22 October 2013

क्या भाजपा की आपसी कलह से शिवराज को नुकसान होगा ?

मध्य प्रदेश में सत्ता की हैट्रिक का ख्वाब देख रही भाजपा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की खटिया खड़ी करने में उनके मंत्री और विधायक कोई कोर कसर नहीं छोडऩा चाहते हैं। पिछले पांच साल से भाजपा के मंत्री-विधायकों के बोल और कृत्यों से परेशान रही पार्टी की परेशान चुनावी मौके पर भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। प्रदेश के मंत्रियों के बड़बोलेपन को चुनाव आयोग भी गंभीरता से ले रहा है।

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने आचार संहिता को ठोकर मारने की बात कह डाली। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार के खनिज विभाग के काम पर आपत्ति जताते हुए खदान आवंटन के मामलों को यथावत रखने के आदेश दे दिए। मंत्री-विधायकों के खिलाफ भी नए-नए मामले सामने आ रहे हैं। इससे पार्टी की छवि खराब हो रही है और आने वाले चुनाव में पार्टी को नुकसान हो सकता है। पार्टी भी इन मामलों को गंभीरता से लेकर इन्हें कांग्रेस की साजिश बता रही है और कार्यकर्ताओं को अनुशासन में रहने की हिदायत दे रही है।

प्रदेश में आचार संहिता लगने के साथ ही पांच ऐसे मामले सामने आए हैं जो भाजपा की छवि को तार-तार करने के लिए काफी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय पर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप है। उन्होंने कहा था कि आचार संहिता कहती है कि युवतियों को भेंट मत दो, सामाजिक-सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का हिस्सा मत बनो। ऐसी आचार संहिता को मैं ठोकर मारता हूं। इससे पहले महू में चुनरी यात्रा के दौरान कैलाश ने ढोल वालों को सौ-सौ रूपए बांटे थे। आयोग ने इस मामले में कैलाश को नोटिस जारी किया है। हालांकि विजयवर्गीय ने आयोग को पत्र लिखकर अपना शब्द वापस लेने की बात कही है।

एक अन्य मामले में प्रदेश के खनिज मंत्री राजेंद्र शुक्ल और उनके महकमे ने महज तीन दिन में 1100 खदान आवेदन निपटाने की कोशिश की थी, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आवंटन पर रोक लगाते हुए यथास्थिति के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने मप्र शासन, खनिज मंत्री, सीबीआई और मुख्य चुनाव आयोग को नोटिस देते हुए चार सप्ताह में जवाब मांगा है। हालांकि, खनिज मंत्री राजेंद्र शुक्ल का कहना है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया। वहीं सोहागपुर की महिला रजनी चौहान ने आरोप लगाया है कि उसके ससुर दयाचंद पिछले दस साल से गायब है। उनकी भजियाढाना में चार एकड़ जमीन पर कुछ दबंगों ने कब्जा कर लिया है।

 इन आरोपियों को सोहागपुर विधायक विजयपाल सिंह का संरक्षण प्राप्त है, इसलिए पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही। बाबूजी पटेल का आरोप है कि विधायक प्रतिनिधि चुन्नीलाल के खिलाफ पुलिस मामला दर्ज नहीं कर रही है। इसके अलावा राज्यमंत्री मनोहर ऊंटवाल के खिलाफ पुलिस ने मारपीट का प्रकरण दर्ज किया। उन पर आलोट शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश बाफना के भाई से मारपीट का आरोप है। ऊंटवाल ने कहा कि बाफना धार्मिक मंच से साडियां बांट रहे थे। आचार संहिता का उल्लंघन देख हमने पुलिस को बुलाया, तो बाफना ने झूठा आरोप लगा दिया।

इससे पहले भी भाजपा सरकार के मंत्री पूरे पांच साल तक अपने बड़बोलपन के कारण पार्टी को पलीता लगाते रहे। राज्य के एक मंत्री तुकोजीराव पवार ने विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में महिलाओं के खिलाफ सार्वजनिक रुप से आपत्तिजनक टिप्पणी कर लोगों को हैरत में डाल दिया था। भोपाल के जहांनुमा होटल में आयोजित समारोह में पवार ने पहली पंक्ति में बैठी महिलाओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि उस ओर 'कांग्रेस' बाघिन बैठी हैं जबकि स्वंय की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि इस ओर टाइगर खड़ा है। समारोह में पवार से की गयी उक्त टिप्पणी के बाद सन्नाटा छा गया और समारोह के बाद भी पवार अपनी टिप्पणी से पीछे हटते नजर नहीं आये और नही उन्होंने अपनी टिप्पणी को लेकर किसी प्रकार का खेद व्यक्त किया।

 पवार के लिये यह पहला मौका नहीं है जब उनकी टिप्पणियों के चलते विवाद उठा हो. इससे पहले भी वह कई बार विवादों में घिर चुके हैं। राज्य सरकार में पवार अकेले मंत्री नहीं हैं जिनकी टिप्पणियों के चलते विवाद उठा हो। प्रदेश के किसान कल्याण मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया भी पिछले साल ओला पाला प्रभावित किसानों से बडी संख्या में की गयीं आत्महत्या के बीच यह कहकर विवादों में फंस गये थे कि किसान अपने पापों के कारण आत्महत्या करने पर मजबूर हैं। स्थानीय शासन मंत्री बाबूलाल गौर भ्रष्टाचार को लेकर अपनी ही सरकार को कटघरे में खडा कर चुके हैं जबकि पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री राई नृत्य को लेकर की गयी टिप्पणी से विवादों में आ चुके हैं।

इसी साल अप्रैल के महीने में झाबुआ में एक कार्यक्रम के दौरान महिलाओं और भाजपा नेत्री के साथ ही मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की पत्नी के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के चलते अपनी कुर्सी गंवाने वाले आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह का बड़बोलापन किसी से छुपा नहीं है। अभी तक मंत्री जो भी बोलते थे उसे पार्टी किसी न किसी तरह संभाल लेती थी,लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं। अब चुनाव आयोग के साथ ही जनता के फसले की घड़ी भी आ गई है। अगर भाजपा नेता नहीं संभले तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं।

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