनसेवक पार्टी का आगाज भी जींद से ही किया था।
जिंद जिले की एक और विधानसभा सीट उंचाना कलां हमेशा से हरियाणा की राजनीति में अहम
स्थान रखता है। ट्रेजडी किंग
के खिताब के पीछे की कहानी भी यहीं से जुड़ा हुआ है। हरियाणा की राजनीतिक
सें चौधरी बीरेंद्र
सिंह को ट्रेजडी किंग के नाम से भी जाना जाता है। उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए
वर्ष 1991
में हरियाणा
विधानसभा के चुनाव हुए। जिसमें कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया। बीरेंद्र सिंह का CM बनना तय था, लेकिन उसी समय राजीव गांधी की हत्या
हो गई। इसके साथ ही बीरेंद्र सिंह के सितारे गर्दिश में चले गए और कांग्रेस
हाईकमान ने 23
जुलाई 1991 को उनकी जगह भजनलाल को CM बना दिया।
बीरेंद्र सिंह खुद कई बार कह चुके हैं कि उनका 2009 में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए-2 सरकार में मंत्री बनना तय हो चुका था। उन्हें पार्टी का ऑफिशियली इन्विटेशन भी मिल गया कि कल सुबह मंत्रिपद की शपथ लेनी है। उन्होंने नया सूट सिलवा लिया, लेकिन सुबह पता चला कि केंद्रीय मंत्रियों वाली लिस्ट से उनका नाम कट चुका है। ऐन मौके पर होने वाले ऐसे घटनाक्रमों के चलते ही बीरेंद्र सिंह को हरियाणा की राजनीति का ट्रेजडी किंग कहा जाने लगा।
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