30 October 2013

संजय दत्त को माफ़ी देना कितना सही ?

मुबई धमाकों के बाद मामले की जाँच में जुटी केन्द्रीय जांच ब्यूरो को कई अहम जानकारी मिली थी। जिनमे संजय दत्त का इन धमाकों से सिधा संबंध था। जाँच के दौरान ये भी जानकारी मिली कि मुंबई धमाकों के गुनहगारों से न केवल संजय दत्त के मधुर संबध थे, बल्कि उन्हें इस घटना का आभास भी पहले से था। सीबीआई जाँच के अनुसार जनवरी और फरवरी में रायगढ़ जिले के दिघी और शेखाडी तट पर पाकिस्तान से नावों में भरकर आरडीएक्स लाया गया था। आरडीएक्स के अलावा इसमें हथियार भी काफी संख्या में आये थे जो टाइगर मेमन के आदमियों को मिले थे। फिल्म निर्माता समीर हिंगोरा ओर हनीफ कडावाला ने इसी में से कुछ हथियार, हथगोले, गोलियां अभिनेता संजय दत्त को दिया था। हिंगोरा ने संजय दत्त के पाली हिल्स स्थित बंगले पर एके-56 राइफल, मैगजीन, कारतूस और हथगोले मुहैया कराये थे जो विस्फोट में इस्तेमाल हुये गैरकानूनी जखीरे का ही हिस्सा थे। जिसकी पुष्टि खुद संजय दत्त ने सुनवाई के दौरान की थी।

बम धमाके के आरोपी नंबर 117 रहे संजय दत्त ने मुंबई के डीसीपी कृष्ण लाल बिश्नोई के सामने 26 और 28 अप्रैल, 1993 को धमाकों के सिलसिले में अपना इकबालिया बयान दिया था। इन बयानों में संजय ने स्वीकार किया कि वह दाउद इब्राहिम से दुबई में मिले थे और अबू सलेम ने उन्हें एके 56 राइफलें दी थीं। धमाकों के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए संजय दत्त को अप्रैल, 1993 से लेकर अक्टूबर 1995 तक, तकरीबन 18 महीने जेल में बिताने पड़े थे। बाद में सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर वे रिहा हुए।

मामले की सुनवाई कर रहे टाडा अदालत ने नवंबर 2006 में संजय दत्त को पिस्तौल और एके-56 राइफल रखने का दोषी पाया। धमाकों के मुख्य अभियुक्त दाऊद इब्राहिम को छोड़कर मुंबई की अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए जिन लोगों को इन धमाकों के लिए दोषी पाया था उनमें संजय दत्त को भी दोषी पाया गया था। संजय दत्त को अवैध तरीके से हथियार रखने के लिए आर्म्स एक्ट के तहत दोषी माना गया तथा 6 साल की सजा सुनाई गई।

फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति डा बलबीर सिंह चैहान की खंडपीठ ने कहा कि “परिस्थितियां और अपराध का स्वरूप इतना गंभीर है कि हमारी राय में संजय दत्त को प्रोबेशन पर रिहाई के लिये परिवीक्षा कानून का लाभ नहीं मिलनी चाहिए। लेकिन अदालती आदेश को ठेंगा दिखा कर संजय दत्त को माफ करने की मुहीम अपने आप में कई अहम सवाल खड़ा करता है।

आम आदमी के लिए कानून

चार हजार रुपये का जुर्माना अदा न कर पाने की वजह से तमिलनाडु में डेनियल नामक युवक को 11 साल ज्यादा वक्त जेल में रहना पड़ा। इलाहाबाद जेल में दो कैदी दस वर्ष की सजा पूरा करने के बाद भी सजा काट रहे है। तमिलनाडु में एक व्यक्ति को सिर्फ 1 रूप्या घुस लेने के चलते जेल जाना पड़ा। यूपी के जेल में बंद एक औरत को सिर्फ पांच हजार रूपया न चुकाने पर सजा से जयादा दिनों तक जेल में रहना पड़ा, बाद में जब उसका बेटा बड़ा हुआ तो उसे जेल से छुड़वाया।

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