तब
भाजपा के भीतर कुशवाहा कांड हुआ था जिसके बाद मीडिया ने बड़ी हायतौबा मचाई थी और
आखिरकार भाजपा को भीतर आये बाबू सिंह कुशवाहा को बाहर का रास्ता दिखाना
पड़ा था। अब सपा के भीतर भी एक कुशवाहा कांड चल रही है। उन्हीं कुशवाहा
के भीतर आने को लेकर पार्टी के भीतर मौजूद कुशवाहा को बाहर कर दिया गया
है। समाजवादी पार्टी के महासिचव राम आसरे कुशवाहा को समाजवादी पार्टी ने
महासचिव पद से हटाते हुए उन्हें दी गई लालबत्ती भी वापस ले ली है। हालांकि
कुशवाहा के खिलाफ यह कार्रवाई अनुशासन के नाम पर की गई लेकिन बात
सिर्फ अनुशासन भर की नहीं है। अंदर की कहानी कुछ और है।
एक अक्टूबर को सपा के
महासचिव और प्रवक्ता ने कुशवाहा को पहले संगठन के राष्ट्रीय महासचिव के पद से बर्खास्त
किया फिर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सुदूर संवेदन उपयोगिता केन्द्र (रिमोट
सेंसिंग) के उपाध्यक्ष
पद से बर्खास्त
कर दिया। रामआसरे कुशवाहा को समाजवादी पार्टी से बर्खास्त करने के पीछे भले ही कहा गया
हो उनका बडबोलापन जिम्मेदार है क्योंकि वे लगातार मीडिया (खासकर टीवी
चैनलो पर) पार्टी का पक्ष रखने में सबसे आगे रहते थे लेकिन यह तथ्य उनकी
बर्खास्तगी के पीछे का असल कारण नहीं है। असल कारण कुछ और ही निकल करके सामने
आ रहा है।
पार्टी के मौजूदा कुशवाहा को किनारे करने के पीछे का असल
कारण कोई और नहीं बल्कि वही बाबू सिंह कुशवाहा हैं जिनका कुनबा अब सपा
में शामिल हो चुका है। कहा जा रहा है कि रामआसरे कुशवाहा के इशारे पर उनके
सर्मथक एनआरएचएम घोटाले के आरोपी बाबूसिंह कुशवाहा के कुनबे का न केवल
विरोध कर रहे है बल्कि पार्टी के बड़े नेताओं के इस कदम को लेकर खुलेआम आलोचना
भी कर रहे है। यही बातें पार्टी की ओर से कार्यवाही की बड़ी वजह भी बताई
जा रही है। यह भी बताया जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव ने जब बाबू सिंह
कुशवाहा के परिवार को शामिल कराया तो रामआसरे कुशवाहा से कोई मशविरा नही किया
गया जो राम आसरे कुशवाहा को बेहद नागवार गुजरी थी।
समाजवादी पार्टी के
राष्ट्रीय महासचिव और राज्य मंत्री का दर्जा पाए राम आसरे कुशवाहा ने पार्टी द्वारा उन्हें
सरकार और संगठन से अचानक हटाए जाने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा है कि
वह जल्दी ही पार्टी प्रमुख मुलायम यादव से भेंट कर पूछेंगे कि आखिर उनका
कसूर क्या है। उन्होंने धमकी भरे अंदाज में कहा कि प्रदेश में नौ प्रतिशत
के करीब कुशवाहा समाज की आबादी है, जो
यादव समाज से कही अधिक है और इससे उनके समाज को काफी धक्का लगा है। समाज के लोग बुरी तरह
से आहत हैं।
कुशवाहा ने अचानक
पार्टी के संगठन और सरकार से बर्खास्त किये जाने से वह बहुत निराश और हताश हैं। वे कह रहे हैं
कि पूरे प्रदेश से कुशवाहा समाज के लोग मुझसे मिलने आ रहे हैं। मैं नेताजी
मुलायम का एक वफादार सिपाही था और पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को
कुशवाहा समाज का वोट दिलाने में पार्टी की काफी मदद भी की थी। कुशवाहा कहते है
कि प्रदेश में नौ प्रतिशत कुशवाहा वोट.हैं और कुशवाहा, मौर्य और सैनी उपनाम लगाते हैं, यह समाज यादव समाज के सात प्रतिशत वोट से
कहीं अधिक है। पूरा समाज मेरे कारण पार्टी से जुड़ा था अब सब अपने को आहत और ठगा हुआ महसूस कर
रहे है।
वे कहते है कि अभी तो मैं समाजवादी पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता
हूं। भविष्य में क्या होगा इस बारे में अभी मै कुछ नहीं कह सकता हूं।
कुशवाहा ने 1990 से
कांग्रेस कार्यकर्ता की हैसियत से अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया था। लेकिन बाद
में पाला बदल कर
वह बहुजन समाज पार्टी में आ गए और 1995 में उन्होंने बसपा के टिकट पर कानपुर देहात जिले की सरसौल विधानसभा
सीट से विधायक बन गए। वह कुछ दिन भारतीय जनता पार्टी में भी रहे और राम
प्रकाश गुप्ता के कार्यकाल में भाजपा की तरफ से प्रदेश सरकार में मंत्री भी
बने। बाद में वह भाजपा से भी हटा दिये गए और 2009 में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम
सिंह के संपर्क में आकर सपा में शामिल हो गये और तब से अब तक यही थे।
वैसे कहा यह भी जा
रहा है कि कैबिनेट मंत्री का दर्जा पाए समाजवादी पार्टी के नेता राम आसरे कुशवाहा मेरठ
में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अपने सहयोगियों के साथ शराब सेवन करते
पाये गये थे। मंत्री जी के नाम पर सर्किट हाउस का कक्ष संख्या तीन आरक्षित
था लेकिन रात के समय उन्होंने कक्ष संख्या चार व पांच भी खुलवा दिए। अगले
दिन शनिवार को सुबह 11 बजे
जब उन्होंने
सर्किट हाउस छोड़ा तो सर्किट हाउस स्टाफ ने बकायदा इन तीन कक्षों की एंट्री मंत्री जी
से रजिस्टर में कराई।
उनके स्टाफ द्वारा मौज मस्ती किए जाने का मामला इतना तूल पकड़ गया कि सपा
के राष्ट्रीय महासचिव एवं सांसद राम गोपाल यादव के आदेश पर जिला अध्यक्ष
जयवीर सिंह ने पूरे मामले की रिपोर्ट उन्हें व मुख्यमंत्री अखिलेश
यादव को भेज दी है। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता एमएम निसार ने भी
अपने स्तर से स्टाफ से पूरी रिपोर्ट मांगी है। उधर राम आसरे कुशवाहा ने भी
इस मामले मे सफाई दी थी कि सर्किट हाउस में ऐसा कुछ भी नही हुआ है जैसा कि
तूल दिया जा रहा है।
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