13 October 2013

आज के रावण कौन ? दहन कब ?

                                 लोकाभिरामं रणरंगधीरं, राजीव नेत्रं रघुवंशनाथम्।
                                कारुण्यरूपं करुणाकरं तं, श्रीरामचद्रं शरणं प्रपद्ये।।

रावण एवं अन्य राक्षसों से त्रस्त होकर देवतागण भगवान विष्णु से रावण वध के लिए प्रार्थना करते हैं। तब भगवान विष्णु लोकहित के लिए, लोक कल्याण के लिए, असत्य पर सत्य की विजय के लिए, पृथ्वी के उद्धार के लिए एवं अत्याचार के नाश के लिए राजा दशरथ के यहां पुत्र रत्न के रूप में उत्पन्न होते हैं। यही राम असत्य पर सत्य की विजय के रूप में रावण का वध करते हैं। मगर आज हमारे समाज में कलयुग का हजारों ऐसे रावणरूपी राक्षस मौजूद है जो आए दिन देश कि एकता और अखंडता को चुनौती दे रहा है। त्रेतायुग के रावण ने जो गुनाह किए किया था वह आज के रावण के सामने भी कम लग रहा हैं। तब के रावण का खात्मा करने के लिए भगवान राम आए थे, लेकिन आज के रावण से हम खुद जंग लड़ रहे है। इन रावणों के खौफ से हर कोई डरा सहमा हुआ है। सतयुग में राम को केवल एक रावण के अत्याचारों का सामना करना पड़ा था। किन्तु कलयुग में हम अनगिनत रावणों के अत्याचारों का सामना कर रहे है। आतंकवाद, भ्रष्टाचार, बलात्कार, गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा, कुपोषण, नक्सलवाद, बेरोजगारी जैसे रावण समाज में अपना पैस पसार रहा है। तो साल ये उठता है कि इस रावण को हम कब जलाएंगें?

एक ओर जहा कुपोषण जैसे खतरनाक रावणों ने देश की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक ढांचे को हिलाकर रख दिया है। वहीं दुसरी ओर पर्यावरण असंतुलन ने पूरे विश्व का स्वास्थ्य बिगाड़ दिया है। नक्सलवाद से देश के अनेक राज्यों के विकास का ताना बाना अधूरा पड़ा गया है। आतंकवाद ने हमारे देश और विश्व को आक्टोपस की तरह अपने  पंजे में जकड़ रखा है। इन खतरनाक रावणों से निपटने के लिए राम रूमी मानव आखिर कब जागेगा? सरकार इनसे निपटने के कारगर नुस्खा कब अपनाएगी इसको लेकर आज देश  विजयदशमी की इस पावन बेला पर सवाल उठा रहा है। 

आज के रावण सिर्फ बाहर ही नहीं हमारे आपके सब के अंदर भी मौजूद है। लोभ, वासना, बेईमानी, कायरता, आलस, क्रोध, स्वार्थ, कपट, झूठ और फरेब। जैसे इन आंतरिक रावण को खत्म किए बिना हम बाहरी रावण से मुकाबला नहीं कर सकेत है। जिसे हम सब को पहले मिटाना होगा।

दशहरा शक्ति का भी पर्व है। इस दिन क्षत्रिय अपने हथियारों की पूजा करते हैं। हमारे पूर्वजों ने समाज को एक संदेश देने की कोशिश की थी। ताकी ताकत हासिल की जा सके। जिससे कलयुगी रावण का सामना कर सके। मगर आज पिज्जा, बर्गर जैसी कंपनियां हमारे स्वाथ्य को बिगाड़ रही है, जिससे हम खुद रावण के आगे कमजोर होते जा रहे है। इतना ही नहीं वालमार्ट जैसी मल्टीनेशनल कंपनिया हमारे देश को रावण के तरह लुटने रहीं है। हत्या, दहेज प्रथा, बाल विवाह, बाल मजदूरी, चोरी, अपहरण, जैसे कई ऐसी बुराइयाँ हैं जो रावण की तरह समाज को नश्ट कर रहीं है। हर  वर्श हमारी संस्कृति पष्चात सभ्यता कि आग में जलाती जा रही है। मगर रावण और जयादा बिकराल होकर ललकार रहा है। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आज के रावण कौन?

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