18 October 2013

क्या देश में साइबर आर्मी की जरूरत है ?

साइबर वर्ल्ड के क्षेत्र में पिछले दो दशकों में अत्यधिक बदलाव आया है। इस बदलाव ने साइबर क्षेत्र के समक्ष कई सारी चुनौतियां भी पेश आरही हैं। जिससे निपटना एक टेढ़ी खीर है। ऐसे में आज साइबर आर्मी की जरूरत हर उस क्षेत्र में महसुस हो रही जहा मोबाइल, कम्पयुटर, इंटरनेट से जुड़े कार्य किए जाते है। अकेले भारत में ही आज 86.7 करोड़ मोबाइल फोन हैं। 12.4 करोड़ इंटरनेट यूजर हैं और 2017 तक यह संख्या 37 करोड़ होने की उम्मीद है। 8 करोड़ लोग फेसबुक पर हैं। 1.8 करोड़ लोग ट्वीटर का उपयोग करते हैं। मगर सुरक्षा के नाम पर सिर्फ हवा हवाई बातों के अलावे हमारे पास अब तक कोई कारगर नुस्खा नहीं है, जिससे निपटा जा सके। सुचना तकनीक कि सुरक्षा के नाम सरकार अब तक सिर्फ खानापूर्ति करती रही है। तो सवाल भी उठने लगा है कि देश में साइबर आर्मी अब तक क्यों नहीं बनाई जा रही है?

राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाना बेहद जरूरी हो गया है। हमारे सुरक्षा प्रतिष्ठान दुनियाभर के हैकरों के निशाने पर हैं। आए दिन देष में सुचनाए चोरी हो रही है। चीन हर वक्त रखा मंत्रालय से लेकर सीबीआई तक कि वेब साइट और इससे जुड़ी जानकारियों पर नज़र गड़ाए हुए है। ब्रिटेन अपने रक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा साइबर आर्मी और खुफिया निगरानी कार्यक्रमों पर खर्च करता है। मगर हमारे देश में अब तक न तो कोई कदम उठाया गया है और ना ही आगे ऐसी सरकार कि कोई योजना है।

हमारे देश की सेना के रडार, सेटेलाइट, विमान और युद्धपोत की संचार एवं तकनीक प्रणाली हैकरों के निशाने पर है। आज हैकर आटोमैटिक सिस्टम से कंप्यूटर हैक करके न्यूक्लियर वेपंस का ट्रिगर दबाना चाहते हैं। यही वजह है कि अमेरिका सहीत कई देश ज्यादा सतर्क हो गये है। कुछ दिन पहले पाकिस्तानी साइबर आर्मी के प्रोग्रामरों की ओर से सीबीआई की वेबसाइट को हैक कर लिया गया था। सबसे ज्यादा सुरक्षित मानी जाने वाली वेबसाइटों में से एक सीबीआई की वेबसाइट हैक कर हैकरों ने देश की साइबर सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दे रहे है। सीबीआई की वेबसाइट विश्व पुलिस संगठन ‘इंटरपोल’ के कमांड सेंटर से भी जुड़ी हुई है। ऐसे में आज ये समस्या सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के लिए सर दर्द बनी हुई है। इससे पहले पाकिस्तानी साइबर आर्मी ने मशहूर उद्योगपति विजय माल्या की आधिकारिक बेवसाइट को हैक कर चुके है। 2007 से पाकिस्तान साइबर आर्मी ने ओएनजीसी समेत कई भारतीय वेबसाइटें हैक की भी। भारत में कम्प्यूटर सुरक्षा पर नजर रखने वाले सरकारी संगठन कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम का कहना है कि इस साल जनवरी से जून तक 4300 से अधिक भारतीय वेबसाइटें हैकर्स का शिकार हुई हैं।

पाकिस्तान में हैकर्स ग्रुप को आईएसआई और सरकार का पूरा समर्थन हासिल है, जबकि भारत में ऐसा कुछ नहीं है। भारत में हैकिंग कानूनन अपराध है। पाकिस्तानी हैकर्स रोज करीब 60 हजार वेबसाइटों को निशाना बनाते हैं। वहीं चीन ने पिछले साल भारतीय विदेश मंत्रालय के 600 कंप्यूटर हैक किया था। दुनिया के करीब 120 देश साइबर आर्मी के तहद कार्य करे है। अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआइ ने साफ तौर पर कहा है कि सबसे बड़ा युद्ध साइबर दुनिया में लड़ा जायेगा। 2012 में दुनिया के सामने भारत सरकार के ज्यादातर संगठनों की वेबसाइट सिंगल सर्वर पर चलायी जाती हैं, ऐसे में यह आसानी से हैकरों के निशाने पर आ जाती हैं। नार्टन की रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक वर्ष भारत में 42 मिलियन साइबर अपराध घटित होते हैं। भारत में प्रत्येक मिनट 80 से अधिक लोग साइबर अपराध की चपेट में आते हैं। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या देश में साइबर आर्मी की जरूरत है?

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