05 October 2013

क्या लालू की सज़ा से भ्रष्टाचार पर कोई असर होगा ?

सम्पूर्ण क्रांति के जन नायक जयप्रकाश नारायण ने जिस राजनैतिक भ्रष्टाचार और सामाजिक न्याय के नारे के साथ इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेकने के लिये देश में एक क्रांति कि अलख जागाई थी, उसी क्रांति की आंधी से उपजे लालू यादव का भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाना उस जेपी को शर्मशार करती है। बहुचर्चित चारा घोटाले में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को दोषी ठहराये जाने के बाद अहम सवाल ये है कि लालू की सज़ा से भरष्टाचार पर आने वाले समय में क्या असर पड़ेगा?

लालू ने 1990 में कहा था ‘आइ एम ए किंग’, और 1997 में ‘आइ एम ए किंग मेकर’ और अब 2013 में उन्हें अब जेल जाना पड़ा है। मगर सबसे अहम सवाल ये है कि क्या अब भी बिहार में जातीय समीकरण के आधार पर ही राजनीति होगी और सियासत की जमीन उसी से तय होगी? क्या राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए बिहार तैयार होगा? या फिर आगामी चुनावों में दागी उम्मीदवारों को टिकट देने के मामले में राजनीतिक दल अब भी कोताही नहीं बरतेंगे और दागियों को पहले की तरह ही संरक्षण देते रहेंगे? ये सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में दागियों को टिकट देने के मामले में किसी भी दल ने कोताही नहीं बरती थी। वे चाहे नीतीश कुमार हों, लालू प्रसाद हों या फिर रामविलास पासवान। अब लालू प्रसाद को दोषी ठहराये जाने के बाद क्या भ्रष्टाचार के समीकरण में कोई परिर्वतन होगा या फिर लालू को जमानत मिलते ही सब कुछ पहले के ही तरह जातीय समीकरण के इर्द गिर्द ही घुमेगा इसके लिए कुछ इंतजार जरूर करना होगा।

मगर आज जिस प्रकार से सर्वोच न्यालय ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) को खत्म करके दागियों के लिए रास्ते हमेशा के लिए बंद कर दिया है उससे भ्रष्टाचार और अपराध के आसरे सत्ता के रास्ते तलाशने वाले एक बार जरूर सोचने पर मजबूर होंगे। साथ ही राजनीति के अपराधीकरण पर कुछ हद तक असर जरूर पड़ेगा। तो क्या यह माना जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति में सफाई की जो बात कही है, उसका पहला असर बिहार में होने जा रहा है? लालू प्रसाद को दोषी ठहराये जाने के बाद पैदा हुए सवाल एक नयी राजनीति की भेंट चढ़ जाएंगे, या देश की राजनीति को एक नयी दिशा देंगे ये महत्वपूर्ण सवाल है। लालू प्रसाद यादव के लिये जेल जाना कोई नई बात नहीं, लेकिन बस फर्क इतना है कि वे कभी जेपी अंदोलन के कारण जेल जाते थे, और अब वे चारा घोटाले के दोषी ठहराए जाने के कारण जेल में है।

आज हर ओर इस बात को लेकर चर्चा है कि राष्ट्रीय जनता दल का राजनैतिक भविष्य क्या होगा? मगर इन सब से इतर महत्वपूर्ण सवाल ये है कि राजनीति में भ्रष्टाचार व घोटालों में लिप्त नेताओं व दलों का भविष्य अब आगे क्या होगा? क्या लालू को हुए जेल से अपराधीक छबि वाले नेताओं को कोई सबक मिलेगा? छल व प्रपंचों को अपना राजनैतिक हथियार बनाने वालों राजनेताओं को कोई सबक मिलेगा ये भी एक महत्वपूर्ण सवाल है। अब आगे ऐसे नेताओं का नैतिक भविष्य क्या होगा हर कोई इस बात को लेकर चर्चा कर रहा है। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या लालू की सज़ा से भ्रष्टाचार पर क्या असर होगा ?

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