हरियाणा विधानसभा चुनाव-2024 के लिए शेड्यूल जारी हो चुका है। चुनाव को लेकर राजनीतिक
दलों में हलचल बढ़ी हुई है। चुनाव में जीत की बिसात बिछाने के साथ ही सभी 90 सीटों पर उम्मीदवार उतारने को लेकर दलों में गहन मंथन चल रहा
है। लेकिन इस बीच टिकटों की घोषणा से पहले ही नेता बागी तेवर दिखाने लगे हैं। इस
समय बागी तेवर अपनाने को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा में हरियाणा के बिजली मंत्री और
बीजेपी नेता रणजीत सिंह चौटाला हैं। जो कि पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. देवीलाल के
बेटे भी हैं।
दरअसल, रणजीत
चौटाला सिरसा जिले की रानियां विधानसभा सीट से टिकट चाहते हैं। रणजीत चौटाला के
लिए रानियां सेफ सीट मानी जाती है। साथ ही इस सीट पर चौटाला अपने आप को सबसे
ज्यादा मजबूत और जिताउ उम्मीदवार के तौर पर देखते हैं। इसलिए रानियां सीट से टिकट
को लेकर रणजीत चौटाला मुखर हो गए हैं। चौटाला ने अपनी ही पार्टी बीजेपी पर चैलेंजिंग
बयान भी दे दिया है। चौटाला ने कहा है कि, रानियां
से बीजेपी मुझे टिकट देती है तो ठीक, वरना
बीजेपी अपना देख ले। मैं रानियां से चुनाव जरूर लड़ूंगा और जीतूंगा भी। मैं चौधरी
देवीलाल का बेटा हूं और पार्टी से हटकर भी मेरा अपना 90 सीटों पर जनाधार है। जनता
टीवी के लोकप्रिय कार्यक्रम प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए बयान से सियासी घमासान मचा
हुआ है।
रणजीत चौटाला सिर्फ यही तक नहीं...उन्होने यहां तक कह दिया है कि कि ‘भले ही बीजेपी उन्हें टिकट दे या न दे, लेकिन वे हर हाल में रानियां विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। टिकट न मिलने की सूरत में वह बीजेपी से अलग होकर निर्दलीय भी चुनाव मैदान में भी उतर सकते हैं’। फिलहाल चौटाला कांग्रेस में जाने की बातों से इनकार कर रहे हैं और ऐसी बातों को फवाह बता रहे हैं। उनका कहना है कि, वह बीजेपी में हैं और आगे भी बीजेपी में रहेंगे। फिलहाल, चौटाला का ये बयान बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती जरूर बनी हुई है। बीजेपी में सीटों पर टिकट बंटवारे को लेकर घमासान बढ़ सकता है। चर्चा है कि, इसबार कई विधायकों और मंत्रियों के टिकट काटे जाने की तैयारी है।
रानियां सीट को लेकर चौटाला क्यों हुए बागी ?
गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा एनडीए के साथ चुनाव
लड़ रही है
गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा की है रानियां सीट पर नजर
बीजेपी नेता गोबिंद कांडा ने अपने बेटे को
उम्मीदवार घोषित किया है
धवल कांडा को हलोपा से रानियां सीट पर उम्मीदवार
घोषित किया है
यही वजह है कि, रणजीत चौटाला की नाराजगी सामने आ रही है। क्योंकि ऐसे में
उनकी टिकट पर ब्रेक लग गया है। हालांकि, अभी तक
बीजेपी हाईकमान की ओर से कोई भी बयान सामने नहीं आया है। वहीं रणजीत चौटाला ने
अपनी नाराजगी दिखाते हुए गोपाल कांडा पर तीखा हमला बोला है। चौटाला का कहना है कि, गोपाल कांडा का एक ही काम है 1 सीट जीतो और फिर सीएम से CLU करवाओ। वह इस बार सिरसा भी हारेंगे।
हाल ही में मंत्री रणजीत चौटाला ने रानियां में एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में चौटाला ने केवल अपने समर्थकों और कार्यकार्ताओं को शामिल किया था। बैठक में चुनावी चर्चा की गई। लेकिन इस बैठक में बीजेपी के किसी नेता को नहीं बुलाया गया। बीजेपी नेताओं से दूरी बनाकर रणजीत चौटाला ने यह संकेत दे दिया कि वह निर्दलीय भी चुनाव लड़ सकते हैं या कोई अन्य विकल्प पर भी विचार कर सकते हैं। रणजीत चौटाला पहले कभी कांग्रेस में ही हुआ करते थे, वह पुराने समय से कांग्रेस में रहे हैं। अब वह कांग्रेस में फिर जाने पर विचार कर सकते हैं। इसके लिए उन्होंने अपने समर्थकों से रायशुमारी भी कर ली है। रानियां चूंकि रणजीत चौटाला के लिए सेफ सीट मानी जाती है, इसलिए कांग्रेस यानी हुड्डा भी रणजीत चौटाला को अपनी पार्टी में लेने में ज्यादा देर नहीं लगाने वाले हैं।
कौन हैं रणजीत चौटाला
रणजीत चौटाला पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के बेटे हैं
उम्र 78 साल, 18 मई 1945 में जन्म हुआ
पत्नी का नाम इंदिरा सिहाग, बेटा गगनदीप सिंह
पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से पढ़ाई की
1987 में लोकदल के टिकट पर रोरी विधानसभा से विधायक बने
1990 में
उन्हें हरियाणा से राज्यसभा के सांसद के रूप में चुना गया
2005- 2009 तक राज्य योजना बोर्ड, हरियाणा के उपाध्यक्ष रहे
2019 में
रानियां से निर्दलीय विधायक बनकर कैबिनेट में मंत्री बने
रणजीत चौटाला ने साल 2019 का विधानसभा चुनाव सिरसा जिले की रानियां विधानसभा सीट से
निर्दलीय जीता था और पूरे पांच साल बीजेपी को समर्थन दिया। इसके बदले में बीजेपी
ने निर्दलीय विधायकों के कोटे से रणजीत चौटाला को हरियाणा सरकार में बिजली व जेल
मंत्री बनाए रखा। वहीं लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने रणजीत चौटाला से रानियां
के विधायक पद से इस्तीफा दिलवाकर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल किया और आधे घंटे के
बाद ही हिसार लोकसभा सीट से टिकट भी दे दिया। हालांकि हिसार से कांग्रेस के
जयप्रकाश चुनाव जीते और रणजीत चौटाला को हार का सामना करना पड़ा। लेकिन चौटाला हार
का अंतर बहुत अधिक नहीं रहा। लोकसभा चुनाव हारने और था रानियां के विधायक पद से
इस्तीफा देने के बावजूद बीजेपी ने रणजीत चौटाला को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की
कैबिनेट में बिजली मंत्री बनाए रखा। अब रणजीत चौटाला को लग रहा है कि बीजेपी
उन्हें रानियां से शायद ही विधानसभा चुनाव लड़वाए, ऐसे में उन्होंने दबाव की राजनीति आरंभ करते हुए पार्टी
छोड़ने के संकेत दे दिए हैं।
CM सैनी और मनोहर लाल मनाने में जुटे
रणजीत चौटाला के बागी
तेवर से बीजेपी में हड़कंप
मुख्यमंत्री नायब
सैनी और मनोहर लाल खट्टर मनाने में जुटे
नाराजगी को दूर करने
की कवायद में जुटे कई दिग्गज
चौटाला की जिद्द रानियां
सीट से कोई समझौता नहीं करेंगे
रानियां से गोपाल कांडा के भतीजे धवल चुनाव लड़ने की तैयारी में
टिकट नहीं मिलने पर रणजीत
सिंह चौटाला के बागी तेवर कोई नया है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट
नहीं मिला तो रणजीत सिंह चौटाला बागी हो गए और निर्दलीय ही रानियां सीट से मैदान
में उतर गए। उन्होंने गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा को करीब 19 हजार वोटों से चुनाव
हराया था। गोविंद कांडा अब बीजेपी में आ गए हैं और ऐलनाबाद का उपचुनाव पार्टी के
टिकट पर भी लड़ चुके हैं। अब गोविंद कांडा अपने बेटे धवल कांडा को चुनाव लड़ाने की
तैयारी में जुटे हैं। गोपाल कांडा खुद सिरसा से विधायक हैं और बीजेपी को समर्थन दे
रखा है। इस बार बीजेपी के साथ गठबंधन कर गोपाल कांडा चुनाव लड़ने की मूड में हैं। वहीं दूसरी ओर, रणजीत सिंह चौटाला ने रानियां विधानसभा सीट पर डेरा डाल हुए हैं। कई गांवों
में प्रचार भी शुरू कर दिया है। गोपाल कांडा केंद्रीय शिक्षा मंत्री और हरियाणा के
बीजेपी चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से भी मुलाकात कर चुके हैं। एनडीए का
हिस्सा होने के लिए कांडा ने 15 सीटें मांगी थीं, लेकिन पार्टी इस पर तैयार नहीं है। माना जा रहा कि बीजेपी गोपाल
कांडा को पांच से छह सीटें दे सकती है, लेकिन रणजीत चौटाला के बागी रुख को
देखते हए टेंशन बढ़ गई है।
ऐसे में अब देखना होगा
कि बीजेपी क्या रास्ता निकालती है? चौटाला अगर फिर से
बागी होकर चुनावी मैदान में उतरते हैं तो बीजेपी के लिए रानियां सीट पर मुश्किल
खड़ी हो जाएगी। इसीलिए बीजेपी की कोशिश रणजीत चौटाला को मनाने की है। भाजपा चौटाला
को मनाने में कितना सफल हो पाती है इसका इंतजार करना होगा।
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