अलग-अलग हाईकोर्ट के पूर्व जजों ने कहा कि “पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित कुछ समूह हजारों साल पुरानी सामाजिक संस्था को नष्ट करना चाहते हैं”।
समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से भारतीय समाज पर विपरीत असर पड़ेगा।
समलैंगिक विवाह व्यवस्था आजाद भारत की संस्कृति पर पाश्चात्य सभ्यता को थोपने की
कोशिश है”।
“पश्चिमी देशों में कैंसर की तरह फैल चुके समलैंगिक विवाह को ‘चुनने के अधिकार की
स्वतंत्रता’ के नाम
पर भारत की न्यायपालिका का दुरुपयोग करके यहां आयात करने की कोशिश हो रही है”।
“अमेरिका जैसे देश में 2019-20 में एचआईवी एड्स के जो मामले सामने आए, उनमें 70 फीसदी समलैंगिक पुरुषों में
थे”।
“व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता
देने से एचआईवी एड्स के रोगियों में भी बढ़ोतरी होगी”।
“अध्ययन
में ये पाया गया है कि समलैंगिक जोड़ों द्वारा गोद लिए हुए बच्चों के मानसिक
स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है”।
“सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने के बाद मौजूदा गोद लेने और उत्तराधिकार से जुड़े पर्सनल लॉ की परिभाषा ही बदल जायेगी”।
विरोध जताने वाले पूर्व 21 जजों के नाम
1. एसएन झा, पूर्व मुख्य न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय
2. एमएम कुमार, पूर्व
मुख्य न्यायाधीश, जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय
3. एसएम सोनी, पूर्व
न्यायाधीश, गुजरात हाईकोर्ट और लोकायुक्त गुजरात
4. नरेंद्र कुमार, पूर्व कार्यकारी
मुख्य न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय
5. एसएन ढींगरा, पूर्व
न्यायाधीश, दिल्ली उच्च न्यायालय
6. बी शिवशंकर राव, पूर्व
न्यायाधीश, तेलंगाना उच्च न्यायालय
7. आरएस राठौर, पूर्व
न्यायाधीश राजस्थान उच्च न्यायालय
8. केके त्रिवेदी, पूर्व
न्यायाधीश, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय
9. डीके पालीवाल, पूर्व
न्यायाधीश, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय
10. प्रत्यूष
कुमार, पूर्व न्यायाधीश, इलाहाबाद
उच्च न्यायालय
11. रमेश
कुमार मेरठिया, पूर्व न्यायाधीश, झारखंड
उच्च न्यायालय
12. कर्म चंद
पूरी, पूर्व न्यायाधीश, हरियाणा
पंजाब उच्च न्यायालय
13. राज
राहुल गर्ग, पूर्व न्यायाधीश, हरियाणा
पंजाब उच्च न्यायालय
14. राकेश
सक्सेना,पूर्व न्यायाधीश, मध्य
प्रदेश उच्च न्यायालय
15. बीके
दुबे, ,पूर्व न्यायाधीश, मध्य
प्रदेश उच्च न्यायालय
16. एमसी
गर्ग, ,पूर्व न्यायाधीश, दिल्ली
उच्च न्यायालय
17. राजेश
कुमार,पूर्व न्यायाधीश, इलाहाबाद
उच्च न्यायालय
18. सुनील
हाली, पूर्व न्यायाधीश, इलाहाबाद
उच्च न्यायालय
19. राजीव
लोचन, ,पूर्व न्यायाधीश, इलाहाबाद
उच्च न्यायालय
20. पीएन
रवींद्रन, पूर्व न्यायाधीश, केरल
उच्च न्यायालय
21. लोकपाल
सिंह, पूर्व न्यायाधीश, उत्तराखंड
उच्च न्यायालय
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